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जैव विविधता और पर्यावरण

विश्व हाथी दिवस

  • 13 Aug 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व हाथी दिवस, प्रवासी प्रजातियों का सम्मेलन (CMS), प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN), हाथी रिजर्व (ERs), हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (MIKE) कार्यक्रम।

मेन्स के लिये:

हाथियों के संरक्षण का महत्त्व और हाथी की प्रजातियों से संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस, मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में हाथियों के महत्त्व को स्वीकार करना है।

  • यह हाथियों के द्वारा दैनिक जीवन में सामना करने वाले खतरों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने पर बल देता है। हाथियों के अवैध शिकार, पालतू हाथियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, उनके आवास को क्षति पहुँचाने जैसे कारकों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हाथी दिवस का महत्त्व:

  • परिचय:
    • हाथियों को कई संस्कृतियों में पवित्र पशु माना जाता है और एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिये ये अति आवश्यक होते हैं।
      • हाथी जैव विविधता को भी बढ़ावा देते हैं।
      • ये एक बुद्धिमान प्रजाति होती हैं, उनके पास किसी भी स्थल पर रहने वाले प्रजातियों की तुलना में आकार में सबसे बड़ा दिमाग पाया जाता है।
  • जनसंख्या:
    • पिछले 75 वर्षों में हाथियों की आबादी में 50% की कमी आई है।
      • वर्तमान जनसंख्या अनुमान से संकेत मिलता है कि विश्व में लगभग 50,000-60000 एशियाई हाथी हैं।
        • भारत में विश्व की हाथियों की 60% से अधिक जनसंख्या निवास करती है।
  • ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
    • विश्व हाथी दिवस अभियान वर्ष 2012 में अफ्रीकी और एशियाई हाथियों को होने वाली दिक्कतों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उदेश्य से शुरू किया गया था।
      • इस अभियान का उद्देश्य एक स्थायी वातावरण का निर्माण करना है जहाँ हाथियों के साथ होने वाले शोषण को रोका जा सके और उनकी देखभाल की जा सके।
    • विश्व हाथी दिवस को पहली बार कनाडा के फिल्म निर्माता माइकल क्लार्क और पेट्रीसिया सिम्स द्वारा थाईलैंड स्थित हाथी प्रजनन फाउंडेशन के साथ मनाया गया था।
      • वर्ष 2012 में पेट्रीसिया सिम्स ने वर्ल्ड एलीफेंट सोसाइटी नामक एक संगठन की स्थापना की।
        • संगठन हाथियों के सामने आने वाले खतरों और विश्व स्तर पर उनकी रक्षा करने की अनिवार्यता के बारे में जागरूकता पैदा करने में सफल रहा है।
  • संरक्षण स्थिति:

भारत में हाथियों से संबंधित मुद्दे:

  • प्रोजेक्ट एलीफैंट द्वारा वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार भारत में जंगली एशियाई हाथियों की सबसे अधिक संख्या (29,964 अनुमानित) है, जो कि हाथियों की वैश्विक आबादी का लगभग 60% है।
    • मानव-हाथी संघर्ष:
      • मनुष्यों और हाथियों के बीच टकराव को मानव-हाथी संघर्ष (HEC) कहा जाता है, जो मुख्य रूप से अधिवास को लेकर होता है तथा सरकारों, संरक्षणवादियों और जंगली जानवरों के करीब रहने वाले लोगों के लिये देश भर में एक प्रमुख चिंता का विषय है।
    • प्राकृतिक आवास की क्षति:
      • प्राकृतिक आवास की क्षति और विखंडन जंगली हाथियों को मानव बस्तियों के करीब ला रहा है जो इन संघर्षों को जन्म देता है।
      • प्रत्येक वर्ष हाथियों के साथ संघर्ष में 500 से अधिक इंसानों की मृत्यु हो जाती है तथा लाखों की फसल और संपत्ति का भी नुकसान होता है।
      • संघर्ष के कारण प्रतिशोध में कई हाथी भी मारे जाते हैं।

