महत्त्वपूर्ण संस्थान
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)
- 17 Nov 2022
- 20 min read
प्रिलिम्स के लिये:FATF, ग्रे लिस्ट, ब्लैक लिस्ट, G7, OECD, यूरोपीय आयोग, खाड़ी सहयोग परिषद, ML/TF और WMD का मुकाबला करने के लिये भारत की पहल। मेन्स के लिये:मनी लॉन्ड्रिंग, भारत और उसके पड़ोस, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान |
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल:
- परिचय:
- FATF वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानीकर्त्ता है जिसकी स्थापना वर्ष 1989 में G-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में की गई थी।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपायों की जाँच और विकास करना था।
- अमेरिका पर 9/11 के हमलों के बाद वर्ष 2001 में FATF ने आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल करने के लिये अपने जनादेश का विस्तार किया।
- अप्रैल 2012 में इसने सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को जोड़ा।
- FATF अनुशंसाएँ:
- अप्रैल 1990 में, इसकी स्थापना के एक वर्ष से भी कम समय में FATF ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये आवश्यक कार्रवाई की एक व्यापक योजना प्रदान करने के उद्देश्य से 40 सिफारिशों का एक सेट शामिल था।
- वर्ष 2004 में FATF ने नौवीं विशेष सिफारिशें प्रकाशित कीं, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिये सहमत अंतर्राष्ट्रीय मानकों को और मज़बूत करटे हैं। इस प्रकार FATF की कुल 40+9= 49 सिफारिशें हो गई हैं।
- 2012 में एफएटीएफ ने अपनी सिफारिशों को संशोधित किया और डब्ल्यूएमडी के प्रसार के वित्तपोषण जैसे नए खतरों से निपटने के लिये उनका विस्तार किया।
- वर्ष 2012 में FATF ने अपनी सिफारिशों को संशोधित किया और WMD के प्रसार के वित्तपोषण जैसे नए खतरों से निपटने के लिये उनका विस्तार किया।
- दुनिया भर के 200 से अधिक न्यायालय नौ क्षेत्रीय निकायों और FATF सदस्यता के वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से FATF सिफारिशों के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- अप्रैल 1990 में, इसकी स्थापना के एक वर्ष से भी कम समय में FATF ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये आवश्यक कार्रवाई की एक व्यापक योजना प्रदान करने के उद्देश्य से 40 सिफारिशों का एक सेट शामिल था।
- FATF सत्र/अधिवेशन:
- एफएटीएफ प्लेनरी (FATF Plenary) FATF की निर्णय लेने वाली संस्था है।
- प्रतिवर्ष तीन बार इसके सत्र का आयोजन किया जाता है।
FATF के सदस्य और पर्यवेक्षक:
- सदस्य:
- FATF में वर्तमान में 37 सदस्य निकाय हैं जो दुनिया के के लगभग सभी हिस्सों के सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- 39 सदस्यों में से दो क्षेत्रीय संगठन हैं: यूरोपीय आयोग, और खाड़ी सहयोग परिषद।
- FATF के सदस्य देशों में शामिल हैं:
- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, हॉन्गकॉन्ग (चीन), आइसलैंड, भारत, आयरलैंड, इजरायल, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, लक्ज़मबर्ग, मलेशिया , मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, स्विटज़रलैंड, तुर्की, यूके और यूएस।
- FATF में वर्तमान में 37 सदस्य निकाय हैं जो दुनिया के के लगभग सभी हिस्सों के सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भारत और FATF: भारत वर्ष 2006 में 'पर्यवेक्षक' देशों की सूची में शामिल हुआ और वर्ष 2010 में FATF का पूर्ण सदस्य बन गया।
- भारत FATF के क्षेत्रीय साझेदारों, एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) और यूरेशियन ग्रुप (EAG) का भी सदस्य है।
- पर्यवेक्षक:
- इंडोनेशिया FATF का एकमात्र पर्यवेक्षक देश है।
- कुछ महत्त्वपूर्ण संगठन जिन्हें FATF के साथ पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है, उनमें शामिल हैं:
FATF के अध्यक्ष:
- FATF का अध्यक्ष FATF प्लेनरी द्वारा अपने सदस्यों में से नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी होता हैं।
- वह FATF प्लेनरी और संचालन समूह की बैठकों को बुलाता है और उनकी अध्यक्षता करता है तथा FATF सचिवालय की देखरेख करता है।
- वह FATF का प्रमुख प्रवक्ता है और वैश्विक स्तर पर FATF का प्रतिनिधित्व करता है।
- अध्यक्ष का कार्यकाल 1 जुलाई से शुरू होता है और पद संभालने के दो वर्ष बाद 30 जून को समाप्त होता है।
- टी. राजा कुमार (सिंगापुर) FATF के वर्तमान अध्यक्ष हैं जिन्होंने जुलाई 2022 में पदभार संभाला था।
FATF सचिवालय:
- इसका सचिवालय पेरिस में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) मुख्यालय में स्थित है।
- सचिवालय FATF सदस्यता और वैश्विक नेटवर्क के मूल कार्य का समर्थन करता है।
- FATF सचिवालय और अन्य सेवाओं के लिये धन FATF वार्षिक बजट द्वारा प्रदान किया जाता है जिसमें सदस्य योगदान करते हैं।
FATF की ग्रे और ब्लैक लिस्ट:
- परिचय: FATF प्लेनरी [FATF का निर्णय लेने वाले निकाय को FATF प्लेनरी (FATF Plenary) कहा जाता है] की निर्णय करने वाले देशों की "पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट्स" (MER) के लिये प्रतिवर्ष तीन बार (फरवरी, जून और अक्तूबर) इसके सत्र का आयोजन होता है।
- AML/CFT का अर्थ "धन शोधन रोधी/आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करना" है।
- ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिये किसी देश को FATF द्वारा अनुशंसित कार्यों को पूरा करना होता है, उदाहरण के लिये आतंकवादी समूहों से जुड़े व्यक्तियों की संपत्तियों को जब्त करना।
- अगर FATF प्रगति से संतुष्ट है, तो वह देश को लिस्ट से कर सकता है।
- ग्रे लिस्ट: जिन देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिये सुरक्षित स्थल माना जाता है, उन्हें FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है।
- यह उस देश के लिये एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
- ब्लैक लिस्ट: ब्लैक लिस्ट में उन असहयोगी देशों या क्षेत्रों (Non-Cooperative Countries or Territories-NCCT) को शामिल किया जाता है जो आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का समर्थन करते हैं।
- अभी तक ईरान, उत्तर कोरिया और म्याँमार तीन देश ब्लैक लिस्टेड हैं।
- वर्ष 2021 में म्याँमार में तख्तापलट के बाद सैन्य नेतृत्व की कार्रवाइयों के कारण उसे इस सूची में शामिल किया गया है।
- FATF की सूची में सूचीबद्ध होने का परिणाम:
- FATF (IMF, World Bank, ADB) से संबद्ध वित्तीय संस्थानों से आर्थिक प्रतिबंध।
- वित्तीय संस्थानों और देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कमी।
- अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार।
- भारत, पाकिस्तान और FATF ग्रे लिस्टिंग: हाल ही में FATF ने "पाकिस्तान की महत्त्वपूर्ण प्रगति" की सराहना करते हुए पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया।
- पाकिस्तान को चार साल के बाद सूची से हटाया गया है। पाकिस्तान को पहली बार वर्ष 2008 में सूची में शामिल किया गया था, वर्ष 2009 में इस सूची से हटा दिया गया और 2018 में फिर से सूची में शामिल करने से पहले यह वर्ष 2012 से वर्ष 2015 तक पुनः निगरानी के अधीन रहा।
- भारत ने पाकिस्तान को सूची से हटाने के निर्णय पर सहमति व्यक्त की, क्योंकि बाद में उसने नामित आतंकवादियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई के "दस्तावेज़ी साक्ष्य" प्रस्तुत किये थे।
- "ग्रे लिस्ट" से निकाले जाने के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने आतंकवाद के प्रयोजन के संबंध में पाकिस्तान को क्लीन बिल ऑफ़ हेल्थ के रूप में स्वीकार किया है जिससे पाकिस्तान की प्रतिष्ठा को मज़बूती मिलेगी।
