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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

खाड़ी देशों के बीच ‘एकजुटता और स्थिरता’ समझौता

  • 06 Jan 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खाड़ी देशों ने सऊदी अरब के अल उला (Al Ula) में आयोजित 41वें खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) शिखर सम्मेलन में ‘एकजुटता और स्थिरता’ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

Gulf-Cooperation-Council

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि 

  • कतर पर प्रतिबंध:
    • जून 2017 में सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों (संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन तथा मिस्र) ने कतर के साथ संबंध समाप्त करते हुए उसके खिलाफ संपूर्ण (जलीय, हवाई और भूमि संबंधी) नाकाबंदी लागू कर दी थी।
  • कारण
    • कतर पर आरोप लगाया गया था कि वह ईरान के साथ संबंध मज़बूत कर रहा है और कट्टरपंथी इस्लामी समूहों का समर्थन करता है।
    • कतर पर ईरान और मुस्लिम ब्रदरहुड (सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रतिबंधित एक सुन्नी इस्लामी राजनीतिक समूह) के समर्थन से आतंक फैलाने और उसे वित्तपोषित करने का आरोप लगाया गया था।

‘एकजुटता और स्थिरता’ समझौता 

  • खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के सदस्यों ने कतर पर लागू सभी प्रतिबंधों को हटाने और कतर के लिये अपने भूमि, समुद्र और हवाई मार्ग को फिर से खोलने हेतु अल उला (सऊदी अरब) में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के सदस्य देश हैं।
  • कारण
    • इस समझौते का उद्देश्य खाड़ी क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयासों में एकजुटता लाना और खाड़ी देशों के समक्ष मौजूद चुनौतियों, विशेषतः ईरान के परमाणु व बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम तथा उसकी अन्य विनाशकारी योजनाओं के कारण उत्पन्न चुनौतयों का एकजुटता से सामना करना है।

खाड़ी सहयोग परिषद (GCC)

  • खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) एक राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1981 में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात के बीच संपन्न एक समझौते के माध्यम से की गई थी। ध्यातव्य है कि भौगोलिक निकटता, इस्लाम आधारित समान राजनीतिक प्रणाली और सामान्य उद्देश्य के कारण इन सभी देशों के बीच एक विशिष्ट संबंध मौजूद है।
  • खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) की संरचना में सर्वोच्च परिषद (उच्चतम प्राधिकरण), मंत्रिस्तरीय परिषद और सेक्रेटेरियेट जनरल आदि शामिल हैं। 
    • सचिवालय सऊदी अरब के रियाद में स्थित है।

खाड़ी क्षेत्र के साथ भारत के संबंध 

भारत और खाड़ी सहयोग परिषद

  • खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के साथ भारत के आर्थिक और राजनीतिक संबंधों में हाल के कुछ वर्षों में काफी सुधार हुआ है।
  • दोनों के मैत्रीपूर्ण संबंधों की पुष्टि इस बात से की जा सकती है कि भारत और खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के बीच 121 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है, साथ ही खाड़ी देशों में रहने वाले तकरीबन 9 मिलियन अप्रवासी कामगारों द्वारा 49 बिलियन डॉलर धनराशि प्रेषण के माध्यम से भारत में भेजी जाती है।
  • भारत के क्रूड आयात में GCC के आपूर्तिकर्त्ताओं का लगभग 34 प्रतिशत हिस्सा है।

भारत और ईरान 

  • भारत ने हमेशा ईरान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध साझा किये हैं, हालाँकि भारत-ईरान संबंध अमेरिका के दबाव के कारण मौजूदा समय में अपने सबसे जटिल दौर से गुज़र रहे हैं।
  • मई 2018 में अमेरिका ने ईरान परमाणु समझौते (संयुक्त व्यापक क्रियान्वयन योजना) की आलोचना करते हुए इससे हटने का निर्णय लिया तथा ईरान के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया गया। 

भारत और कतर 

  • हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने कतर के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने पर चर्चा की।
  • कतर के साथ भारत मैत्रीपूर्ण संबंध साझा करता है और भारत ने कतर पर प्रतिबंधों के समय भी तेल समृद्ध इस देश के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे।

इस क्षेत्र में भारत की समग्र भूमिका

  • भारत ने सदैव ही इस क्षेत्र के स्थानीय या क्षेत्रीय विवादों में शामिल होने से परहेज़ किया है, क्योंकि भारतीय हितों को शक्ति प्रदर्शन की नहीं बल्कि शांति एवं क्षेत्रीय स्थिरता की आवश्यकता है।
  • खाड़ी देश भारत के शीर्ष व्यापारिक भागीदार देशों में शामिल हैं जो भारत में ऊर्जा आयात की बढ़ती मात्रा तथा खाड़ी देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती परस्पर-निर्भरता को चिह्नित करता है। साथ ही खाड़ी देशों से भारत के हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना है।
  • राजनीतिक सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा क्षेत्र, खासतौर पर आतंकवाद-रोधी कार्यों में भारत और खाड़ी देशों के बीच सहयोग में काफी बढ़ोतरी हुई है।
  • भारत और खाड़ी देश रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिये भी यथासंभव कदम उठा रहे हैं।
    • उदाहरण: बहुराष्ट्रीय मेगा अभ्यास 'मिलन’ में सऊदी अरब, ओमान, कुवैत और अन्य खाड़ी देशों की भागीदारी रही।

आगे की राह

  • खाड़ी क्षेत्र का भारत के लिये ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। भारत और खाड़ी सहयोग परिषद के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दोनों के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मज़बूती प्रदान कर सकता है।
  • विश्लेषकों का अनुमान है कि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में सऊदी अरब एक लुप्त होती शक्ति है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ईरान नए क्षेत्रीय शक्तियों के रूप में उभर रहे हैं। ओमान तथा इराक को अपनी संप्रभु पहचान बनाए रखने के लिये संघर्ष करना होगा।
  • इस प्रकार भारतीय हितों के लिये यही सबसे बेहतर होगा कि इस क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग के माध्यम से स्थिरता सुनिश्चित की जाए, क्योंकि यदि प्रतिस्पर्द्धी सुरक्षा का विकल्प अपनाया जाता है तो इस क्षेत्र में स्थिरता लाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।

स्रोत: द हिंदू

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