प्रारंभिक परीक्षा
जलवायु परिवर्तन और अफ्रीकी पूर्वी लहरें
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित एक अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि जलवायु परिवर्तन से अफ्रीकी पूर्वी लहरों (AEW) में परिवर्तन के कारण साहेल क्षेत्र में बाढ़ की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि होगी।
अध्ययन की मुख्य बातें क्या हैं?
- AEW गतिविधि में वृद्धि: अध्ययन में 21वीं सदी के अंत तक साहेल-सहारा में AEW में वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है।
- गिनी तट और सहारा के बीच मज़बूत मध्याह्न तापमान प्रवणता (क्षेत्रों के बीच तापमान में अंतर) के कारण बढ़ी हुई बैरोक्लिनेसिटी ( ऊँचाई के साथ वायुमंडलीय दबाव और घनत्व में परिवर्तन) के कारण तीव्रता बढ़ रही है।
- मानसून प्रवाह में वृद्धि: अध्ययन में पाया गया कि निम्न-स्तर की उष्णता मानसून प्रवाह को मज़बूत करती है, अभिसरण को बढ़ाती है (ऊर्ध्वाधर स्तंभ में प्रवेश करने वाली वायु की मात्रा उससे बाहर जाने वाली वायु की मात्रा से अधिक होती है) और अंतर-उष्णकटिबंधीय असंततता (ITD) के साथ वायु की ऊर्ध्वाधर गति AEW की संरचना को बदल देती है।
- ITD गर्म और शुष्क रेगिस्तानी वायु तथा अरब सागर से आने वाली ठंडी और नम वायु के बीच की सीमा है।
- निहितार्थ:
- सहारा क्षेत्र की धूल का स्थानांतरण: उत्तरी ट्रैक AEW (सहारा रेगिस्तान के करीब) से आने वाली तेज पवनें शुष्क सहारा वायु को प्रवाहित कर सकती हैं, जिससे उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण (उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का निर्माण) को रोका जा सकता है या विलंबित किया जा सकता है, जब तक कि गर्म पश्चिमी अटलांटिक में अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ न बन जाएं।
- MCS से संबंध: AEW मेसोस्केल कन्वेक्टिव सिस्टम (MCS) से संबंधित हैं, जो अत्यधिक वर्षा का कारण बनते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि AEW की गतिविधि में वृद्धि से साहेल में अधिक लगातार एवं तीव्र बाढ़ की घटनाएँ हो सकती हैं।
अफ्रीकी पूर्वी लहरें क्या हैं?
- परिभाषा: अफ्रीकी पूर्वी लहरों का आशय ऐसी (AEWs) मौसम प्रणालियों से है जिन्हें गर्मियों के दौरान उत्तरी अफ्रीका में देखा जाता है और यह पूर्व से पश्चिम की ओर अटलांटिक महासागर की ओर विस्तारित होती हैं।
- महत्त्व: AEWs से उत्तरी अफ्रीका के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में काफी अधिक वर्षा होती है।
- इससे अटलांटिक महासागर के पार तक सहारा की धूल जाती है तथा AEW की अटलांटिक तूफानों में अग्रणी भूमिका होती है।
- प्रभाव: AEWs से क्षेत्रीय जलवायु (विशेष रूप से साहेल में) व्यापक स्तर पर प्रभावित होती है, जिससे इनके व्यवहार को समझना आवश्यक हो जाता है।
साहेल क्षेत्र
- साहेल पश्चिमी और उत्तर-मध्य अफ्रीका का एक अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र है जो पश्चिम में सेनेगल से पूर्व में सूडान तक विस्तारित है।
- यह उत्तर में सहारा रेगिस्तान तथा दक्षिण में आर्द्र सवाना के बीच का संक्रमण क्षेत्र है।
- सवाना की तरह यहाँ कम वृद्धिशील घास, कांटेदार झाड़ियाँ एवं विरल वनस्पति मिलती है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा साहेल क्षेत्र का 10 देशों (बुर्किना फासो, कैमरून, गाम्बिया, गिनी, माली, मॉरिटानिया, नाइजर, नाइजीरिया, सेनेगल और चाड) के बीच सीमांकन किया गया है।
- पश्चिम अफ्रीका की सबसे लंबी एवं सबसे बड़ी नाइजर नदी, इस क्षेत्र का प्रमुख जल स्रोत है।
रैपिड फायर
UDISE+ रिपोर्ट 2023-24
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (UDISE) + रिपोर्ट भारत के स्कूल नामांकन में उल्लेखनीय गिरावट दर्शाती है, जो संशोधित डेटा संग्रह विधियों से जुड़ी है।
- मुख्य निष्कर्ष:
- नामांकन में गिरावट: नामांकन 26.36 करोड़ (2018-2022 औसत) से घटकर वर्ष 2022-23 में 25.17 करोड़ और वर्ष 2023-24 में 24.8 करोड़ हो गया, अर्थात 1.55 करोड़ छात्रों की गिरावट हुई ।
