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सामाजिक न्याय

वनवासियों के अधिकार और थानथाई पेरियार अभयारण्य

  • 21 Feb 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

थानथाई पेरियार अभयारण्य, वन अधिकार अधिनियम (The Forest Rights Act- FRA), 2006, राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिज़र्व, नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व, वन-निवासी/वनवासी  

मेन्स के लिये:

वन अधिकार अधिनियम, सामुदायिक वन संसाधन अधिकार और मान्यता का महत्त्व, भारत में जनजातियों द्वारा सामना किये जाने वाले मुद्दे, भारत के जनजातीय समाज को सशक्त बनाने के तरीके

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

तमिलनाडु में थानथाई पेरियार अभयारण्य की अधिसूचना के बाद की हालिया घटनाओं में, वनवासियों ने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन-निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 (FRA) के तहत अपने अधिकारों के संभावित अस्वीकृति के बारे में चिंता व्यक्त की।

थानथाई पेरियार अभयारण्य की अधिसूचना के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?

  • अधिसूचना में छह आदिवासी वन्य ग्रामों को अभयारण्य से बाहर रखा गया है, उन्हें राजस्व ग्रामों के रूप में मान्यता दिये बिना, 3.42 वर्ग किमी. के एक छोटे से क्षेत्र तक सीमित कर दिया गया है।
  • अधिसूचना मवेशी-चारण की गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगाती है, जो बरगुर मवेशियों की पारंपरिक प्रथाओं को प्रभावित कर सकती है, जो कि बरगुर वन्य पहाड़ियों की पारंपरिक नस्ल है।
  • इस अधिसूचना में वन अधिकार धारकों या ग्राम सभा की सहमति का उल्लेख नहीं है, जैसा कि FRA, 2006 द्वारा अपेक्षित है।

नोट:

  • मार्च 2022 में, मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के सभी वनों में मवेशी-चारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले पुराने आदेश को संशोधित किया और प्रतिबंध को राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों तथा टाइगर रिज़र्व तक सीमित कर दिया
    • तमिलनाडु देश का एकमात्र राज्य है जहाँ इस तरह का प्रतिबंध है।
  • FRA, 2006 इस आदेश पर लागू नहीं होता है, जो खानाबदोश/चलवासी या पशुपालक समुदायों की मवेशी-चारण प्रथा और पारंपरिक संसाधनों तक पहुँच को स्वीकार करता है, यह आदेश राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों तथा टाइगर रिज़र्व सहित सभी वनों पर लागू होता है। मवेशी-चारण अधिकार बस्ती-स्तर के गाँवों के सामुदायिक अधिकार हैं और उन्हें उनकी ग्राम सभाओं द्वारा विनियमित किया जाना है।

वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 क्या है?

  • परिचय:
    • FRA, 2006 वन में रहने वाले जनजातीय समुदायों और पारंपरिक वन-निवासियों के वन संसाधनों के अधिकारों जो उनकी आजीविका, निवास तथा सामाजिक-सांस्कृतिक आवश्यकताओं के लिये आवश्यक हैं, को स्वीकार करता है।
    • पूर्व में वन प्रबंधन नीतियों में वन निवासियों के हितों की अनदेखी की गई थी, यह अधिनियम वनों के साथ उनके सहजीवी संबंध को मान्यता प्रदान कर इन समुदायों द्वारा सामना किये गए चिरकालीन अन्याय को समाप्त करता है।
  • FRA, 2006 के तहत वन निवासियों के अधिकार:
    • FRA के तहत, वनवासियों को वैयक्तिक अधिकार जैसे स्व-खेती और आवास का अधिकार तथा साथ ही सामूहिक अथवा सामुदायिक अधिकार प्रदान किये जाते हैं जिनमें चराई, मछली पकड़ना एवं वनों में जलाशयों तक पहुँच व खानाबदोश और घुमंतु समुदाय द्वारा पारंपरिक मौसम के अनुसार संसाधनों का उपयोग शामिल हैं।
    • अधिनियम विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के अधिकारों, बौद्धिक संपदा अधिकारों, प्रथागत अधिकारों और सामुदायिक वन संसाधनों की सुरक्षा, पुनर्जनन अथवा प्रबंधन के अधिकार को भी मान्यता प्रदान करता है।
    • इसके अतिरिक्त यह वन-निवासी समुदायों की बुनियादी ढाँचागत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये विकास संबंधी उद्देश्यों हेतु वन भूमि के आवंटन का प्रावधान करता है।
    • भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यस्थापन में उचित प्रतिकर तथा पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 में उचित मुआवज़ा एवं पारदर्शिता के अधिकार के साथ सहयोग के रूप में, FRA जनजातीय जनसंख्या को उनके पुनर्वास व पुनर्व्यस्थापन हुए बिना बेदखल किये जाने से बचाता है।
    • यह अधिनियम ग्राम सभा को अधिनियम के कार्यान्वयन में केंद्रीय भूमिका निभाने का उत्तरदायित्व सौंपता है है।
      • इस अधिनियम के तहत ग्राम सभा, जनजातियों की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत, जनजातीय जनसंख्या को स्थानीय नीतियों और उन्हें प्रभावित करने वाली योजनाओं के निर्धारण में निर्णायक भूमिका वाला एक उच्च अधिकार प्राप्त निकाय भी है।
      • FRA, ग्राम सभा को वन अधिकारों को निर्धारित करने और मान्यता देने तथा संरक्षित क्षेत्रों के भीतर एवं साथ ही उनकी प्रथागत व पारंपरिक सीमाओं के भीतर वनों, वन्यजीवों और जैवविविधता की रक्षा तथा संरक्षण करने का उत्तरदायित्व सौंपता है एवं उन्हें अधिकृत करता है।
    • FRA का उल्लंघन, विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों से संबंधित, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के में वर्ष 2016 के संशोधन के तहत अपराध माना जाता है।
    • FRA के अनुसार वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करना वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों के वन अधिकारों में से एक है।

