डिजी यात्रा सेवाओं का विस्तार
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में डिजी यात्रा फाउंडेशन के सीईओ ने प्रस्ताव दिया है कि हवाई अड्डों पर उपयोग की जाने वाली डिजी यात्रा तकनीक का उपयोग होटलों एवं ऐतिहासिक स्मारकों जैसे सार्वजनिक स्थलों पर भी किया जा सकता है।
- 'डिजी यात्रा' बायोमेट्रिक इनेबल्ड सीमलेस ट्रैवल एक्सपीरियंस (BEST) आधारित फेशियल-रिकग्निशन तकनीक है।
- इससे हवाई अड्डों पर बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके चेक-इन सेवाएँ मिलती हैं जिससे हवाई अड्डों पर कागज़ रहित आवाजाही सुलभ होती है।
- यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा समन्वित एक उद्योग-आधारित पहल है।
- वर्ष 2022 में इसकी शुरुआत के बाद से वर्तमान में इसके तहत 14 हवाई अड्डे शामिल हैं तथा वर्ष 2024 के अंत तक 15 अतिरिक्त हवाई अड्डों को इसके तहत शामिल किया जाएगा।
- होटलों एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों में डिजी यात्रा के संभावित अनुप्रयोग से पता चलता है कि इसको हवाई क्षेत्र से अतिरिक्त क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है।
- चिंताएँ:
- गोपनीयता का उल्लंघन: इससे सरकार को लोगों के यात्रा पैटर्न के संबंध में जानकारी मिल सकती है।
- डेटा सुरक्षा: इसके तहत यात्रियों के बायोमेट्रिक डेटा को एकत्र किया जाना शामिल है।
- डिजी यात्रा फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी निजी कंपनी है, जिसमें निजी हवाई अड्डों के संघ की 74% हिस्सेदारी तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की 26% हिस्सेदारी है।
और पढ़ें…डिजी यात्रा
एंजेल टैक्स और कैपिटल गेन टैक्स
स्रोत: लाइवमिंट
हाल ही में वर्ष 2023 में किये गए संशोधनों और एंजेल टैक्स के व्यापक दायरे को स्टार्टअप फंडिंग में उल्लेखनीय कमी तथा उसके बाद नौकरी जाने (Job Losses) के बीच आलोचना का सामना करना पड़ा है।
- एक अन्य घटनाक्रम में कैपिटल गेन टैक्स/पूंजीगत लाभ कर ने, विशेषतः वर्ष 2024-25 के लिये आने वाले केंद्रीय बजट में, भारत में काफी ध्यान आकर्षित किया है।
एंजेल टैक्स क्या है?
- परिचय:
- 'एंजेल टैक्स' को सर्वप्रथम वर्ष 2012 में लागू किया गया था और वर्ष 2023 के वित्त अधिनियम के माध्यम से इसका विस्तार किया गया, ताकि कंपनियों में निवेश के माध्यम से बेहिसाब धन का सृजन तथा उसके उपयोग को हतोत्साहित किया जा सके।
- यह वह कर है, जो गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा ऑफ-मार्केट लेन-देन में शेयर जारी करने के माध्यम से एकत्रित किये गए धन पर चुकाया जाना चाहिये, यदि वे कंपनी के उचित बाज़ार मूल्य से अधिक हैं।
- उचित बाज़ार मूल्य (FMV) किसी परिसंपत्ति की वह कीमत है, जब क्रेता और विक्रेता को इसके बारे में उचित जानकारी होती है तथा वे बिना किसी दबाव के व्यापार करने के लिये तैयार होते हैं।
- वित्त अधिनियम, 2023 के तहत विस्तार:
- वित्त अधिनियम, 2023 के तहत आयकर अधिनियम की एक प्रासंगिक धारा में संशोधन किया गया था, ताकि विदेशी निवेशकों को एंजेल टैक्स प्रावधान के दायरे में शामिल किया जा सके।
- वर्तमान में यदि कोई स्टार्ट-अप कंपनी किसी व्यक्ति से इक्विटी निवेश प्राप्त करती है, जो शेयरों के अंकित मूल्य से अधिक है, तो इसे स्टार्ट-अप के लिये आय माना जाता है, जो उस वित्तीय वर्ष के लिये 'अन्य स्रोतों से आय' की श्रेणी के तहत आयकर के अधीन होता है।
- हाल ही में किये गए इस संशोधन में विदेशी निवेशकों को भी शामिल किया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि विदेशी निवेशकों से धन एकत्रित करने वाले स्टार्ट-अप भी कराधान के अधीन होंगे।
- उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप को इस प्रावधान से बाहर रखा गया है।
- वित्त अधिनियम, 2023 के तहत आयकर अधिनियम की एक प्रासंगिक धारा में संशोधन किया गया था, ताकि विदेशी निवेशकों को एंजेल टैक्स प्रावधान के दायरे में शामिल किया जा सके।
- हालाँकि उद्योग जगत के विरोध एवं फंडिंग में गिरावट की चिंताओं के बाद, वित्त मंत्रालय ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्राँस जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं सहित 21 देशों के निवेशकों को भारतीय स्टार्टअप में निवेश हेतु एंजेल टैक्स लेवी से छूट प्रदान की है।
- वित्तीयन में कमी और रोज़गार की हानि: वर्ष 2023 में भारतीय स्टार्टअप को व्यापक स्तर पर फंडिंग चुनौतियों (पिछले वर्षों की तुलना में फंडिंग में 60% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई) का सामना करना पड़ा।
- वित्तीयन में इस कमी के परिणामस्वरूप पूरे सेक्टर में 15,000 से अधिक कर्मचारियों की छँटनी हुई।
- एंजेल टैक्स पर उद्योगों का दृष्टिकोण: भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) तथा अन्य उद्योग हितधारकों ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 56 (2) को निरसित करने की सिफारिश की है, जिसे आमतौर पर एंजेल टैक्स के रूप में जाना जाता है।
पूंजीगत लाभ कर:
- किसी ‘पूंजीगत परिसंपत्ति’ की बिक्री से हमें जो भी लाभ प्राप्त होता है उसे ‘पूंजीगत लाभ’ कहा जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, इस लाभ को ‘आय’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- इसीलिये संपत्ति हस्तांतरित करने वाले व्यक्ति को अपने द्वारा कमाए गए लाभ पर आय के रूप में कर देना होता है जिसे ‘पूंजीगत लाभ कर’ कहा जाता है। ‘पूंजीगत लाभ’ अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक हो सकता है।
- दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ: यह उन परिसंपत्तियों पर लागू होता है जिन्हें 36 महीने से अधिक समयावधि के लिये रखा गया हो।
- अल्पकालिक पूंजीगत लाभ: यह उन परिसंपत्तियों पर लागू होता है जिन्हें 36 महीने से कम समयावधि के लिये रखा गया हो। अचल संपत्तियों के मामले में यह अवधि 24 माह होती है।
- यदि कोई परिसंपत्ति अपने खरीद मूल्य (purchase price) से कम मूल्य पर बेंची जाती है तो दोनों मूल्यों के अंतर को ‘पूंजीगत हानि’ कहा जाता है और जब ‘पूंजीगत लाभ’ में से ‘पूंजीगत हानि’ को घटाया जाता है तो हमे शुद्ध पूंजीगत लाभ (net capital gains) प्राप्त होता है।
- पूंजीगत लाभ पर कर तभी लागू होता है जब कोई परिसंपत्ति "विक्रय" या "क्रय" की जाती है। प्रतिवर्ष बढ़ने वाले स्टॉक शेयरों पर तब तक पूंजीगत लाभ के लिये कर नहीं लगाया जाएगा जब तक कि उन्हें बेचा न जाए।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से भारत में काले धन की उत्पत्ति का कौन-सा एक प्रभाव भारत सरकार के लिये चिंता का प्रमुख कारण रहा है? (2018) (a) अचल संपत्ति की खरीद और लग्ज़री आवास में निवेश के लिये संसाधनों का गठजोड़ करना। उत्तर: (d) प्रश्न. अप्रवासी सत्त्वों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर भारत द्वारा 6% समकरण कर लगाए जाने के निर्णय के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
ठंडा लावा
स्रोत: बीबीसी
हाल ही में फिलीपींस के माउंट कानलाओन नेचुरल पार्क (Kanlaon Natural Park) में ठंडा लावा प्रस्फुटित हुआ, जिसके परिणामस्वरूप ठंडा लावा या "लहार (Lahar)" की धाराएँ, शिखर से कई मील दूर नीग्रोस द्वीप पर एक गाँव से होकर प्रवाहित होने लगीं।
ठंडा लावा क्या है?