- सरकारी स्कूल में नामांकन में 5.59% की गिरावट आई, तथा निजी स्कूल में नामांकन की दर में 3.67% की कमी दर्ज की गई।
- लैंगिक प्रवृत्ति: वर्ष 2018-19 से वर्ष 2021-22 के औसत की तुलना में लड़कों के नामांकन में 6.04% और लड़कियों के नामांकन में 5.76% की कमी दर्ज की गई।
- राज्यवार गिरावट: सबसे ज्यादा गिरावट बिहार (35.65 लाख), उत्तर प्रदेश (28.26 लाख) और महाराष्ट्र (18.55 लाख) में दर्ज की गई।
- स्तरवार रुझान: प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर गिरावट देखी गई।
- पूर्व-प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तरों में नामांकन वर्ष 2023-24 में पिछले औसत की तुलना में बढ़ गया।
- नामांकन में गिरावट: नामांकन 26.36 करोड़ (2018-2022 औसत) से घटकर वर्ष 2022-23 में 25.17 करोड़ और वर्ष 2023-24 में 24.8 करोड़ हो गया, अर्थात 1.55 करोड़ छात्रों की गिरावट हुई ।
- डेटा सटीकता में सुधार: आधार से जुड़े छात्र रिकार्डों से डुप्लिकेट रिकार्डों को हटाकर डेटा की सटीकता में सुधार हुआ, जिसमें सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में नामांकित छात्र शामिल हैं।
- UDISE+ के बारे में: यह शिक्षा मंत्रालय द्वारा सबसे बड़ी प्रबंधन सूचना प्रणालियों में से एक है, जिसमें 14.72 लाख स्कूल, 98.08 लाख शिक्षक और 24.8 करोड़ बच्चे शामिल हैं।
और पढ़ें: UDISE प्लस रिपोर्ट, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत स्मार्ट क्लासरूम
प्रारंभिक परीक्षा
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 का प्रारूप
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित रखने के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) नियम, 2025 का मसौदा जारी किया है।
DPDP नियम, 2025 प्रारूप के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय: यह नियमों का एक समूह है जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचार को बढ़ावा देते हुए नागरिकों के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के क्रम में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP अधिनियम), 2023 को कार्यान्वित करने पर केंद्रित हैं।
- डेटा स्थानांतरण: यह नियम सरकार द्वारा अनुमोदित कुछ व्यक्तिगत डेटा को भारत के बाहर स्थानांतरित करने की अनुमति देते हैं।
- नागरिकों को केंद्र में रखना: इनमें नागरिकों द्वारा डेटा समाप्त करने की मांग करने, डिजिटल नामांकित व्यक्ति नियुक्त करने एवं डेटा फिड्युसरीज़ द्वारा अपने डेटा को प्रबंधित करने के लिये उपयोगकर्त्ता-अनुकूल तंत्र रखने के अधिकार दिये गए हैं।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनियाँ और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म आदि जैसी संस्थाएँ (जो किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत डेटा को एकत्रित और संसाधित करती हैं) डेटा फिड्युसरीज़ कहलाती हैं।
- डेटा समाप्त करना: डेटा प्रिंसिपल (यूज़र्स) के साथ अंतिम समन्वय या नियमों की प्रभावी तिथि, जो भी बाद में हो, से तीन वर्ष तक डेटा प्रतिधारण की अनुमति दी गई है।
- डेटा फिड्युसरी को डेटा समाप्त करने से कम से कम 48 घंटे पहले डेटा प्रिंसिपल को सूचित करना होगा।
- डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण: इन नियमों में ऑनलाइन शिकायतों की सुविधा के साथ शिकायतों के तीव्र समाधान के लिये सहमति तंत्र एवं शिकायत निवारण हेतु "डिजिटल डिज़ाइन" वाले भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड (DPBI) की भी स्थापना का प्रावधान है।
- ग्रेडेड ज़िम्मेदारियाँ: ग्रेडेड ज़िम्मेदारियों से स्टार्टअप्स और MSME को कम अनुपालन बोझ की सुविधा मिलती है, जबकि महत्वपूर्ण डेटा फिड्युशरीज़ के दायित्व अधिक होते हैं।
- फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, अमेज़न, फ्लिपकार्ट, नेटफ्लिक्स आदि जैसे बड़ी संख्या में उपयोगकर्त्ताओं वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रमुख डेटा फिड्युसरी के रूप में योग्य होंगे।
