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भारतीय अर्थव्यवस्था

GST क्षतिपूर्ति व्यवस्था के बाद की चुनौतियाँ

  • 03 Jun 2023
  • 16 min read

यह एडिटोरियल 30/05/2023 को ‘हिंदू बिज़नेसलाइन’ में प्रकाशित ‘‘States GST challenge’’ लेख पर आधारित है। इसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था की समाप्ति के बाद राज्यों के लिये उत्पन्न चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

वस्तु एवं सेवा कर, GST क्षतिपूर्ति उपकर, सहकारी संघवाद, केंद्र-राज्य संबंध, GST परिषद

मेन्स के लिये:

GST क्षतिपूर्ति व्यवस्था समाप्त होने के बाद राज्यों के समक्ष चुनौतियाँ, इन चुनौतियों से निपटने के उपाय।

वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) ने भारत के कराधान परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण रूपांतरण का सूत्रपात किया है। हालाँकि आरंभ में कुछ विनिर्माता राज्यों ने संभावित राजस्व प्रभाव के बारे में चिंता जताई थी। इन आशंकाओं को दूर करने के लिये केंद्र ने राज्यों को जीएसटी के लागू होने के बाद पाँच वर्ष की अवधि के लिये जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर (GST compensation cess) के माध्यम से राजस्व हानि के विरुद्ध सुरक्षा का आश्वासन दिया था।

यद्यपि महामारी के कारण कुछ राज्यों के राजस्व में गिरावट आई, केंद्र ने राज्यों को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए उधारी के माध्यम से बकाया राशि को चुकाने में सफलता प्राप्त की।

इस क्षतिपूर्ति उपकर को मार्च 2026 तक के लिये बढ़ाया गया था ताकि केंद्र केंद्रीय खजाने के माध्यम से राज्यों को वितरित राशि की क्षतिपूर्ति कर सके, हालाँकि राज्यों को विस्तारित लेवी की आय से कोई हिस्सा प्राप्त नहीं होगा।

जीएसटी व्यवस्था के बारे में राज्यों की क्या आशंकाएँ थीं?

  • राजस्व वितरण के बारे में चिंताएँ:
    • ‘उत्पादक’ (Producing) राज्य जीएसटी प्रणाली के तहत ‘उपभोगकर्त्ता’ (Consuming) राज्यों के समक्ष राजस्व की हानि उठाने को लेकर आशंकित थे।
    • उन्नत राज्य, जो अधिक वस्तुओं का उत्पादन करते थे और उन्हें कम विकसित राज्यों को बेचते थे, वे तुलनात्मक रूप से कम जीएसटी संग्रहण को लेकर चिंतित थे।
  • कर दर निर्धारण में शक्ति की हानि:
    • राज्यों ने जीएसटी का विरोध किया क्योंकि इसने पूरे देश में वस्तुओं एवं सेवाओं के लिये एक समान कर दर का प्रस्ताव किया था। इसका अभिप्राय यह था कि राज्य विभिन्न वस्तुओं पर कर की दरें निर्धारित करने का अधिकार खो देंगे, जो राजकोषीय संघवाद (fiscal federalism) को कमज़ोर करेगा और उनकी स्वायत्तता कम हो जाएगी।
  • राजस्व हानि का डर:
    • पूर्ववर्ती कर व्यवस्था से जीएसटी प्रणाली की ओर संक्रमण के दौरान राजस्व की संभावित हानि को लेकर राज्य चिंतित थे। चूँकि 17 विद्यमान अप्रत्यक्ष करों को एक में विलय कर दिया गया था, यह सुनिश्चित करने के लिये ‘राजस्व-तटस्थ’ (revenue-neutral) दर निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण था कि पूर्व की तरह राजस्व की समान राशि एकत्र हो सके।
    • जीएसटी दर के त्रुटिपूर्ण निर्धारण से राजस्व संग्रह में कमी आ सकती थी, जिससे राजकोषीय चुनौतियाँ बढ़ सकती थीं।

वस्तु एवं सेवा कर क्या है?

  • वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) एक मूल्य-वर्द्धित कर (value-added tax) है जो घरेलू उपभोग के लिये बिक्री की जाने वाली अधिकांश वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाया जाता है। यह एक गंतव्य-आधारित कर (destination-based tax) है।
  • जीएसटी 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद वर्ष 2017 से लागू हुआ।
  • इसका भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन यह वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री करने वाले व्यवसायों द्वारा सरकार को प्रेषित किया जाता है।
  • केंद्र और राज्य समान रूप से एक साझा आधार पर कर लगाते हैं। केंद्र द्वारा अधिरोपित जीएसटी को केंद्रीय जीएसटी (CGST) कहा जाता है और राज्यों द्वारा अधिरोपित जीएसटी को राज्य जीएसटी (SGST) कहा जाता है।

जीएसटी पर राज्य सहमत कैसे हुए?

