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डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

काला धन

  • 15 Dec 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

टैक्स हेवन, राउंड ट्रिपिंग, भगोड़ा आर्थिक अपराधी, ट्रांसफर प्राइसिंग, व्हिसलब्लोअर, अर्थव्यवस्था पर काले धन का प्रभाव, काले धन के स्रोत, वित्तीय खुफिया इकाई, वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स

मेन्स के लिये:

भारत में काले धन से निपटना, पनामा की प्रासंगिकता और पैराडाइज़ पेपर लीक


चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने संसद में कहा है कि वर्ष 2015 के दौरान एकमुश्त तीन महीने की अनुपालन विंडो के तहत कर और जुर्माना के रूप में 2,476 करोड़ रुपए एकत्र किये गए हैं।

  • यह भी कहा गया है कि पिछले पाँच वर्षों में विदेशी खातों में कितना काला धन पड़ा है, इसका कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है।
  • पनामा और पैराडाइज़ पेपर लीक में 930 भारत से जुड़ी संस्थाओं के 20,353 करोड़ रुपए के अघोषित क्रेडिट का पता चला है।

प्रमुख बिंदु

  • काला धन:

    • आर्थिक सिद्धांत में काले धन की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है, काले धन हेतु कई अलग-अलग शब्द जैसे समानांतर अर्थव्यवस्था, काला धन, काला आय, बेहिसाब अर्थव्यवस्था, अवैध अर्थव्यवस्था और अनियमित अर्थव्यवस्था सभी का कमोबेश समान रूप से उपयोग किया जा रहा है।
    • काले धन की सबसे सरल परिभाषा संभवतः वह धन हो सकती है जो कर अधिकारियों से छिपा हो।
    • वित्त मंत्रालय द्वारा किये गए एक गुप्त अध्ययन के अनुसार वर्ष 2014 में निष्कर्ष निकाला गया कि लगभग 90% बेहिसाब धन भारत के बाहर के बजाय इसके भीतर पड़ा था।
  • काले धन का स्रोत:

    • यह दो व्यापक श्रेणियों से आ सकता है:
      • अवैध गतिविधि:
        • अवैध गतिविधि के माध्यम से अर्जित धन स्पष्ट रूप से कर अधिकारियों को सूचित नहीं किया जाता है और इसलिये यह काला धन होता है।
      • कानूनी लेकिन रिपोर्ट नहीं की गई गतिविधि:
        • दूसरी श्रेणी में कानूनी गतिविधि से होने वाली आय शामिल है जिसकी सूचना कर अधिकारियों को नहीं दी जाती है।

काले धन के स्रोतों के उदाहरण

  • मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम:
    • ऑफशोर बैंकों द्वारा जारी किये गए अंतर्राष्ट्रीय डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग काला धन बनाने के लिये किया जाता है।
  • प्रच्छन्न स्वामित्व:
    • अपराधी तेज़ी से वैध व्यवसायों के मालिक बनना चाहते हैं। इनका प्रयोग लाभ लेने या अपने काले धन को सफेद करने के लिये किया जा सकता है।
  • मिश्रित बिक्री:
    • अवैध धन के स्रोतों को वैध स्रोतों के साथ मिलाना एक लोकप्रिय तरीका है क्योंकि इसका पता लगाना मुश्किल है, खासकर अगर कानूनी व्यवसाय में एक बड़ा घटक नकद मुद्रा है।
  • स्मर्फिंग:
    • इस प्रकार का लेन-देन आमतौर पर एक निश्चित सीमा से ऊपर के लेनदेन की निगरानी करने वाले अधिकारियों द्वारा नोटिस से बचने के लिये किया जाता है।
  • व्यापार मूल्य का गलत निर्धारण:
    • परंपरागत रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के लिये निर्यात और आयात किये गए सामान की कीमत या तो कम या अधिक होती थी।
    • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organization for Economic Cooperation and Development- OECD) का कहना है कि वर्तमान तकनीक के माध्यम से बिल/चालान को संशोधित करना या फिर गलत बिल निर्मित करना आसान है।
  • बेनामी संस्थाओं को धन हस्तांतरण:
    • बेनामी लेन-देन (Benami Transaction) में, एक संपत्ति को एक व्यक्ति द्वारा हस्तांतरित या धारित किया जाता है और ऐसी संपत्ति के लिये प्रतिफल का भुगतान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है।
  • प्रभाव:

