इन्फोग्राफिक्स


भारतीय अर्थव्यवस्था
राजनीतिक दान पर कर रियायतों में वृद्धि
प्रिलिम्स के लिये:कर रियायतें, आयकर अधिनियम, 1961, राजनीतिक दल, कंपनी अधिनियम, 2013, चुनावी बॉण्ड योजना मेन्स के लिये:भारत में राजनीतिक दान के लिये कर रियायतों के प्रभाव, राजनीतिक दान का विनियमन |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों ?
नवीनतम वित्तीय डेटा राजनीतिक दलों को दिये जाने वाले दान के लिये प्रदान की जाने वाली कर रियायतों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, जिसमें सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 4,000 करोड़ रुपए दिये हैं।
- यह वृद्धि कर कटौती के माध्यम से चुनावी फंडिंग की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है और कर रियायतों में वृद्धि राजनीतिक वित्त में व्यापक बदलाव एवं राजकोषीय नीति के लिये इसके निहितार्थों को दर्शाती है।
राजनीतिक दान पर कर रियायतें क्या हैं?
- परिचय: कर रियायत किसी विशेष समूह या संगठन को चुकाए जाने वाले कर की राशि में कमी या कर प्रणाली में बदलाव है जो उन्हें लाभ पहुँचाता है।
- भारत में, आयकर अधिनियम, 1961 के तहत राजनीतिक दान पर कर रियायतें प्रदान की जाती हैं।
- आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GGB, भारतीय कंपनियों को राजनीतिक दलों या चुनावी ट्रस्टों को दिये गए योगदान के लिये कटौती का दावा करने की अनुमति देती है।
- हालाँकि, नकद में किये गए दान कटौती के लिये पात्र नहीं हैं। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GGC, व्यक्तियों, फर्मों और अन्य गैर-कॉर्पोरेट संस्थाओं पर लागू होती है।
- चेक, खाता हस्तांतरण या चुनावी बॉण्ड के माध्यम से किये गए दान पर कटौती लागू होती है।
- आयकर अधिनियम के अनुसार, राजनीतिक दल को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत दल माना जाता है।
- कुल कर रियायतें: वित्त वर्ष 2022-23 में, राजनीतिक दलों को दिये गए दान के लिये कुल कर रियायतें लगभग 3,967.54 करोड़ रुपए थीं।
- सत्र 2021-22 में, कर रियायतें 3,516.47 करोड़ रुपए थीं, जो पिछले वित्त वर्ष से 13% की वृद्धि दर्शाती हैं।
- इन कटौतियों का राजस्व प्रभाव: सत्र 2014-15 से, राजनीतिक दान पर कर रियायतों का कुल राजस्व प्रभाव लगभग 12,270.19 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।
- सत्र 2022-23 में, कर रियायतों में से 2,003.43 करोड़ रुपए धारा 80GGB के तहत कॉर्पोरेट करदाताओं द्वारा दिये गए दान से आए।
- धारा 80GGC के तहत व्यक्तियों द्वारा दावा की गई कटौती 1,862.38 करोड़ रुपए थी।
कर रियायतों में वृद्धि के क्या निहितार्थ हैं?
- बढ़ती चुनावी फंडिंग: राजनीतिक दान के लिये बढ़ती कर रियायतें चुनावी वित्तपोषण में बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती हैं, जो यह सुझाव देती हैं कि राजनीतिक दल निगमों और व्यक्तियों से मिलने वाले योगदान पर अधिक निर्भर हो रहे हैं।
- यह राजनीतिक निर्णय लेने में शक्ति और प्रभाव के संतुलन को संभावित रूप से बदल सकता है।
- पारदर्शिता की आवश्यकता: राजनीतिक दान में वृद्धि के साथ, राजनीतिक प्रक्रिया पर जवाबदेही सुनिश्चित करने और अनुचित प्रभाव को रोकने के लिये राजनीतिक वित्तपोषण में अधिक पारदर्शिता की तत्काल आवश्यकता है।
- रियायतों में तेज़ वृद्धि सार्वजनिक वित्त पर प्रभाव और राजनीतिक वित्तपोषण नीतियों में संभावित सुधारों की आवश्यकता के बारे में सवाल उठाती है।
- राजस्व हानि: बढ़ी हुई कर रियायतें सरकारी राजस्व में महत्त्वपूर्ण कमी ला सकती हैं। यह सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को निधि देने की सरकार की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
- बाज़ार विकृतियाँ: अत्यधिक रियायतें बाज़ार विकृतियाँ उत्पन्न कर सकती हैं, कुछ क्षेत्रों या कंपनियों को दूसरों पर तरजीह दे सकती हैं, जिससे अक्षमताएँ हो सकती हैं।
- सतत् विकास: जबकि कर रियायतें अल्पकालिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं, उन्हें दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है। रियायतों पर अत्यधिक निर्भरता कर आधार और राजकोषीय स्थिति को कमज़ोर कर सकती है।
भारत में राजनीतिक दान पर क्या नियम हैं?
