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अल नीनो 2023: 2009 की तरह असामान्य रूप से गर्म होना

  • 09 Jun 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अल नीनो, ला नीना, अल नीनो-दक्षिणी दोलन

मेन्स के लिये:

अल नीनो और इसके प्रभाव, अल नीनो और ग्लोबल वार्मिंग के बीच संबंध

चर्चा में क्यों? 

भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में एक असामान्य घटना विकसित हो रही है, जो वर्ष 2023 में अल नीनो स्थितियों के उभरने का संकेत दे रही है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों के एक साथ गर्म होने की प्रवृत्ति, जो कि आखिरी बार वर्ष 2009 में देखी गई थी, दुनिया भर में समुद्री जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

इस घटना का कारण:

  • जब पूर्वी प्रशांत क्षेत्र गर्म हो जाता है, तो पश्चिमी क्षेत्र को आमतौर पर ठंडा हो जाना चाहिये।
    • हालाँकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में बेसिन स्केल वार्मिंग की स्थिति है। 
  • यह घटना दो तरीके से उत्प्रेरित हो सकती है:
    • प्रशांत क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग और दूसरा प्राकृतिक परिवर्तनशीलता ।
    • ला नीना शीत से अल नीनो ऊष्ण में संक्रमण जो अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र का हिस्सा है।
  • भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में बेसिन स्केल वार्मिंग:
    • ग्लोबल वार्मिंग के कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र बेसिन स्केल वार्मिंग का अनुभव करता है जिससे पूर्वी और पश्चिमी दोनों क्षेत्र गर्म हो जाते हैं।
    • इस मामले में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र के बेसिन स्केल का माप एक बेसिन या कॉमन वॉटर आउटलेट की स्थानिक सीमा को संदर्भित करता है।
    • हाल ही के डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि 29 मई, 2023 को समुद्र का तापमान वर्ष 2003-2014 के औसत की तुलना में असामान्य रूप से गर्म था।

अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO):

इस घटना के संभावित परिणाम:

  • ग्लोबल वार्मिंग: 
    • ला नीना (भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के जल का ठंडा होना) के खत्म होने का मतलब है कि समुद्र ऊष्मा को अवशोषित नही कर रहा है जो पूरे वातावरण को गर्म करेगा।
  • भू-भौतिकीय प्रभाव: 
  • प्रवाल विरंजन:
    • समुद्री जल के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने से 70 से 90 प्रतिशत प्रवाल भित्तियों के नष्ट होने का खतरा है, जबकि 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि का अर्थ है कि प्रवाल भित्तियाँ लगभग 100 प्रतिशत नष्ट हो जाएंगी और पुनः पनप नहीं पाएंगी।

पूर्व की अल नीनो घटनाएँ:

  • वर्ष 1982-83 एवं वर्ष 1997-98 की अल नीनो घटनाएँ 20वीं शताब्दी की सबसे प्रबल अल नीनो घटनाएँ थीं।
  • वर्ष 1982-83 की अल नीनो घटना के दौरान पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत में समुद्र सतह का तापमान सामान्य से 9-18 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
  • वर्ष 1997-98 की अल नीनो घटना प्रथम अल-नीनो घटना थी जिसकी शुरू से लेकर अंत तक वैज्ञानिक निगरानी की गई थी।
  • वर्ष 1997-98 की अल नीनो घटना ने जहाँ इंडोनेशिया, मलेशिया एवं फिलीपींस में सूखे की स्थिति उत्पन्न कर दी, वहीं पेरू एवं कैलिफोर्निया में भारी बारिश व गंभीर बाढ़ की घटनाएँ देखी गईं।
  • मध्य पश्चिम में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई, उस अवधि को “शीत विहीन वर्ष" के रूप में जाना जाता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ एल नीनो ने वर्ष 2016 को रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म वर्ष बना दिया था।

वर्ष 2023 में अल नीनो का भारत पर प्रभाव: 

  • भारत के लिये कमज़ोर मानसून: मई या जून 2023 में अल नीनो के विकास से दक्षिण-पश्चिम मानसून कमज़ोर हो सकता है जिसके कारण भारत में कुल वर्षा के लगभग 70% वर्षा होती है, साथ ही अभी भी इस पर अधिकांश कृषक निर्भर हैं।
    • हालाँकि मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (MJO) और मानसून कम दबाव प्रणाली जैसे उप-मानसूनी कारक वर्ष 2015 में देखे गए थे जो कुछ हिस्सों में अस्थायी रूप से वर्षा में वृद्धि सकते हैं।
  • गर्म तापमान: यह भारत और विश्व के अन्य क्षेत्रों जैसे कि दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और प्रशांत द्वीप समूह में हीटवेव और सूखे का कारण बन सकता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित 'इंडियन ओशन डाईपोल (IOD)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017) 

  1. IOD परिघटना, उष्णकटिबंधीय पश्चिमी हिंद महासागर और उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत महासागर के बीच सागर-पृष्ठ तापमान के अंतर से विशेषित होती है।
  2. IOD परिघटना मानसून पर अल नीनो के असर को प्रभावित कर सकती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


मेन्स: 

प्रश्न. असामान्य जलवायवी घटनाओं में से अधिकांश अल-नीनो प्रभाव के परिणाम के तौर पर स्पष्ट की जाती है। क्या आप सहमत हैं? (2014) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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