- परिचय:
- ठंडा लावा, जिसे इंडोनेशियाई भाषा में लहार (Lahar) के नाम से जाना जाता है, एक ऐसी परिघटना है जिसमें वर्षा जल राख, रेत और कंकड़ जैसी ज्वालामुखी सामग्री के साथ मिलकर कंक्रीट जैसे पदार्थ का निर्माण करता है।
- लाहर मुख्य रूप से नदी घाटियों में प्रवाहित होता है, जो 75-80 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे भी अधिक की गति से प्रवाहित हो सकता है।
- इसका प्रवाह गर्म या ठंडा हो सकता है, जो इसके स्रोत और उत्पत्ति पर निर्भर करता है तथा यह मुख्य रूप से स्ट्रैटोवोलकानो से संबंधित है।
- स्ट्रैटोवोलकानो को मिश्रित ज्वालामुखी भी कहा जाता है क्योंकि इसके जमाव की स्तरीकृत परतें ज्वालामुखी तटों का निर्माण करती हैं।
- ठंडे लावा को इसके उच्च घनत्व, घर्षण प्रकृति और संरचनाओं एवं बुनियादी ढाँचे को महत्त्वपूर्ण क्षति पहुँचाने की क्षमता के कारण अधिक विनाशकारी तथा घातक माना जाता है।
- संरचना:
- यह ज्वालामुखी विस्फोट के बिना भी घटित हो सकता है, साथ ही यह प्रायः भारी वर्षा या ज्वालामुखी की ढलानों पर भूस्खलन के कारण होता है, जो सुप्त ज्वालामुखी पदार्थ से ढके होते हैं।
- ज्वालामुखी विस्फोट स्वयं ज्वालामुखी पर उपस्थित बर्फ अथवा बर्फ को पिघलाकर निर्मित जल के साथ मिश्रित ज्वलखंडाश्मि प्रवाह के माध्यम से लहार उत्पन्न कर सकते हैं।
- ज्वलखंडाश्मि प्रवाह: विस्फोटों से अक्सर गैस और मलबे के निर्मित झुलसाने वाले गर्म बादल उत्पन्न होते हैं जिन्हें ‘ज्वलखंडाश्मि प्रवाह’ (Pyroclastic Flows) के रूप में जाना जाता है।
- ज्वालामुखीय भूस्खलन के कारण उत्पन्न झीलीय बाढ़ भी लहारों में परिवर्तित हो सकती है, क्योंकि वे अधिक मलबा एवं जल को अपने में समाहित कर लेती हैं, जिससे उनका आयतन एवं विनाशकारी क्षमता अत्यधिक रूप से बढ़ जाती है।
ठंडा लावा तथा सामान्य लावा में क्या अंतर है?
- तापमान भिन्नता: सामान्य लावा पिघला हुआ चट्टान है जो अविश्वसनीय रूप से गर्म होता है, जबकि लहार पिघली हुई नहीं होती हैं और साथ ही उसके तापमान में काफी भिन्नता हो सकती है।
- मिश्रण: लावा केवल पिघली हुई चट्टान से बना होता है, जबकि लहार जल और ज्वालामुखीय मलबे जैसे राख, चट्टान तथा रेत का मिश्रण होता है।
- शुद्ध पिघली चट्टान के बजाय सघन घोल होने के कारण लहार, ज्वालामुखी स्रोत से अधिक तीव्रता के साथ दूर तक प्रवाहित होता है।
- प्रभाव: लहार सामान्य लावा प्रवाह की तुलना में अधिक विनाशकारी और घातक हो सकते हैं, क्योंकि वे अपने तरल, प्रवाही स्वभाव तथा आगे बढ़ने के दौरान अधिक मलबे को अपने में समाहित करने की क्षमता के कारण बहुत बड़े क्षेत्र को प्रभावित तथा तबाह कर सकते हैं।
- यह गतिशीलता और अतिरिक्त सामग्री का समावेश लहारों को उनके आकार में अत्यधिक वृद्धि करने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे उनकी विनाशकारी शक्ति और भी बढ़ जाती है।
मैग्मा बनाम लावा
- मैग्मा शब्द का प्रयोग पृथ्वी की आंतरिक पिघली हुई चट्टानों और संबंधित सामग्रियों को दर्शाने के लिये किया जाता है। मैंटल का एक कमज़ोर क्षेत्र जिसे दुर्बलतामंडल (Asthenosphere) कहा जाता है, आमतौर पर मैग्मा का स्रोत होता है।
- लावा और कुछ नहीं बल्कि पृथ्वी की सतह के ऊपर का मैग्मा है। एक बार जब यह मैग्मा ज्वालामुखी के छिद्र से पृथ्वी की सतह पर आया, तो इसे लावा कहा गया।
पंक ज्वालामुखी (Mud Volcanoes)
- पंक ज्वालामुखी या मृदा का गुंबद, मृदा या गाद,जल एवं गैसों से निर्मित एक भू-आकृति है।
- पंक ज्वालामुखी, वास्तविक आग्नेय ज्वालामुखी नहीं होते हैं क्योंकि इनसे लावा का उद्गार न होने के साथ यह आवश्यक नहीं होता है कि ये मैग्मैटिक गतिविधि से प्रेरित हों।
- पंक ज्वालामुखी 1 या 2 मीटर ऊँचे और 1 या 2 मीटर चौड़े से लेकर 700 मीटर ऊँचा तथा 10 किलोमीटर तक चौड़ा हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (A) |
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन
स्रोत: पी. आई. बी.