- सहमति प्रबंधक: डिजिटल प्लेटफॉर्म सहमति प्रबंधकों के माध्यम से भी सहमति एकत्र कर सकता है।
- एक सहमति प्रबंधक मुख्य रूप से डेटा गोपनीयता और डिजिटल इंटरैक्शन के लिये उपयोगकर्त्ता की सहमति के संग्रह, भंडारण और उपयोग का प्रबंधन करता है।
- सहमति प्रबंधक भारत में निगमित कंपनी होनी चाहिये, जिसकी वित्तीय और परिचालन क्षमता सुदृढ़ हो, तथा जिसकी न्यूनतम निवल संपत्ति दो करोड़ रुपए हो।
- DPBI: मसौदा नियमों में DPBI की स्थापना के लिये रूपरेखा तैयार की गई है, जिसके पास व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन की शिकायतों के लिये सिविल न्यायालय की शक्तियाँ होंगी।
नोट: वर्ष 2011 में, न्यायमूर्ति ए.पी. शाह समिति ने निजता कानून की सिफारिश की थी, और वर्ष 2017 में, न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निजता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी।
DPDP अधिनियम, 2023 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- डेटा संरक्षण का अधिकार: व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत डेटा को नियंत्रित करने का अधिकार देता है, जिसमें पहुँच, सुधार और उद्घर्षण (Erasure) के अधिकार शामिल हैं।
- डेटा प्रोसेसिंग और सहमति: डेटा प्रोसेसिंग के लिये स्पष्ट सहमति प्रपत्रों के साथ स्पष्ट सहमति की आवश्यकता होती है।
- डेटा स्थानीयकरण: सुरक्षा और प्रवर्तन के लिये संवेदनशील डेटा को भारत के भीतर ही संग्रहीत और संसाधित किया जाना चाहिये।
- नियामक प्राधिकरण: अनुपालन और शिकायत निवारण के लिये DPBI की स्थापना करता है।
- डेटा उल्लंघन अधिसूचना: संगठनों को डेटा उल्लंघनों के बारे में व्यक्तियों और DPBI को सूचित करना होगा।
- ज़ुर्माना और दंड: डेटा सुरक्षा मानकों को लागू करने का अनुपालन न करने पर सख्त दंड।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. 'निजता का अधिकार' भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संरक्षित है? (a) अनुच्छेद 15 उत्तर: (c) प्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018)
उत्तर: C |
रैपिड फायर
इसरो के नए अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन
स्रोत: द हिंदू
डॉ. वी. नारायणन 14 जनवरी 2025 को दो साल के कार्यकाल के लिये इसरो के अध्यक्ष तथा अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में एस. सोमनाथ का स्थान लेंगे।
- इसरो के वर्ष 2025 के मिशनों में नारायणन की भूमिका: इसरो के अध्यक्ष के रूप में नारायणन भारत की नेविगेशन प्रणाली के लिये NVS-02 के प्रक्षेपण की देखरेख के साथ मानवरहित गगनयान मिशन का नेतृत्व करेंगे तथा मार्च 2025 में भारत-अमेरिका निसार उपग्रह का प्रक्षेपण का नेतृत्व करेंगे।
- डॉ. एस. सोमनाथ का योगदान: इन्होंने चंद्रयान-3, आदित्य-एल1, एक्सपोसैट और इनसैट मिशनों का नेतृत्व किया।
- इन्होंने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV), पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV-LEX) और गगनयान अबाॅर्ट मिशनों का नेतृत्व किया।
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अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में इन्होंने राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति 2023 एवं IN-SPACe की पहल के साथ इसरो और निजी उपक्रमों के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया।
- इसरो: 15 अगस्त 1969 को गठित इसरो द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) का स्थान लिया गया, जिसकी स्थापना वर्ष 1962 में डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में राष्ट्रीय विकास हेतु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने के लिये की गई थी।
- वर्ष 1972 में भारत ने अंतरिक्ष आयोग का गठन किया और DoS की स्थापना की, और इसरो को इसके नियंत्रण में लाया गया।
- अंतरिक्ष विभाग का सचिवालय और इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु के अंतरिक्ष भवन में है।.