जब उनकी चिंताओं को संबोधित किया गया तो राज्य साथ आने पर सहमत हो गए। कई कारक थे जिन्होंने राज्यों की सहमति के निर्णय को प्रभावित किया:

  • राजस्व संग्रह की स्वायत्तता:
    • एक महत्त्वपूर्ण कारक जिसने राज्यों को जीएसटी के लिये सहमत किया, यह प्रावधान था कि उन्हें शराब और पेट्रोलियम उत्पादों से राजस्व प्राप्ति पर नियंत्रण बनाए रखने की अनुमति दी गई थी।
    • इन वस्तुओं को जीएसटी ढाँचे से बाहर रखा गया था, जिससे राज्यों को शराब पर उत्पाद शुल्क और पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट (VAT) लगाने की स्वायत्तता प्राप्त हुई।
    • महामारी के दौरान यह स्वायत्तता महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई जब कर संग्रह में गिरावट आ गई थी।
  • राजस्व क्षतिपूर्ति:
    • राज्यों की राजस्व संबंधी चिंताओं को संबोधित करने के लिये केंद्र सरकार ने उन्हें पाँच वर्ष की अवधि के लिये 14% (वर्ष 2015-16 बेसलाइन पर आधारित) की वृद्धि दर से राजस्व की किसी भी कमी के लिये क्षतिपूर्ति का आश्वासन दिया।
    • इस क्षतिपूर्ति के वित्तपोषण के लिये विलासिता एवं हानिकारक वस्तुओं (luxury and sin goods) पर एक क्षतिपूर्ति उपकर लगाया गया।
  • जीएसटी परिषद में शामिल करना:
    • जीएसटी परिषद के गठन ने राज्यों का समर्थन प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें प्रत्येक राज्य और केंद्र के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था।
    • जीएसटी परिषद जीएसटी से संबंधित सभी मामलों के लिये निर्णयकारी संस्था बन गई, जहाँ सर्वसम्मति की कमी के मामले में मतदान के प्रावधान किये गए थे।
    • परिषद में केंद्र सरकार के पास एक-तिहाई मत हैं, जबकि राज्यों को सामूहिक रूप से दो-तिहाई मत सौंपे गए हैं। इस संरचना का उद्देश्य निर्णय लेने के मामले में एक सहकारी एवं समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित करना है।

GST क्षतिपूर्ति की समाप्ति पर राज्य कौन-से कदम उठा सकते हैं?

सुनिश्चित राजस्व सुरक्षा के अभाव का अर्थ है कि राज्यों को अपनी वित्तीय क्षमता बढ़ाने के लिये वैकल्पिक रास्ते तलाशने होंगे। यह स्थिति अनुपालन सुनिश्चित करते हुए राजस्व संग्रह को अधिकतम करने हेतु सक्रिय उपायों की मांग करती है।

राजस्व उगाही की सीमित शक्तियों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये राज्य निम्नलिखित रणनीतियाँ अपना सकते हैं:

  • कर विश्लेषिकी का उपयोग करना:
    • व्यापक डेटा विश्लेषण से अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिये राज्यों को कर विश्लेषिकी रणनीतियों एवं प्रक्रियाओं को अपनाना चाहिये। राज्य विभिन्न स्रोतों से एकत्र किये गए डेटा का लाभ उठाकर सटीक राजस्व अनुमानों के आधार पर सूचना-संपन्न निर्णय ले सकते हैं।
  • अनुपालन निगरानी को सुदृढ़ करना:
    • राज्यों को सड़क परिवहन विभागों के डेटा के साथ ई-वे बिल रिपोर्ट की क्रॉस-रेफरेंसिंग के माध्यम से माल आवाजाही से संबंधित सूचना का मिलान करना चाहिये।
    • यह दृष्टिकोण संभावित विसंगतियों का पता लगाने और गैर-अनुपालक करदाताओं की पहचान करने में मदद करता है। हालाँकि ऐसी तुलनाओं पर निर्भरता विवेकपूर्ण ही होनी चाहिये क्योंकि विभिन्न रिपोर्टिंग आवश्यकताओं से विविधताएँ भी उत्पन्न होती हैं।
  • गैर-अनुपालक करदाताओं के लिये अनुकूलित उपाय:
    • राज्यों को करदाताओं को जोखिम मूल्यांकन और विगत अनुपालन पृष्ठभूमि के आधार पर वर्गीकृत करना चाहिये। करदाताओं को वर्गीकृत करके और प्रत्येक समूह के लिये विशिष्ट नीतिगत उपायों को लागू करके प्रवर्तन कार्रवाइयों को प्रभावी ढंग से लक्षित किया जा सकता है। सर्कुलर ट्रेडिंग और धोखाधड़ीपूर्ण चालान जैसे मुद्दों से निपटने के लिये यह दृष्टिकोण विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
  • सेवा उद्योग पर ध्यान केंद्रित करना:
    • चूँकि राज्य सेवाओं पर जीएसटी लगाने का अधिकार रखते हैं, उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में सक्रिय सेवा उद्योग का आकलन करना चाहिये।
    • सेवा-संबंधित लेन-देन के मूल्यांकन में क्षमता निर्माण एवं विशेषज्ञता करदाता आधार को व्यापक बनाएगी और राजस्व संग्रह को बढ़ाएगी।
    • राज्यों को जीएसटी ऑडिट करना चाहिये और व्यापार सुविधा कियोस्क एवं संलग्नता कार्यक्रमों के माध्यम से करदाताओं के बीच जागरूकता पैदा करनी चाहिये।
  • सहकारी संघवाद का संपोषण करना:
    • राज्यों को सहकारी संघवाद की भावना से एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिये। जीएसटी कानूनों के सिद्धांतों का अनुपालन करके और अनावश्यक क्षेत्रीय विवादों से बचकर राज्य व्यापार हेतु अनुकूल वातावरण का निर्माण कर सकते हैं और करदाताओं के विश्वास को बढ़ा सकते हैं।
    • यह दृष्टिकोण अनुपालन को प्रोत्साहित करेगा, राजस्व को बढ़ावा देगा और आर्थिक विकास को संवृद्ध करेगा।