हाल ही में नीति आयोग के एक बयान के अनुसार, वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक की वित्तीय अवधि के पहले तीन वर्षों के दौरान राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत सरकार द्वारा 3.85 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति का मुद्रीकरण किया गया है।
- नीति आयोग को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन विकसित करने का दायित्व सौंपा गया है।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) क्या है?
- परिचय:
- NMP में चार वर्ष की अवधि (वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25) में सड़क, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, दूरसंचार, नागरिक उड्डयन आदि जैसे क्षेत्रों में केंद्र सरकार की प्रमुख परिसंपत्तियों को पट्टे पर देने के माध्यम से 6 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रीकरण क्षमता की परिकल्पना की गई है।
- NMP के माध्यम से मुद्रीकरण में केवल मुख्य परिसंपत्तियाँ शामिल हैं, गैर-मुख्य परिसंपत्तियों के विनिवेश के माध्यम से मुद्रीकरण को छोड़कर।
- फिलहाल केवल केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के CPSE की परिसंपत्तियों को ही इसमें शामिल किया गया है।
- प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिये भूमि, रियल एस्टेट और बुनियादी ढाँचे सहित गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण को निवेश तथा सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (Department of Investment and Public Asset Management- DIPAM) से वित्त मंत्रालय के तहत सार्वजनिक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises- DPE) को स्थानांतरित किया जा रहा है।
- इस पाइपलाइन का उद्देश्य वित्त वर्ष 2025 तक छह वर्षों में 111 लाख करोड़ रुपए के राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline- NIP) के तहत निवेश का समर्थन करना है।
- NMP की समय-सीमा रणनीतिक रूप से राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline- NIP) के अंतर्गत शेष अवधि के साथ समाप्त होने के लिये निर्धारित की गई है।
- NMP की स्थिति:
- NMP के तहत पहले दो वर्षों अर्थात् वर्ष 2021-22 से वर्ष 2022-23 तक कुल लक्ष्य 2.5 लाख करोड़ रुपए के स्थान पर 2.30 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य प्राप्त हुआ।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 1.8 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य के मुकाबले, जो सभी चार वर्षों में सर्वाधिक है, उपलब्धि लगभग 1.56 लाख करोड़ रुपए रही है।
- इसके अतिरिक्त, यह वर्ष 2023-24 का लक्ष्य वर्ष 2021-22 की उपलब्धि का लगभग 159% दर्शाता है।
- सभी मंत्रालयों द्वारा अपने मुद्रीकरण लक्ष्यों का 70% प्राप्त कर लिया है, जिसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा कोयला मंत्रालय वर्ष 2023-24 में 97,000 करोड़ रुपए की कुल उपलब्धि के साथ शीर्ष दो उपलब्धि प्राप्त करने वाले मंत्रालय हैं।
- NMP की आवश्यकता:
- अतिपूंजीकरण: अधिकांश सरकारी बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं में इष्टतम इनपुट-आउटपुट अनुपात शायद ही कभी देखा जाता है, जिसके कारण उनमें अतिपूंजीकरण हो जाता है।
- संसाधन अनुकूल: NMP का उद्देश्य परियोजना की आवश्यकताओं के साथ संसाधनों का बेहतर मिलान करने के लिये बाज़ार-संचालित विधियों को अपनाकर संसाधनों के उपयोग में सुधार लाना, विलंब और लागत वृद्धि को कम करना है।
- समन्वय संबंधी चुनौतियाँ: NMP बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार लाने हेतु सरकारी विभागों और निज़ी फर्मों के बीच टीमवर्क को बढ़ावा देता है।
- अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: NMP पीएम गति शक्ति से जुड़ता है, जिसका उद्देश्य भारत के बुनियादी ढाँचे को व्यापक रूप से विकसित करना है, जबकि NMP मौज़ूदा परिसंपत्तियों का लाभ उठाकर नवीन परियोजनाओं के लिये धन एकत्रित करने का प्रयास करता है।
- कम उपयोग की गई सार्वजनिक परिसंपत्तियों का उपयोग: NMP का उद्देश्य अनुत्पादक सरकारी परिसंपत्तियों को बेचकर नए बुनियादी ढाँचे के लिये धन एकत्रित करना और हरित परियोजनाओं का विस्तार करना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में, "पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर" पदबंध किसके प्रसंग में प्रयुक्त किया जाता है: (2020) (a) डिजिटल सुरक्षा आधारभूत संरचना उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न.1 श्रम-प्रधान निर्यातों के लक्ष्य प्राप्त करने में विनिर्माण क्षेत्रक की विफलता का कारण बताइये। पूंजी-प्रधान निर्यातों की अपेक्षा अधिक श्रम-प्रधान निर्यातों के लिये, उपायों को सुझाइये। (2017) प्रश्न. 2 हाल के समय में भारत में आर्थिक संवृद्धि की प्रकृति का वर्णन अक्सर नौकरीहीन संवृद्धि के तौर पर किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2015) |
हेल्पएज इंडिया रिपोर्ट
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में 15 जून, 2024 को हेल्पएज इंडिया की रिपोर्ट, "भारत में वृद्धावस्था: देखभाल संबंधी चुनौतियों के लिये तैयारी और प्रतिक्रिया की पहचान", 'विश्व बुज़ुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (WEAAD)' के उपलक्ष्य में जारी की गई।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
निष्कर्ष |
विवरण |
निरक्षरता और आय के स्रोत |
लगभग 40% निरक्षर उत्तरदाताओं ने बताया कि उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, जबकि साक्षर उत्तरदाताओं में यह आँकड़ा 29% है। |
बुज़ुर्गों से दुराचार |
7% लोगों को वृद्धजनों के साथ दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसमें लैंगिक और आयु समूहों में कोई अंतर नहीं था। |
कार्य में भागीदारी |
केवल 15% बुज़ुर्ग व्यक्तियों ने बताया कि वे वर्तमान में कार्य कर रहे हैं (24% पुरुष, 7% महिलाएँ)। |
सामाजिक सुरक्षा |
केवल 29% ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच होने की बात कही |
आय स्तर |
32% की वार्षिक आय 50,000 रुपए से कम थी, जबकि 3 में से 1 बुज़ुर्ग ने बताया कि बीते वर्ष में उनकी कोई आय नहीं थी। |
- WEAAD को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2011 में अपने प्रस्ताव 66/127 के तहत आधिकारिक तौर पर मान्यता प्रदान की गई थी।
- इसकी वर्ष 2024 की थीम है, आपात स्थिति में वृद्ध व्यक्तियों के जीवन पर प्रकाश डालना।
- इसका उद्देश्य उन वृद्ध लोगों की जीवन स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जिनके साथ दुर्व्यवहार होता है।
और पढ़ें: विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस, भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिये कोई आयु सीमा नहीं
बढ़ते समुद्र जल स्तर का डेलोस द्वीप पर प्रभाव
स्रोत: द हिंदू
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का स्तर बढ़ने से माइकोनोस के निकट स्थित एजियन सागर का छोटा-सा द्वीप डेलोस अगले 50 वर्षों में लुप्त हो सकता है।
- डेलोस को प्राचीन ग्रीक एवं रोमन दुनिया के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अभयारण्यों में से एक है।
- यह यूनेस्को विश्व विरासत स्थल है और साथ ही हेलेनिस्टिक एवं रोमन काल के दौरान दैनिक जीवन की बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।
- शोध से पता चलता है कि तापमान एवं आर्द्रता में वृद्धि से सांस्कृतिक विरासत स्मारकों में प्रयुक्त सामग्रियों की रासायनिक संरचना में परिवर्तन आ सकता है।
