इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

तोखू इमोंग त्योहार

  • 05 Nov 2022
  • 3 min read

अमूर फाल्कन के अतिरिक्त पक्षियों की अन्य प्रजातियों को शामिल करने के लिये चार दिवसीय पहला प्रलेखन (Documentation) अभ्यास, तोखू इमोंग बर्ड काउंट (TEBC) नगालैंड में आयोजित किया जा रहा है।

  • इस त्योहार के लिये नागालैंड के वोखा ज़िले में प्रभुत्त्व रखने वाले नागा समुदाय लोथाओं की फसल कटाई के बाद का समय निर्धारित किया गया है।

तोखू इमोंग त्योहार:

  • धर्म, संस्कृति और मनोरंजन के लिये आदर्श माने जाने वाले वोखा ज़िले में, 'तोखू इमोंग' धूमधाम से व्यापक स्तर पर मनाया जाता है।
  • प्रतिवर्ष 7 नवंबर से मनाया जाने वाला यह त्योहार 9 दिनों तक चलता है।
  • 'तोखू' का अर्थ है घर-घर जाकर प्राकृतिक संसाधनों और भोजन के रूप में टोकन एवं उपहार एकत्र करना तथा 'इमोंग' का अर्थ है उस समय चयनित स्थान पर रुकना।
  • इस त्योहार के महत्त्वपूर्ण आकर्षण सामुदायिक गीत, नृत्य, दावत, मस्ती आदि हैं।
  • इस त्योहार के माध्यम से यहाँ के लोग दशकों पहले रचित अपने पूर्वजों की कहानियों को फिर से जीते हैं।
  • त्योहार के दौरान अनुग्रही चढ़ावा चढ़ाकर आकाश एवं पृथ्वी के देवताओं से आशीर्वाद की कामना की जाती है।

अमूर फाल्कन:

amur-falcon

  • अमूर फाल्कन दुनिया की सबसे लंबी यात्रा करने वाले शिकारी पक्षी हैं, ये सर्दियों की शुरुआत के साथ अपनी यात्रा शुरू करते हैं।
  • ये शिकारी पक्षी दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन में प्रजनन करते हैं तथा मंगोलिया एवं साइबेरिया से भारत और हिंद महासागरीय क्षेत्रों से होते हुए दक्षिणी अफ्रीका तक लाखों की संख्या में प्रवास करते हैंं।
  • इसका 22,000 किलोमीटर का प्रवासी मार्ग सभी एवियन प्रजातियों में सबसे लंबा है।
  • इसका नाम ‘अमूर नदी’ के नाम पर पड़ा है जो रूस और चीन के मध्य सीमा बनाती है।
  • प्रजनन स्थल से दक्षिण अफ्रीका की ओर वार्षिक प्रवास के दौरान अमूर फाल्कन के लिये नगालैंड की दोयांग झील (Doyang Lake) एक ठहराव केंद्र के रूप में जानी जाती है। इस प्रकार नगालैंड को "फाल्कन कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड" के रूप में भी जाना जाता है।
  • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट के तहत इन पक्षियों को ‘कम चिंताग्रस्त’ (Least Concerned) के रूप में वर्गीकृत किया गया है लेकिन यह प्रजाति भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2