डेली न्यूज़ (04 Apr, 2022)



कृषि में आधुनिक तकनीक को अपनाना

प्रिलिम्स के लिये:

इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर (IDEA), जेनेटिक इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस टेक्नोलॉजी, ड्रोन का इस्तेमाल, एसएमएएम, किसान कॉल सेंटर, किसान सुविधा एप, एग्री मार्केट एप।

मेन्स के लिये:

किसानों की सहायता में ई-प्रौद्योगिकी।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कृषि में प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिये सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी।

  • वर्ष 2021 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) द्वारा इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर (IDEA) पर एक परामर्श पत्र जारी किया गया गया, जो कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति की बात करता है।
  • आधुनिक तकनीक को अपनाना विभिन्न कारकों जैसे- सामाजिक-आर्थिक स्थिति, भौगोलिक स्थिति, उगाई गई फसल, सिंचाई सुविधाएँ आदि पर निर्भर करता है।

कृषि में प्रौद्योगिकी का महत्त्व:

  • कृषि में प्रौद्योगिकी का उपयोग शाकनाशी, कीटनाशक, उर्वरक और उन्नत बीज का उपयोग जैसे कृषि संबंधी विभिन्न पहलुओं में किया जा सकता है ।
  • वर्षों से कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अत्यंत उपयोगी साबित हुई है।
    • वर्तमान में किसान उन क्षेत्रों में फसल उगाने में सक्षम हैं, जिन क्षेत्रों में पहले वे फसल उगाने में अक्षम थे, लेकिन यह कृषि जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही संभव हुआ है।
  • उदाहरण के लिये जेनेटिक इंजीनियरिंग ने एक पौधे या जीव को दूसरे पौधे या जीव या इसके विपरीत स्थानांतरित करने में सक्षम बना दिया है।
    • इस तरह की इंजीनियरिंग फसलों में कीटों (जैसे बीटी कॉटन) और सूखे के प्रतिरोध को बढ़ाती है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसान दक्षता और बेहतर उत्पादन के लिये प्रत्येक प्रक्रिया का विद्युतीकरण करने की स्थिति में हैं।

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प्रौद्योगिकी का उपयोग कृषि में कैसे लाभकारी हो सकता है?

  • यह कृषि उत्पादकता को बढ़ाती है।
  • मृदा के क्षरण को रोकती है।
  • फसल उत्पादन में रासायनिकों के अनुप्रयोग को कम करती है।
  • जल संसाधनों का कुशल उपयोग।
  • गुणवत्ता, मात्रा और उत्पादन की कम लागत के लिये आधुनिक कृषि पद्धतियों का प्रसार करती है।
  • किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव लाती है।

चुनौतियाँ:

  • शिक्षा और प्रशिक्षण से संबंधित:
    • ज्ञान की कमी
    • अपर्याप्त कौशल
    • बेहतर कौशल प्रशिक्षण का अभाव
  • प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचा:
    • खराब बुनियादी ढाँचा
    • भंडारण की कमी
    • परिवहन की कमी
  • आर्थिक और नीतिगत मुद्दे:
    • धन की कमी
    • ऋण तक पहुँच की कमी
    • बैंक ऋणों तक पहुँच का अभाव
  • जलवायु और पर्यावरणीय मुद्दे:
    • खराब मिट्टी
    • मिट्टी की उर्वरता में कमी
    • वर्षा की अनियमितता
    • प्राकृतिक आपदाएँ जैसे- बाढ़, पाला, ओलावृष्टि
  • मनो-सामाजिक मुद्दे:
    • श्रमिकों की कृषि में दिलचस्पी न होना, क्योकि वे आत्मनिर्भरता के लिये परियोजनाओं (आईपेलेगेंग प्रोजेक्ट) की तुलना में कृषि कार्यों को कम प्राथमिकता देते हैं, साथ ही कृषि कार्य करने के लिये अधिक समय की आवश्यकता होती है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • एग्रीस्टैक: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 'एग्रीस्टैक' के निर्माण की योजना बनाई है, जो कि कृषि में प्रौद्योगिकी आधारित हस्तक्षेपों का संग्रह है। यह किसानों को कृषि खाद्य मूल्य शृंखला में एंड टू एंड सेवाएँ प्रदान करने हेतु एक एकीकृत मंच का निर्माण करेगा।
  • डिजिटल कृषि मिशन: कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन, रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीक, ड्रोन व रोबोट के उपयोग जैसी नई तकनीकों पर आधारित परियोजनाओं को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा वर्ष 2021 से वर्ष 2025 तक के लिये यह पहल शुरू की गई है।
  • एकीकृत किसान सेवा मंच (UFSP): यह कोर इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा, एप्लीकेशन और टूल्स का एक संयोजन है जो देश भर में कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न सार्वजनिक व निजी आईटी प्रणालियों की निर्बाध अंतःक्रियाशीलता को सक्षम बनाता है। UFSP निम्नलिखित भूमिका निभाता है:
  • कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP-A): यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, इस योजना को वर्ष 2010-11 में 7 राज्यों में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य किसानों तक समय पर कृषि संबंधी जानकारी पहुँचाने के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग कर भारत में तेज़ी से विकास को बढ़ावा देना है।
    • वर्ष 2014-15 में इस योजना का विस्तार शेष सभी राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया था।
  • कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM):
    • इस योजना के तहत विभिन्न प्रकार के कृषि उपकरण और मशीनरी की खरीद के लिये सब्सिडी प्रदान की जाती है।
  • अन्य डिजिटल पहलें: किसान कॉल सेंटर, किसान सुविधा एप, कृषि बाज़ार एप, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) पोर्टल आदि।

