प्रारंभिक परीक्षा
सरिस्का बाघ रिज़र्व
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि संरक्षित क्षेत्रों में न केवल राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, बल्कि महत्त्वपूर्ण बाघ आवास, अर्थात् बाघ अभयारण्य भी शामिल हैं।
- ऐसा 2023 के आदेश से पहले के संदर्भ में है कि किसी राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और उनकी सीमा से 1 किमी के क्षेत्र के भीतर खनन की अनुमति नहीं होगी।
- विचाराधीन मामला राजस्थान में सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य की सुरक्षा के लिये बनाए गए बफर ज़ोन (Buffer Zone) से संबंधित है।
सरिस्का बाघ अभयारण्य:
- परिचय:
- सरिस्का बाघ अभयारण्य अरावली पर्वतमाला में स्थित है जो राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है।
- सरिस्का को वर्ष 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में वर्ष 1978 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया, जिसके बाद से यह भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बन गया।
- इस अभयारण्य में खंडहर हो चुके मंदिर, किले, छत्र और एक महल स्थित हैं।
- कंकरवाड़ी किला अभयारण्य के केंद्र में स्थित है और कहा जाता है कि मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने सिंहासन के उत्तराधिकार के संघर्ष में अपने भाई दारा शिकोह को इस किले में कैद कर लिया था।
- इस अभयारण्य में पांडुपोल में पांडवों से संबंधित भगवान हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है।
- वनस्पति तथा प्राणिजात:
- इसके तहत चट्टानी रुपी आकृति के साथ अर्द्ध शुष्क काँटेदार वन, घास के मैदान, चट्टानें एवं अर्द्ध-पर्णपाती वन शामिल हैं।
- इसमें ढोक वृक्ष, सालार, कदया, गोल, बेर, बरगद, बाँस, कैर आदि प्रमुख हैं।
- यहाँ पर रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुए, साँभर, चीतल, नीलगाय, चार सींग वाले मृग, जंगली सुअर, लकड़बग्घे एवं जंगली बिल्लियों जैसे विभिन्न जीव-जंतु भी पाए जाते हैं।
राजस्थान के अन्य संरक्षित क्षेत्र कौन-से हैं?
- डेज़र्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर
- रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान
- सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, उदयपुर
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर)।
- रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य (राजस्थान का चौथा बाघअभयारण्य)।
पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र ( Eco-Sensitive Zones-ESZ) क्या हैं?
- परिचय: राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016) ने निर्धारित किया कि राज्य सरकारों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं के 10 किमी के भीतर आने वाली भूमि को पर्यावरण-नाज़ुक क्षेत्र या पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) के रूप में घोषित करना चाहिये।
- ESZ के आसपास गतिविधियाँ:
- निषिद्ध गतिविधियाँ: वाणिज्यिक खनन, आरा मिलें, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग, प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ (HEP), लकड़ी का व्यावसायिक उपयोग।
- विनियमित गतिविधियाँ: वृक्षों की कटाई, रिसॉर्ट्स की स्थापना, प्राकृतिक जल का व्यावसायिक उपयोग, बिजली के तारों का निर्माण, कृषि प्रणाली में भारी बदलाव, सड़कों का चौड़ीकरण।
- अनुमत गतिविधियाँ: कृषि या बागवानी पद्धतियाँ, वर्षा जल संचयन, जैविक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग।
- ESZ का महत्त्व:
- ESZ संरक्षित क्षेत्रों के आसपास बफर ज़ोन के रूप में कार्य करते हैं। वे विकास और मानवीय हस्तक्षेप के नकारात्मक प्रभावों को कम करते हुए, इन मुख्य क्षेत्रों के आसपास गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं।
- ESZ इन-सीटू संरक्षण में मदद करते हैं। उदाहरण, असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के एक सींग वाले गैंडे का संरक्षण।
- ESZ वन्यजीव गलियारों को बनाए रखने और मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं को कम करने में सहायता करते हैं, जहाँ जंगली पशु भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों में प्रवेश करते हैं।
- कई ESZ में आर्द्रभूमि, मैंग्रोव और भित्तियों जैसे नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं जो जैव विविधता को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों के आसपास गतिविधियों को विनियमित करके, ESZ उनके स्वास्थ्य और पारिस्थितिक कार्यों को संरक्षित करने में सहायता करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में पाखुई वन्यजीव अभयारण्य अवस्थित है? (2018) (a) अरुणाचल प्रदेश उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न. "भारत में आधुनिक कानून की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संविधानीकरण है।" सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (2022) |
प्रारंभिक परीक्षा
X गुणसूत्र
स्रोत: द हिंदू
हाल के जीनोमिक अध्ययनों ने विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं और बीमारियों, विशेष रूप से ऑटोइम्यून बीमारियों तथा अल्ज़ाइमर रोग में X गुणसूत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है।
X गुणसूत्र क्या है?