नोट:

  • वन्यजीवन (संरक्षण) अधिनियम (WLPA), 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्र को अधिसूचित करते समय, सरकार को FRA, 2006 के तहत अधिकारों का आकलन करने और ग्राम सभाओं से सहमति प्राप्त करने की अनिवार्यता होती है।
    • FRA 2006, वर्ष 2006 में FRA बाद के कानून को WLPA, 1972 पर प्राथमिकता दी जाती है। WLPA का कोई भी खंड जो FRA के विरोध में है, उसे शून्य माना जाता है।

थानथाई पेरियार अभयारण्य से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं

बायोस्फियर रिज़र्व, राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव अभयारण्य की तुलना


विशेषता

बायोस्फियर रिज़र्व

राष्ट्रीय उद्यान

वन्यजीव अभयारण्य 

उद्देश्य

सतत् विकास को बढ़ावा देना, जैवविविधता, सांस्कृतिक विरासत एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना

प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण करना, मानवीय हस्तक्षेप से बचाना,

जंगली जानवरों के आवासों की रक्षा करना, प्रजनन को बढ़ावा देना

प्रबंधन

यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फीयर (MAB) कार्यक्रम के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और सरकार के स्वामित्व में है।

राष्ट्रीय उद्यानों पर सरकार का पूर्ण अधिकार है।

ये सरकार के अधीन हो सकते हैं या निजी संस्थाओं के अधीन हो सकते हैं।

क्षेत्र

कोर ज़ोन (कठोरता से संरक्षित), बफर ज़ोन (सीमित मानवीय गतिविधियों की अनुमति), ट्रांज़िशन ज़ोन (सतत् विकास को प्रोत्साहित)

आमतौर पर ज़ोन में विभाजित नहीं किया जाता है

आम तौर पर ज़ोन में विभाजित नहीं किया जाता है

मानवीय गतिविधियाँ

कोर ज़ोन में प्रतिबंधित, बफर ज़ोन में सीमित, ट्रांजिशन ज़ोन में प्रोत्साहित किया गया

प्रतिबंधित, मुख्य रूप से मनोरंजक उद्देश्यों के लिये

जानवरों को परेशानी से बचाने के लिये प्रतिबंधित, शैक्षणिक पहुँच सीमित

उदाहरण

नंदा देवी (उत्तराखंड), नोकरेक (मेघालय)

जिम कॉर्बेट (उत्तराखंड), बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश) 

गिर राष्ट्रीय उद्यान (गुजरात), चिल्का झील पक्षी अभयारण्य (ओडिशा)

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है?

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारतीय वन अधिनियम, 1927 में हाल में हुए संशोधन के अनुसार, वन निवासियों को वनक्षेत्रों में उगानें वालें बाँस को काट गिराने का अधिकार है।
  2. अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अनुसार, बाँस एक गौण वनोपज है।
  3. अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 वन निवासियों को गौण वनोपज के स्वामित्व की अनुमति देता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि का खनन के लिये निजी पक्षकारों को अंतरण अकृत और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019)

(a) तीसरी अनुसूची
(b) पाँचवीं अनुसूची
(c) नौवीं अनुसूची
(d) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (b)


प्रश्न. यदि किसी विशिष्ट क्षेत्र को भारत के संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अधीन लाया जाए, तो निम्नलिखित में कथनों में से कौन-सा एक, इसके परिणाम को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (2022)

(a) इससे जनजातीय लोगों की ज़मीने से गैर-जनजातीय लोगों को अंतरित करने पर रोक लगेगी।
(b) इससे उस क्षेत्र में एक स्थानीय स्वशासी निकाय का सृजन होगा।
(c) इससे वह क्षेत्र केंद्रशासित प्रदेश में बदल जाएगा।
(d) जिस राज्य के पास ऐसे क्षेत्र होंगे, उसे विशेष कोटि का राज्य घोषित किया जाएगा।

उत्तर: (a)

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