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डेली न्यूज़

  • 13 Jul, 2023
  • 52 min read
शासन व्यवस्था

सरकार ने GSTN को PMLA के दायरे में शामिल किया

प्रिलिम्स के लिये:

PMLA, GSTN, वित्तीय खुफिया इकाई, वस्तु एवं सेवा कर (GST)

मेन्स के लिये:

धन शोधन से निपटने के लिये भारत में कानूनी और नियामक ढाँचा, धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) और इसके उद्देश्य, धन शोधन का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (Goods and Services Tax Network- GSTN) को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act- PMLA) के दायरे में लाए जाने हेतु एक अधिसूचना जारी की। 

  • यह बदलाव धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 66 (जो सूचना के खुलासे का प्रावधान करती है) के तहत किया गया है। 

GSTN को PMLA के दायरे में शामिल करने का कारण:

  • सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का उद्देश्य धन शोधन और वस्तु एवं सेवा कर संबंधी धोखाधड़ी से निपटने के प्रयासों को और मज़बूती प्रदान करना है।
  • यह अधिसूचना वर्ष 2006 की अधिसूचना का संशोधित रूप है, इससे PMLA अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत GSTN, प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate- ED) और वित्तीय खुफिया इकाई (Financial Intelligence Unit- FIU) के बीच जानकारी के बेहतर साझाकरण की सुविधा प्राप्त होती है।
  • हाल ही में फर्जी पंजीकरण के खिलाफ दो महीने की लंबी मुहिम में फील्ड कर अधिकारियों द्वारा भौतिक सत्यापन के लिये 69,600 से अधिक संदिग्ध GST पहचान संख्याओं को चिह्नित किया गया था।
    • इनमें से 59,000 से अधिक का सत्यापन किया गया और 25% के विषय में कुछ खास जानकारी नहीं मिली।

वस्तु और सेवा कर नेटवर्क (GSTN): 

  • GSTN भारत में GST के लिये एक अप्रत्यक्ष कराधान मंच प्रदान करता है।
  • यह प्लेटफॉर्म करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने, भुगतान करने और अप्रत्यक्ष कर नियमों का अनुपालन करने में मदद करता है।
  • यह केंद्र और राज्य सरकारों, करदाताओं तथा अन्य हितधारकों को सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचा एवं सेवाएँ प्रदान करता है।
  • GSTN एक सरकारी स्वामित्व और सीमित देनदारी वाली गैर-लाभकारी कंपनी है। इसे वर्ष 2013 में कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 (अब कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8) के तहत शामिल किया गया था।
  • इसमें एक अध्यक्ष होता है जिसकी नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है।
  • GSTN बोर्ड ने जून 2022 में आयोजित अपनी 49वीं बोर्ड बैठक में इसे सरकारी कंपनी में बदलने की मंज़ूरी दी, अतः इसमें 100% हिस्सेदारी सरकार (50% केंद्र सरकार के साथ और 50% राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ संयुक्त रूप से) के पास होगी। 

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002: 

  • पृष्ठभूमि: 
  • परिचय: 
    • यह आपराधिक कानून है जो धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिये बनाया गया है।
    • यह मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढाँचे का मूल है। 
    • इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों (RBI सहित), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
  • उद्देश्य: 
    • आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से लूटी गई, उत्पन्न या अपराध के माध्यम से अर्जित की गई आय को अभिग्रहित करना और जब्त करना।
    • मनी लॉन्ड्रिंग एवं आतंकवादी वित्तपोषण की रोकथाम के लिये एक कानूनी ढाँचा स्थापित करना।
    • मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों की जाँच तथा अभियोजन के लिये तंत्र को मज़बूत और बेहतर बनाना।
    • मनी लॉन्ड्रिंग तथा उससे संबंधित अपराधों के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना।
  • नियामक प्राधिकरण: 
    •  प्रवर्तन निदेशालय (ED):
      • प्रवर्तन निदेशालय PMLA के प्रावधानों को लागू करने के साथ मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की जाँच के लिये उत्तरदायी है।
    • वित्तीय आसूचना इकाई-भारत (FIU-IND): 
      • यह भारत सरकार के राजस्व विभाग की इकाई है।
      • यह मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों के बारे में वित्तीय जानकारी एकत्र करती है।
      • PMLA, 2002 के अंर्तगत संचालित है।
      • PMLA की धारा 12 के तहत रिपोर्टिंग संस्थाओं को लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक है।
      • FIU-IND के निदेशक को निर्धारित लेन-देन पर जानकारी प्रस्तुत करने के साथ  ग्राहकों और लाभकारी मालिकों की पहचान सत्यापित करने की आवश्यकता होती है।
      • यह प्रवर्तन संस्थानों और विदेशी FIUs के साथ सहयोग करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स GST)' के क्रियान्वित किये जाने का/के सर्वाधिक संभावित लाभ क्या है/हैं? (2017) 

