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सामाजिक न्याय

पावर्टी एंड शेयर्ड प्रॉसपैरिटी 2022: करेक्टिंग कोर्स

  • 07 Oct 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

गरीबी और साझा समृद्धि 2022, विश्व बैंक

मेन्स के लिये:

भारत में गरीबी की स्थिति और संबंधित कदम, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक ने "पावर्टी एंड शेयर्ड प्रॉसपैरिटी 2022: करेक्टिंग कोर्स  " शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।

प्रमुख बिंदु

  • वैश्विक गरीबी में कमी:
    • वैश्विक गरीबी में कमी की दर वर्ष 2015 से धीमी रही है लेकिन कोविड महामारी और यूक्रेन में युद्ध ने परिणामों को पूरी तरह से उलट दिया है।
    • वर्ष 2015 तक वैश्विक चरम-गरीबी दर में आधे से अधिक की गिरावट देखी गई थी।
      • तब से मंद वैश्विक आर्थिक विकास के साथ गरीबी में कमी की दर धीमी हो गई है।
    • जैसे, वर्ष 2030 तक अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने का वैश्विक लक्ष्य हासिल नहीं होगा।
  • गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग:
    • अकेले वर्ष 2020 में अत्यधिक गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 70 मिलियन से अधिक की वृद्धि हुई, जो वर्ष 1990 में वैश्विक गरीबी निगरानी शुरू होने के बाद से एक साल की सबसे बड़ी वृद्धि है।
    • वर्तमान प्रवृत्तियों को देखते हुए 57.4 मिलियन लोग दुनिया की आबादी का लगभग 7%, वर्ष 2030 में 2.15 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवन यापन कर रहे होंगे, जिनमें से अधिकांश अफ्रीका में होंगे।
  • असमानताओं में वृद्धि:
    • सबसे गरीब लोगों ने महामारी की सबसे बड़ी लागत वहन की। सबसे गरीब लोगों का 40% आय का नुकसान जो कि औसतन 4% है, जो आय वितरण के सबसे धनी लोगों  के 20% के नुकसान का दोगुना है।
    • परिणामस्वरूप दशकों में पहली बार वैश्विक असमानता बढ़ी है।
    • वर्ष 2020 में वैश्विक औसत आय में 4% की गिरावट आई, यह वर्ष 1990 में औसत आय के मापन के बाद पहली गिरावट है।

सुझाव:

  • राष्ट्रीय नीतिगत सुधार गरीबी को कम करने की दिशा में मदद कर सकते हैं।
  • वैश्विक सहयोग बढ़ाना भी आपेक्षित होगा।
  • इसके लिये राजकोषीय नीति में सरकारों को तीन मोर्चों पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी:
    • व्यापक सब्सिडी से बचाव, लक्षित नकद हस्तांतरण में वृद्धि:
      • कम और मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में बिजली सब्सिडी पर सभी खर्च का आधा हिस्सा सबसे अमीर 20% आबादी का होता है जो अतिरिक्त बिजली का उपयोग करते हैं।
      • गरीब और कमज़ोर समूहों का समर्थन करने के लिये नकद हस्तांतरण एक अधिक प्रभावी तंत्र है।
    • दीर्घकालिक विकास पर ध्यान:
      • शिक्षा, अनुसंधान और विकास तथा बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में उच्च रिटर्न वाले निवेश आदि पर आज से ही ध्यान देने की आवश्यकता है।
      • संसाधनों की कमी के समय में अधिक कुशल तरीके से खर्च और अगले संकट के लिये बेहतर तैयारी करना आवश्यक है।
    • गरीबों को नुकसान पहुँचाए बिना घरेलू राजस्व एकत्रित करना:
      • संपत्ति और कार्बन कर गरीबों को नुकसान पहुँचाए बिना राजस्व बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
        • ऐसा ही कुछ पर्सनल और कॉरपोरेट इनकम टैक्स के आधार को बढ़ा कर किया जा सकता है।
      • यदि बिक्री और उत्पाद शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता है तो सरकारों को सबसे कमज़ोर परिवारों पर उनके प्रभावों को दूर करने के लिये लक्षित नकद हस्तांतरण का उपयोग करके आर्थिक विकृतियों और नकारात्मक वितरण प्रभावों को कम करना चाहिये।

भारत में गरीबी की स्थिति:

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखा अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर है, क्योंकि:

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है
(b) कीमत-स्तर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • भारत में गरीबी का अनुमान निरपेक्ष स्तर या निर्वाह के लिये आवश्यक न्यूनतम धन से लगाया जाता है। वर्तमान में गरीबी रेखा को शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 2,100 कैलोरी और ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 2,400 कैलोरी की मात्रा को बनाए रखने के लिये आवश्यक न्यूनतम धन के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • इस प्रकार योजना आयोग के गरीबी अनुमान (2011-12) के अनुसार, गरीबी रेखा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है क्योंकि प्रति व्यक्ति वस्तुओं की कीमत अंतर्राज्यीय मूल्य अंतर के कारण भिन्न होती हैं।
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

प्रश्न." केवल आय के आधार पर गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्त्वपूर्ण है"। इस संदर्भ में नवीनतम संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट का विश्लेषण कीजिये। (मेन्स-2020)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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