आगे की राह

  • प्रौद्योगिकी के उपयोग ने 21वीं सदी को परिभाषित किया है। जैसे-जैसे दुनिया क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा और अन्य नई तकनीकों की ओर बढ़ रही है, भारत के पास आईटी दिग्गज होने का लाभ उठाने और कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने का एक ज़बरदस्त अवसर है। जैसे हरित क्रांति ने कृषि उत्पादन में वृद्धि की है, वैसे ही भारतीय खेती में आईटी क्रांति अगला बड़ा कदम हो सकता है।
  • भारत में किसानों की क्षमता में सुधार हेतु अत्यधिक प्रयास किया जाने की आवश्यकता है, कम-से-कम जब तक शिक्षित युवा किसान मौजूदा अल्पशिक्षित छोटे एवं मध्यम किसानों को प्रतिस्थापित नहीं कर देते हैं।
  • कृषि क्षेत्र में भारत को सभी तरह से ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की क्षमता है और इससे बाहरी कारकों पर निर्भरता भी कम होगी।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

राष्ट्रव्यापी 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना' का उद्देश्य है:

1. सिंचाई के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना।

2. बैंकों को मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर किसानों को दिये जाने वाले ऋणों की मात्रा का आकलन करने में सक्षम बनाना।

3. खेत में उर्वरकों के अतिप्रयोग को रोकना।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा प्रवर्तित भारत सरकार की एक योजना है। इसे सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के कृषि विभाग के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से प्रत्येक किसान को जोत की मिट्टी के पोषक तत्त्व की स्थिति और उर्वरकों की खुराक तथा आवश्यक मृदा संशोधन पर सलाह प्रदान की जाती है, जिससे लंबे समय तक मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसी विशेष मिट्टी के प्रकार का पता लगाना और फिर ऐसे तरीके प्रदान करना है ताकि किसान इसमें सुधार कर सकें।

स्रोत: पी.आई.बी.


सर्वोच्च न्यायालय ने वन्नियार कोटा रद्द किया

प्रिलिम्स के लिये:

तमिलनाडु में वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय, संविधान की नौवीं अनुसूची।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय के लिये 10.5 प्रतिशत आंतरिक आरक्षण को रद्द कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा?

  • सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय को 10.5% आंतरिक आरक्षण समानता, गैर-भेदभाव और तमिलनाडु में 115 अन्य अति पिछड़े समुदायों (MBCs) तथा विमुक्त समुदायों (DNCs) के समान अवसर के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
  • राज्य में अति पिछड़ा वर्ग (MBC) के कुल 20% के कोटे के भीतर एक समुदाय को 10.5 फीसदी आरक्षण का आवंटन और इस श्रेणी में अन्य 115 अन्य समुदायों को केवल 9.5% कोटा देने का कोई विशिष्ट एवं पर्याप्त आधार नहीं है।
  • इसके अलावा न्यायालय ने कहा कि इस दावे का समर्थन करने के लिये वर्ष 2021 के अधिनियम से पहले कोई मूल्यांकन या विश्लेषण नहीं किया गया था कि वन्नियाकुला क्षत्रिय अन्य MBCs और DNCs की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक पिछड़े थे।
  • न्यायालय ने रेखांकित किया कि जाति आंतरिक आरक्षण के लिये शुरुआती बिंदु हो सकती है, लेकिन यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह निर्णय की तर्कसंगतता को सही ठहराए।
  • हालाँकि न्यायालय ने वर्ष 2021 के अधिनियम और इसके आरक्षण के प्रतिशत को असंवैधानिक ठहराया, लेकिन इसने राज्य की विधायी क्षमता को चिह्नित पिछड़े वर्गों के भीतर उप-वर्गीकरण एवं इस प्रतिशत को विभाजित करने के लिये कानून बनाने हेतु एक सक्षम प्राधिकरण के रूप में मान्यता दी है।

वन्नियाकुला क्षत्रिय आरक्षण क्या है?

  • संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत संरक्षण प्राप्त वर्ष 1994 के अधिनियम के तहत तमिलनाडु में 69% आरक्षण लागू है।
    • 69% में से ईसाई और मुसलमानों सहित पिछड़े वर्गों को 30% MBCs को 20%; अनुसूचित जाति को 18% और अनुसूचित जनजाति के लिये 1% आरक्षण की व्यवस्था है।
  • यह आरक्षण राज्य में अति पिछड़ा वर्ग और विमुक्त समुदाय अधिनियम, 2021 के तहत प्रदान किया गया था।
  • इसमें वन्नियाकुला क्षत्रिय (वन्नियार, वनिया, वन्निया गौंडर, गौंडर या कंदर, पडायाची, पल्ली और अग्निकुल क्षत्रिय सहित) समुदाय को शामिल किया गया था।
  • वर्ष 1983 में दूसरे तमिलनाडु पिछड़ा आयोग ने माना कि वन्नियाकुला क्षत्रियों की आबादी राज्य की कुल आबादी का 13.01% है।
  • इसलिये 13.01% की आबादी वाले समुदाय को 10.5% आरक्षण के प्रावधान को अनुपातहीन नहीं कहा जा सकता है।

भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची:

  • नौवीं अनुसूची को भारतीय संविधान में पहले संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
  • इसे 10 मई, 1951 को जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा भूमि सुधार कानूनों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर न्यायालय में चुनौती दिये जाने से बचाने के लिये पेश किया गया था।
  • इसे नए अनुच्छेद 31B द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया था।
    • अनुच्छेद 31B का एक पूर्वव्यापी (Retrospective) संचालन भी है, अर्थात् न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित होने के बाद भी यदि किसी कानून को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाता है तो वह उस तारीख से संवैधानिक रूप से वैध माना जाएगा।
  • जबकि अनुसूची के तहत संरक्षित अधिकांश कानून कृषि/भूमि के मुद्दों से संबंधित हैं, इसके साथ ही सूची में अन्य विषय भी शामिल हैं।
  • हालाँकि अनुच्छेद 31B न्यायिक समीक्षा से परे है, जबकि बाद में शीर्ष अदालत द्वारा कहा गया कि नौवीं अनुसूची के तहत कानून भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आएंगे यदि वे मौलिक अधिकारों या संविधान के मूल ढाँचे का उल्लंघन करते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची को भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया था? (2019)

(a) जवाहर लाल नेहरू
(b) लाल बहादुर शास्त्री
(c) इंदिरा गांधी
(d) मोरारजी देसाई

उत्तर: (a)

स्रोत: द हिंदू


भारत, तुर्कमेनिस्तान द्विपक्षीय बैठक

प्रिलिम्स के लिये:

तुर्कमेनिस्तान और मध्य एशियाई राष्ट्रों की भौगोलिक स्थिति, तापी पाइपलाइन, अश्गाबात समझौता।

मेन्स के लिये:

भारत और संबंधित चुनौतियों के लिये मध्य एशियाई देशों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय राष्ट्रपति द्वारा पहली बार तुर्कमेनिस्तान की यात्रा की गई जहांँ उन्होंने वित्तीय, खुफिया और आपदा प्रबंधन सहित चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये तथा बहुआयामी साझेदारी को और अधिक मज़बूती प्रदान करने के लिये द्विपक्षीय व्यापार एवं ऊर्जा सहयोग का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की।

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प्रमुख बिंदु

द्विपक्षीय बैठक की मुख्य विशेषताएंँ:

  • द्विपक्षीय बैठक में अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North South Transport Corridor- INSTC) और अंतर्राष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारे को लेकर अश्गाबात समझौते (Ashgabat Agreement) के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
  • ईरान में भारत द्वारा निर्मित चाबहार बंदरगाह का उपयोग भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार में सुधार के लिते किया जा सकता है।
  • तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (Turkmenistan-Afghanistan-Pakistan-India- TAPI) पाइपलाइन पर चर्चा करते हुए भारत ने सुझाव दिया कि तकनीकी और विशेषज्ञ स्तर की बैठकों में पाइपलाइन की सुरक्षा एवं प्रमुख व्यावसायिक सिद्धांतों से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया जा सकता है।
  • भारत ने डिजिटलीकरण की दिशा में अपने अभियान में तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी करने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि दोनों देशों के मध्य अंतरिक्ष पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का एक अन्य क्षेत्र हो सकता है।
  • द्विपक्षीय बैठक में एक-दूसरे के क्षेत्र में नियमित रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के महत्त्व को रेखांकित किया गया क्योंकि दोनों देश सदियों पुरानी सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों को साझा करते हैं।
  • दोनों देशों द्वारा अपने-अपने देशों की आबादी को प्रभावित करने वाली कोविड-19 महामारी के प्रभावी प्रबंधन पर बारीकी से सहयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • दोनों देश भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की रूपरेखा के तहत और सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
  • सुधारित और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ वर्ष 2021-22 की अवधि के लिये UNSC में भारत के अस्थायी सदस्य के रूप में तुर्कमेनिस्तान द्वारा समर्थन करने हेतु भारत ने तुर्कमेनिस्तान के प्रति आभार व्यक्त किया।
  • दोनों देश अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर एक व्यापक 'क्षेत्रीय सहमति' साझा करते हैं, जिसमें एक वास्तविक प्रतिनिधि और समावेशी सरकार का गठन, आतंकवाद का मुकाबला करना एवं मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका, अफगानिस्तान के लोगों के लिये तत्काल मानवीय सहायता और संरक्षण प्रदान करना तथा महिलाओं, बच्चों तथा अन्य राष्ट्रीय जातीय समूहों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण शामिल है।

भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंध:

  • तुर्कमेनिस्तान उत्तर में कज़ाखस्तान, उत्तर व उत्तर-पूर्व में उज़्बेकिस्तान, दक्षिण में ईरान तथा दक्षिण-पूर्व में अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है।
  • भारत की 'कनेक्ट सेंट्रल एशिया' नीति 2012 में इस क्षेत्र के साथ गहरे पारस्परिक संबंधों की परिकल्पना की गई है जो ऊर्जा संबंधी नीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • भारत अश्गाबात समझौते में शामिल है, जिसमें व्यापार और निवेश को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाने हेतु मध्य एशिया को फारस की खाड़ी से जोड़ने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
  • भारत तापी (TAPI) पाइपलाइन (तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत) को तुर्कमेनिस्तान के साथ अपने आर्थिक संबंधों में एक 'प्रमुख स्तंभ' मानता है।
  • वर्ष 2015 में ‘फ्रीडम इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड लैंग्वेजेज़’, अश्गाबात में हिंदी पीठ की स्थापना की गई, जहांँ विश्वविद्यालय में छात्रों को हिंदी पढ़ाई जाती है।
  • भारत ITEC (भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग) कार्यक्रम के तहत तुर्कमेनिस्तान के नागरिकों को प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • तुर्कमेनिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है।
  • तुर्कमेनिस्तान 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था है, लेकिन भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार इसकी क्षमता से कम है। भारत तुर्कमेनिस्तान में विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र में अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ा सकता है। इससे भविष्य के व्यापार संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • हाल ही में भारत-मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
    • यह भारत और मध्य एशियाई देशों जैसे- कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान के बीच एक मंत्री स्तरीय संवाद है।
  • तुर्कमेनिस्तान के पास प्राकृतिक गैस का बहुत बड़ा भंडार है।
  • तुर्कमेनिस्तान भी रणनीतिक रूप से मध्य एशिया में स्थित है तथा भारत को लगता है कि कनेक्टिविटी के संबंध में तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी भारत के लिये लाभदायक सिद्ध होगी।

विगत वर्षों के प्रश्न:

निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019)

सागर सीमावर्ती देश
1. एड्रियाटिक सागर अल्बानिया
2. काला सागर क्रोएशिया
3. कैस्पियन सागर कज़ाखस्तान
4. भूमध्य सागर मोरक्को
5. लाल सागर सीरिया

 उयुक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)

  • एड्रियाटिक सागर भूमध्य सागर का एक हिस्सा है, जो इटली के पूर्वी तट और बाल्कन प्रायद्वीप के देशों, स्लोवेनिया से, क्रोएशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, मोंटेनेग्रो तथा अल्बानिया के बीच स्थित है। अत: युग्म 1 सही सुमेलित है।
  • काला सागर एक अंतर्देशीय समुद्र है जो सुदूर दक्षिणपूर्वी यूरोप और एशिया महाद्वीप के सुदूर पश्चिमी किनारों तथा तुर्की के बीच स्थित है। इसकी सीमा तुर्की, बुल्गारिया, रोमानिया, यूक्रेन, रूस और जॉर्जिया से लगती है। अत: युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है।
  • कैस्पियन सागर एशिया और यूरोप के बीच स्थित एक जल निकाय है। इसकी सीमा ईरान, तुर्कमेनिस्तान, कज़ाखस्तान, अज़रबैजान और रूस से लगती है। अत: युग्म 3 सही सुमेलित है।
  • कुल 21 देश भूमध्य सागर की सीमा में हैं, इसमें स्पेन, फ्राँस, मोनाको, इटली, माल्टा, स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, मोंटेनेग्रो, अल्बानिया, ग्रीस, तुर्की, साइप्रस, सीरिया, लेबनान, इज़राइल, मिस्र, लीबिया, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया तथा मोरक्को हैं। अत: युग्म 4 सही सुमेलित है।
  • लाल सागर की सीमा से लगे छह देश हैं- सऊदी अरब, यमन, मिस्र, सूडान, इरिट्रिया और जिबूती। अत: युग्म 5 सुमेलित नहीं है।
  • अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता

प्रिलिम्स के लिये:

आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता, मुक्त व्यापार समझौता, सीईपीए, सीईसीए, आपूर्ति शृंखला लचीली पहल, क्वाड, यूएनसीएलओएस, ऑस्ट्रेलिया का स्थान और पड़ोस।

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और समझौते, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, भारत से जुड़े तथा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते, आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता, मुक्त व्यापार समझौता तथा इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते, भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (Ind- Aus ECTA) पर हस्ताक्षर किये।

  • फरवरी 2022 में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की कि वे इस तरह के एक समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए (India-Australia ECTA) वार्ता औपचारिक रूप से सितंबर 2021 में फिर से शुरू की गई जो मार्च, 2022 के अंत तक फास्ट-ट्रैक आधार पर संपन्न हुई।