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29B राजनीतिक दलों को सरकारी कंपनियों और विदेशी स्रोतों को छोड़कर किसी भी व्यक्ति या कंपनी से स्वैच्छिक योगदान स्वीकार करने की अनुमति देती है।
- कंपनी अधिनियम, 2013: कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 182 भारतीय कंपनियों को किसी राजनीतिक पार्टी को कोई भी राशि दान करने की अनुमति देती है, जिसके लिये बोर्ड द्वारा प्राधिकरण, गैर-नकद भुगतान एवं कंपनी के लाभ व हानि (P&L) खाते में प्रकटीकरण जैसी शर्तें हैं।
- आयकर अधिनियम, 1961: भारतीय कंपनियाँ और व्यक्ति धारा 80GGB एवं 80GGC के तहत राजनीतिक दलों या चुनावी ट्रस्टों को दिये गए दान पर कर कटौती के लिये पात्र हैं।
- विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (FCRA): जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और FCRA राजनीतिक दलों को 'विदेशी स्रोत' से दान स्वीकार करने से रोकते हैं, लेकिन अनुमत सीमा तक विदेशी निवेश वाली भारतीय कंपनियों को अब 'विदेशी स्रोत' नहीं माना जाता है तथा वे अब कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत राजनीतिक योगदान दे सकती हैं।
- चुनावी बॉण्ड योजना: वर्ष 2018 में शुरू की गई चुनावी बॉण्ड योजना दानकर्त्ताओं को गुमनाम रूप से राजनीतिक दलों को दान देने की अनुमति देती है। बॉण्ड अधिकृत बैंकों के माध्यम से खरीदे जाते हैं और 15 दिनों के लिये वैध होते हैं।
- फरवरी 2024 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉण्ड योजना और संबंधित संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए फैसला सुनाया कि यह योजना सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।
आगे की राह
- कर रियायतों की समीक्षा: राजनीतिक दान पर कर रियायतों के ढाँचे पर पुनर्विचार करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि वे व्यापक राजकोषीय नीतियों के साथ संरेखित हों और सरकारी राजस्व पर अनुचित प्रभाव न डालें।
- कटौतियों पर उचित सीमाएँ निर्धारित करना और राजनीतिक वित्तपोषण के लिये वैकल्पिक तंत्रों की खोज करना वित्तपोषण प्रणाली की स्थिरता को बढ़ा सकता है।
- सार्वजनिक वित्तपोषण: यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनावी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिये सरकारी वित्तीय सहायता को संदर्भित करता है, जिससे निजी दान पर निर्भरता एवं निहित स्वार्थों के संभावित प्रभाव को कम किया जा सके।
- कई देश पिछले चुनाव प्रदर्शन, सदस्यता शुल्क और निजी दान जैसे विभिन्न मानदंडों के आधार पर राजनीतिक दलों को सार्वजनिक वित्तपोषण प्रदान करते हैं। सिएटल जैसी कुछ जगहों ने "लोकतंत्र वाउचर" के साथ प्रयोग किया है, जहाँ पात्र मतदाताओं को अपने चुने हुए उम्मीदवारों को दान करने के लिये वाउचर मिलते हैं।
- बढ़ी हुई पारदर्शिता:चुनावी बॉण्ड के माध्यम से दिये गए दान सहित सभी राजनीतिक दानों का व्यापक खुलासा अनिवार्य किया जाए तथा राजनीतिक वित्त पर कड़ी निगरानी के लिये एक स्वतंत्र आयोग की स्थापना की जाए।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में राजनीतिक दान के लिये कर रियायतों के रुझानों पर चर्चा कीजिये। ये रुझान राजनीतिक वित्त परिदृश्य और राजकोषीय नीति को कैसे प्रभावित करते हैं? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न . भारत में काले धन के सृजन के निम्नलिखित प्रभावों में से कौन-सा भारत सरकार की चिंता का प्रमुख कारण है? (a) स्थावर संपदा के व्रय और विलासितायुक्त आवास में निवेश के लिये संसाधनों का अपयोजन उत्तर:(d) |


भारतीय अर्थव्यवस्था
ग्रामीण और जनजातीय विकास के लिये बजट 2024 में योजनाएँ
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय बजट, संसद, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY), अंतरिम बजट, जल जीवन मिशन, प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM JANMAN) मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में संसद और सरकारी नीतियों का महत्त्व। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद में केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया गया। यह 18वीं लोकसभा का पहला आम बजट था।
- इस बजट में सरकार ने ग्रामीण विकास (PMGSY) और पीएम जनजातीय विकास मिशन (PMJVM) जैसे जनजातीय कल्याण के लिये कई उपायों की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) क्या है?
