अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ईरान द्वारा यूरेनियम संवर्द्धन
- 05 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में ईरान ने वर्ष 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन करते हुए एक भूमिगत इकाई में 20 प्रतिशत तक यूरेनियम का संवर्द्धन शुरू कर दिया है, साथ ही महत्त्वपूर्ण होर्मुज़ जलडमरूमध्य के पास एक दक्षिण कोरियाई-ध्वज वाले टैंकर को भी अपने कब्ज़े में ले लिया है।
- इस बीच अमेरिका ने ईरान से बढ़ते सुरक्षा खतरों को ध्यान में रखते हुए खाड़ी क्षेत्र में अपने परमाणु ऊर्जा संचालित विमानवाहक पोत निमित्ज़ (Nimitz) को तैनात करने का फैसला किया है।
प्रमुख बिंदु
यूरेनियम संवर्द्धन:
- प्राकृतिक यूरेनियम में दो अलग-अलग समस्थानिक विद्यमान होते हैं जिसमें लगभग 99%, U-238 तथा 0.7%, U-235 की मात्रा पाई जाती है ।
- U-235 एक विखंडनीय सामग्री (Fissile Material) है जो परमाणु रिएक्टर में शृंखला अभिक्रिया को संचालित करने में सहायक है।
- यूरेनियम संवर्द्धन में आइसोटोप सेपरेशन (Isotope Separation) प्रक्रिया के माध्यम से यूरेनियम U-235 की मात्रा को बढाया जाता है (U-238 को U-235 से अलग किया जाता है)।
- परमाणु हथियारों के निर्माण में 90% या उससे अधिक तक यूरेनियम संवर्द्धन की आवश्यकता होती है जिसे अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम/हथियार-ग्रेड यूरेनियम (Highly Enriched Uranium/Weapons-Grade Uranium) के रूप में जाना जाता है।
- परमाणु रिएक्टरों के लिये 3-4% तक यूरेनियम संवर्द्धन की आवश्यकता होती है जिसे निम्न संवर्द्धित यूरेनियम/रिएक्टर-ग्रेड यूरेनियम (Low Enriched Uranium/Reactor-Grade Uranium) के रूप में जाना जाता है।
वर्ष 2015 का परमाणु समझौता:
- वर्ष 2015 में वैश्विक शक्तियों (P5 + 1) के समूह जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, चीन, रूस और जर्मनी शामिल हैं, के साथ ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम के लिये दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की गई।
- इस समझौते को ‘संयुक्त व्यापक क्रियान्वयन योजना’ (Joint Comprehensive Plan of Action- JCPOA) तथा आम बोल-चाल की भाषा में ईरान परमाणु समझौते ( Iran Nuclear Deal) के रूप में में नामित किया गया था।
- इस समझौते के तहत ईरान द्वारा वैश्विक व्यापार में अपनी पहुँच सुनिश्चित करने हेतु अपने परमाणु कार्यक्रमों की गतिविधि पर अंकुश लगाने पर सहमति व्यक्त की गई।
- समझौते के तहत ईरान को अपने शोध कार्यों के संचालन हेतु थोड़ी मात्रा में यूरेनियम जमा करने की अनुमति दी गई परंतु उसके द्वारा यूरेनियम संवर्द्धन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसका उपयोग रिएक्टर ईंधन और परमाणु हथियार बनाने के लिये किया जाता है।
- ईरान को एक भारी जल-रिएक्टर (Heavy-Water Reactor) के निर्माण की भी आवश्यकता थी, जिसमें ईंधन के रूप में प्रयोग करने हेतु भारी मात्रा में प्लूटोनियम (Plutonium) की आवश्यकता के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण की अनुमति देना भी आवश्यक है।
- मई 2018 में यूएसए द्वारा इस समझौते की आलोचना की गई तथा इसे दोषपूर्ण मानते हुए कुछ परिवर्तनों के साथ इसके प्रतिबंधों को और अधिक कड़ा कर दिया गया।
