लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन

  • 24 Jan 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production - IIP), राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline - NMP), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (Infrastructure Investment Trust - InvIT), ग्लोबल वार्मिंग, महामारी, स्थानिक गरीबी

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप एवं उसके निर्माण तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्र सरकार ने अवसंरचना में नए निवेश के लिये संसाधन उत्पन्न करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline - NMP) के तहत एक परिसंपत्ति पुनर्चक्रण अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

  • वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र के परिसंपत्ति पुनर्चक्रण अभियान से लगभग 1.5 ट्रिलियन रुपए उत्पन्न होने की उम्मीद है।
  • वर्ष 2021-22 में लगभग 0.97 ट्रिलियन रुपए और वर्ष 2022-23 में 1.32 ट्रिलियन रुपए के मुद्रीकरण मूल्यों के साथ लेनदेन पूरा किया गया।

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन क्या है? 

  • परिचय: 
    • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) चार वर्ष की अवधि (वित्त वर्ष 2022-25) में सड़कों, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, दूरसंचार, नागरिक उड्डयन जैसे क्षेत्रों में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों को पट्टे पर देकर 6 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रीकरण क्षमता की परिकल्पना करता है।
    • NMP के माध्यम से मुद्रीकरण में गैर-प्रमुख संपत्तियों के विनिवेश के माध्यम से मुद्रीकरण को छोड़कर केवल मुख्य संपत्तियाँ शामिल हैं। वर्तमान में अवसंरचनात्मक क्षेत्रों में केवल केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों और CPSE की संपत्ति को शामिल किया गया है।
    • NMP की पहुँच को व्यापक बनाने और अंततः संघीय तथा राज्य दोनों स्तरों पर संपत्तियों को शामिल करने के लिये, सरकार वर्तमान में राज्यों से संपत्ति पाइपलाइनों का आयोजन एवं संकलन कर रही है।
    • इस पाइपलाइन का उद्देश्य राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline - NIP) के तहत वित्त वर्ष 2015 तक छह वर्षों में 111 ट्रिलियन रुपए के निवेश का समर्थन करना है।
  • NMP की आवश्यकता:
    • लागत में वृद्धि: कुछ मामलों में, परियोजना का कार्य पूरा होने में अधिक समय लग जाता है, जिससे परियोजना की लागत इतनी बढ़ जाती है कि यह परियोजना शुरू होने के समय ही अव्यवहार्य हो जाती है।
    • ओवरकैपिटलाइज़ेशन: अधिकांश सरकारी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में इष्टतम इनपुट-आउटपुट अनुपात शायद ही कभी देखा जाता है, जिससे उनका ओवरकैपिटलाइज़ेशन होता है।
    • संसाधनों का अनुकूलन: लागत में वृद्धि और परियोजना में देरी आंशिक रूप से अकुशल संसाधन आवंटन तथा उपयोग के कारण होती है।
      • NMP का लक्ष्य निजी क्षेत्र की दक्षता और बाज़ार-संचालित दृष्टिकोण पेश करके संसाधनों का अनुकूलन करना है, जिससे इनपुट तथा आउटपुट का बेहतर संरेखण सुनिश्चित हो सके।
    • समन्वय चुनौतियाँ: अंतर-मंत्रालयी तथा अंतर-विभागीय समन्वय की कमी से परियोजना निष्पादन में अक्षमताएँ एवं देरी का सामना करना पड़ सकता है।
      • NMP सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है जिससे अवसंरचना के विकास के लिये अधिक समन्वित एवं सुव्यवस्थित दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है।
    • श्रम सुधार तथा निर्णय लेना: श्रम सुधारों को कार्यान्वित करने में देरी, अनुचित निर्णय लेने तथा अप्रभावी शासन से सार्वजनिक अवसंरचना की परिसंपत्तियाँ प्रभावित होती हैं।
  • NMP का महत्त्व:
    • अर्थव्यवस्था की बेहतरी: यह एक विशेष पहल है जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, बेहतर रोज़गार के अवसर सृजित होंगे एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी
      • NMP प्रधानमंत्री गति शक्ति से संबद्ध है जो भारत में अवसंरचना के विकास के लिये एक समग्र एवं एकीकृत दृष्टिकोण प्रदर्शित करता है। गति शक्ति एक व्यापक तथा सुदृढ़ अवसंरचना नेटवर्क के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है जबकि NMP का लक्ष्य नई परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिये मौजूदा अवसंरचना की परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करना है।
      • एक पहल की सफलता अन्य पहल के लक्ष्यों को सुदृढ़ तथा प्राप्त करने में सहायता कर सकती है जो भारत की समग्र आर्थिक वृद्धि एवं विकास में योगदान कर सकती है।
    • कम उपयोग वाली सार्वजनिक परिसंपत्तियों का उपयोग: NMP गैर-रणनीतिक निम्न प्रदर्शन करने वाली सरकारी स्वामित्व वाली परिसंपत्तियों से निष्क्रिय पूंजी का उपयोग करने का समर्थन करता है।
      • यह इस प्रकार प्राप्त धन को नई बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में पुनर्निवेश करने और ग्रीनफील्ड बुनियादी ढाँचे के निर्माण जैसी परिसंपत्तियों के संवर्द्धन की भी परिकल्पना करता है।
  • उपलब्धियाँ एवं अपेक्षाएँ:
    • खनन क्षेत्र: वर्ष 2023-24 में परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण का केंद्र खनन क्षेत्र, विशेष रूप से कोयला ब्लॉक तथा अन्य खदानें रही हैं।
      • वित्त वर्ष 2024-25 में इस क्षेत्र में उपलब्धि लगभग 55,000-60,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है जो कि इसके 8,726 करोड़ रुपए के प्रारंभिक लक्ष्य से अधिक है।
      • वित्त वर्ष 2023 का लक्ष्य 6,060 करोड़ रुपए से बढ़कर 37,500 करोड़ रुपए हो गया जिसमें लगभग 68,000 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई।
      • खनन क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2022 में 3,394 करोड़ रुपए की तुलना में लक्ष्य से अधिक, 68,000 करोड़ रुपए अर्जित किये।
    • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI): ब्राउनफील्ड परिसंपत्ति पुनर्चक्रण (Brownfield Asset Recycling) में दूसरे सबसे बड़े योगदानकर्त्ता के रूप में NHAI को वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 45,000 करोड़ रुपए प्राप्त होने की संभावना है।
    • वित्त वर्ष 2024 में अन्य क्षेत्रों हेतु अपेक्षाएँ:
      • ऊर्जा उत्पादन तथा पारेषण क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2023 में 15,300 करोड़ रुपए के अपने संयुक्त लक्ष्य को पूरा किया जिसके वित्त वर्ष 2024 में 26,700 करोड़ रुपए के प्रारंभिक लक्ष्य के मुकाबले लगभग 20,000 करोड़ रुपए की उपलब्धि के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है।
      • रेलवे, जिसका लक्ष्य वित्त वर्ष 2024 के लिये 44,907 करोड़ रुपए से घटाकर 20,000 करोड़ रुपए कर दिया गया था, वित्त वर्ष 2023 में 8,000 करोड़ रुपए की तुलना में लगभग 8,000-10,000 करोड़ रुपए प्राप्त करने की संभावना है।
        • हालाँकि रेलवे ने स्टेशनों जैसी प्रमुख परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण में अत्यधिक प्रगति नहीं की है किंतु यह रेलवे कॉलोनी पुनर्विकास, गति शक्ति (Gati Shakti) माल ढुलाई टर्मिनलों एवं रोलिंग स्टॉक संबंधी संव्यवहार की पूर्ति करेगा।
      • तेल और गैस क्षेत्र ने लगभग 4,000 करोड़ रुपए का लक्ष्य हासिल किया है तथा मार्च 2024 तक यह 8,000 करोड़ रुपए तक पहुँच सकता है।