- परिचय: 25 दिसंबर 2000 को असंबद्ध बस्तियों तक हर मौसम के लिये उपयुक्त सड़क के माध्यम से कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये लॉन्च की गई थी।
- पात्रता: ग्रामीण आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिये कोर नेटवर्क में निर्दिष्ट जनसंख्या आकार (500 + मैदानी क्षेत्रों में और पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों, रेगिस्तान तथा जनजातीय क्षेत्रों में वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 250 +) की असंबद्ध बस्तियाँ।
- एक असंबद्ध बस्ती वह है जिसकी निर्धारित आकार की आबादी किसी बारहमासी सड़क से कम-से-कम 500 मीटर या उससे अधिक (पहाड़ियों के मामले में 1.5 किमी पथ दूरी) की दूरी पर स्थित है।
- कोर नेटवर्क: यह सड़कों (मार्गों) का वह न्यूनतम नेटवर्क है जो कम-से-कम एकल ऑल-वेदर रोड कनेक्टिविटी के माध्यम से चयनित क्षेत्रों में सभी पात्र बस्तियों को आवश्यक सामाजिक और आर्थिक सेवाओं तक बुनियादी पहुँच प्रदान करने के लिये आवश्यक है।
- वित्तपोषण पैटर्न: उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों में योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के संबंध में केंद्र सरकार परियोजना लागत का 90% वहन करती है जबकि अन्य राज्यों के लिये केंद्र सरकार 60% लागत वहन करती है।
- निर्माण मानक: PMGSY के तहत निर्मित ग्रामीण सड़कें भारतीय सड़क कॉन्ग्रेस (IRC) के प्रावधान के अनुसार होंगी, जो वर्ष 1934 से राजमार्ग इंजीनियरों का शीर्ष निकाय रहा है।
- पात्रता: ग्रामीण आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिये कोर नेटवर्क में निर्दिष्ट जनसंख्या आकार (500 + मैदानी क्षेत्रों में और पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों, रेगिस्तान तथा जनजातीय क्षेत्रों में वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 250 +) की असंबद्ध बस्तियाँ।
- PMGSY - चरण-I:
- PMGSY - चरण-I को वर्ष 2000 में 100% केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लॉन्च किया गया था।
- इस योजना के तहत, 1,35,436 बस्तियों को सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने और 3.68 लाख किमी मौजूदा ग्रामीण सड़कों के उन्नयन का लक्ष्य रखा गया था ताकि खेत से बाज़ार तक पूर्ण कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सके।
- PMGSY - चरण-II:
- इसके बाद भारत सरकार ने अपनी समग्र दक्षता में सुधार के लिये मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क के 50,000 किलोमीटर के उन्नयन के लिये वर्ष 2013 में PMGSY-II लॉन्च किया।
- जबकि चल रही PMGSY - I जारी रही, PMGSY चरण-II के तहत, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिये गाँव की कनेक्टिविटी हेतु पहले से बनाई गई सड़कों को उन्नत किया जाना था।
- लागत केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच साझा की गई थी।
- वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिये सड़क संपर्क परियोजना (RCPL WEA), वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिये वर्ष 2016 में शुरू की गई थी।
- PMGSY - चरण-III:
- चरण-III को जुलाई 2019 के दौरान कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- यह सुविधाओं को प्राथमिकता देता है, जैसे:
- ग्रामीण कृषि बाज़ार (GrAMs): GrAM, फार्म गेट के नज़दीक खुदरा कृषि बाज़ार हैं जो किसानों की उपज के अधिक कुशल लेनदेन को बढ़ावा देते हैं और सेवा प्रदान करते हैं।
- उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और
- अस्पताल।
- PMGSY-III योजना के तहत, राज्यों में 1,25,000 किलोमीटर लंबी सड़क को समेकित करने का प्रस्ताव है। योजना की अवधि वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक है।
- योजना की प्रगति: स्वीकृत 8.25 लाख किलोमीटर में से 7 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें पहले ही पूरी हो चुकी हैं, जिस पर 2,70,000 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इसके अतिरिक्त, PMGSY के तहत कुल 1,61,561 असंबद्ध बस्तियों को बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान किया गया है।
- PMGSY - चरण IV:
- केंद्रीय बजट 2024-25 में 25,000 गाँवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने के लिये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के चरण IV की घोषणा की गई है।
- वित्त वर्ष 2024-25 (FY-25) के लिये इसके लिये 19,000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है।