  1. यह भारत में बहु प्राधिकरणों द्वारा वसूल किये जा रहे बहु करों का स्थान लेगा और इस प्रकार एकल बाज़ार स्थापित करेगा।
  2. यह भारत के 'चालू खाता घाटे' को प्रबलता से कम कर उसके विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने हेतु उसे सक्षम बनाएगा।
  3. यह भारत की अर्थव्यवस्था की समृद्धि एवं आकार को बृहद रूप से बढ़ाएगा और उसे निकट भविष्य में चीन से आगे निकल जाने योग्य बनाएगा।

निम्नलिखित कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a) 


मेन्स:

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021)

प्रश्न. वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 के तर्काधार की व्याख्या कीजिये। कोविड-19 ने कैसे वस्तु एवं सेवा कर क्षतिपूर्ति निधि (जी.एस.टी कॉम्पेंसेशन फंड) को प्रभावित और नए संघीय तनावों को  उत्पन्न किया है? (2020) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

सामाजिक उद्यमिता

प्रिलिम्स के लिये:

सामाजिक उद्यमिता, सामाजिक ट्रेलब्लेज़र कार्यक्रम, ESG, प्रभाव निवेशक परिषद

मेन्स के लिये:

भारत में सामाजिक उद्यमिता की आवश्यकता और संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की साझेदारी में इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद (IRMA) द्वारा आयोजित एक सामाजिक उद्यम सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए भारत में सामाजिक उद्यमिता पारितंत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से सामाजिक ट्रेलब्‍लेज़र कार्यक्रम के दूसरे संस्‍करण का शुभारंभ किया।

सोशल ट्रेलब्लेज़र कार्यक्रम:

  • परिचय: 
    • यह सामाजिक उद्यमों और उद्यमियों के विकास के लिये एक कार्यक्रम है, जो प्रारंभिक चरण के ग्रामीण, सामाजिक तथा सामूहिक उद्यमों का पोषण करता है।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय सामाजिक उद्यमों के विकसित पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करना है।
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य सामाजिक उद्यम कार्यक्रम को बढ़ावा देना है ताकि सामाजिक उद्यम के विकास और सामाजिक निवेश को बढ़ाया जा सके तथा सामाजिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं को दूर किया जा सके। 
  • केंद्र बिंदु के क्षेत्र:
    • कृषि
    • हरित प्रौद्योगिकी
    • वित्त प्रौद्योगिकी
    • शिक्षा
    • नवीकरणीय ऊर्जा 
    • स्वास्थ्य देखभाल और जीवन विज्ञान
    • मानव संसाधन
    • विपणन
    • सामाजिक प्रभाव
    • अपशिष्ट प्रबंधन
  • प्रमुख प्रोत्साहन: शीर्ष 10-12 चयनित स्टार्टअप को इक्विटी फंडिंग के रूप में 25,00,000 रुपए तक और ग्रांट फंडिंग के रूप में 5,00,000 रुपए तक का वित्तीय अनुदान दिया जाता है।
    • IRMA ISEED फाउंडेशन द्वारा 1 वर्ष का पर्सनालाइज्ड इन्क्युबेशन एंड एक्सेलरेशन सपोर्ट।
    • टॉप-अप प्रोत्साहन: IRMA ISEED's नेटवर्क से 50,00,000 रुपए तक का फॉलो-ऑन निवेश।
      • 1000 अमेरिकी डॉलर तक की AWS (अमेज़न वेब सर्विसेज़) क्रेडिट और प्रौद्योगिकी सहायता। 

सामाजिक उद्यमिता: 