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आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता:

  • यह पहला मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है जिस पर भारत ने एक दशक से अधिक समय के बाद किसी प्रमुख विकसित देश के साथ हस्ताक्षर किये हैं।
  • फरवरी में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक एफटीए पर हस्ताक्षर किये तथा वर्तमान में इज़रायल, कनाडा, यूके और यूरोपीय संघ के साथ एफटीए पर कार्य कर रहा है।
  • इस समझौते में दो मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों के क्षेत्र में सहयोग शामिल है तथा इस समझौते में निम्नलिखित क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है:
    • वस्तु व्यापार, उत्पत्ति के नियम।
    • सेवाओं में व्यापार।
    • व्यापार की तकनीकी बाधाएँ (TBT)।
    • स्वच्छता और पादप स्वच्छता (Sanitary and Phytosanitary) उपाय।
    • विवाद निपटान, व्यक्तियों की आवाजाही।
    • दूरसंचार, सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ।
    • फार्मास्यूटिकल उत्पाद तथा अन्य क्षेत्रों में सहयोग।
  • ईसीटीए दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने तथा इसमें सुधार के लिये एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ईसीटीए क्रमशः भारत और ऑस्ट्रेलिया द्वारा निपटाए गए लगभग सभी टैरिफ लाइनों को कवर करता है।
    • भारत को अपनी 100% टैरिफ लाइनों पर ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रदान की जाने वाली अधिमान्य बाज़ार पहुँच से लाभ होगा।
    • इसमें भारत के सभी निर्यात श्रम प्रधान क्षेत्र शामिल हैं जैसे- रत्न, आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, फर्नीचर आदि।
    • दूसरी ओर भारत ऑस्ट्रेलिया को अपनी 70% से अधिक टैरिफ लाइनों पर अधिमान्य पहुँच की पेशकश करेगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया की निर्यात हेतु ब्याज दरें शामिल हैं जो मुख्य रूप से कच्चे माल जैसे- कोयला, खनिज अयस्क तथा वाइन और और बिचौलिये आदि हैं।
  • समझौते के तहत STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) से संबंधित भारतीय स्नातकों को अध्ययन के बाद विस्तारित कार्य वीज़ा दिया जाएगा।
    • ऑस्ट्रेलिया में कार्य करने के इच्छुक युवा भारतीयों को वीज़ा देने के लिये ऑस्ट्रेलिया द्वारा एक योजना की शुरुआत की जाएगी।

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समझौते का महत्त्व:

  • यह ऑस्ट्रेलिया को भारत के निर्यात के 96% तक शून्य-शुल्क पहुँच प्रदान करेगा, जिसमें इंजीनियरिंग सामान, रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, परिधान और चमड़े जैसे प्रमुख क्षेत्रों से शिपमेंट शामिल हैं।
  • एक सरकारी अनुमान के अनुसार, यह वस्तुओं एवं सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को पाँच वर्षों में लगभग 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 45-50 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर देगा और भारत में दस लाख से अधिक रोज़गार पैदा करेगा।
  • यह भारत को ऑस्ट्रेलिया के निर्यात के 85% तक शून्य-शुल्क पहुँच प्रदान करेगा, जिसमें कोयला, भेड़ का मांस और ऊन आदि शामिल है, साथ ही इसमें ऑस्ट्रेलियाई वाइन, बादाम, दाल और कुछ फलों पर कम शुल्क अधिरोपित करना भी है।

मुक्त व्यापार समझौते क्या हैं?

  • यह दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात बाधाओं को कम करने हेतु किया गया एक समझौता है।
  • एक मुक्त व्यापार नीति के तहत वस्तुओं और सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार खरीदा एवं बेचा जा सकता है, जिसके लिये बहुत कम या न्यून सरकारी शुल्क, कोटा तथा सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं।
  • मुक्त व्यापार की अवधारणा व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद (Economic Isolationism) के विपरीत है।
  • FTAs को तरजीही व्यापार समझौते, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA), व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार संबंध:

  • भारत-ऑस्‍ट्रेलिया के बीच प्रगाढ़ द्विपक्षीय संबंध हैं, जिनमें हाल के वर्षों में रूपांतरकारी बदलाव हुए हैं और अब ये एक सकारात्‍मक दिशा में विकसित होकर मित्रतापूर्ण साझेदारी में बदल गए हैं।
  • दोनों देशों के बीच एक विशेष साझेदारी है, जिसमें बहुलवादी, संसदीय लोकतंत्र, राष्‍ट्रकुल परंपराएँ, बढ़ता आर्थिक सहयोग, लोगों-से-लोगों के बीच दीर्घकालिक संबंध तथा बढ़ते हुए उच्‍चस्‍तरीय परस्‍पर संपर्कों के साझा मूल्‍य शामिल हैं।
  • भारत-ऑस्‍ट्रेलिया व्‍यापक रणनीतिक साझेदारी ‘भारत-आस्‍ट्रेलिया लीडर्स वर्चुअल समिट’ के दौरान आरंभ हुई, जो कि दोनों देशों के बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला है।
  • भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच बढ़ते वाणिज्यिक संबंध दोनों देशों के बीच स्थि‍रता एवं विविधता के साथ तीव्रता से प्रगाढ़ होते द्वपक्षीय संबंध की मज़बूती में योगदान देते हैं।
  • भारत और ऑस्‍ट्रेलिया एक-दूसरे के महत्त्वपूर्ण व्‍यापारिक साझेदार बने हुए हैं।
    • ऑस्‍ट्रेलिया भारत का 17वाँ सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझेदार है तथा भारत ऑस्‍ट्रेलिया का नौवाँ सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझेदार है।
    • वस्‍तु एवं सेवाओं दोनों क्षेत्रों में भारत-ऑस्‍ट्रेलिया द्विपक्षीय व्‍यापार वर्ष 2021 में 27.5 बिलियन डॉलर का आंँका गया है।
    • वर्ष 2019 तथा वर्ष 2021 के बीच ऑस्‍ट्रेलिया को भारत का वस्‍तु निर्यात 135 प्रतिशत बढ़ा। भारत के निर्यातों में मुख्‍य रूप से परिष्‍कृत उत्‍पादों का एक व्‍यापक बास्‍केट शामिल है तथा वर्ष 2021 में यह 6.9 बिलियन डॉलर का था।
    • वर्ष 2021 मेंऑस्ट्रेलिया से भारत द्वारा किया गया माल का आयात 15.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जिसमें बड़े पैमाने पर कच्चा माल, खनिज और मध्यवर्ती सामान शामिल थे।
  • भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ त्रिपक्षीय ‘सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव’ (SCRI) में शामिल है जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति शृंखलाओं में लचीलेपन को बढ़ाने का प्रयास करता है।
  • इसके अलावा भारत एवं ऑस्ट्रेलिया दोनों ही देश क्वाड ग्रुपिंग (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) के सदस्य हैं, जिसमें अमेरिका तथा जापान भी शामिल हैं, ताकि सहयोग को और बढ़ाया जा सके एवं साझा चिंताओं के कई मुद्दों पर साझेदारी विकसित की जा सके।

आगे की राह

  • साझा मूल्य, साझा हित, साझा भूगोल और साझा उद्देश्य भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को गहरा करने का आधार हैं तथा हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सहयोग एवं समन्वय ने गति पकड़ी है।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही देश विवादों के बजाय एकतरफा या सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तथा समुद्र के सहकारी उपयोग हेतु संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) एवं शांतिपूर्ण समाधान हेतु अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करते हैं।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए ( India-Australia ECTA) दोनों देशों के बीच पहले से ही घनिष्ठ और रणनीतिक संबंधों को और मज़बूती प्रदान करेगा, वस्तुओं एवं सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाएगा, रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न करेगा तथा दोनों देशों के लोगों के जीवन स्तर को सुधरने के साथ-साथ लोगों के सामान्य कल्याणको सुनिश्चित करेगा।
  • एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (Association of Southeast Asian Nations- ASEAN) के छह भागीदार देशों अर्थात् पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, कोरिया गणराज्य, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न.निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)

1. ऑस्ट्रेलिया
2. कनाडा
3. चीन
4. भारत
5. जापान
6. यूएसए

उपर्युक्त में से कौन से देश आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में शामिल हैं?

(a) 1, 2, 4 और 5
(b) 3, 4, 5 और 6
(c) 1, 3, 4 और 5
(d) 2, 3, 4 और 6

उत्तर: (c)

स्रोत: पी.आई.बी.


मानव जीनोम

प्रिलिम्स के लिये:

मानव जीनोम, जीनोम बनाम जीन, टेलोमेयर-2-टेलोमेयर (T2T) प्रोजेक्ट, जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट।

मेन्स के लिये:

मानव जीनोम और इसका महत्त्व, जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट और इसका महत्त्व, जैव प्रौद्योगिकी।

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों ने लगभग दो दशक पहले पहली बार मानव/ह्यूमन जीनोम मैपिंग को प्रकाशित किया था, जिसे एक सफलता के रूप में सराहा गया था।

  • वर्ष 2003 में वैज्ञानिकों को इस संबंध में सफलता मिली, लेकिन यह अधूरी सफलता थी, क्योंकि मानव डीएनए का लगभग 8% हिस्सा बिना अनुक्रम के छोड़ दिया गया था।
  • अब पहली बार किसी बड़ी टीम ने मानव जीनोम की 8% तस्वीर को पूरा करने का दावा किया है।
  • वर्ष 2020 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट’ (GIP) नामक एक महत्त्वाकांक्षी जीन-मैपिंग परियोजना को मंज़ूरी दी थी।

जीनोम क्या है?