    • राजस्व की हानि:
      • काला धन कर के एक हिस्से को समाप्त कर देता है और इस प्रकार सरकार का घाटा बढ़ जाता है।
      • सरकार को इस घाटे को करों में वृद्धि, सब्सिडी में कमी और उधार में वृद्धि करके संतुलित करना होता है।
      • उधार लेने से ब्याज के बोझ के कारण सरकार के ऋण में और वृद्धि होती है। अगर सरकार घाटे को संतुलित करने में असमर्थ है, तो उसे खर्च कम करना होगा, जो कि विकास को प्रभावित करता है।
    • धन संचलन:
      • आमतौर पर लोग काले धन को सोने के तौर पर, अचल संपत्ति और अन्य गुप्त तरीकों के रूप में रखते हैं।
      • ऐसा पैसा मुख्य अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं बनता है और इसलिये आमतौर पर प्रचलन से बाहर रहता है।
      • काला धन अमीरों के बीच संचालित होता रहता है और उनके लिये अधिक अवसर पैदा करता है।
    • उच्च मुद्रास्फीति:
      • अर्थव्यवस्था में बेहिसाब काला धन होने से मुद्रास्फीति की स्थिति अधिक देखी जाती है, जो गरीबों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है।
      • यह अमीर और गरीब के बीच असमानता को भी बढ़ाता है।
  • सरकार द्वारा की गई पहलें:

    • विधायी प्रयास:
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
      • दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA)
        • भारत दोहरे कराधान से बचाव के लिये सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से दोहरा कराधान अपवंचन समझौते/कर सूचना विनिमय समझौतों/बहुपक्षीय सम्मेलनों के तहत विदेशी सरकारों के साथ सक्रिय रूप से वार्ता कर रहा है।
      • सूचना का स्वचालित आदान-प्रदान:
        • भारत वित्तीय सूचना के सक्रिय साझाकरण के लिये ‘ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इनफार्मेशन’ नाम से एक बहुपक्षीय व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में अग्रणी रहा है, जो कर चोरी से निपटने के वैश्विक प्रयासों में सहायता करेगा।
        • सामान्य रिपोर्टिंग मानक पर आधारित ‘ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इनफार्मेशन’ व्यवस्था वर्ष 2017 से शुरू है, जिससे भारत अन्य देशों में भारतीय निवासियों के वित्तीय खाते की जानकारी प्राप्त कर सकता है।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका का विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम:
        • भारत ने इस अधिनियम के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सूचना साझा करने हेतु समझौता किया है।
      • फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF):
        • भारत FATF का सदस्य है।

आगे की राह

  • देश में सार्वजनिक खरीद, विदेशी अधिकारियों द्वारा ली जाने वाली रिश्वत की रोकथाम, नागरिक शिकायत निवारण, सूचना प्रदाता (व्हिसलब्लोअर) सुरक्षा, यूआईडी आधार से संबंधित उपयुक्त विधायी ढाँचे की आवश्यकता है।
  • अवैध धन से निपटने वाली संस्थाओं की स्थापना और उनका सुदृढ़ीकरण: सूचना के आदान-प्रदान के लिये आपराधिक जाँच प्रकोष्ठ निदेशालय, मॉरीशस और सिंगापुर में आयकर विदेशी इकाइयाँ (ITOUs), CBDT के तहत विदेशी कर, कर अनुसंधान एवं जाँच प्रभाग को मज़बूत करने में बहुत उपयोगी रहे हैं।
  • चुनाव सुधार: काले धन के उपयोग के लिये चुनाव सबसे बड़े चैनलों में से एक है, ऐसे में चुनावों में धन-बल को कम करने के लिये उचित सुधार की आवश्यकता है।
  • कार्मिक प्रशिक्षण: विशिष्ट क्षेत्रों में प्रभावी कार्रवाई के लिये कर्मियों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये वित्तीय आसूचना इकाई-भारत (Financial Intelligence Unit-India) अपने कर्मचारियों को धनशोधन रोधी, आतंकवादी वित्तपोषण और संबंधित आर्थिक मुद्दों पर प्रशिक्षण के अवसर प्रदान कर उनके कौशल को नियमित रूप से उन्नत करने हेतु सक्रिय प्रयास करती है।
  • बैंक लेनदेन को प्रोत्साहित करना: काले धन के खतरे को रोकने के लिये उद्योग निकाय ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ ने बैंकिंग चैनलों के माध्यम से लेनदेन को प्रोत्साहित करने और कृषि आय पर कराधान के लिये एक उपयुक्त ढाँचे का सुझाव दिया है।
    • इसके अलावा इसने अचल संपत्ति क्षेत्र में सुधार और कर चोरी को ट्रैक करने के लिये आईटी बुनियादी ढाँचे के निर्माण का भी सुझाव दिया है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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