  • परिचय: 
    • सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिये व्यावसायिक मॉडल का उपयोग करने की प्रथा को सामाजिक उद्यमिता कहा जाता है।
    • सामाजिक उद्यमियों को सामाजिक नवप्रवर्तक के रूप में भी जाना जाता है, ये नवीन विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। उनका लक्ष्य राजस्व और मुनाफा पैदा करने के साथ-साथ सामाजिक प्रभाव भी उत्पन्न करना है।
    • वे समस्याओं की पहचान करके बदलाव लाने के लिये आवश्यक समाधान की खोज करते हैं। सामाजिक उद्यमिता सामाजिक रूप से उत्तरदायित्वपूर्ण निवेश एवं पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) निवेश जैसे रुझानों के साथ संरेखित होती है।
      • उदाहरण: शैक्षिक कार्यक्रम अथवा वंचित क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करना तथा महामारी रोग से अनाथ बच्चों की मदद करना।
  • प्रकार: 
    • सामुदायिक पहल:
      • सामुदायिक पहल एक लघु पैमाने की परियोजना है जिसका उद्देश्य किसी समुदाय के भीतर एक विशिष्ट मुद्दे का समाधान करना है। यह बड़ी अर्थव्यवस्था से असंबद्ध और हाशिये पर जी रहे लोगों तथा वंचित समुदायों के लिये विशेष रूप से फायदेमंद है।
    • गैर-लाभकारी संगठन:  
      • गैर-लाभकारी संगठन एक ऐसा समूह है जो लाभ न कमाने के इरादे से स्थापित किया जाता है और जिसमें संगठन के राजस्व का कोई भी हिस्सा उसके निदेशकों, अधिकारियों अथवा सदस्यों को नहीं जाता है।
    • सामाजिक उद्यम:  
      • ऐसा संगठन जो मौद्रिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण में प्रगति को अनुकूलित करने के लिये व्यावसायिक रणनीति का उपयोग करता है उसे सामाजिक उद्यम कहा जाता है। यह सह-मालिकों के सामाजिक प्रभाव और मुनाफा दोनों में वृद्धि कर सकता है।
    • सहकारी संस्था:  
      • सहकारी संस्था लोगों का एक स्वतंत्र समूह है जो लोकतांत्रिक रूप से संचालित और सामूहिक स्वामित्व वाले व्यवसाय के माध्यम से समान आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक लक्ष्यों के लिये काम करने हेतु स्वैच्छिक रूप से एकजुट होते हैं।
    • सामाजिक व्यावसायिक जागरूकता:  
      • सामाजिक चेतना को अन्याय के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता एवं ज़िम्मेदारी की भावना रखने वाला माना जाता है। समाज के भीतर व्यक्तियों की जागरूकता चेतना से संबंधित होती है। 
  • उपलब्धियाँ: 
    • इम्पैक्ट इन्वेस्टर्स काउंसिल (ICC) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 600 से अधिक प्रभावशाली फर्मों में 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया गया है, जिनका 500 मिलियन लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • 226 मिलियन से अधिक बच्चों और किशोरों के लिये शिक्षा में सुधार के अतिरिक्त इन सामाजिक उद्यमियों ने 192 मिलियन टन से अधिक CO2 को कम करने में सहायता प्रदान की है।  
    • उन्होंने 25 मिलियन से अधिक व्यक्तियों के लिये सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने के साथ 100 मिलियन से अधिक लोगों की विद्युत तक पहुँच प्राप्त करने में सहायता की है। 

अधिक सामाजिक उद्यमियों की आवश्यकता: 

  • सामाजिक समस्याओं से निपटना: 
    • सामाजिक प्रभाव वाले उद्यमियों में बड़े पैमाने पर महत्त्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन लाने की क्षमता होती है। पारंपरिक दृष्टिकोण के विपरीत वे जोखिम लेने के लिये तैयार होते हैं।
    • वे समाज को लाभ पहुँचाने वाले स्थायी समाधान विकसित करने के लिये अपनी व्यावसायिक विशेषज्ञता और नवोन्वेषी सोच का उपयोग करते हैं।
  • समावेशी विकास को प्रोत्साहन: 
    • हाल के वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावशाली रही है, इसके साथ ही यह समावेशी नहीं रही है। अमीर और गरीब के बीच एक महत्त्वपूर्ण अंतर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप हाशिये पर रहने वाले कई समुदाय पीछे रह गए हैं।
    • सामाजिक उद्यमी हाशिये पर मौजूद समुदायों के लिये अवसरों का सृजन करके समावेशी विकास को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से निपटना: 
    • भारत वायु तथा जल प्रदूषण, वनों की कटाई एवं जलवायु परिवर्तन सहित महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। सामाजिक उद्यमी इन चुनौतियों का  स्थायी समाधान खोज सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिये वे ऐसे उद्यम निर्मित कर सकते हैं जो नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं, अपशिष्ट को कम करने के साथ टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देते हैं। ऐसा करके वे पर्यावरण की रक्षा एवं सतत् विकास को बढ़ावा देने में सहायता कर सकते हैं।
  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच अंतर को समाप्त करना: 
    • सामाजिक उद्यमी, सामाजिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं के स्थायी समाधान के लिये सरकार के साथ कार्य कर सकते हैं।
      • ऐसा करके वे अधिक महत्त्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव उत्पन्न करने के लिये सार्वजनिक संसाधनों और नीतियों का लाभ उठा सकते हैं।
    • वे पूंजी, प्रौद्योगिकी तथा विशेषज्ञता तक पहुँच के लिये निजी क्षेत्र के साथ भी कार्य कर सकते हैं, जिससे अधिक नवीन और प्रभावी समाधान प्राप्त हो सकेंगे।

भारत में सामाजिक उद्यमिता के समक्ष चुनौतियाँ:

  • भावी मुद्दे एवं चिंताएँ:
    • सामाजिक उद्यमियों को अधिक जनसंख्या और टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों जैसे भविष्य के संभावित मुद्दों से निपटना पड़ता हैं, जिससे उन निवेशकों को आकर्षित करना कठिन हो जाता है जो सुरक्षित, लाभ-संचालित परियोजनाओं की ओर अधिक इच्छुक होते हैं।
  • व्यवसाय रणनीति: 
    • सामाजिक उद्यमियों को एक मज़बूत व्यावसायिक रणनीति विकसित करने की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है। बाज़ार की वास्तविकताओं के साथ ग्राहकों की ज़रूरतों के अनुरूप एक ठोस व्यवसाय योजना बनाने के लिये उन्हें वकीलों, एकाउंटेंट तथा अनुभवी उद्यमियों जैसे पेशेवरों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
  • वित्तीय सहायता की कमी:  
    • पारंपरिक व्यवसायों के विपरीत सामाजिक उद्यमिता को अधिकतर सामाजिक परिणामों के साथ वित्तीय प्रतिफल (Financial Returns) को संतुलित करना पड़ता है, जो उन्हें निवेशकों या दानदाताओं के लिये कम आकर्षक बना सकता है। इसके अलावा वे जिन सामाजिक समस्याओं का समाधान करते हैं उनकी जटिल और गतिशील प्रकृति के कारण उन्हें उच्च लागत, जोखिम तथा अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • संतुलन का अभाव:
    • सामाजिक उद्यमिता बहुत अधिक मांग वाली और तनावपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इसमें जटिल और जरूरी मुद्दों से निपटना, कई दबावों और अपेक्षाओं का सामना करना और बलिदान देना और समझौता करना शामिल है।
    • इससे बर्नआउट (Burnout), थकावट या प्रेरणा की कमी हो सकती है, जो उनकी कुशलता और प्रभावकारिता को प्रभावित कर सकता है।

आगे की राह  

  • पिछले कुछ वर्षों में सामाजिक उद्यमिता की भावना विकसित हुई है और इसने नवीन एवं लाभदायक विचार प्रस्तुत किये हैं जो सामाजिक समस्याओं का समाधान करती है।
    • भारत का सामाजिक उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र दुनिया में सबसे विकसित है। यह स्थानीय साझेदारों के साथ सहयोग करने, उनके अनुभवों से सीखने और शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, नवीकरणीय ऊर्जा, विनिर्माण तथा कौशल विकास के क्षेत्रों में देश की कई सामाजिक समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने के अनेक अवसर प्रदान करती है।
  • समय की मांग है कि सामाजिक उद्यमियों के लिये कार्यक्रमों को अपनाने, महामारी से प्रेरित अंतराल को पाटने, मौजूदा पहलों को बढ़ावा देने और मुख्यधारा की प्रतिक्रिया प्रणाली का हिस्सा बनने के लिये एक सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र होना चाहिये।

स्रोत : पी.आई.बी


भूगोल

समुद्री हीटवेव और उसके प्रभाव

प्रिलिम्स के लिये:

समुद्री हीटवेव, बंगाल की खाड़ी, कोरल ब्लीचिंग, महासागरीय धाराएँ, अल नीनो, सोमाली जेट धाराएँ

मेन्स के लिये:

समुद्री हीटवेव और उसके प्रभाव

चर्चा में क्यों? 

28 जून, 2023 से बंगाल की उत्तरी खाड़ी में तीव्र समुद्री हीटवेव की घटना के कारण भारत में सामान्य तौर पर शुष्क उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा हो रही है।

समुद्री हीटवेव: 

  • समुद्री सतह तापमान (Sea Surface Temperature- SST) के लंबे समय तक असामान्य रूप से उच्च रहने की स्थिति को समुद्री हीटवेव कहते हैं।
  • ये घटनाएँ प्रवाल विरंजन, समुद्री घास के नष्ट होने और केल्प वनों के नुकसान से जुड़ी हुई हैं, ये मत्स्य पालन क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
  • महासागरीय धाराएँ समुद्री हीटवेव का सबसे आम कारक है जो गर्म जल और वायु-समुद्र ताप प्रवाह के क्षेत्रों का निर्माण कर सकती हैं अथवा वायुमंडल में समुद्र की सतह के माध्यम से गर्मी में वृद्धि कर सकती हैं।
    • हवाएँ भी समुद्री हीटवेव के कारण उत्पन्न होने वाली गर्मी को प्रभावित कर सकती हैं तथा अल नीनो जैसे जलवायवीय कारक कुछ क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं की संभावना में बदलाव कर सकते हैं।

उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा पर समुद्री हीटवेव का प्रभाव: 

  • बंगाल की खाड़ी में समुद्री हीटवेव के कारण समुद्र की सतह का तापमान बढ़ता है, जिससे वाष्पीकरण की दर में वृद्धि होने से वातावरण में नमी भी बढ़ती जाती है। नमी की इस अधिकता के कारण उत्तर-पश्चिम भारत में औसत से अधिक वर्षा होने की काफी संभावना बन जाती है।
  • समुद्री हीटवेव के कारण बंगाल की खाड़ी में अवदाबों (Depressions) के निर्माण और प्रकृति पर प्रभाव पड़ने से अवदाबों की आवृत्ति (3-10 दिनों में घटित होना) तथा तीव्रता में वृद्धि देखी गई है।
    • अवदाब, जो कि कम दबाव वाली प्रणालियाँ हैं, मानसून और वर्षा के पैटर्न में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • समुद्री हीटवेव ने अवदाब के बदलते समयमान के साथ इन मौसम प्रणालियों के पथ और प्रक्षेपवक्र को प्रभावित किया। अवदाब उत्तर-मध्य भारत के बजाय उत्तर-पश्चिम भारत की ओर अधिक बढ़ गया, जिससे उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में औसत से अधिक वर्षा हुई।