इंडियन रोड्स काॅन्ग्रेस (IRC)
- इसकी स्थापना वर्ष 1934 में सड़क विकास में पेशेवरों और हितधारकों को एकजुट करके भारत में सड़क बुनियादी ढाँचे को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।
- इसके प्रमुख कार्यों में मानक निर्धारित करना, अनुसंधान करना और ज्ञान-साझाकरण कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।
- इसके सदस्य सरकार, निजी उद्योग और शिक्षा जगत से जुड़े हुए हैं।
- यह राष्ट्रीय सड़क नीतियों को प्रभावित करता है, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) जैसी संस्थाओं का समर्थन करता है। यह सड़क निर्माण, रखरखाव में सतत् और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं का समर्थन करता है।
जनजातीय विकास के संबंध में केंद्रीय बजट 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (PM JUGA) का शुभारंभ:
- PM JUGA योजना का शुभारंभ 63,000 गाँवों में जनजातीय परिवारों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिये एक बड़ा प्रयास है।
- यह योजना जनजातीय बहुल गाँवों और आकांक्षी ज़िलों में "संपूर्ण कवरेज़" पर ज़ोर देगी। इससे लगभग 5 करोड़ जनजाति व्यक्तियों को आवश्यक सेवाओं और सामाजिक-आर्थिक अवसरों तक उनकी पहुँच में सुधार करके लाभ मिलने का अनुमान है।
- जनजातियों से संबंधित विभिन्न योजनाओं हेतु बजट आवंटन:
- ST छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) को 6,399 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 से 456 करोड़ रुपए अधिक है।
- EMRS पूरे भारत में अनुसूचित जनजातियों के लिये मॉडल आवासीय विद्यालयों की एक योजना है, जिसे जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत वर्ष 1997-98 में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों के समान विद्यालयों का निर्माण करना है, जिसमें स्थानीय कला, संस्कृति, खेल तथा कौशल विकास के संरक्षण पर ध्यान दिया जाएगा।
- अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिये पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति का आवंटन 1,970.77 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2,432.68 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
- प्रधानमंत्री जन जाति विकास मिशन (PMJVM) को इस वर्ष 136.17 करोड़ रुपए की बजट कटौती का सामना करना पड़ा है।
- PMJVM का उद्देश्य जनजातीय उद्यमिता को मज़बूत करना, आजीविका के अवसरों को सुविधाजनक बनाना और प्राकृतिक संसाधनों, कृषि/गैर-काष्ठ वन उत्पादों (NTFP)/गैर-कृषि उद्यमों के कुशल, न्यायसंगत, स्व-प्रबंधित तथा इष्टतम उपयोग को बढ़ावा देना है।
- पीएम दक्ष योजना का आवंटन 92.47 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 130 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
- यह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।
- अनुसूचित जातियों के लिये राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति योजना हेतु आवंटन 50 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 95 करोड़ रुपए कर दिया गया है, जिससे विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता बढ़ गई है।
- नमस्ते योजना को वित्त वर्ष 2024 में 116.94 करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 97.41 करोड़ रुपए था।
- नमस्ते/NAMASTE का अर्थ है मशीनीकृत स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई।
- वर्ष 2022 में शुरू की गई नमस्ते योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की पहल है जो वर्ष 2007 से के पुनर्वास के लिये स्व-रोज़गार योजना की जगह लेगी। इसे मैनुअल स्कैवेंजर्स (SRMS) वर्ष 2025-26 तक 4,800 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में लागू किया जाएगा।
- इसे भारत में मशीनीकृत सीवर सफाई के माध्यम से मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करके शहरी क्षेत्रों में सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के साथ-साथ इन श्रमिकों को स्थायी आजीविका प्रदान करने हेतु शुरू किया गया है।
- केंद्रीय बजट 2023 में शुरू किये गए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम JANMAN) को केंद्रीय बजट 2024 में 25 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ जारी रखा गया है।
- ST छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) को 6,399 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 से 456 करोड़ रुपए अधिक है।
केंद्रीय बजट (वर्ष 2024-25) में घोषित अन्य योजनाएँ और उनके आवंटन क्या थे?