निष्कर्ष:

राज्यों को राजस्व सृजन की बदलती गतिशीलता के अनुकूल बनना चाहिये। जबकि आरंभिक चिंताओं को केंद्र द्वारा संबोधित किया गया था, अब राज्यों को स्वतंत्र रूप से राजस्व बढ़ाने और कर जाल को विस्तृत करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

कर विश्लेषिकी का लाभ उठाने, अनुपालन निगरानी को सुदृढ़ करने, सेवा उद्योग पर ध्यान केंद्रित करने और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने जैसे सक्रिय उपायों को नियोजित करके राज्य इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकते हैं। राज्यों के लिये यह अनिवार्य है कि वे एक ऐसे वातावरण का निर्माण करें जो कारोबार सुगमता (ease of doing business) को बढ़ावा दे और करदाताओं में विश्वास पैदा करे; इस प्रकार, सतत राजस्व वृद्धि और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाए।

अभ्यास प्रश्न: जीएसटी क्षतिपूर्ति राज्यों के राजस्व में कमी को दूर करने का एक अल्पकालिक उपाय थी। इसका दीर्घकालीन समाधान क्या हो सकता है? चर्चा कीजिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित मदों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. छिलका उतरे हुए अनाज़
  2. मुर्गी के अंडे पकाए हुए
  3. संसाधित और डिब्बाबंद मछली
  4. विज्ञापन सामग्री युक्त समाचार पत्र

उपर्युक्त मदों में से कौन-सी वस्तु/वस्तुएँ जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के अंतर्गत छूट प्राप्त है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. 'वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स/GST)' के क्रियान्वित किये जाने का/के सर्वाधिक संभावित लाभ क्या है/हैं? (2017)

  1. यह भारत में बहु-प्राधिकरणों द्वारा वसूल किये जा रहे बहुल करों का स्थान लेगा और इस प्रकार एकल बाज़ार स्थापित करेगा।
  2. यह भारत के 'चालू खाता घाटे' को प्रबलता से कम कर विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने हेतु इसे सक्षम बनाएगा।
  3. यह भारत की अर्थव्यवस्था की संवृद्धि और आकार को वृहद् रूप से बढ़ाएगा और उसे निकट भविष्य में चीन से आगे निकलने में सक्षम बनाएगा।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स

प्रश्न. वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 के तर्काधार की व्याख्या कीजिये। कोविड-19 ने कैसे वस्तु एवं सेवा कर क्षतिपूर्ति निधि को प्रभावित किया है और नए संघीय तनावों को उत्पन्न किया है? (2020)

प्रश्न. उन अप्रत्यक्ष करों को गिनाइये जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सम्मिलित किये गए हैं। भारत में जुलाई 2017 से क्रियान्वित जीएसटी के राजस्व निहितार्थों पर भी टिप्पणी कीजिये। (2019)

प्रश्न. संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम, 2016 की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये। क्या आपको लगता है कि यह "करों के प्रपाती प्रभाव को दूर करने और वस्तुओं और सेवाओं के लिये सामान्य राष्ट्रीय बाज़ार प्रदान करने" हेतु पर्याप्त रूप से प्रभावी है? (2017)

प्रश्न. भारत में माल व सेवा कर (GST) प्रारंभ करने के मूलाधार की विवेचना कीजिये। इस व्यवस्था को लागू करने में विलंब के कारणों का समालोचनात्मक वर्णन कीजिये। (2013)

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