- परिचय: एक्स क्रोमोसोम मनुष्यों और कई अन्य जीवों में पाए जाने वाले दो सेक्स गुणसूत्र में से एक है। यह लिंग निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिये आवश्यक जीन रखता है।
- लिंग निर्धारण: महिलाओं में आमतौर पर दो X गुणसूत्र (XX) होते हैं, जबकि पुरुषों में एक X और एक Y गुणसूत्र (XY) होता है।
- Y गुणसूत्र की उपस्थिति या अनुपस्थिति जैविक लिंग का निर्धारण करती है।
- जीन और कार्य: X गुणसूत्र लगभग 800 जीनों को एनकोड करता है जो विभिन्न जैविक कार्यों में शामिल प्रोटीन-कोडिंग जीन का प्रतिनिधित्व करता हैं।
- इन जीनों की कार्यप्रणाली में कमी से विभिन्न प्रकार की आनुवंशिक बीमारियाँ हो सकती हैं, जिन्हें आमतौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- X-लिंक्ड आनुवंशिक रोग।
- X-गुणसूत्र निष्क्रियता (XCI) से प्रभावित रोगों से मुक्ति।
- X-गुणसूत्र एन्युप्लोइडीज़ से संबंधित रोग।
- इन जीनों की कार्यप्रणाली में कमी से विभिन्न प्रकार की आनुवंशिक बीमारियाँ हो सकती हैं, जिन्हें आमतौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- X-लिंक्ड आनुवंशिक रोग:
- यह X-गुणसूत्र पर जीन में उत्परिवर्तन के परिणामस्वरूप होता है।
- जिन पुरुषों में केवल एक X-गुणसूत्र होता है, उनमें उत्परिवर्तन (Mutations) और रोग विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
- दो X गुणसूत्रों वाली महिलाओं में उत्परिवर्तित जीन की कमी को पूरा करने के लिये जीन की एक स्वस्थ प्रतिलिपि होने की संभावना होती है, जिससे बीमारी के विकसित होने का खतरा कम हो जाता है।
- उदाहरण: रेड-ग्रीन वर्णांधता/कलर ब्लाइंडनेस (लगभग 8% पुरुषों को प्रभावित करता है)।
- डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक 3,500-5,000 लड़कों में से 1) और एग्माग्लोबुलिनमिया (200,000 जीवित जन्मे बच्चों में से 1)।
- X-गुणसूत्र एन्युप्लोइडीज़: एक्स क्रोमोसोम की संख्यात्मक एन्युप्लोइडीज़ कुछ बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
- एन्युप्लोइडी एक आनुवंशिक स्थिति है जहाँ किसी जीव की कोशिकाओं में गुणसूत्रों की असामान्य संख्या होती है।
- मानव कोशिकाओं में आमतौर पर 46 गुणसूत्र होते हैं, प्रत्येक माता-पिता से 23-23। एन्युप्लोइडी में एक कोशिका में क्रोमोसोम (ट्राइसॉमी) की एक अतिरिक्त प्रतिलिपि या एक लापता प्रतिलिपि (मोनोसोमी) हो सकती है।
- उदहारण:
- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम (एक अतिरिक्त X गुणसूत्र, XXY को दर्शाता है)।
- टर्नर सिंड्रोम (महिलाओं में एक X गुणसूत्र की कमी, XX के बजाय X गुणसूत्र की उपस्थिति को दर्शाता है)।
- एन्युप्लोइडी एक आनुवंशिक स्थिति है जहाँ किसी जीव की कोशिकाओं में गुणसूत्रों की असामान्य संख्या होती है।
- X-गुणसूत्र निष्क्रियता (XCI) एस्केप: दो X गुणसूत्र वाली महिलाओं में X-लिंक्ड जीन के असंतुलन को रोकने के लिये प्रत्येक कोशिका में एक X गुणसूत्र को यादृच्छिक रूप से निष्क्रिय किया जाता है (अंड कोशिकाओं को छोड़कर)। इस प्रक्रिया को X-निष्क्रियता या लियोनाइज़ेशन कहा जाता है।
- अपूर्ण निष्क्रियता (एस्केप) या स्किवड निष्क्रियता (Skewed Inactivation) जैसी विकृति से जीन में असामान्यता उत्पन्न हो सकती है, जिससे X-गुणसूत्र संबंधी विकारों के साथ कैंसर एवं ऑटोइम्यून स्थितियों को जन्म मिल सकता है।
- XCI हेतु उत्तरदायी आणविक प्रणाली की खोज 1990 के दशक में की गई थी, जिसमें Xist और Tsix नामक दो गैर-कोडिंग RNA शामिल थे।
- Xist द्वारा X गुणसूत्रों में से एक को निष्क्रिय किया जाता है, जबकि Tsix (Xist के विपरीत) द्वारा इस प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता है।
- हाल के शोध से पता चलता है कि X गुणसूत्र से संबंधित एक चौथाई जीन XCI प्रक्रिया के बाद भी निष्क्रिय नहीं हो पाते हैं।
XCI ऑटोइम्यून बीमारियों से किस प्रकार संबंधित है?
