सामाजिक न्याय
भारत में बढ़ते मोटापे की समस्या
- 06 Mar 2024
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व स्वास्थ्य संगठन, बॉडी मास इंडेक्स, मोटापा, मिशन पोषण 2.0, मध्याह्न भोजन योजना, पोषण वाटिकाएँ, मेन्स के लिये:कुपोषण, भारत में कुपोषण से निपटने हेतु कदम, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
स्रोत:द हिंदू
चर्चा में क्यों?
द लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने दुनिया भर में पिछले कुछ दशकों में बच्चों, किशोरों एवं वयस्कों में मोटापे की दर में चिंताजनक वृद्धि पर प्रकाश डाला है।
- यह व्यापक विश्लेषण विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से NCD के जोखिम कारकों पर सहयोग (NCD-RisC) द्वारा आयोजित किया गया था।
- अध्ययन में यह समझने हेतु बॉडी मास इंडेक्स पर गौर किया गया कि वर्ष 1990 से 2022 तक दुनिया भर में मोटापे और कम वज़न में परिदृश्य कैसे बदल गया है।
नोट:
- NCD-RisC दुनिया भर के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों का एक नेटवर्क है जो दुनिया के सभी देशों के लिये गैर-संचारी रोगों के प्रमुख जोखिम कारकों पर प्रमुख और समय पर डेटा प्रदान करता है।
अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- भारत के आँकड़े:
- मोटापा:
- लैंसेट ने जारी किये कि वर्ष 2022 में भारत में 5-19 वर्ष की आयु के 12.5 मिलियन बच्चों (7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियाँ) को अत्यधिक अधिक वज़न वाले के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जो वर्ष 1990 में 0.4 मिलियन की महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्शाता है।
- लड़कियों और लड़कों में मोटापे की श्रेणी के प्रसार के मामले में भारत वर्ष 2022 में दुनिया में 174वें स्थान पर था।
- वयस्क महिलाओं में मोटापे की दर वर्ष 1990 में 1.2% से बढ़कर वर्ष 2022 में 9.8% हो गई और इसी अवधि में पुरुषों में 0.5% से 5.4% हो गई।
- कुपोषण:
- भारत में भी अल्पपोषण की व्यापकता अधिक बनी हुई है, परिणामस्वरूप, भारत कुपोषण के उच्च "दोहरे बोझ" वाले देशों में से एक बन गया है।
- 13.7% महिलाएँ एवं 12.5% पुरुष कम वज़न वाले थे।
- दुबलापन, बच्चों में कम वज़न की एक माप जो लड़कियों में 20.3% की व्यापकता के साथ दुनिया में सबसे अधिक है।
- यह 21.7% की व्यापकता के साथ लड़कों में दूसरे स्थान पर था।
- भारत में भी अल्पपोषण की व्यापकता अधिक बनी हुई है, परिणामस्वरूप, भारत कुपोषण के उच्च "दोहरे बोझ" वाले देशों में से एक बन गया है।
- मोटापा:
- वैश्विक:
- विश्व भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है।
- कुल मिलाकर वर्ष 2022 में 159 मिलियन बच्चे और किशोर तथा 879 मिलियन वयस्क मोटापे से ग्रस्त थे।
- मोटापे में वृद्धि के कारण अधिकांश देशों में कम वज़न और मोटापे का संयुक्त भार बढ़ गया है, जबकि दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कम वज़न और पतलापन प्रचलित है।
- वर्ष 2022 में, कैरेबियन पोलिनेशिया और माइक्रोनेशिया के द्वीप देशों तथा मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका के देशों में कम वज़न व मोटापे का संयुक्त प्रसार सबसे अधिक था।
- वर्ष 2022 में पतलेपन और मोटापे की संयुक्त व्यापकता वाले देश पोलिनेशिया, माइक्रोनेशिया तथा कैरेबियन दोनों लिंगों हेतु एवं चिली व कतर लड़कों के लिये थे।
- भारत और पाकिस्तान जैसे दक्षिण एशिया के कुछ देशों में भी संयुक्त प्रसार अधिक था, जहाँ गिरावट के बावजूद पतलापन प्रचलित रहा।
- विश्व भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है।
- मोटापे में योगदान देने वाले कारक:
- महिलाओं में वज़न बढ़ने की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनके पास अक्सर व्यायाम के लिये समय नहीं होता है और वे अपने परिवार के पोषण को अपने पोषण से अधिक प्राथमिकता देती हैं।
- घरेलू ज़िम्मेदारियों के कारण भी उन्हें कम नींद आती है।
- इसके अतिरिक्त अस्वास्थ्यकर जंक फूड पौष्टिक विकल्पों की तुलना में सस्ता और अधिक आसानी से उपलब्ध है, जिससे मोटापे की दर बढ़ जाती है, यहाँ तक कि तमिलनाडु, पंजाब तथा गोवा जैसे स्थानों में कम आय वाले लोगों में भी।
अधिक वज़न, पतलापन और मोटापा क्या हैं?