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY):
- PMAY-G का उद्देश्य: वंचितों को किफायती आवास उपलब्ध कराना, वर्ष 2016 में इसके शुभारंभ के बाद से कुल 2.95 करोड़ ग्रामीण आवास का लक्ष्य है। जुलाई 2024 तक, लगभग 2.94 करोड़ आवास निर्माण को मंज़ूरी दी गई है।
- इकाई लागत में वृद्धि: सरकार ने वर्ष 2024-25 से PMAY-G के तहत इकाई लागत को मैदानी क्षेत्रों में 1.2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए और एकीकृत कार्य योजना (IAP) ज़िलों, पहाड़ी क्षेत्रों एवं दुर्गम क्षेत्रों में 1.3 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.20 लाख रुपए करने का निर्णय किया है।
- IAP भारत में एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य कुछ वंचित क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देना है।
- लक्ष्य और आवंटन: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में PMAY के तहत 3 करोड़ अतिरिक्त आवास।
- इनमें से 54,500 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ PMAY-ग्रामीण (PMAY-G) के तहत गाँवों में 2 करोड़ आवास का निर्माण किया जाएगा।
- जल जीवन मिशन (JJM) (ग्रामीण): आवंटन: 69,926.65 करोड़ रुपए।
- उद्देश्य: सभी ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल आपूर्ति प्रदान करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देना।
- JJM के संदर्भ में: वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया, इसमें वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।
- उपलब्धि: इसने देश भर में 15 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल-जल कनेक्शन प्रदान किया है। इसने वर्ष 2019 से वर्ष 2024 के दौरान ग्रामीण नल कनेक्शन कवरेज को 3 करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ कर दिया है। 8 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने 100% कवरेज हासिल कर लिया है, जबकि बिहार, उत्तराखंड, लद्दाख एवं नगालैंड जैसे अन्य राज्यों ने पर्याप्त प्रगति की है।
- ग्रामीण भूमि सुधार:
- उद्देश्य: इन सुधारों का उद्देश्य ऋण प्रवाह को सुगम बनाना और भूमि प्रबंधन में सुधार करना है, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।
- सुधार:
- विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (भू-आधार) का आवंटन।
- कैडस्ट्रल मानचित्रों का डिजिटलीकरण।
- वर्तमान स्वामित्व के आधार पर मानचित्र उपविभागों का सर्वेक्षण।
- भूमि रजिस्ट्री की स्थापना।
- भूमि अभिलेखों को किसानों की रजिस्ट्री से जोड़ना।
जल जीवन मिशन (शहरी) क्या है?
