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जैव विविधता और पर्यावरण

‘सभी जानवर इच्छा से पलायन नहीं करते’ अभियान

  • 23 May 2019
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण भारत और भारत के वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau- WCCB) ने एक जागरूकता अभियान ‘सभी जानवर इच्छा से पलायन नहीं करते’ शुरू किया है। गौरतलब है कि यह अभियान देश भर के प्रमुख हवाई अड्डों पर संचालित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • अभिनेत्री, निर्माता, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की सद्भावना दूत और हाल ही में नियुक्त संयुक्त राष्ट्र महासचिव की एसडीजी दूत दीया मिर्जा ने इस अभियान की शुरूआत की।
  • वन्य जीवों को दुनिया भर में खतरे का सामना करना पड़ रहा है और दुनिया भर के अवैध बाज़ारों में भारत की वनस्पति और जीव जंतुओं की मांग लगातार जारी है। वन्य जीवों के अवैध व्यापार के कारण कई प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर है। दुनिया भर में संगठित वन्य जीव अपराध की श्रृंखलाएँ फैलती जा रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप न केवल यह उद्योग फल-फूल रहा है, बल्कि भारत में वन्य जीवों के अवैध व्यापार में काफी तेज़ी भी आई है।
  • ‘सभी जानवर इच्छा से पलायन नहीं करते’ (Not All Animals Migrate by Choice) अभियान का उद्देश्य लोगों के मध्य जागरूकता का प्रसार करना और वन्य जीवों के संरक्षण तथा उनकी रक्षा, तस्करी रोकने एवं वन्य जीव उत्पादों की मांग में कटौती लाने हेतु जन समर्थन जुटाना है।
  • यह अभियान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के एक वैश्विक अभियान, ‘जीवन के लिये जंगल’ (Wild for Life) के ज़रिये वन्य जीवों के गैर-कानूनी व्यापार पर रोक लगाने हेतु विश्वव्यापी कार्रवाई का पूरक है।
  • अभियान के पहले चरण के अंतर्गत बाघ, पैंगोलिन, स्टार कछुआ और टाउकेई छिपकली को चुना गया है, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में अवैध व्यापार के कारण इनका अस्तित्व खतरे में है।
  • बाघ का उसकी खाल, हडि्डयों और शरीर के अंगों के लिये, छिपकली का उसके मीट और उसकी खाल का परंपरागत दवाओं में, स्टार कछुए का मीट और पालने के लिये तथा टाउकेई छिपकली का दक्षिण-पूर्व एशिया खासतौर से चीन के बाज़ारों में परंपरागत दवाओं हेतु अवैध व्यापार किया जाता है।
  • दूसरे चरण के अंतर्गत इससे अधिक खतरे वाली प्रजातियों को शामिल करते हुए तस्करी के अन्य मार्गों का पता लगाया जाएगा।

wccb

  • हाल में हवाई अड्डों पर गैर-कानूनी तरीके से व्यापार करके लाई गई प्रजातियों और उनके विभिन्न अंगों को जब्त करने के संबंध में मीडिया में खबरें आती रही हैं जो इस बात का संकेत है कि वन्य जीवों की तस्करी हो रही है।
  • हवाई अड्डों के रास्ते तस्करी करके लाए जाने वाले वन्य जीवों की प्रमुख प्रजातियों में स्टार कछुए, पक्षी, शहतूत, शोल, बाघ और तेंदुए के विभिन्न अंग, हाथीदांत, गैंडे के सींग, पैंगोलिन एवं पैंगोलिन की खाल, सीपियाँ, समुद्री घोड़ा, सी कुकुम्बर, रेंगने वाले जंतुओं की खालें, जीवित सांप, छिपकलियाँ, मूंगा तथा औषधीय जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme -UN Environment) एक अग्रणी वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है जो वैश्विक पर्यावरण कार्य-सूची (Agenda) का निर्धारण करता है, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत सतत् विकास के पर्यावरणीय आयाम के सुसंगत कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है और वैश्विक पर्यावरण के लिये एक आधिकारिक सलाहकार के रूप में कार्य करता है।
  • इसकी स्थापना 5 जून, 1972 को की गई थी।
  • इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्या (Nairobi, Kenya) में है।

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB)

  • वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन भारत सरकार द्वारा स्थापित एक सांविधिक बहु अनुशासनिक (Multi-Disciplinary) इकाई है।
  • ब्यूरो का मुख्यालय नई दिल्ली में है तथा नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई एवं जबलपुर में पाँच क्षेत्रीय कार्यालय; गुवाहाटी, अमृतसर और कोचीन में तीन उप क्षेत्रीय कार्यालय और रामनाथपुरम, गोरखपुर, मोतिहारी, नाथूला एवं मोरेह में पाँच सीमा ईकाइयाँ अवस्थित हैं|
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (Wild Life Protection Act), 1972 की धारा 38 (Z) के तहत, ब्यूरो को निम्नलिखित कार्यों के लिये अधिकृत किया गया है:
  • अपराधियों को गिरफ्तार करने हेतु संगठित वन्यजीव अपराध गतिविधियों से संबंधित सूचना/जानकारी इक्कठा करने, उसका विश्लेषण करने व उसे राज्यों व अन्य प्रवर्तन एजेंसियों को प्रेषित करने के लिये।
  • एक केंद्रीकृत वन्यजीव अपराध डेटा बैंक स्थापित करने के लिये।
  • अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के संबंध में विभिन्न एजेंसियों द्वारा समन्वित कार्रवाई करवाने के लिये।
  • संबंधित विदेशी व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को वन्यजीव अपराध नियंत्रण में समन्वय व सामूहिक कार्यवाही हेतु सहायता प्रदान करने के लिये।
  • वन्यजीव अपराधों में वैज्ञानिक और पेशेवर जाँच के लिये वन्यजीव अपराध प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता निर्माण एवं वन्यजीव अपराधों से संबंधित मुकदमों में सफलता सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकारों की सहायता करने के लिये।
  • भारत सरकार को वन्यजीव अपराध संबंधित मुद्दों, जिनका राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव हो, पर प्रासंगिक नीति व कानूनों के संदर्भ में सलाह देने के लिये।
  • यह कस्टम अधिकारियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wild Life Protection Act), CITES और आयात-निर्यात नीति (EXIM Policy) के प्रावधानों के अनुसार वनस्पति व जीवो की खेप के निरीक्षण में भी सहायता व सलाह प्रदान करता है।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972