- बॉडी मास इंडेक्स:
- BMI वज़न-से-ऊँचाई (weight-to-height) का एक माप है जिसका प्रयोग आमतौर पर वयस्कों में कम वज़न, अधिक वज़न और मोटापे को वर्गीकृत करने के लिये किया जाता है।
- इसकी गणना किलोग्राम में वज़न को मीटर (किलो/वर्ग मीटर या kg/m²) में ऊँचाई के वर्ग से विभाजित करके की जाती है।
- उदाहरण के लिये, 58 किलोग्राम वज़न वाले और 1.70 मीटर लंबे वयस्क का बीएमआई 20.1 होगा (बीएमआई = 58 किलोग्राम / (1.70 मीटर ×1.70 मीटर))।
- मोटापा और अधिक वज़न:
- अधिक वज़न और मोटापे को असामान्य या अत्यधिक वसा संचय के रूप में परिभाषित किया गया है जो स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।
- अधिक वज़न अत्यधिक वसा जमा होने की स्थिति है और मोटापा एक क्रॉनिक बीमारी है जो तब होती है जब शरीर अतिरिक्त कैलोरी को वसा के रूप में संग्रहीत करता है।
- मोटापा हृदय रोग, मधुमेह, मस्क्यूलोस्केलेटल विकार और कुछ कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के लिये एक प्रमुख जोखिम कारक है।
- बाल्यावस्था का मोटापा गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं और समय से पहले संबंधित बीमारियों के शुरू होने के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है।
- मोटापा कुपोषण के दोहरे बोझ का एक पक्ष है और आज दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र को छोड़कर हर क्षेत्र में अधिकांश लोग कम वज़न वाले लोगों की तुलना में मोटापे से ग्रस्त हैं।
- दुबलापन और कम वज़न:
- दुबलेपन और कम वज़न का तात्पर्य ऊँचाई के सापेक्ष शरीर का वज़न सामान्य वज़न से कम होना है। यह प्रायः अपर्याप्त कैलोरी सेवन या अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा होता है।
- कम वज़न अल्पपोषण के चार व्यापक उप-रूपों में से एक है।
- यदि किसी वयस्क का BMI 18 kg/m2 से कम है तो उसे कम वज़न का माना जाता है। स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों को कम वज़न का माना जाता है यदि उनका BMI औसत से दो मानक विचलन कम है।
- अल्पपोषण चार व्यापक रूपों में परिलक्षित होता है: वेस्टिंग, स्टंटिंग, कम वज़न और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी।
- कम वज़न होने से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जिनमें ऑस्टियोपोरोसिस, त्वचा, बाल या दांतों की समस्याएँ, निरंतर बीमारियाँ, थकान, एनीमिया, अनियमित मासिक धर्म, समय-पूर्व जन्म, विकृत विकास और मृत्यु दर का जोखिम बढ़ना शामिल है।
पोषण सुधार से संबंधित भारत की क्या पहल हैं?
- ईट राइट मेला
- फिट इंडिया मूवमेंट
- ईट राइट स्टेशन प्रमाणन
- मिशन पोषण 2.0
- मध्याह्न भोजन योजना
- पोषण वाटिकाएँ
- आँगनवाड़ी
- समेकित बाल विकास सेवा योजना
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
आगे की राह
- मोटापे और कम वज़न को अलग-अलग नहीं माना जाना चाहिये, क्योंकि कम वज़न-मोटापे का संक्रमण तेज़ी से हो सकता है, जिससे उनका संयुक्त बोझ अपरिवर्तित या अधिक हो सकता है।
- उन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो स्वस्थ पोषण को बढ़ाते हैं, जैसे लक्षित नकद हस्तांतरण, स्वस्थ खाद्य पदार्थों के लिये सब्सिडी या वाउचर के रूप में खाद्य सहायता, मुफ्त स्वस्थ स्कूल भोजन और प्राथमिक देखभाल-आधारित पोषण संबंधी हस्तक्षेप।
- मोटापे से ग्रस्त लोगों को वज़न घटाने में सहायता की तत्काल आवश्यकता है।
- रोकथाम और प्रबंधन विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मोटापे की शुरुआत की उम्र कम हो गई है, जिससे जोखिम की अवधि बढ़ जाती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट की गणना के लिये IFPRI द्वारा उपयोग किये जाने वाले संकेतक निम्नलिखित में से कौन-सा/से है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैं कि भूख के मुख्य कारण के रूप में खाद्य की उपलब्धता की कमी पर मुख्य फोकस भारत में अप्रभावी मानव विकास नीतियों से ध्यान हटा देता है? (2018) |