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सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियाँ निषेध) संशोधन विधेयक-2022

  • 07 Apr 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स, 1968 की परमाणु अप्रसार संधि, 1972 का जैविक हथियार कन्वेंशन, 1993 का रासायनिक हथियार कन्वेंशन

मेन्स के लिये:

सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियाँ निषेध) संशोधन विधेयक-2022

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने लोकसभा में सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियाँ निषेध) संशोधन विधेयक-2022 पेश किया है।

  • विधेयक में सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) से संबंधित किसी भी गतिविधि के वित्तपोषण पर रोक लगाने और ऐसी गतिविधियों के वित्तपोषकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार देने की परिकल्पना की गई है।

विधेयक से संबंधित प्रमुख प्रावधान:

  • पृष्ठभूमि: इस विधेयक का उद्देश्य सामूहिक विनाश के हथियार एवं उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियाँ निषेध) अधिनियम-2005 को संशोधित करना है।
  • मूल अधिनियम: वर्ष 2005 का अधिनियम सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
    • इस अधिनियम में जैविक, रासायनिक और परमाणु हथियारों तथा उनकी वितरण प्रणालियों से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियों को शामिल किया गया है।
    • यह सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के संबंध में सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर नियंत्रण लगाने और गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं या आतंकवादियों को उनके हस्तांतरण की रोकथाम हेतु एकीकृत कानूनी उपायों का भी प्रावधान करता है।
  • संशोधन की आवश्यकता: सामूहिक विनाश के हथियारों से संबंधित मौजूदा अधिनियम ऐसी वितरण प्रणालियों के वित्तीय पहलू को कवर नहीं करता है, ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिये नए प्रावधान आवश्यक हैं।
  • विधेयक का उद्देश्य: विधेयक का उद्देश्य तीन लक्ष्यों को प्राप्त करना है:
    • सामूहिक विनाश के हथियारों से संबद्ध गतिविधियों के वित्तपोषण को प्रतिबंधित करना।
    • इस तरह के वित्तपोषण को रोकने के लिये केंद्र को धन, वित्तीय संपत्ति या आर्थिक संसाधनों को फ्रीज करने, ज़ब्त करने या संलग्न करने का अधिकार देना।
    • सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के संबंध में किसी भी निषिद्ध गतिविधि के लिये धन, वित्तीय संपत्ति या आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराने पर रोक लगाना।

सामूहिक विनाश के हथियार (WMD):

  • WMD के तहत ऐसे हथियार शामिल हैं जिनमें बड़े पैमाने पर मौत और विनाश करने की क्षमता होती है तथा एक शत्रु शक्ति के हाथों में इनकी उपस्थिति को एक गंभीर खतरा माना जा सकता है।
  • सामूहिक विनाश के आधुनिक हथियारों में परमाणु, जैविक, रासायनिक हथियार शामिल होते है जिन्हें एनबीसी हथियार (NBC Weapons) कहा जाता है।
  • सामूहिक विनाश के हथियार शब्द वर्ष 1937 से चलन में है, जब इसका इस्तेमाल बमवर्षक विमानों के बड़े पैमाने पर संरचनाओं का वर्णन करने के लिये किया जाता था।
    • उदाहरण के लिये जापान में हिरोशिमा और नागासाकी हमले में इस्तेमाल किये गए परमाणु बम।
  • WMD के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयास अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में निहित हैं, जैसे:
    • 1968 की परमाणु अप्रसार संधि
    • वर्ष 1972 का जैविक हथियार सम्मेलन
    • वर्ष 1993 का रासायनिक हथियार सम्मेलन
  • भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, लेकिन जैविक हथियार सम्मेलन और रासायनिक हथियार सम्मेलन दोनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011)

  1. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ एक अनौपचारिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य निर्यातक देशों द्वारा रासायनिक तथा जैविक हथियारों के प्रगुणन में सहायक होने के जोखिम को न्यूनीकृत करना है, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ OECD के अंतर्गत गठित औपचारिक समूह है जिसके समान लक्ष्य हैं।
  2. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ के सहभागी मुख्यतः एशियाई, अफ्रीकी और उत्तरी अमेरिका के देश हैं, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ के सहभागी मुख्यतः यूरोपीय संघ और अमेरिकी महाद्वीप के देश हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • ऑस्ट्रेलिया समूह एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था और देशों का एक अनौपचारिक समूह है (अब यूरोपीय आयोग में शामिल हो गया)। इसे वर्ष 1985 में (1984 में इराक द्वारा रासायनिक हथियारों के उपयोग के बाद) सदस्य देशों को उन निर्यातों की पहचान करने, जिन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है, में मदद के लिये स्थापित किया गया था ताकि रासायनिक एवं जैविक हथियारों का प्रसार न हो सके।
  • औपचारिक रूप से जुलाई 1996 में स्थापित वासेनार अरेंजमेंट, पारंपरिक हथियारों के लिये एक स्वैच्छिक निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है तथा दोहरे उपयोग वाले सामान और प्रौद्योगिकी एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है।
    • वासेनार अरेंजमेंट 42 देशों का समूह है, जिसमें शामिल होने वाला भारत सबसे नवीनतम देश है।

प्रश्न: 'रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. यह नाटो और डब्ल्यूएचओ के साथ कार्य करने के संबंध में यूरोपीय संघ का एक संगठन है।
  2. यह नए हथियारों के उपयोग को रोकने हेतु रासायनिक उद्योगों की निगरानी करता है।
  3. यह रासायनिक हथियारों के खतरों के खिलाफ राज्यों (पार्टियों) को सहायता और सुरक्षा प्रदान करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • 29 अप्रैल, 1997 को रासायनिक हथियार कन्वेंशन (CWC) के लागू होने से रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक हथियार निरस्त्रीकरण व्यवस्था की स्थापना हुई।
  • इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड में है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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