- ऑटोइम्यून बीमारियाँ जैसे सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (lupus erythematosus), रुमेटाॅइड गठिया (rheumatoid arthritis) एवं स्जोग्रेन सिंड्रोम (Sjögren's syndrome), पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक सामान्य हैं।
- हालिया अध्ययन में पाया गया है कि किसी जीन की गतिविधि बदलने से Xist के माध्यम से X गुणसूत्र से संबंधित अन्य निष्क्रिय जीन पुनः सक्रिय हो जाते हैं।
- इससे प्रतिरक्षा प्रणाली में बदलाव आने के साथ ल्यूपस जैसे लक्षण (जैसे ऑटोएंटीबॉडी और सूजन में वृद्धि) देखने को मिलते हैं।
- इन निष्कर्षों से इन जीन परिवर्तनों तथा ऑटोइम्यून बीमारियों के बीच संबंध का पता चलता है, जिससे इनके उपचार के लिये मार्ग प्रशस्त होता है।
नोट: ऑटोइम्यून बीमारियाँ तब होती हैं जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में विकृति आने से स्वस्थ कोशिकाओं पर इसके द्वारा हमला किया जाता है।
X गुणसूत्र अल्ज़ाइमर रोग से किस प्रकार संबंधित है?
- अल्ज़ाइमर रोग लिंग पूर्वाग्रह प्रदर्शित करता है अर्थात इसका पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक जोखिम होता है।
- एक अध्ययन से पता चलता है कि प्रोटीन संश्लेषण में शामिल USP11 जीन, X निष्क्रियता से बच जाता है और महिलाओं में अधिक प्रभावी होता है।
- USP11 के अधिक प्रभावी होने से मस्तिष्क में टाऊ प्रोटीन (Tau Protein) के संचय में वृद्धि होती है, जो अल्ज़ाइमर रोग का कारण बनता है।
- इससे अल्ज़ाइमर रोग के लक्षित उपचार हेतु मार्ग प्रशस्त होता है।
रैपिड फायर
यूनियन कार्बाइड प्लांट में भीषण आग
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने में भीषण आग लग गई। यह वही कारखाना है जिसे वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद बंद कर दिया गया था।
- आग की इस घटना के बाद एक बार फिर लोगों में इस बात को लेकर भय व्याप्त है कि इससे निकलने वाला धुआँ उनके शरीर पर क्या प्रभाव डालेगा।
- भोपाल गैस त्रासदी इतिहास में सबसे गंभीर औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी जो 2-3 दिसंबर, 1984 की रात भोपाल, मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (Union Carbide India Limited- UCIL) कीटनाशक संयंत्र में हुई थी।
- इसने लोगों और पशुओं को अत्यधिक ज़हरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate- MIC) के संपर्क में ला दिया जिससे तत्काल मौतें तथा दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव देखे गए।
- गैस रिसाव का सटीक कारण अभी भी कॉर्पोरेट की लापरवाही या कर्मचारियों की अनदेखी के बीच विवादित बना हुआ है।
- परिणामस्वरूप भारत में आपदा एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अनेक कानून पारित किये गए।
रैपिड फायर
हम्बोल्ट ग्लेशियर
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
वेनेज़ुएला विश्व का पहला ऐसा देश बन गया है, जहाँ जलवायु परिवर्तन के कारण सभी ग्लेशियर समाप्त हो गए हैं।
- शेष बचा हुआ ग्लेशियर, हम्बोल्ट काफी सिकुड़ गया है और अब इसे सामान्य बर्फ क्षेत्र के रूप में पुनः वर्गीकृत किया गया है।
- इससे पहले वेनेज़ुएला के सिएरा नेवादा डी मेरिडा पर्वत शृंखला में 6 ग्लेशियर (वर्ष 2011 तक पाँच ग्लेशियर समाप्त हो चुके थे), थे, जो सभी समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर की ऊँचाई पर एंडीज़ पर्वत शृंखला में अवस्थित थे।
- एंडीज़ स्थित पर्वतों के तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे ग्लेशियर पिघलने की गति में तेज़ी आई है।
- ये दक्षिण अमेरिका की पर्वत प्रणालियाँ हैं जिनकी औसत ऊँचाई 8,900 किलोमीटर है।
- यह दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे से लेकर कैरिबियन पर महाद्वीप के सबसे उत्तरी तट तक अर्जेंटीना, बोलीविया, चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू और वेनेज़ुएला के कुछ हिस्सों को कवर करता है।