समुद्री हीटवेव के अन्य प्रभाव: 

  • पारिस्थितिकी तंत्र संरचना को प्रभावित करना:
    • समुद्री हीटवेव कुछ प्रजातियों का समर्थन करके और दूसरों को दबाकर पारिस्थितिकी तंत्र संरचना को प्रभावित करती है।
    • यह समुद्री अकशेरुकी जीवों की बड़े पैमाने पर मृत्यु दर से जुड़ा हुआ है और इस तरह से प्रजातियों को परिवर्तित होने के लिये मजबूर कर सकता है जिससे वन्यजीवों को खतरा बढ़ जाता है।
  • कुछ प्रजातियों की पर्यावास सीमाएँ बदलना:
    • समुद्री हीटवेव कुछ प्रजातियों के निवास स्थान को बदल सकती है, जैसे कि दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में कांटेदार समुद्री अर्चिन, जो केल्प वनों, जहाँ से ये भोजन ग्रहण करते हैं, की कीमत पर तस्मानिया में दक्षिण की ओर फैल रहे हैं।
  • आर्थिक हानि: 
    • समुद्री हीटवेव मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर प्रभाव डालकर आर्थिक हानि पहुँचा सकती है।
  • जैवविविधता पर प्रभाव:
    • समुद्री हीटवेव से जैवविविधता काफी प्रभावित हो सकती है।
      • वर्ष 2020 के एक अध्ययन (उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर के ऊपर समुद्री हीटवेव की उत्पत्ति एवं रुझान के साथ भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछली समुद्री हीटवेव के कारण तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में 85% मूँगों का विरंजन हुआ।
  • डी-ऑक्सीजनेशन और अम्लीकरण का जोखिम:
    • प्राय: ये समुद्र के अम्लीकरण, डी-ऑक्सीजनेशन तथा अत्यधिक मछली पकड़ने जैसे अन्य तनाव के कारक हैं।
    • ऐसे मामलों में MHW न केवल आवासों को अत्यधिक हानि पहुँचाते हैं, बल्कि डी-ऑक्सीजनेशन के साथ अम्लीकरण के जोखिम को भी बढ़ाते हैं।

बंगाल की खाड़ी का मानसून पर प्रभाव: 

  • नमी का स्रोत:  
    • बंगाल की खाड़ी के ऊपर गर्म और आर्द्र वायु द्रव्यमान आवश्यक नमी प्रदान करता है जिसे मानसूनी पवनें भारतीय उपमहाद्वीप की ओर ले जाती हैं।
  • ऊष्मा विनिमय:  
    • बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान गर्म रहता है, विशेषकर इसके उत्तरी भाग में। मानसून के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप का भू-भाग गर्म हो जाता है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बनता है। गर्म हवा ऊपर उठने लगती है तथा साथ ही बंगाल की खाड़ी से चलने वाली ठंडी पवनें उसका स्थान ले लेती हैं, जिससे दबाव में कमी आती है। इस प्रवण दबाव के फलस्वरूप बंगाल की खाड़ी से नम पवनों को प्राप्त करने में सहायता प्राप्त होती है, जो मानसूनी वर्षा में योगदान देता है। 
  • मानसूनी पवनों का यू-टर्न :  
    • अरब सागर के ऊपर दक्षिण-पश्चिम से चलने वाली मानसूनी पवनें बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती हैं। जब वे बंगाल की खाड़ी में पहुँचती हैं, तो वे यू-टर्न लेते हुए उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ना प्रारंभ कर देती हैं, अंततः भारत के विभिन्न भागों में वर्षा करती हैं।
    • बंगाल की खाड़ी में गर्म तापमान इस यू-टर्न और भारतीय उपमहाद्वीप में नमी के परिवहन की सुविधा प्रदान करता है।
  • निम्न-स्तरीय जेट स्ट्रीम:  
    • बंगाल की खाड़ी निम्न-स्तरीय जेट स्ट्रीम के गठन और तीव्रता को भी प्रभावित करती है, जिसे सोमाली जेट के रूप में जाना जाता है। 
    • यह जेट स्ट्रीम भूमध्यरेखीय हिंद महासागर से भारतीय उपमहाद्वीप तक नमी के परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • बंगाल की खाड़ी में गर्म समुद्री सतह का तापमान इस निम्न-स्तरीय जेट को मज़बूत करने में योगदान देता है, जिससे मानसून के मौसम के दौरान नमी बढ़ जाती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स: 

प्रश्न: आप कहाँ तक सहमत हैं कि मानवीकारी दृश्भूमियों के कारण भारतीय मानसून के आचरण में परिवर्तन होता रहा है? चर्चा कीजिये। (2015)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


भारतीय राजनीति

प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख के कार्यकाल विस्तार पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999; धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002; सर्वोच्च न्यायालय; प्रवर्तन निदेशालय; केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003; दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946; परमादेश (Mandamus), धन शोधन 

मेन्स के लिये:

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की संरचना और कार्य

चर्चा में क्यों?  