- समुद्री जल के कटाव के कारण दिखाई देने वाली संरचनात्मक क्षति के कारण यह खतरा और भी बढ़ गया है, जो विशेष रूप से पहली तथा दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के व्यापार एवं भंडारण भवनों जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है।
- एजियन सागर भूमध्य सागर की एक शाखा है।
- एजियन सागर भूमध्य सागर का एक भाग है, जो पश्चिम में ग्रीक प्रायद्वीप और पूर्व में एशिया माइनर के बीच स्थित है।
- एजियन डार्डनेल्स, मार्मारा सागर एवं बोस्पोरस के जलडमरूमध्य के माध्यम से काला सागर से जुड़ा हुआ है, जबकि क्रेते द्वीप दक्षिणी सीमा को निर्धारित करता है।
और पढ़ें… एजियन सागर
मिफेप्रिस्टोन
हाल ही में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने गर्भपात विरोधी समूहों की एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसका उद्देश्य गर्भपात की गोली "मिफेप्रिस्टोन" के लिये खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration’s- FDA) की मंज़ूरी को रद्द करना था।
- मिफेप्रिस्टोन एक दवा है जिसका उपयोग प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को अवरुद्ध करके और गर्भाशय ग्रीवा को फैलाकर गर्भावस्था को समाप्त करने के लिये किया जाता है।
- इसे आमतौर पर संकुचन प्रेरित करने और 10 सप्ताह के भीतर गर्भावस्था को समाप्त करने के लिये मिसोप्रोस्टोल के साथ लिया जाता है। इस गोली की सफलता दर 97.4% है।
- भारत का गर्भपात कानून:
- IPC की धारा 312 के तहत महिला की जान बचाने के अलावा गर्भपात कराना अपराध माना जाता है। अगर महिला खुद गर्भपात कराने की कोशिश करती है तो वह भी इस धारा के तहत आती है।
- सुरक्षित गर्भपात की अनुमति देने के लिये मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम, 1971 पेश किया गया था। संशोधित अधिनियम (2021) के अनुसार 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था हेतु एक डॉक्टर की राय की आवश्यकता होती है और 20 से 24 सप्ताह की गर्भावस्था हेतु दो डॉक्टरों की राय की आवश्यक होती है।
- 20 सप्ताह के बाद गर्भपात कराने वाली अविवाहित महिलाओं को विशिष्ट प्रावधानों के अभाव के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- 'गर्भपात' शब्द का प्रयोग केवल तब किया जाता है जब गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के भीतर अंडाणु निष्कासित हो जाता है।
- दूसरी ओर 'गर्भपात' शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब भ्रूण को गर्भावस्था के चौथे से सातवें महीने के बीच, जीवित रहने से पहले ही बाहर निकाल दिया जाता है।
और पढ़ें: गर्भपात
SEBI द्वारा IPO कंपनियों के लिये प्रमोटर की परिभाषा का विस्तार
स्रोत: बिज़नेस लाइन
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने इनिशियल पब्लिक ऑफर (Initial public offering- IPO) के लिये बाज़ार में उतरने वाली कंपनियों हेतु प्रमोटरों की परिभाषा का विस्तार किया है।
- नए दिशा-निर्देशों के तहत, संयुक्त 10% हिस्सेदारी वाले संस्थापक जो प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक (Key Managerial Personnel- KMP) या निदेशक भी हैं, सभी को प्रमोटर माना जाएगा।
- कंपनी बोर्ड में या KMP के रूप में प्रमोटर के तत्काल संबंधी या कंपनी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 10% से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले को भी प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
- हालाँकि एक बार जब कोई व्यक्ति प्रमोटर समूह का हिस्सा बन जाता है, तो लिस्टिंग ऑब्लीगेशंस एंड डिस्क्लोज़र रिक्वायरमेंट्स (LODR) विनियमन के नियम 31A के कारण उसे सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में अवर्गीकृत करना आसान नहीं होता है।
