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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की नई पहल

  • 02 Jul 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने देश में अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु नई पहल ‘स्कीम फॉर ट्रांस- डिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडियाज़ डेवलपिंग इकॉनमी’ (Scheme for Trans-disciplinary Research for India’s Developing Economy- STRIDE) की घोषणा की।

STRIDE के प्रमुख उद्देश्य

  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य युवाओं में निहित प्रतिभा की पहचान करना, अनुसंधान की संस्कृति तथा नवाचार को बढ़ावा देना, क्षमता निर्माण करना, भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय विकास हेतु ट्रांस- डिसिप्लिनरी रिसर्च को बढ़ावा देना है।
  • मानविकी और मानव विज्ञान के संदर्भ में विशेष ध्यान देते हुए बहु-संस्थागत नेटवर्क तथा प्रभावी रिसर्च परियोजनाओं को फण्ड प्रदान करना।

प्रमुख बिंदु

  • STRIDE उन अनुसंधान परियोजनाओं को सहायता प्रदान करेगा जो सामाजिक रूप से प्रासंगिक होने के साथ ही स्थानीय रूप से आवश्यकता आधारित, राष्ट्रीय स्तर एवं विश्व स्तर पर महत्तवपूर्ण हैं।
  • यह अनुसंधान क्षमता निर्माण के साथ-साथ बुनियादी व अनुप्रयुक्त तथा परिवर्तनकारी अनुसंधान का समर्थन करेगा जो समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में योगदान दे सकता है।
  • यह मज़बूत नागरिक समाज के निर्माण हेतु नए विचारों, अवधारणाओं और प्रथाओं तथा विकास को समर्थन प्रदान करेगा।
  • इस योजना से भारतीय भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों के क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त अनुसंधानों को बढ़ावा मिलेगा।
  • कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ट्रांस- डिसिप्लिनरी रिसर्च कल्चर को मज़बूत करने में सहयोग हेतु STRIDE के निम्नलिखित तीन घटक दिये गए हैं ।
    • इसके अंतर्गत विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान तथा नवाचार को प्रेरित करने के साथ ही युवा प्रतिभाओं की पहचान की जाएगी। स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक समस्याओं के व्यावहारिक समाधान हेतु युवा प्रतिभाओं की पहचान व समर्थन करके विविध विषयों में अनुसंधान क्षमता का निर्माण किया जाएगा। इसमें सभी विषयों पर अनुसंधान के लिये 1 करोड़ रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा।
    • इस योजना के तहत भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था में योगदान करने के लिये सामाजिक नवाचार के क्षेत्र में अनुसंधान की मदद से समस्या निवारण हेतु कौशल बढ़ाया जाएगा। इसके तहत विश्वविद्यालयों, सरकार, स्वैच्छिक संगठनों और उद्योगों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। इसमें सभी विषयों पर अनुसंधान करने के लिये 50 लाख - 1 करोड़ तक का अनुदान दिया जाएगा।
    • इसके तहत निधिकरण के लिये पात्र शर्तों में शामिल हैं: दर्शन, इतिहास, पुरातत्त्व, नृविज्ञान, मनोविज्ञान, स्वतंत्र कला (Liberal Art), भाषा विज्ञान, भारतीय भाषा एवं संस्कृति, भारतीय ज्ञान प्रणाली, कानून, शिक्षा, पत्रकारिता, जनसंचार, वाणिज्य, प्रबंधन, पर्यावरण और सतत विकास। इस घटक के लिये उपलब्ध अनुदान के अंतर्गत एक उच्च शैक्षिणिक संस्थान (Higher Educational Institutions- HEI) हेतु 1 करोड़ रुपए और बहु संस्थागत नेटवर्क के लिये 5 करोड़ रुपए तक है।

ट्रांस-डिसिप्लिनरी रिसर्च

  • यह नए वैचारिक, सैद्धांतिक, पद्धतिगत नवाचारों के निर्माण हेतु विभिन्न विषयों के क्षेत्र में किया जाने वाला एक प्रयास है जिसमें अनुशासन-विशिष्ट दृष्टिकोणों से परे आम समस्या पर ध्यान दिया जाएगा।
  • शोध में ज्ञान के सैद्धांतिक प्रयासों से हटकर व्यावहारिक उपयोग की आवश्यकता को संदर्भित किया जाएगा।
  • यह अनुशासनात्मक दृष्टिकोण से परे बौद्धिक रूपरेखा की एकता पर बल देता है और विभिन्न हितधारकों को शामिल करने के लिये विषयों की सीमाओं से परे जाकर समस्याओं को हल करने का प्रयास करता है।
  • यह बहु और अंतर-अनुशासनात्मक अवधारणाओं के उपयोग द्वारा नवाचार को बढ़ावा देता है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

(University Grants Commission- UGC)

  • 28 दिसंबर, 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने औपचारिक तौर पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की नींव रखी थी।
  • विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग विश्‍वविद्यालयी शिक्षा के मापदंडों के समन्‍वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु वर्ष 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्‍थापित एक स्‍वायत्‍त संगठन है।
  • पात्र विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्‍त, आयोग केंद्र और राज्‍य सरकारों को उच्‍चतर शिक्षा के विकास हेतु आवश्‍यक उपायों पर सुझाव भी देता है।
  • इसका मुख्यालय देश की राजधानी नई दिल्ली में अवस्थित है। इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलूरू में हैं।

स्रोत- PIB

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