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जैव विविधता और पर्यावरण

प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय

  • 08 May 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बॉन कन्वेंशन (UNEP/CMS), मध्य एशियाई फ्लाईवे, माइक्रो-प्लास्टिक और सिंगल-यूज़ प्लास्टिक, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972

मेन्स के लिये:

प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय और भारत द्वारा किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम/प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (United Nations Environment Programme/Convention on Migratory Species- UNEP/CMS) के सहयोग से मध्य एशियाई फ्लाईवे (Central Asian Flyway- CAF) में प्रवासी पक्षियों एवं उनके आवासों के संरक्षण प्रयासों को मज़बूत करने हेतु पक्षकार देशों की एक बैठक आयोजित की।

  • बैठक में आर्मेनिया, बांग्लादेश, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, कुवैत सहित 11 देशों ने भाग लिया। प्रतिनिधियों ने CAF के लिये एक संस्थागत ढाँचे और CMS/CAF कार्ययोजना को अद्यतन करने हेतु एक मसौदा रोडमैप पर सहमति व्यक्त की।

CMS: 

  • परिचय: 
    • यह UNEP के तहत एक अंतर-सरकारी संधि है जिसे बॉन कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है।
    • इस पर वर्ष 1979 में हस्ताक्षर किये गए थे और यह 1983 से लागू है।
    • CMS में 1 मार्च, 2022 तक 133 पक्षकार हैं।
      • भारत भी वर्ष 1983 से CMS का एक पक्षकार है।
  • लक्ष्य: 
    • इसका उद्देश्य स्थलीय, समुद्री और एवियन प्रवासी प्रजातियों को उनकी सीमा में संरक्षित करना है।
    • यह वैश्विक स्तर पर संरक्षण उपायों को संचालित करने के लिये कानूनी नींव रखता है।
      • CMS के तहत कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते और कम औपचारिक समझौता ज्ञापन भी कानूनी साधनों के रूप में संभव हैं।
  • CMSके तहत दो परिशिष्ट:
    • परिशिष्ट I 'संकटग्रस्त प्रवासी प्रजातियों' को सूचीबद्ध करता है।
    • परिशिष्ट II 'अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता वाली प्रवासी प्रजातियों' को सूचीबद्ध करता है।
  • भारत और CMS: 
    • भारत ने साइबेरियन क्रेन (1998), समुद्री कछुए (2007), डुगोंग (2008) और रैप्टर (2016) के संरक्षण एवं प्रबंधन पर CMS के साथ गैर-कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding- MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • भारत दुनिया के 2.4% भूमि क्षेत्र के साथ ज्ञात वैश्विक जैवविविधता में लगभग 8% का योगदान देता है।
  • प्रवासी प्रजातियाँ: 
    • जंगली पशुओं की एक प्रजाति अथवा निचले श्रेणी के टैक्सोन, (जैविक वर्गीकरण के विज्ञान में प्रयुक्त इकाई) जिसकी पूरी आबादी अथवा आबादी का कोई भौगोलिक रूप से अलग हिस्सा चक्रीय रूप से और अनुमानित रूप से एक या एक से अधिक राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के पार जा सकता है।
    • "चक्रीय रूप से" पद किसी भी प्रकार के चक्र को संदर्भित करता है, जिसमें जलवायु, जैविक और खगोलीय (सर्कैडियन, वार्षिक आदि) चक्र शामिल हैं।
      • पद "अनुमानित रूप से" का तात्पर्य है कि एक घटना की कुछ प्रकार की स्थितियों के तहत पुनरावृत्ति होने की उम्मीद की जा सकती है, हालाँकि जरूरी नहीं कि  यह समय-समय पर नियमित रूप से हो।

मध्य एशियाई फ्लाईवे:  

  • मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) पक्षियों के लिये एक प्रमुख प्रवासी मार्ग है, जो आर्कटिक महासागर से हिंद महासागर तक 30 देशों तक फैला हुआ है।
    • भारतीय उपमहाद्वीप CAF का एक हिस्सा है जहाँ 182 प्रवासी जलपक्षी प्रजातियों (29 विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों सहित) के कम-से-कम 279 आबादी भारत में पाई जाती है।
    • भारत में प्रवासी पक्षियों की 400 से अधिक प्रजातियाँ हैं, जिनमें साइबेरियन क्रेन और लैसर वाइट फ्रंट गूज़ जैसे संकटग्रस्त और लुप्तप्राय प्रजातियाँ शामिल हैं।

फ्लाईवे: 

  • फ्लाईवे अपने वार्षिक चक्र के दौरान पक्षियों के एक समूह द्वारा उपयोग किया जाने वाला क्षेत्र है जिसमें उनके प्रजनन क्षेत्र, ठहराव क्षेत्र और सर्दियों के क्षेत्र शामिल हैं।
  • CMS सचिवालय ने पक्षियों के प्रवास के संबंध में वैश्विक स्तर पर नौ प्रमुख फ्लाईवे की पहचान की है।

East-Asian

प्रवासी प्रजातियों के लिये भारत द्वारा किये गए प्रयास:  