FATF से जुड़े मुद्दे:
- सदस्य राज्यों में FATF कोड को अपनाने और लागू करने से जुड़ी चुनौतियों में शामिल हैं:
- घरेलू समन्वय में कठिनाई
- देशों की क्षमता की कमी
- अपर्याप्त परिचालन संसाधन
- FATF मानकों के कार्यान्वयन में जटिलताएँ
- AML/CFT के लिये नई प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियों में शामिल हैं:
- ML/TF (मनी लॉन्ड्रिंग/टेरर फंडिंग) खतरों और जोखिमों की कम समझ।
- ML/TF जोखिमों को पर्याप्त रूप से पहचानने, मूल्यांकन करने और कम करने में असमर्थता।
- पारंपरिक जोखिम मूल्यांकन उपकरण बड़े पैमाने पर डेटा का विश्लेषण करने की अनुमति नहीं देते हैं, जो जोखिमों के अधिक सूक्ष्म दृश्य प्रस्तुत करने के लिये सहसंबंध तथा विश्लेषण की क्षमता को सीमित करते हैं।
- ML/TF को प्रोत्साहित करने वाले अन्य कारकों में शामिल हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच समन्वय की कमी और कानूनों का अत्यधिक दबाव।
- राष्ट्रीय नियामक योजनाओं में कमियाँ।
- अनौपचारिक हस्तांतरण और राष्ट्रीय सीमाओं के पार संपत्ति का संचलन।
- निजी गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं (वित्तीय और गैर-वित्तीय संस्थानों) के लिये जोखिम दृष्टिकोण को लागू करने की उच्च लागत।
FATF का सुदृढ़ीकरण:
- जोखिम आकलन: जोखिमआधारित दृष्टिकोण एक प्रभावी AML/CFT प्रणाली की आधारशिला होनी चाहिये जो जोखिमों को सही ढंग से प्रबंधित करने के लिये आवश्यक है। जोखिमों से संबंधित सुदृढ़ ज्ञान (Robust Knowledge) और जागरूकता, जो आनुपातिक रूप से जोखिमों को कम करने व संबोधित करने की क्षमता की अनुमति देता है, FATF मानकों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- डेटा साझाकरण: डेटा एकत्र करने और संसाधित करने के साथ-साथ इसे हितधारकों के बीच साझा करने की एक बड़ी क्षमता ML/TF का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान कर सकती है।
- आधुनिक प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग: मशीन लर्निंग और अन्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टूल का अनुप्रयोग जो वास्तविक समय पर त्वरित और अधिक सटीक डेटा विश्लेषण की अनुमति देता है, उपर्युक्त मुद्दों का समाधान प्रदान कर सकता है।
वित्तीय अपराधों को रोकने के लिये की गई अन्य पहल:
- मनी लॉन्ड्रिंग:
- वैश्विक:
- वियना कन्वेंशन 1988: इस कन्वेंशन में ड्रग तस्करी से प्राप्त धन की वैधता के अपराधीकरण के लिये सदस्य राज्यों को बाध्य करके मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के प्रयासों के लिये आधार तैयार किया गया था।
- यह नशीली दवाओं की तस्करी से धनशोधन के अपराध हस्ताक्षरकर्त्ता राज्यों के लिये ु एक दायित्व बनाता है।
- भारत इस कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- G-10 की बेसल समिति के सिद्धांत: इसमें "सिद्धांतों का विवरण" जारी किया गया है और सदस्य देशों के अंतर्राष्ट्रीय बैंकों से इसके अनुपालन की अपेक्षा की जाती है।
- भारत RBI के साथ अपने संस्थागत प्रतिनिधि के रूप में बेसल समिति का सदस्य है।
- IOSCO: अपने सदस्यों को प्रतिभूतियों और वायदा बाज़ारों में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने हेतु आवश्यक कदम उठाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- भारत IOSCO बोर्ड का सदस्य है।
- ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC): सक्रिय रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की पहचान करने और उसे रोकने का प्रयास करता है।
- भारत UNODC का सदस्य है।
- पलेर्मो कन्वेंशन 2003: इसे अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNTOC) के रूप में जाना जाता है, यह अनुसमर्थन करने वाले देशों को घरेलू कानून के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधीकरण और सभी गंभीर अपराधों को ML विधेय अपराधों के रूप में मानने के लिये बाध्य करता है।