- हम्बोल्ट ग्लेशियर के पिघलने में अल नीनो के कारण तेज़ी आई, जिसका प्रभाव जुलाई 2023 में देखा गया।
- वेनेज़ुएला के समान दुनिया भर में कई ग्लेशियर अपेक्षा से अधिक तेज़ी से समाप्त हो रहे हैं, वर्ष 2023 के अध्ययन का अनुमान है कि मौजूदा जलवायु परिवर्तन दर के कारण वर्ष 2100 तक दुनिया के दो-तिहाई ग्लेशियर समाप्त हो सकते हैं।
- हिंदू-कुश हिमालय पर्वत शृंखला में ग्लेशियर अभूतपूर्व दर से पिघल रहे हैं और यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारी कमी नहीं की गई तो संभवतः वर्ष 2100 में उनमें बर्फ की मात्रा 80% तक कम हो सकती है।
और पढ़ें: अल नीनो 2023
रैपिड फायर
सर्वोच्च न्यायालय उपभोक्ता न्यायालय के 1995 के आदेश की समीक्षा करेगा
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत वकीलों के दायित्व को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने हालिया फैसले में कहा गया है कि वह चिकित्सा पेशेवरों के संबंध में 1995 के फैसले पर पुनर्विचार करेगा।
- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत वकील उत्तरदायी नहीं हैं, जो चिकित्सा पेशेवरों के संबंध में 1995 के फैसले का खंडन करता है।
- 1995 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम वी.पी. शांता के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि चिकित्सा पेशेवर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में परिभाषित "सेवा" प्रदान करते हैं और दोषपूर्ण सेवा प्रदान करने के लिये उपभोक्ता न्यायालय (Consumer Court) में मुकदमा दायर किया जा सकता है।
- 1995 के फैसले को अब वकीलों पर आए हालिया फैसले पर पुनर्विचार के लिये एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया गया है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 वर्ष 1986 के अधिनियम का स्थान लेता है। यह उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protections) को सक्रिय रूप से बढ़ाना, और उसे लागू करने के लिये केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority- CCPA) की स्थापना करता है।
और पढ़ें: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
रैपिड फायर
मणिपुरी पोनी
स्रोत: डाउन टू अर्थ
मणिपुरी पोनी, जिसे मैतेई सगोल (Meitei Sagol) के नाम से भी जाना जाता है, को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता के चलते मणिपुर सरकार ने अन्य समूहों और संगठनों के साथ मिलकर कई निर्णय लिये हैं जिनका उद्देश्य इसे विलुप्त होने से रोकना हैI
- मैतेई सगोल भारत में घोड़े और पोनी की सात मान्यता प्राप्त नस्लों में से एक है।
- अन्य में मारवाड़ी घोड़ा, काठियावाड़ी घोड़ा, ज़ांस्करी पोनी (Zanskari Pony), स्पीति पोनी (Spiti Pony), भूटिया पोनी (Bhutia Pony) और कच्छी-सिंधी घोड़ा शामिल हैं।
- इसे ओरिज़नल पोलो पोनी माना जाता है, क्योंकि मणिपुर के पारंपरिक सगोल कांगजेई खेल (Sagol Kangjei sport) ने आधुनिक पोलो को जन्म दिया।
- नस्ल के संरक्षण के लिये वर्ष 2016 में मणिपुरी पोनी संरक्षण और विकास नीति (Manipuri Pony Conservation and Development Policy- MPCDP) बनाई गई थी।
- मणिपुरी पोनी की आबादी तेज़ी से घट रही है, वर्ष 2003 के 1,898 से घटकर वर्ष 2019 में यह केवल 1,089 रह गई, जिसके कारण वर्ष 2013 में मणिपुर सरकार द्वारा इस नस्ल को लुप्तप्राय घोषित कर दिया गया।
- मणिपुरी पोनी को अपनी विशिष्ट विशेषताओं, जैसे आंतरिक बल, दक्षता, बुद्धिमत्ता, गति, गतिशीलता और कठिन जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिये जाना जाता है।
- पोनी मणिपुरी जीवनशैली में गहराई से अंतर्निहित है, पारंपरिक कार्यक्रमों और खेलों में इसका उपयोग किया जाता है, यहाँ तक कि अतीत में मणिपुर साम्राज्य की घुड़सवार सेना द्वारा घुड़सवारी के लिये इसका उपयोग किया जाता था।
रैपिड फायर
खार्किव और कीव क्षेत्र
