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भारतीय अर्थव्यवस्था

मुद्रास्फीति का लक्ष्य

  • 02 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने आगामी पाँच वर्षों के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति के लिये +/- 2 प्रतिशत अंक के सहिष्णुता बैंड के साथ 4% के मुद्रास्फीति लक्ष्य को बनाए रखने का निर्णय लिया है ।

  • इससे पहले भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी मुद्रा और वित्त (RCF) संबंधी वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा मुद्रास्फीति लक्ष्य बैंड (4% +/- 2%) अगले 5 वर्षों के लिये उपयुक्त है।

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

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  • मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिये केंद्र सरकार ने 2016 में आरबीआई को 31 मार्च, 2021 को समाप्त हुए पाँच साल की अवधि के लिये खुदरा मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का आदेश दिया।
    • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के तहत भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा दैनिक उपभोग के लिये खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं जैसे- खाद्य, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद आदि की कीमतों में परिवर्तन की गणना की जाती है।
  • मुद्रास्फीति के लक्ष्य को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 की अवधि के लिये पिछले 5 वर्षों के समान स्तर पर रखा गया है।

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2015 में केंद्रीय बैंक अर्थात् रिज़र्व बैंक और सरकार के मध्य एक नीतिगत ढाँचे पर सहमति बनी जिसमें विकास को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु प्राथमिक उद्देश्य निर्धारित किये  गए। 
  • इसके पश्चात् लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (FIT) को वर्ष 2016 में अपनाया गया। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में एक FIT ढाँचे को वैधानिक आधार प्रदान करने हेतु संशोधन किया गया। 
  • संशोधित अधिनियम के तहत सरकार द्वारा RBI के परामर्श से प्रत्येक पाँच वर्षों में एक बार मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित किया जाता है

मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण:

  • यह केंद्रीय बैंकिंग की एक नीति है जो मुद्रास्फीति की एक निर्दिष्ट वार्षिक दर प्राप्त करने हेतु मौद्रिक नीति के संयोजन पर आधारित  है।
  • मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को मौद्रिक नीति निर्धारण में अधिक स्थिरता, पूर्वानुमान प्रदान करने और पारदर्शिता लाने हेतु जाना जाता है।
  • कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण:
    • कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Strict Inflation Targeting) को तब अपनाया जाता है जब केंद्रीय बैंक केवल किसी दिये गए मुद्रास्फीति लक्ष्य के आस-पास मुद्रास्फीति को रखना चाहता है।
  • लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण:  
    • लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Flexible Inflation Targeting) को तब अपनाया जाता है जब केंद्रीय बैंक कुछ अन्य कारकों जैसे- ब्याज दरों में स्थिरता, विनिमय दर, उत्पादन और रोज़गार आदि को लेकर चिंतित होता है।

मौद्रिक नीति:

  • यह केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित व्यापक आर्थिक नीति है। इसमें मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दर का प्रबंधन शामिल है, यह मुद्रास्फीति, खपत, वृद्धि और तरलता जैसे व्यापक आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली मांग पक्ष आधारित आर्थिक नीति है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने और आर्थिक विकास की गति बढ़ाने के लिये धन का प्रबंधन करना है।
  • RBI खुले बाज़ार की क्रियाओं, बैंक दर नीति, आरक्षित प्रणाली, ऋण नियंत्रण नीति, नैतिक प्रभाव और कई अन्य उपकरणों के माध्यम से मौद्रिक नीति को लागू करता है।

मौद्रिक नीति समिति:

  • RBI की ‘मौद्रिक नीति समिति (MPC)’ ‘भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934’ के तहत स्थापित एक वैधानिक एवं संस्थागत निकाय है। यह आर्थिक विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मुद्रा स्थिरता को बनाए रखने हेतु कार्य करती है।
    • रिज़र्व बैंक का गवर्नर इस समिति का पदेन अध्यक्ष होता है।
  • MPC मुद्रास्फीति दर के  4% के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये ब्याज दर (रेपो रेट) के निर्धारण का कार्य करती है।
  • वर्ष 2014 में तत्कालीन डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली रिज़र्व बैंक की समिति ने मौद्रिक नीति समिति की स्थापना की सिफारिश की थी।

स्रोत: द हिंदू

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