सरकार द्वारा की गई पहल:

  • प्रोजेक्ट एलीफैंट: इसे 1991-92 में पर्यावरण और वन मंत्रालय की केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था।
    • वर्ष 2007, 2012 और 2017 में जंगली हाथियों की आबादी का अनुमान लगाया गया जिसमें कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद असम और केरल का स्थान है।
  • हाथी रिज़र्व: यह भारत सरकार की सिफारिश के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचित एक प्रबंधन इकाई है।
    • इसमें संरक्षित क्षेत्र, वन क्षेत्र, गलियारे और निजी/आरक्षित भूमि शामिल हैं।
    • अगस्त्यमलाई (तमिलनाडु) देश का 32वाँ हाथी अभ्यारण्य होगा।
  • हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (Monitoring of Illegal Killing of Elephants- MIKE) कार्यक्रम: इसे CITES के पक्षकारों का सम्मेलन (Conference Of Parties- COP) द्वारा अज्ञापित किया गया है।
    • इसकी शुरुआत दक्षिण एशिया में (वर्ष 2003) निम्नलिखित उद्देश्य के साथ की गई थी:
      • हाथी रेंज देशों के लिये उचित प्रबंधन और प्रवर्तन निर्णय लेने हेतु आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिये।
      • हाथी आबादी के दीर्घकालिक प्रबंधन हेतु रेंज देशों के भीतर संस्थागत क्षमता का निर्माण करने के लिये।
    • भारत में माइक स्थल:
      • चिरांग-रिपू हाथी रिज़र्व (असम)
      • देवमाली हाथी रिज़र्व (अरुणाचल प्रदेश)
      • देहिंग पटकई हाथी रिज़र्व (असम)
      • गारो हिल्स हाथी रिज़र्व (मेघालय)
      • पूर्वी दूआर हाथी रिज़र्व (पश्चिम बंगाल)
      • मयूरभंज हाथी रिज़र्व (ओडिशा)
      • शिवालिक हाथी रिज़र्व (उत्तराखंड)
      • मैसूर हाथी रिज़र्व (कर्नाटक)
      • नीलगिरी हाथी रिज़र्व (तमिलनाडु)
      • वायनाड हाथी रिज़र्व (केरल)

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. भारतीय हाथियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. हाथियों के समूह का नेतृत्व मादा करती है।
  2. इनके गर्भधारण की अधिकतम अवधि 22 महीने हो सकती है।
  3. एक मादा हाथी सामान्य रूप से केवल 40 वर्ष की आयु तक बच्चे को जन्म दे सकती है।
  4. भारतीय राज्यों में सबसे अधिक हाथी जनसंख्या केरल में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3
(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • हाथियों के झुंड का नेतृत्व सबसे पुरानी और बड़ी मादा सदस्य (झुंड की माता) द्वारा किया जाता है। इस झुंड में नर हाथी की सभी संतानें (नर और मादा) शामिल होती हैं। अतः कथन 1 सही है।
  • हाथियों में सभी स्तनधारियों की सबसे लंबी गर्भकालीन (गर्भावस्था) अवधि होती है, जो 680 दिनों (22 महीने) तक चलती है। अतः कथन 2 सही है।
  • 14 से 45 वर्ष के बीच की मादा हाथी लगभग हर चार साल में बच्चे को जन्म दे सकती हैं, जबकि औसत जन्म अंतराल 52 साल की उम्र में पांँच साल और 60 साल की उम्र में छह साल तक बढ़ जाता है। अतः कथन 3 सही नहीं है।
  • हाथी जनगणना 2017 के अनुसार, कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक (6,049) है, इसके बाद असम (5,719) और केरल (3,054) का स्थान है। अतः कथन 4 सही नहीं है।

अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत: द हिंदू

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