NMP से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?

  • करदाताओं के धन जारी करना: करदाताओं ने सार्वजनिक संपत्तियों पर संभावित दोहरे शुल्क के बारे में चिंता व्यक्त की है। इन परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये वित्तपोषण के बाद, अब उन्हें निजी संस्थाओं को उनके मुद्रीकरण के बाद भुगतान के माध्यम से उनका उपयोग करने हेतु अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ता है।
    • चुनौती आरोपों के इस कथित दोहराव से निपटने और इन परिसंपत्तियों के प्रबंधन तथा उपयोग में सार्वजनिक निवेश एवं निजी भागीदारी के बीच उचित संतुलन सुनिश्चित करने में निहित है।
  • संपत्ति और मुद्रीकरण का चक्र: NMP द्वारा नई संपत्ति सर्जित होने तथा बाद में सरकार के लिये देनदारी हेतु उसका मुद्रीकरण करने संबंधी एक दुष्चक्र निर्मित होने की काफी संभावना है।
  • संपत्ति-विशिष्ट चुनौतियांँ: इसमें गैस और पेट्रोलियम पाइपलाइन नेटवर्क में क्षमता उपयोग का निम्न स्तर, बिजली क्षेत्र की परिसंपत्तियों में विनियमित टैरिफ, चार लेन से नीचे के राष्ट्रीय राजमार्गों में निवेशकों के बीच कम रुचि तथा इकाई हिस्सेदारी रखने वाले कई हितधारक शामिल हैं।
  • एकाधिकार: NMP की एक महत्त्वपूर्ण आलोचना यह है कि हस्तांतरण से एकाधिकार उत्पन्न होगा, जिससे कीमत में वृद्धि होगी।
    • स्वामित्व के सुदृढ़ीकरण से विशेष रूप से राजमार्गों और रेलवे लाइनों के मामले में एकाधिकार हो सकता है। यह चिंता कम प्रतिस्पर्द्धा और बाज़ार की गतिशीलता की संभावना पर केंद्रित है, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से अंतिम उपयोगकर्त्ताओं के लिये उच्च लागत हो सकती है।

आगे की राह

  • निवेशकों, सरकारी एजेंसियों और जनता सहित हितधारकों के बीच विश्वास बनाने के लिये परिसंपत्ति मुद्रीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और बेहतर बुनियादी ढाँचे के संदर्भ में परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लाभों के बारे में बताइये।
  • उभरती चुनौतियों और अवसरों से निपटने के लिये नीति ढाँचे को लगातार परिष्कृत तथा अद्यतन करना अनिवार्य है।
  • एक सहायक विनियामक वातावरण सुनिश्चित करें जो निजी क्षेत्र की भागीदारी और निवेश को प्रोत्साहित करें।
  • परिसंपत्ति मुद्रीकरण परियोजनाओं के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिये एक मज़बूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली स्थापित करें।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न1. श्रम प्रधान निर्यातों के लक्ष्य को प्राप्त करने में विनिर्माण क्षेत्रक की विफलता का कारण बताइए। पूंजी-प्रधान निर्यातों की अपेक्षा अधिक श्रम-प्रधान निर्यातों के लिये उपायों को सुझाइए। (2017) 

प्रश्न2. हाल के समय में भारत में आर्थिक संवृद्धि की प्रकृति  का वर्णन अक्सर नौकरीहीन संवृद्धि के तौर पर किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2015)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2