  • जीनोम एक जीव में मौजूद समग्र आनुवंशिक सामग्री को संदर्भित करता है और सभी लोगों में मानव जीनोम अधिकतर समान होता है, लेकिन डीएनए का एक बहुत छोटा हिस्सा एक व्यक्ति तथा दूसरे के बीच भिन्न होता है।
  • प्रत्येक जीव का आनुवंशिक कोड उसके डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड (डीएनए) में निहित होता है, जो जीवन के निर्माण खंड होते हैं।
  • वर्ष 1953 में जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक द्वारा "डबल हेलिक्स" के रूप में संरचित डीएनए की खोज की गई,जिससे यह समझने में मदद मिली कि जीन किस प्रकार जीवन, उसके लक्षणों एवं बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • प्रत्येक जीनोम में उस जीव को बनाने और बनाए रखने के लिये आवश्यक सभी जानकारी होती है।
  • मनुष्यों में पूरे जीनोम की एक प्रति में 3 अरब से अधिक डीएनए बेस जोड़े होते हैं।

जीनोम और जीन में क्या अंतर है?

Gene-Versus-Genome

इस संबंध में पहली बड़ी उपलब्धि क्या थी?

  • वर्ष 2003 में ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट से जेनेटिक सीक्वेंस उपलब्ध कराया गया था।
    • ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट वर्ष 1990 और वर्ष 2003 के बीच आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है, जिसमें यूक्रोमैटिन नामक मानव जीनोम के एक विशिष्ट क्षेत्र से संबंधित जानकारी एकत्र की गई थी।
    • इस क्षेत्र में गुणसूत्र जीन में समृद्ध होते हैं और डीएनए प्रोटीन के लिये एन्कोड करता है।
  • जो 8% हिस्सा बच गया था वह हेटरोक्रोमैटिन नामक क्षेत्र में था, जो जीनोम का एक छोटा हिस्सा है तथा प्रोटीन का उत्पादन नहीं करता है।
  • हेटरोक्रोमैटिन को कम प्राथमिकता देने के कम से कम दो प्रमुख कारण थे:
    • प्रथम कारण: जीनोम के इस हिस्से को "जंक डीएनए" (“junk DNA) माना जाता था, क्योंकि इसका कोई स्पष्ट कार्य नहीं था।
    • द्वितीय कारण: यूक्रोमैटिन (Euchromatin) में जीन की संख्या कम होती थी जो उस समय उपलब्ध उपकरणों के साथ अनुक्रम करने में सरल थे।
  • वर्तमान में पूरी तरह से अनुक्रमित जीनोम (Sequenced Genome) एक वैश्विक सहयोग के प्रयासों का परिणाम है जिसे टेलोमेरे-2-टेलोमेरे (Telomere-2-Telomere- T2T) परियोजना कहा जाता है।
    • डीएनए अनुक्रमण/सीक्वन्सिंग (DNA Sequencing) और कम्प्यूटेशनल एनालिसिस (Computational Analysis) के नए तरीकों के आविष्कार ने शेष बचे 8% जीनोम के अध्ययन में मदद की है।

शेष 8% जीनोम:

  • नए संदर्भित जीनोम, जिसे T2T-CHM13 कहा जाता है, में टेलोमेयर्स (Telomeres) अर्थात् गुणसूत्रों के सिरों पर उपस्थित संरचनाएंँ और सेंट्रोमियर (प्रत्येक गुणसूत्र के मध्य भाग में) तथा उसके आस-पास पाए जाने वाले अत्यधिक कुंडलित डीएनए अनुक्रम उपस्थित होते हैं।
  • नए अनुक्रम में डीएनए के लंबे हिस्सों का भी पता चलता है जो जीनोम में अपने द्विगुणों (Duplicated) का निर्माण करते हैं तथा अपने क्रमिक विकास और रोग में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये जाने जाते हैं।
  • प्राप्त निष्कर्षों में बड़ी संख्या में आनुवंशिक विविधताओं को देखा गया और ये विविधताएंँ इन पुनरावर्ती अनुक्रमों ( Repeated Sequences) के भीतर बड़े हिस्से में दिखाई देती हैं।
  • नए प्रकाशित क्षेत्रों में से कई के जीनोम में महत्त्वपूर्ण कार्य हैं, भले ही उनमें सक्रिय जीन शामिल न हों।

खोज का महत्त्व:

  • जेनेटिक वेरिएशन के अध्ययन में सुविधा:
    • एक पूर्ण मानव जीनोम व्यक्तियों के बीच या आबादी के बीच आनुवंशिक भिन्नता के अध्ययन को आसान बनाता है।
  • जीनोम का अध्ययन करते समय संदर्भ के रूप में प्रयोग:
    • एक संपूर्ण मानव जीनोम का निर्माण कर वैज्ञानिक विभिन्न व्यक्तियों के जीनोम का अध्ययन करते समय इसका उपयोग संदर्भ के रूप में कर सकते हैं।
      • इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन सी विविधताएंँ विद्यमान हैं और यदि कोई विविधता विद्यमान है तो उनमें से बीमारी हेतु कौन से ज़िम्मेदार हो सकते हैं।
  • अध्ययन द्वारा अधिक सटीक जानकारी:
    • T2T कंसोर्टियम ने मानव जीनोम में 2 मिलियन से अधिक अतिरिक्त वेरिएंट की खोज के संदर्भ के रूप में पूर्ण जीनोम अनुक्रम का उपयोग किया।
  • मानक मानव संदर्भ जीनोम का पूरक:
    • नया T2T संदर्भित जीनोम मानक मानव संदर्भ जीनोम का पूरक होगा जिसे जीनोम रेफरेंस कंसोर्टियम बिल्ड 38 (GRCh38) के रूप में जाना जाता है, जो मानव जीनोम परियोजना से उत्पन्न हुआ है और तब से इसे अद्यतन किया गया है।

human-genome-squencing.