- बजट 2021-22 में, सतत् विकास लक्ष्य- 6 के अनुसार सभी वैधानिक शहरों में कार्यात्मक नल के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में सभी घरों में जल की आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज़ प्रदान करने के लिये शहरी मामलों के आवास मंत्रालय के तहत जल जीवन मिशन (शहरी) की घोषणा की गई थी।
- बजट 2021-22 में, सतत् विकास लक्ष्य- 6 के अनुसार सभी वैधानिक कस्बों में कार्यात्मक नलों के माध्यम से सभी घरों में जल आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज़ प्रदान करने के लिये आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत जल जीवन मिशन (शहरी) की घोषणा की गई है।
- यह जल जीवन मिशन (ग्रामीण) का पूरक है।
- जल जीवन मिशन (शहरी) के उद्देश्य:
- नल और सीवर कनेक्शन सुरक्षित करना।
- जल निकायों का पुनरुद्धार।
- एक परिपत्र जल अर्थव्यवस्था बनाना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: जनजातीय और ग्रामीण विकास के लिये केंद्र सरकार द्वारा क्या पहल की गई हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. वित्त मंत्री संसद में बजट प्रस्तुत करते हुए उसके साथ अन्य प्रलेख भी प्रस्तुत करते हैं, जिनमें ‘बृहद आर्थिक रुपरेखा विवरण (The Macro Economic Framework Statement)’ भी सम्मिलित रहता है। यह पूर्वोक्त प्रलेख निम्न आदेशन के कारण प्रस्तुत किया जाता है। (a) चिरकालिक संसदीय परंपरा के कारण उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न. पूँजी बजट तथा राजस्व बजट के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिये। इन दोनों बजटों के संघटकों को समझाइये। (2021) |
सामाजिक न्याय
NEP 2020 की 4थी वर्षगांठ
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, मध्याह्न भोजन योजना, सतत् विकास लक्ष्य, PARAKH, NIPUN, भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL), राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन मेन्स के लिये:शिक्षा में सरकारी नीतियों एवं हस्तक्षेपों का महत्त्व और बच्चों से संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने "शिक्षा सप्ताह" नामक एक सप्ताह के अभियान के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की चतुर्थ वर्षगाँठ मनाई।
- यह अभियान NEP 2020 की उपलब्धियों और उद्देश्यों को बढ़ावा देने तथा उनका उत्सव मनाने के लिये बनाया गया है।
शिक्षा सप्ताह के तहत क्या पहल की गई हैं?
- विद्यांजलि कार्यक्रम:
- वर्ष 2021 में शुरू किया गया, यह स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा एक पहल है, जो समुदाय के सदस्यों एवं स्वयंसेवकों को एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों से जोड़ता है।
- विद्यांजलि पोर्टल पूर्व छात्रों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों और अन्य लोगों को भारत भर के स्कूलों में सेवाओं, सामग्रियों या विशेषज्ञता का योगदान करने में सक्षम बनाता है, जो NEP- 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप स्कूलों, स्वयंसेवकों एवं समुदाय को एकीकृत करके अधिगम के माहौल को बेहतर करता है।
- तिथि भोजन:
- इस पहल के तहत, समुदाय के लोग मिड डे मील योजना में योगदान देकर बच्चे के जन्म, विवाह, जन्मदिन आदि जैसे महत्त्वपूर्ण दिन मनाते हैं।
- तिथि भोजन मिड डे मील का विकल्प नहीं है, बल्कि यह मिड डे मील का पूरक है।
- नवीनतम मेनू को बढ़ावा देने के लिये ब्लॉक, ज़िला और राज्य स्तर पर पाक कला प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्या है?