- वर्गीकरण-विमुक्ति का अर्थ है किसी प्रमोटर या विशिष्ट वर्गीकरण की स्थिति या लेबल को आधिकारिक रूप से हटाना।
- वर्तमान SEBI नियमों के अनुसार, प्रमोटर वह व्यक्ति होता है जो कंपनी के मामलों को नियंत्रित करता है या अधिकांश निदेशकों की नियुक्ति कर सकता है या प्रस्ताव दस्तावेज़ में उसका नाम इस रूप में दर्ज होता है।
- IPO एक इनिशियल पब्लिक ऑफर है, जिसमें किसी निजी कंपनी के शेयर पहली बार जनता के लिये उपलब्ध कराए जाते हैं।
- IPO किसी कंपनी को सार्वजनिक निवेशकों से इक्विटी पूंजी जुटाने की अनुमति देता है।
और पढ़ें: प्रमोटरों को ‘पर्सन इन कंट्रोल’ में बदलने का प्रस्ताव: SEBI, सेबी
रूस द्वारा कुडनकुलम NPP को उपकरणों का अंतरण
स्रोत: द हिंदू
रूस ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना (KNNP) के रिएक्टर 5 एवं 6 के लिये 26 टर्बाइन हॉल पाइपलाइन वाल्व (उच्च दबाव और निम्न दबाव गेट वाल्व) की पहली खेप भेज दी है।
- उनका मुख्य कार्य सिस्टम के विश्वसनीय संचालन को सुनिश्चित करने के लिये द्रव अथवा गैस प्रवाह को कसकर बंद करना है।
- वर्तमान में इसके पास 2 x 1,000 मेगावाट क्षमता वाले WWER रिएक्टर हैं जो विद्युत उत्पादन कर रहे हैं तथा समान क्षमता वाले अतिरिक्त 4 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं।
- energy.WWER का अर्थ है "वाटर-वाटर पावर रिएक्टर"। ये रिएक्टर ऊर्जा उत्पन्न करने वाली परमाणु प्रतिक्रियाओं के लिये शीतलक एवं मॉडरेटो दोनों के रूपों में जल का उपयोग करते हैं।
- KNNP का आधुनिकीकरण रूस की रोसाटॉम तथा न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। यह भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है।
- यह आयातित PWR (प्रेशराइज्ड वॉटर रिएक्टर) तकनीक का उपयोग करने वाला भारत का पहला परमाणु संयंत्र है।
- इसका निर्माण वर्ष 2002 में शुरू हुआ था और वर्ष 2027 तक इसके पूर्ण क्षमता पर संचालित होने की आशा है।
- वर्ष 2022-23 में देश में कुल विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 2.8% थी।
और पढ़ें… भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता
मार्सुपियल्स के हीटर ऑर्गन
स्रोत: विज्ञान
हालिया शोध से पता चला है, कि लगभग 100 मिलियन वर्ष पूर्व, अपरा स्तनपायी (Placental Mammal) ने ठंड से बचने के लिये भूरे रंग की वसा विकसित की, जो विश्व भर में विस्तृत हो गई है। यह वसा केवल आधुनिक अपरा स्तनपायियों में विकसित हुई है।
- अपरा स्तनपायी वे स्तनपायी हैं, जिसमें मार्सुपियल और मोनोट्रेम्स शामिल नहीं हैं, ये मोनोट्रेमेटा तथा मार्सुपियालिया (Monotremata and Marsupialia) के साथ जीवित स्तनधारियों के तीन मुख्य समूहों में से एक हैं।
- मार्सुपियल स्तनपायियों का वह समूह है, जिसे आमतौर पर पिकेटेड स्तनपायी (Pouched Mammal) माना जाता है।
- ये जन्म देते हैं, लेकिन अपरा स्तनपायियों की तरह इनका गर्भकाल लंबा नहीं होता है।
- ये संरचनात्मक रूप से काफी विविध हैं। मार्सुपियल मोल, नोटोरिक्टेस जैसे छोटे चार पैरों वाले जानवरों से लेकर बड़े दो पैरों वाले कंगारू तक होते हैं।
- मार्सुपियल, जो लगभग 120-180 मिलियन वर्ष पूर्व अपरा स्तनपायियों से अलग हो गए थे, में भूरे रंग की वसा का कम विकास होता है।
- ब्राउन फैट/ब्राउन एडीपोज़ टिश्यू (BAT) एक बेहतरीन तरीके से डिज़ाइन किया गया टिश्यू/अंग तंत्र है, जो शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिये विकसित हुआ है।
- भूरे रंग की वसा, शर्करा से ऊष्मा उत्पन्न करने एवं मोटापे को कम करने के साथ-साथ मधुमेह और अन्य चयापचय विकारों के उपचार में कारगर है।
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