स्रोत: द हिंदू
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में रूस ने सीमा पार यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी खार्किव क्षेत्र में सेना भेजकर सैन्य अभियान शुरू कर दिया है।
- यूक्रेन ने वर्ष 2022 के अंत तक इस क्षेत्र से रूसी सेना को पीछे धकेल दिया था, लेकिन अब गोला-बारूद और जनशक्ति की कमी के कारण उसे एक नए हमले का सामना करना पड़ रहा है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध दो वर्षों से जारी है, जिसका असर बड़े पैमाने पर विस्थापन के साथ ही यूरोप के भू-राजनीतिक परिदृश्य पर पड़ रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था बाधित हो रही है।
- यूक्रेन, पूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी कीव है, जो उत्तर-मध्य यूक्रेन में नीपर नदी (Dnieper River) के तट पर स्थित है।
- खार्किव शहर उत्तर-पूर्वी यूक्रेन में स्थित है। यह उडा (Uda), लोपन (Lopan) और खार्किव (Kharkiv) नदियों के संगम पर स्थित है।
और पढ़ें: रूस-यूक्रेन संघर्ष
रैपिड फायर
मणिपुर थांगजिंग हिल्स विवाद
स्रोत: द हिंदू
मणिपुर पुलिस ने मणिपुर सरकार के भूमि संसाधन विभाग की एक शिकायत के आधार पर एक ज़ीरो प्रथम सूचना रिपोर्ट (Zero First Information Report- FIR) दर्ज की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकारी मंज़ूरी के बिना पहाड़ियों का नाम "थांगजिंग चिंग" से "थांगटिंग" में परिवर्तित कर दिया गया था।
- थांगजिंग हिल ऐतिहासिक महत्त्व का है और इसे मणिपुर सरकार द्वारा संरक्षित स्थल घोषित किया गया है। यह चुराचाँदपुर और बिष्णुपुर ज़िलों के बीच बफर ज़ोन में स्थित है तथा धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व के कारण कुकी और मैतेई द्वारा इसका विरोध किया जाता है।
- कुकी-ज़ो समुदाय इसे हमेशा थांगटिंग हिल्स और मैतेई लोग थांगजिंग चिंग या थांगजिंग हिल्स कहते रहे हैं।
- वर्ष 2023 में कुकी-ज़ो और मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से पर्वतीय क्षेत्र में प्रार्थना और पूजा करने के अधिकार पर विवाद बढ़ गया है।
और पढ़े: मणिपुर में हिंसा
रैपिड फायर
अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
22 मई 2024 को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस (International Day For Biological Diversity- IDB) पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिये जैवविविधता के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है।
- वर्ष 2024 की थीम "योजना का हिस्सा बनें (Be Part of the Plan)", जैवविविधता के नुकसान से निपटने और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क को लागू करने के लिये एकजुट होने प्रयास के महत्त्व पर प्रकाश डालती है।
अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस:
- वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembl-UNGA) ने आधिकारिक तौर पर 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस घोषित किया।
- जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention on Biological Diversity- UNCBD) 22 मई 1992 को अपनाया गया था।
- UNCBD जैवविविधता के संरक्षण के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है।
- भारत इस संधि का एक पक्षकार है और इसने जैवविविधता अधिनियम, 2002 लागू किया है।
- जैवविविधता शब्द एक अवधारणा के रूप में पहली बार वर्ष 1985 में वाल्टर जी. रोसेन द्वारा दिया गया, जिसमें पौधों, बैक्टीरिया, जानवरों और मनुष्यों सहित सभी जीवन रूपों की विविधता शामिल है।
- UNGA ने वर्ष 2011-2020 को जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में नामित किया है, जिसका उद्देश्य जैवविविधता के लिये एक रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाना है।
और पढ़े: वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क कोष, जैवविविधता पर अभिसमय