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक को निर्धारित कट-ऑफ तिथि से परे दिये गए दो कार्यकाल विस्तार को "कानूनी रूप से वैध नहीं" घोषित किया है।

  • यद्यपि न्यायालय ने निदेशक को 31 जुलाई तक पद पर बने रहने की अनुमति दी, लेकिन इससे उनका समग्र कार्यकाल कम हो गया।

मामले की पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति: 

  • वर्तमान निदेशक को नवंबर 2018 में दो वर्ष की अवधि के लिये नियुक्त किया गया था। नवंबर 2020 में उनका कार्यकाल तीन वर्ष  के लिये बढ़ा दिया गया था, जिसे बाद में याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई थी।
    • वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन एक विशिष्ट परमादेश जारी किया था जिसमें आगे के विस्तार पर रोक लगाई गई थी।
  • बाद में सरकार ने स्वयं को तीन वर्षीय कार्यकाल विस्तार की शक्तियाँ प्रदान करने के लिये केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 में संशोधन किया।
    • संशोधनों को यह तर्क देते हुए चुनौती दी गई थी कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पिछले निर्देश का खंडन किया है जिसमें CBI प्रमुख (विनीत नारायण केस) जैसे शीर्ष अधिकारियों के लिये निश्चित कार्यकाल की वकालत की गई थी।
  • अदालत ने फैसला सुनाया कि संशोधन संवैधानिक थे, लेकिन ED के निदेशक को दिये गए विशिष्ट विस्तार को अमान्य घोषित कर दिया, क्योंकि उन्होंने पहले के परमादेश का उल्लंघन किया था।

नोट: ED निदेशक की नियुक्ति CVC अधिनियम, 2003 की धारा 25 के तहत की जाती है। केंद्र सरकार एक चयन समिति की सिफारिश पर ED के निदेशक की नियुक्ति करती है। समिति में CVC अध्यक्ष, सतर्कता आयुक्त, गृह मंत्रालय, कार्मिक मंत्रालय और केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के सचिव शामिल हैं।

परमादेश:

  • परमादेश किसी सार्वजनिक निकाय, न्यायाधिकरण, निगम या निचली अदालत द्वारा जारी एक रिट या आदेश को संदर्भित करता है, जो उन्हें एक विशिष्ट कानूनी कर्तव्य निभाने का निर्देश देता है जिसे पूरा करने के लिये वे बाध्य हैं।
    • यह लैटिन शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है "हम आदेश देते हैं"।  
  • भारत में इसका उपयोग नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिये किया जाता है जब राज्य या उसकी संस्थाओं द्वारा उनका उल्लंघन किया जाता है। इसका उपयोग प्राधिकारियों द्वारा शक्ति या विवेक के दुरुपयोग को रोकने के लिये भी किया जाता है।
    • यह भारत में केवल सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालयों द्वारा क्रमशः संविधान के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 के अंर्तगत ही जारी किया जाता है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED):

  • परिचय:  
    • ED एक बहु-विषयक संगठन है जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों के साथ विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जाँच करने का अधिकार है।
    • यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत संचालित होता है।
  • स्थापना:  
    • वर्ष 1956 में विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया था।
    • वर्ष 1957 में इस यूनिट का नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया।
    • वर्ष 1960 में इस निदेशालय के प्रशासनिक नियंत्रण का कार्यभार आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार को सौंप दिया गया था।
  • प्रवर्तन निदेशालय के कानून:  
    • प्रवर्तन निदेशालय निम्नलिखित कानून लागू करता है: 
  • संरचना:  
    • प्रवर्तन निदेशालय का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक द्वारा किया जाता है, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
    • मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में स्थित पाँच क्षेत्रीय कार्यालय की अध्यक्षता विशेष प्रवर्तन निदेशक द्वारा की जाती है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

अटल वयो अभ्युदय योजना

प्रिलिम्स के लिये:

अटल वयो अभ्युदय योजना, वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मुद्दे, IPSrC, RVY, BPL, NPOL

मेन्स के लिये:

अटल वयो अभ्युदय योजना 

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार का सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अपने सभी नागरिकों के लिये एक समावेशी एवं न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में काम कर रहा है तथा अटल वयो अभ्युदय योजना (AVYAY) उस दिशा में एक कदम है। 

अटल वयो अभ्युदय योजना: 