  • देश की पारिस्थितिकीय और पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वन्य प्राणियों, पक्षियों और पादपों के संरक्षण के लिये तथा उनसे संबंधित या प्रासंगिक या आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिये यह अधिनियम बनाया गया था।
  • यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर को छोड़कर संपूर्ण भारत में लागू है। इस अधिनियम का उद्देश्य सूचीबद्ध लुप्तप्राय वनस्पतियों और जीव एवं पर्यावरण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करना है।
  • भारत सरकार ने देश के वन्य जीवन की रक्षा करने और प्रभावी ढंग से अवैध शिकार, तस्करी और वन्य जीवन तथा उसके व्युत्पन्न के अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह अधिनियम लागू किया। इसे जनवरी 2003 में संशोधित किया गया तथा कानून के तहत अपराधों के लिये सज़ा एवं ज़ुर्माने को और अधिक कठोर बना दिया गया।

इसमें कुल छह अनुसूचियाँ हैं:

अनसूची-1

  • इस अनुसूची में 43 वन्यजीव शामिल हैं। इनमें सूअर से लेकर कई तरह के हिरण, बंदर, भालू, चिंकारा, तेंदुआ, लंगूर, भेड़िया, लोमड़ी, डॉलफिन, कई तरह की जंगली बिल्लियाँ, बारहसिंगा, बड़ी गिलहरी, पेंगोलिन, गैंडा, ऊदबिलाव, रीछ और हिमालय पर पाए जाने वाले अनेक जानवर शामिल हैं। इसके अलावा इसमें कई जलीय जंतु और सरीसृप भी शामिल हैं। इस अनुसूची के चार भाग हैं और इसमें शामिल जीवों का शिकार करने पर धारा 2, 8, 9, 11, 40, 41, 43, 48, 51, 61 तथा धारा 62 के तहत दंड मिल सकता है।

अनुसूची-2

    • इस अनुसूची में शामिल वन्य जंतुओं के शिकार पर धारा 2, 8, 9, 11, 40, 41, 43, 48, 51, 61 और धारा 62 के तहत सज़ा का प्रावधान है। इस सूची में कई तरह के बंदर, लंगूर, साही, जंगली कुत्ता, गिरगिट आदि शामिल हैं। इनके अलावा अन्य कई तरह के जानवर भी इसमें शामिल हैं।
  • इन दोनों अनुसूचियों के तहत आने वाले जानवरों का शिकार करने पर कम-से-कम तीन साल और अधिकतम सात साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है।
  • कम-से-कम ज़ुर्माना 10 हज़ार रुपए और अधिकतम ज़ुर्माना 25 लाख रुपए है।
  • दूसरी बार अपराध करने पर भी इतनी ही सज़ा का प्रावधान है, लेकिन न्यूनतम ज़ुर्माना 25 हज़ार रुपए है।

अनुसूची-3 और अनुसूची-4:

  • इसके तहत वन्य जानवरों को संरक्षण प्रदान किया जाता है लेकिन इस सूची में आने वाले जानवरों और पक्षियों के शिकार पर दंड बहुत कम है।

अनुसूची-5:

  • इस सूची में उन जानवरों को शामिल किया गया है, जिनका शिकार हो सकता है।

अनुसूची-6:

  • इसमें दुर्लभ पौधों और पेड़ों की खेती और रोपण पर रोक है।

क्या खास है इस कानून में?

  • वन्यजीव ( संरक्षण) अधिनियम, 1972 के उपबंधों के अंतर्गत वन्य जीवों को शिकार और वाणिज्यिक शोषण के विरुद्ध विधिक सुरक्षा दी गई है।
  • संरक्षण और खतरे की स्थिति के अनुसार वन्य जीवों को अधिनियम की विभिन्न अनुसूचियों में शामिल किया जाता है।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में इसके उपबंधों का अतिक्रमण करने संबंधी अपराध के लिये दंड का प्रावधान है।
  • वन्यजीव अपराध हेतु प्रयोग में लाए गए किसी उपकरण, वाहन अथवा हथियार को जब्त करने का भी प्रावधान है।
  • वन्य जीवों और उनके पर्यावासों की सुरक्षा के लिये देशभर में महत्त्वपूर्ण पर्यावासों को शामिल करते हुए सुरक्षित क्षेत्र अर्थात् राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, संरक्षण रिज़र्व और सामुदायिक रिज़र्व सृजित किये गए हैं।
  • वन्य जीवों के अवैध शिकार और वन्यजीवों तथा उनके उत्पादों के अवैध व्यापार पर नियंत्रण संबंधी कानून के प्रवर्तन के सुदृढ़ीकरण हेतु वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की स्थापना की गई है।
  • वन्यजीव अपराधियों को पकड़ने और उन पर मुकदमा चलाने के लिये सीबीआई को अधिकार दिये गए हैं।

स्रोत- पीआईबी

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