- ML के सभी रूपों को रोकने और पता लगाने के लिये नियामक शासन स्थापित करता है।
- भारत वर्ष 2002 में UNTOC में शामिल हुआ था और वर्ष 2011 में इसकी पुष्टि की थी।
- भारत:
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA): धन शोधन से निपटने के लिये भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढाँचे का मूल रूप है। इसमें आखिरी बार वर्ष 2012 में संशोधन किया गया था।
- वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU-IND): स्वतंत्र निकाय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक खुफिया परिषद (EIC) को सीधे रिपोर्ट करता है।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED): एक कानून प्रवर्तन एजेंसी और आर्थिक खुफिया एजेंसी जो भारत में आर्थिक कानूनों को लागू करने एवं आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये ज़िम्मेदार है।
- ED के मुख्य कार्यों में से एक मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों की जाँच करना है।
- वैश्विक:
- टेरर फंडिंग:
- वैश्विक:
- आईएमएफ: इसने अपने 189 सदस्य देशों पर आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करने हेतु दबाव डाला है।
- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता (CCIT): इसके प्रमुख उद्देश्यों में आतंकवाद की सार्वभौमिक परिभाषा को UNGA के सभी सदस्य देशों द्वारा अपने आपराधिक कानूनों में अपनाया जाना, सभी आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित करना, विशेष कानूनों के तहत सभी आतंकवादियों पर मुकदमे चलाना, वैश्विक स्तर पर सीमा-पार आतंकवाद को प्रत्यार्पण योग्य अपराध घोषित करना शामिल था।
- भारत द्वारा वर्ष 1996 में CCIT का प्रस्ताव रखा गया था।
- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2022: इसका आयोजन वैश्विक आतंकवाद रोधी परिषद (Global Counter Terrorism Council- GCTC) द्वारा किया गया था।
- भारत:
- ‘गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन अधिनियम’ भारत में लागू एक महत्त्वपूर्ण आतंकवाद विरोधी कानून है।
- आतंकवाद विरोधी मुद्दे पर भारत के वार्षिक संकल्प को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की पहली समिति में सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) एक अर्द्ध-सैनिक बल है जो मुख्य रूप से आतंकवाद रोधी और अपहरण रोधी अभियानों हेतु उत्तरदायी है।
- वैश्विक:
- सामूहिक विनाश के हथियारों का प्रसार:
- वैश्विक:
- WMD के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयास अंतर्राष्ट्रीय समझौतों जैसे- 1968 की परमाणु अप्रसार संधि, वर्ष 1972 का जैविक हथियार सम्मेलन और वर्ष 1993 का रासायनिक हथियार सम्मेलन में निहित हैं।
- भारत 1968 की परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है।
- WMD के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयास अंतर्राष्ट्रीय समझौतों जैसे- 1968 की परमाणु अप्रसार संधि, वर्ष 1972 का जैविक हथियार सम्मेलन और वर्ष 1993 का रासायनिक हथियार सम्मेलन में निहित हैं।
- भारत:
- भारत ने सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिये एक अधिनियम बनाया है, जिसे सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005 के रूप में जाना जाता है।
- वैश्विक:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मुख्य परीक्षा:प्रश्न. चर्चा कीजिये कि कैसे उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये विस्तृत उपाय क्या है। (2021) प्रश्न. आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता, इसके कारणों, संबंधों और अनुचित साँठगाँठ का विश्लेषण कीजियं। आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने के लिये आवश्यक उपाय भी सुझाइये। (2021) |