  • परिचय: 
    • पहले AVYAY को वरिष्ठ नागरिकों के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPSrc) के रूप में जाना जाता था, जिसे अप्रैल 2021 में नया रूप दिया गया और इसका नाम बदलकर अटल वयो अभ्युदय योजना कर दिया गया।
    • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य भारत में वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाना है।
  • उद्देश्य:
    • यह योजना वरिष्ठ नागरिकों द्वारा समाज में किये गए अमूल्य योगदान को मान्यता देती है और उनके कल्याण तथा सामाजिक समावेश सुनिश्चित करना चाहती है।
    • समाज में बुजुर्गों के अमूल्य योगदान को मान्यता देकर सरकार का लक्ष्य उन्हें सशक्त बनाने के साथ उनका उत्थान करना है, जिससे जीवन के सभी पहलुओं में उनकी सक्रिय भागीदारी और समावेश सुनिश्चित हो सके।
  • घटक: 
    • वरिष्ठ नागरिकों के लिये एकीकृत कार्यक्रम (IPSrC): यह वरिष्ठ नागरिकों, विशेष रूप से गरीब वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये बुनियादी सुविधाएँ आदि प्रदान करके वरिष्ठ नागरिकों  के साथ उनकी सतत् देखभाल के लिये पात्र संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।.  
    • राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY): यह किसी भी विकलांगता या दुर्बलता से पीड़ित पात्र वरिष्ठ नागरिकों को सहायक जीवन उपकरण प्रदान करती है, जो कम दृष्टि, श्रवण हानि, दाँतों की हानि और हड्डियों, जोड़ों या मांसपेशियों की अक्षमता जैसी विकलांगता या दुर्बलता पर नियंत्रण तथा उनके शारीरिक कार्यों को लगभग सामान्य स्थिति में ला सकते हैं।
    • लाभार्थियों के लिये वित्तीय मानदंड 'गरीबी रेखा से नीचे' (BPL) श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों अथवा 15,000 रुपए प्रतिमाह तक की आय वाले लोगों के लिये है।
  • उपलब्धियाँ: 
    • लगभग 1.5 लाख लाभार्थी वृद्धाश्रमों में रहते हैं।
    • इसके तहत देश भर के 361 ज़िलों को शामिल किया गया है।
    • पिछले 3 वित्तीय वर्षों के दौरान कुल 288.08 करोड़ रुपए की सहायता अनुदान जारी की गई और इसके अंतर्गत आने वाले लाभार्थियों की संख्या 3,63,570 है।
      • RVY के तहत कुल 269 शिविर आयोजित किये गए हैं और इन शिविरों के लाभार्थियों की संख्या 4 लाख से अधिक है। इस योजना के तहत पिछले 3 वित्तीय वर्षों के दौरान कुल 140.34 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं तथा आयोजित 130 शिविरों में 1,57,514 लाभार्थियों को कुल 8,48,841 उपकरण वितरित किये गए हैं। 
  • महत्त्व: 
    • AVYAY भारत में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और सशक्तीकरण के लिये सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।
    • योजना का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय स्थिति, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक ज़रूरतों को संबोधित करके उनको सशक्त बनाना, समाज में उनकी सक्रिय भागीदारी एवं समावेश सुनिश्चित करना है।
    • इस योजना के माध्यम से सरकार एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करती है जहाँ वरिष्ठ नागरिक राष्ट्र के लिये अपने अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए सम्मान और संतुष्टि से जीवन यापन कर सकें।

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

GST परिषद की 50वीं बैठक

प्रिलिम्स के लिये:

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद, ऑनलाइन गेमिंग, GST अपीलीय न्यायाधिकरण, धन शोधन निवारण अधिनियम, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल

मेन्स के लिये:

GST परिषद के कार्य, भारत में ऑनलाइन गेमिंग का विनियमन 

चर्चा में क्यों? 

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने अपनी 50वीं बैठक में विभिन्न वस्तुओं पर कर दरों में परिवर्तन करने के साथ ही ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ के लिये नियम तय किये।

  • परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ के लिये लगाए गए दाँव के पूर्ण अंकित मूल्य पर एक समान 28% कर लगाने का निर्णय लिया।

बैठक की प्रमुख विशेषताएँ:  

  • कर की दरों में परिवर्तन: GST काउंसिल ने कर दरों में निम्नलिखित संशोधन किये:
    • बिना पकाए या बिना तले हुए स्नैक पैलेट और मछली में घुलनशील पेस्ट: कर की दर 18% से घटाकर 5% कर दी गई।
    • नकली ज़री धागे या सूत: कर की दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई।
    • सिनेमा हॉल के अंदर उपभोग किये जाने वाले खाद्य और पेय पदार्थ: सिनेमा सेवाओं पर पिछली 18% की कर दर को घटाकर 5% निर्धारित किया गया।
    • मूवी सेवाओं पर पहले के 18% कर के बजाय, इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना कर की दर को घटाकर 5% कर दिया गया।
    • ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ में कर उपचार: 
    • भले ही उनमें कौशल, अवसर या संयोजन शामिल हो, ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ गतिविधियों पर लगाए गए दाँव पर अब 28% GST लेवी आरोपित की जाएगी।
      • कर ढाँचे के भीतर ऑनलाइन गेमिंग को शामिल करने के लिये GST कानूनों में संशोधन किया जाना है।
  • GST से छूट:  
    • GST परिषद ने कैंसर के ईलाज से संबंधित दवाओं, दुर्लभ बीमारियों की दवाओं और विशेष चिकित्सा उद्देश्यों वाले खाद्य उत्पादों को GST से छूट प्रदान की है।
  • GST अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना:
    • इस परिषद ने देश में GST अपीलीय न्यायाधिकरणों की 50 पीठों की स्थापना के लिये राज्यों के प्रस्तावों की जाँच की।
    • प्रारंभिक पीठें राज्यों की राजधानियों और उन स्थानों पर स्थापित की जाएंगी जहाँ उच्च न्यायालयों की पीठ है। 
  • GST नेटवर्क और PMLA को लेकर व्यक्त चिंताएँ:
    • प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रशासित धन शोधन निवारण अधिनियम के दायरे में GST नेटवर्क को लाए जाने के हालिया फैसले की कुछ राज्यों ने आलोचना की है।
      • विशेष रूप से तमिलनाडु ने तर्क दिया कि यह समावेशन करदाताओं के हितों और GST अपराधों को अपराधमुक्त करने के उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है।
    • जबकि राजस्व सचिव ने परिषद को आश्वासन दिया है कि यह वित्तीय कार्रवाई कार्य बल की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
      • ऐसा स्पष्ट किया गया था कि प्रवर्तन निदेशालय GSTN से किसी प्रकार की कोई जानकारी साझा नहीं करेगा तथा इस अधिसूचना का उद्देश्य कर चोरी और धन शोधन की समस्या से निपटने के लिये कर अधिकारियों को सशक्त बनाना है। 