- प्रतिबंधों के और अधिक सख्त होने के बाद ईरान ने कुछ राहत पाने हेतु समझौते के हस्ताक्षरकर्त्ता देशों पर दबाव बनाने के साथ ही कुछ प्रतिबद्धताओं एवं नियमों का लगातार उल्लंघन किया है।
शामिल मुद्दे:
- ईरान और अमेरिका के मध्य और अधिक तनाव बढ़ने की घटनाएँ सामने आईं।
- ईरान द्वारा परमाणु बम विकसित करने के यूरेनियम संवर्द्धन की समयावधि को कम/छोटा किया जा सकता है।
- इज़राइल द्वारा ईरान के यूरेनियम संवर्द्धन के निर्णय की आलोचना की गई है।
- एक दशक पहले ईरान द्वारा 20 प्रतिशत यूरेनियम संवर्द्धन का निर्णय लिये जाने के बाद इज़राइल और ईरान के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। दोनों देशों के बीच यह तनाव वर्ष 2015 के परमाणु समझौते के बाद ही कम हो सका था।
- 20 प्रतिशत यूरेनियम का संवर्द्धन शुरू किये जाने से एक बार फिर अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है क्योंकि वर्ष 2015 के परमाणु समझौते के तहत ईरान केवल 4% यूरेनियम का संवर्द्धन कर सकता है।
- इतनी शुद्धता के यूरेनियम का इस्तेमाल विद्युत उत्पादन के लिये किया जाता है, जबकि परमाणु हथियारों के लिये 90% शुद्धता वाले यूरेनियम की आवश्यकता होती।
- इससे पूर्व अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने चार महीने से अधिक समय तक यूरेनियम संवर्द्धन के दो संदिग्ध स्थानों के निरीक्षणों को लेकर ईरान द्वारा लगाई गई रोक पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।
होर्मुज़ जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz)
भौगौलिक अवस्थिति
- यह ईरान और ओमान को अलग करने वाला जलमार्ग है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है।
- इसके उत्तर में ईरान और दक्षिण में संयुक्त अरब अमीरात तथा मुसंडम (ओमान का एक एन्क्लेव) स्थित हैं।
- होर्मुज़ जलडमरूमध्य अपने सबसे संकीर्ण बिंदु पर 21 मील चौड़ा है, लेकिन इसमें शिपिंग लेन दोनों दिशाओं में सिर्फ दो मील चौड़ी है।
महत्त्व
- होर्मुज़ जलडमरूमध्य, विश्व में रणनीतिक रूप से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बिंदुओं में से एक है।
- लगभग दो-तिहाई तेल और तकरीबन 50 प्रतिशत तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का भारतीय आयात ईरान और ओमान के बीच जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है।
- प्रतिदिन 18 मिलियन बैरल तेल होर्मुज़ जलडमरूमध्य होकर गुज़रता है, जो कि वैश्विक तेल व्यापार का तकरीबन 18 प्रतिशत है।
- विश्व का एक-तिहाई LNG व्यापार भी होर्मुज़ जलडमरूमध्य से ही होता है।
संबंधित समस्याएँ
- होर्मुज़ जलडमरूमध्य इस स्थिति में महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक भूमिका निभाता है क्योंकि यहाँ पर जलडमरूमध्य की रक्षा के लिये यूएस फिफ्थ फ्लीट जल पोत तैनात है।
- हाल के कुछ वर्षों के दौरान ईरान ने होर्मुज़ जलडमरूमध्य में तेल टैंकरों के सुरक्षित आवागमन के लिये खतरा उत्पन्न किया है।
आगे की राह
- वर्ष 2015 के समझौते में शामिल सभी देशों को रचनात्मक दिशा में कार्य करने हेतु संलग्न होना चाहिये और सभी मुद्दों को शांति तथा वार्ता के माध्यम से हल करने का प्रयास करना चाहिये।
- अमेरिका और ईरान दोनों को रणनीतिक संयम के साथ काम करना चाहिये, क्योंकि पश्चिम एशिया में कोई भी संकट न केवल इस क्षेत्र को प्रभावित करेगा बल्कि वैश्विक मामलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।