और पढ़ें: इसरो के नए अध्यक्ष एस. सोमनाथ
रैपिड फायर
विश्व व्यापार संगठन की 30वीं वर्षगांठ
स्रोत: VoV
1 जनवरी 2025 को विश्व व्यापार संगठन (WTO) की 30वीं वर्षगांठ मनाई गई।
विश्व व्यापार संगठन (WTO):
- परिचय: विश्व व्यापार संगठन एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसका गठन राष्ट्रों के बीच वैश्विक व्यापार नियमों को विनियमित करने हेतु किया गया।
- इसका गठन टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) के उरुग्वे दौर की वार्ता (1986-94) के बाद 123 देशों द्वारा 15 अप्रैल 1994 को हस्ताक्षरित मारकेश समझौते के तहत किया गया था जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1995 में विश्व व्यापार संगठन का गठन हुआ।
- WTO ने GATT (जो वर्ष 1948 से विश्व व्यापार को विनियमित कर रहा था) का स्थान लिया।
- GATT वस्तुओं के व्यापार पर केंद्रित था जबकि WTO के तहत वस्तुओं, सेवाओं एवं बौद्धिक संपदा संबंधी व्यापार को शामिल किया गया है।
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।
- सदस्य: 166 देश (जिनकी वैश्विक व्यापार में 98% हिस्सेदारी है)।
- प्रमुख निकाय:
- मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC): सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय।
- विवाद निपटान निकाय (DSB): DSB व्यापार विवादों का समाधान करता है।
- प्रमुख WTO समझौते:
- TRIMS (व्यापार-संबंधित निवेश उपाय): इसके तहत उन उपायों पर रोक लगाई गई है जिससे विदेशी उत्पादों के विरुद्ध भेदभाव होता है।
- TRIPS (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधी पहलू): TRIPS के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विवादों का समाधान होता है।
- AoA (कृषि पर समझौता): AoA, कृषि व्यापार उदारीकरण को बढ़ावा देने के साथ बाजार पहुँच और घरेलू समर्थन पर केंद्रित है।
- अन्य समझौते:
- सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी उपाय
और पढ़ें: WTO का 13वाँ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
रैपिड फायर
इंडोनेशिया BRICS में शामिल हुआ
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में इंडोनेशिया आधिकारिक तौर पर 10 वें सदस्य के रूप में BRICS समूह में शामिल हो गया है।
BRICS:
- परिचय:
- BRICS विश्व की 10 उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी अनौपचारिक समूह है।
- BRICS मूल संस्थापक सदस्यों में ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन शामिल हैं, जिनमें दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2010 में शामिल हुआ।
- वर्ष 2024 में ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मिस्र, इथियोपिया और सऊदी अरब भी इसके सदस्य बन गए।
- शुरू में अर्जेंटीना के वर्ष 2024 में इस समूह में शामिल होने की उम्मीद थी लेकिन बाद में उसने ऐसा न करने का निर्णय लिया।
- पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस में आयोजित किया गया था।
- महत्त्व:
- आर्थिक प्रभाव: इंडोनेशिया की सदस्यता से पहले, BRICS वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 35% और विश्व की 46% आबादी का प्रतिनिधित्व करता था।
- G7 का प्रतिसंतुलन: इसका उद्देश्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के प्रभाव को मज़बूत करना और G7 जैसी पश्चिमी नेतृत्व वाली वैश्विक वित्तीय प्रणाली के प्रभुत्व का मुकाबला करना है।
- BRICS के लिये भावी एजेंडा:
- अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना, स्थानीय मुद्राओं को मजबूत करना और गैर-डॉलर लेन-देन को बढ़ावा देना, जिससे वैश्विक व्यापार और वित्त को संभावित रूप से नया स्वरूप मिल सकेगा।
- इसका उद्देश्य IMF और संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं में अधिक समानता, समावेशिता और सुधार को बढ़ावा देना है।