GST परिषद:  

  • परिचय:  
    • GST परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करती है।
    • संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279ए (1) के अनुसार, GST परिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया गया था। 

नोट: GST एक मूल्य वर्द्धित कर प्रणाली है जो भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। यह एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जिसे 1 जुलाई, 2017 को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से 'एक राष्ट्र एक कर' के नारे के साथ भारत में लागू किया गया था।

  • सदस्य:  
    • परिषद के सदस्यों में केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय राज्य मंत्री (वित्त) शामिल हैं।
    • प्रत्येक राज्य वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री या किसी अन्य मंत्री को सदस्य के रूप में नामित किया जा सकता है।
  • कार्य:  
    • अनुच्छेद 279 A (4) के अंतर्गत परिषद GST से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर संघ और राज्यों से सिफारिश करती है, जैसे कि वस्तु और सेवाएँ जो GST के अधीन हैं या जिन्हें छूट दी जा सकती है, मॉडल GST कानून, आपूर्ति के स्थान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत, प्रारंभिक सीमाएँ, बैंड के साथ फ्लोर रेट सहित GST दरें, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिये विशेष दरें, कुछ राज्यों के लिये विशेष प्रावधान आदि

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये:

  1. छिलका उतरे हुए अनाज 
  2. मुर्गी के अंडे पकाए हुए  
  3. संसाधित और डिब्बाबंद मछली 
  4. विज्ञापन सामग्री युक्त समाचार-पत्र

उपर्युत्त में से कौन-सा/से जी.एस.टी. (वस्तु एवं सेवा कर) के अंतर्गत छूट प्राप्त है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और  3 
(c) केवल 1, 2 और 4 
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर : (c) 


प्रश्न. 'वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स/GST)' के क्रियान्वित किये जाने का/के सर्वाधिक संभावित लाभ क्या है/हैं? (2017)

  1. यह भारत में बहु- प्राधिकरणों द्वारा वसूल किये जा रहे बहुल करों का स्थान लेगा और इस प्रकार एकल बाज़ार स्थापित करेगा। 
  2. यह भारत के 'चालू खाता घाटे' को प्रबलता से कम कर विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने हेतु उसे सक्षम बनाएगा।
  3. यह भारत की अर्थव्यवस्था की संवृद्धि और आकार को बृहद् रूप से बढ़ाएगा तथा उसे निकट भविष्य में चीन से आगे निकल जाने योग्य बनाएगा।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 के तर्काधार की व्याख्या कीजिये। कोविड-19 ने कैसे वस्तु एवं सेवा कर क्षतिपूर्ति निधि (जी.एस.टी कॉम्पेंसेशन फंड) को प्रभावित और नए संघीय तनावों को  उत्पन्न किया है? (2020) 

प्रश्न. उन अप्रत्यक्ष करों की गिनाइये जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी) में सम्मलित किये गए हैं। भारत में जुलाई 2017 से क्रियान्वित जी.एस.टी के राजस्व निहितार्थ पर टिप्पणी कीजिये। (2019)

प्रश्न. संविधान (एक सौ एक संशोधन) अधिनियम, 2016 के प्रमुख अभिलक्षणों को समझाइये। क्या आप समझते हैं कि यह "करों के सोपानिक प्रभाव को समाप्त करने में और माल तथा सेवाओं के लिये साझा राष्ट्रीय बाज़ार उपलब्ध कराने में" काफी प्रभावकारी है? (2017)

प्रश्न. भारत में माल व सेवा कर (जी.एस.टी) प्रारंभ करने के मूलाधार की विवेचना कीजिये। इस व्यवस्था को लागू करने में विलंब के कारणों का समालोचनात्मक वर्णन कीजिये। (2013) 

स्रोत: द हिंदू


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