  • प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना (2018-2023): भारत ने मध्य एशियाई फ्लाईवे की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना शुरू की है। 
    • प्रवासी पक्षियों द्वारा सामना की जाने वाली वाली विभिन्न समस्याओं जैसे- निवास स्थान का नुकसान, निम्नीकरण और विखंडन, अवैध शिकार, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन करके इन प्रजातियों के महत्त्वपूर्ण आवासों तथा प्रवासी मार्गों पर दबाव कम करने का प्रयास।
    • प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी को रोकना और वर्ष 2027 तक इस परिदृश्य को संतुलित करना।
    • आवासों और प्रवासी मार्गों के खतरों से बचाना और भावी पीढ़ियों के लिये उनकी स्थिरता सुनिश्चित करना।
    • प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण के लिये मध्य एशियाई फ्लाईवे के साथ-साथ विभिन्न देशों के बीच सीमा पार सहयोग का समर्थन करना।
    • प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों पर डेटाबेस में सुधार करना ताकि उनके संरक्षण आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझा जा सके। 
  • भारत के अन्य प्रयास: 
  • प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड (PSL): PSL को हिम तेंदुओं और उनके आवास के संरक्षण के लिये एक समावेशी और भागीदारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2009 में लॉन्च किया गया था।
  • डुगोंग संरक्षण रिज़र्व: भारत ने तमिलनाडु में अपना पहला डुगोंग संरक्षण रिज़र्व स्थापित किया है।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: 
    • प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों की दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों को अधिनियम की अनुसूची-I में शामिल किया गया है जिससे उन्हें उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्राप्त होती है।
    • इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है।
    • पक्षियों और उनके आवासों की बेहतर सुरक्षा और संरक्षण के लिये इस अधिनियम के तहत प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों के महत्त्वपूर्ण आवासों को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
  • अन्य पहलें: 
    • नगालैंड राज्य में अमूर फाल्कन्स, जो दक्षिणी अफ्रीका की ओर अपनी यात्रा के दौरान पूर्वोत्तर भारत में प्रवास करते हैं, की सुरक्षा के लिये केंद्रित सुरक्षा उपाय किये गए हैं। इन उपायों में स्थानीय समुदायों द्वारा सहायता भी शामिल है।
    • भारत ने गिद्धों के संरक्षण के लिये कई कदम उठाए हैं जैसे- डाइक्लोफेनाक के पशु चिकित्सा उपयोग पर प्रतिबंध लगाना, गिद्ध प्रजनन केंद्रों की स्थापना आदि।
    • वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की स्थापना वन्यजीवों तथा उनके अंगों एवं उत्पादों के अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिये की गई है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2020)  

अंतर्राष्ट्रीय समझौता/संगठन               विषय 

  1. अल्मा-आटा घोषणा: लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल 
  2. हेग समझौता: जैविक एवं रासायनिक शस्र   
  3. तालानोआ संवाद: वैश्विक जलवायु परिवर्तन
  4. अंडर2  गठबंधन: बाल अधिकार 

उपयुक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और 2  
(b) केवल 4
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2, 3 और 4  

उत्तर: c 

  • अल्मा-आटा घोषणा: इसे वर्ष 1978 में अल्माटी, कज़ाखस्तान में आयोजित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (PHC) पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनाया गया था। इसने सभी सरकारों, स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों तथा विकास कार्यकर्त्ताओं के प्राथमिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने का आग्रह किया। अतः युग्म 1 सही सुमेलित है।
  • हेग समझौता: विभिन्न विषयों पर हेग समझौते की एक शृंखला है जैसे- सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में सांस्कृतिक संपत्ति के संरक्षण के लिये अभिसमय, अंतर्राष्ट्रीय बाल अपहरण के नागरिक पहलुओं पर हेग समझौता आदि लेकिन यह जैविक और रासायनिक हथियारों से संबंधित नहीं है। अतः युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है।
  • तालानोआ संवाद: इस संवाद को वर्ष 2017 में बॉन (जर्मनी) में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 23) में लॉन्च किया गया था। तालानोआ एक पारंपरिक शब्द है जिसका उपयोग फिजी और पूरे प्रशांत क्षेत्र में समावेशी, भागीदारी एवं पारदर्शी संवाद की प्रक्रिया को दर्शाने के लिये किया जाता है। तलानोआ का उद्देश्य कहानियों को साझा करना, सहानुभूति का निर्माण करना तथा सामूहिक भलाई के लिये विवेकपूर्ण निर्णय लेना है। अतः युग्म 3 सही सुमेलित है।
  • अंडर2  गठबंधन: अंडर2 गठबंधन राज्य और क्षेत्रीय सरकारों का एक वैश्विक समुदाय है जो पेरिस समझौते के अनुरूप महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई के लिये प्रतिबद्ध है। गठबंधन 220 से अधिक उप-राष्ट्रीय सरकारों को एक साथ लाता है जो 1.3 बिलियन से अधिक लोगों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के 43 प्रतिशत का प्रतिनिधित्त्व करते हैं। वर्तमान में महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ भारत से इस समझौते के हस्ताक्षरकर्त्ता हैं। हस्ताक्षरकर्त्ता समिति वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचने के प्रयासों के साथ 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये प्रतिबद्ध है। अतः युग्म 4 सही सुमेलित नहीं है।
  • अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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