- परिचय:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए 21वीं सदी के लक्ष्यों और सतत् विकास लक्ष्य 4 (SDG4) को पूरा करने के लिये शिक्षा प्रणाली में सुधार करके भारत की उभरती विकास आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- इसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 का स्थान लिया, जिसे वर्ष 1992 में संशोधित किया गया था।
- मुख्य विशेषताएँ:
- सार्वभौमिक पहुँच: NEP 2020 प्री-स्कूल से लेकर माध्यमिक स्तर तक स्कूली शिक्षा के सार्वभौमिक अभिगम पर केंद्रित है।
- प्रारंभिक बाल शिक्षा: 10+2 संरचना 5+3+3+4 प्रणाली में स्थानांतरित हो जाएगी, जिसमें 3-6 वर्ष के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाया जाएगा, जिसमें प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education- ECCE) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- बहुभाषावाद: कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा होगी, जिसमें संस्कृत और अन्य भाषाओं के विकल्प भी होंगे। भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) को मानकीकृत किया जाएगा।
- समावेशी शिक्षा: सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित समूहों (SEDG) को विशेष प्रोत्साहन, दिव्यांग बच्चों के लिये सहायता और "बाल भवन" की स्थापना।
- सकल नामांकन अनुपात (GER) वृद्धि: वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात को 26.3% से बढ़ाकर 50% करने का लक्ष्य 3.5 करोड़ नए नामांकन जोड़ना है।
- अनुसंधान फोकस: अनुसंधान संस्कृति और क्षमता को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का निर्माण।
- भाषा संरक्षण: अनुवाद और व्याख्या संस्थान (IITI) सहित भारतीय भाषाओं के लिये समर्थन एवं भाषा विभागों को मज़बूत करना।
- अंतर्राष्ट्रीयकरण: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा और शीर्ष क्रम वाले विदेशी विश्वविद्यालयों का आगमन।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2023 में UGC ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने की सुविधा प्रदान करने के लिये विनियम जारी किये।
- फंडिंग: शिक्षा में सार्वजनिक निवेश को सकल घरेलू उत्पाद के 6% तक बढ़ाने के लिये संयुक्त प्रयास।
- परख मूल्यांकन केंद्र: राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र के रूप में परख (समग्र विकास के लिये प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) की स्थापना शिक्षा में योग्यता को आधार बनाने तथा समग्र मूल्यांकन करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- लिंग समावेशन निधि: यह नीति एक लिंग समावेशन निधि की शुरुआत करती है, जो शिक्षा में लैंगिक समानता के महत्त्व पर ज़ोर देती है और वंचित समूहों को सशक्त बनाने की पहल का समर्थन करती है।
- विशेष शिक्षा क्षेत्र: वंचित क्षेत्रों और समूहों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विशेष शिक्षा क्षेत्रों की कल्पना की गई है, जो सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच की नीति की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हैं।
निपुण भारत मिशन की उपलब्धियाँ क्या हैं?
- परिचय:
- NEP 2020 की एक प्रमुख सिफारिश यह सुनिश्चित करना थी कि बच्चे कक्षा 3 तक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक कौशल विकसित कर लें।।
- इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये, केंद्र ने वर्ष 2021 में निपुण (बेहतर समझ और संख्यात्मक ज्ञान के साथ शिक्षा में प्रवीणता के लिये राष्ट्रीय पहल) भारत मिशन की शुरुआत की।
- जनसांख्यिकीय रुझान:
- सर्व शिक्षा अभियान के कारण 6-14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के नामांकन स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2000 के दशक के प्रारंभ तक ग्रामीण भारत में 90% से अधिक तक पहुँच गया।
- वर्ष 2010 और वर्ष 2022 के बीच, 4-8 वर्ष की आयु के बच्चों वाली माताओं का प्रतिशत, जिन्होंने कक्षा 5 से आगे शिक्षा प्राप्त की है, 35% से बढ़कर लगभग 60% हो गया है।
- 10 वर्ष से अधिक स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाली माताओं का अनुपात भी 10% से बढ़कर 20% से अधिक हो गया।
- शिक्षा में वृद्धि के बावजूद, भारत में महिला श्रमबल भागीदारी 37% पर बनी हुई है, तथा युवा महिलाओं (15-29 वर्ष) की भागीदारी दर और भी कम है।
- शिक्षित माताएँ अपने बच्चों की शिक्षा में महत्त्वपूर्ण रूप से सहयोग कर सकती हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में युवा पुरुषों की कार्यबल में उच्च भागीदारी को देखते हुए।
- कोविड-19 महामारी ने शिक्षा में अभिभावकों की भागीदारी बढ़ा दी है, जिससे अधिक सहभागिता के लिये एक मिसाल कायम हुई है।
- निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये, बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता में सुधार हेतु परिवार, विशेष रूप से मातृ भागीदारी को तथा अधिक प्रोत्साहित करना महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न. समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये NEP 2020 में प्रस्तावित उपायों पर चर्चा कीजिये। नीति सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों (SEDG) को समर्थन देने की योजना कैसे बनाती है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से मूलतः 'समावेशी शासन' के अंग कहे जा सकते हैं?(2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 धारणीय विकास लक्ष्य-4 (2030) के साथ अनुरूपता में है। उसका ध्येय भारत में शिक्षा प्रणाली की पुनःसंरचना और पुनःस्थापना है। इस कथन का समालोचनात्मक निरीक्षण कीजिये। (2020) |