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकाें का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को कम करने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

  • चीनी वैज्ञानिकों ने वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डिकोड किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने चावल की बेहतर किस्मों जैसे- पूसा बासमती-1 और पूसा बासमती -1121 को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया, जिसने वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में काफी हद तक वृद्धि की है।
  • जीनोम अनुक्रमण में कम समय लगता है।
  • जीनोम अनुक्रमण एक फसल के संपूर्ण डीएनए अनुक्रम का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता प्रदान करता है।

प्रश्न. प्रायः समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019)

(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची।
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक से पहचान के लिये प्रयुक्त जैव संवेदक।
(c) एक जीन जो पादपों को पीड़क - प्रतिरोधी बनाता है।
(d) आनुवंशिकता रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ।

उत्तर: (a)

  • CRISPR-Cas9 एक अनूठी तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों और चिकित्सा शोधकर्त्ताओं को डीएनए अनुक्रम के अनुभागों को हटाने, जोड़ने या बदलने हेतु जीनोम के कुछ हिस्सों को संपादित करने में सक्षम बनाती है।
  • CRISPR "क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स" का एक संक्षिप्त रूप है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


ध्वनि प्रदूषण पर UNEP की रिपोर्ट

प्रिलिम्स के लिये:

वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट 2022, भारत में ध्वनि प्रदूषण और अनुमानित शोर का स्तर।

मेन्स के लिये:

भारत में ध्वनि प्रदूषण और संबंधित कानून तथा मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम रिपोर्ट जिसका शीर्षक वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट 2022 है, उत्तर प्रदेश राज्य के मुरादाबाद ज़िले के एक शहर के उल्लेख के कारण विवादास्पद हो गई है।

  • फ्रंटियर्स रिपोर्ट तीन पर्यावरणीय मुद्दों की पहचान करती है और समाधान प्रस्तुत करती है जिसमें शामिल हैं: शहरी ध्वनि प्रदूषण, जंगल की आग तथा फेनोलॉजिकल परिवर्तन (Phenological Shifts) जो कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के क्षरण को लेकर इन तीनों र्यावरणीय मुद्दों द्वारा ग्रह के संकट को संबोधित करने हेतु सरकारों व जनता का ध्यान आकर्षित करने तथा कार्रवाई की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

प्रमुख बिंदु

विवाद:

  • यह रिपोर्ट दुनिया भर के कई शहरों में शोर के स्तर के बारे में अध्ययनों को संकलित करती है और 61 शहरों के एक सबसेट और डीबी (डेसीबल) के स्तरों की सीमा को दर्शाती है।
  • दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, आसनसोल और मुरादाबाद इस सूची में उल्लिखित पांँच भारतीय शहर हैं।
  • रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद को 29 से 114 तक के dB रेंज के रूप में दर्शाया गया था।
    • 114 के अधिकतम स्तर पर यह सूची में दूसरा सबसे अधिक शोर वाला शहर था।
    • जबकि सड़क यातायात, उद्योग और उच्च जनसंख्या घनत्व उच्च डेसीबल स्तरों से जुड़े जाने-माने प्रमुख कारक हैं, मुरादाबाद को सूची में शामिल करना तर्कसंगत इसलिये नहीं माना गया क्योंकि अतीत में किये गए इसी तरह के अध्ययनों में कभी भी इसे असामान्य रूप से शोर वाले शहर की सूची में शामिल करने का सुझाव नहीं दिया गया था।
  • प्रथम स्थान पर ढाका, बांग्लादेश शामिल था जिसमें डीबी का स्तर 119 से अधिक था।

शोर के स्तर के मापन का महत्त्व:

  • डब्ल्यूएचओ दिशा-निर्देशों को पूरा करना:
    • वर्ष 2018 के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नवीनतम दिशा-निर्देशों में 53 डीबी के सड़क यातायात के शोर के स्तर हेतु एक स्वास्थ्य-सुरक्षात्मक सिफारिश प्रस्तुत की थी।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव:
    • फ्रंटियर्स रिपोर्ट ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पर शोर के प्रतिकूल प्रभावों सहित कई साक्ष्य संकलित किये जिसमें हल्के और अस्थायी संकट से लेकर गंभीर व पुरानी शारीरिक क्षति तक शामिल है।
      • बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएँ तथा शिफ्ट में कार्य करने वाले कर्मचारियों को शोर-शराबे के कारण नॉइज़ डिस्टर्बेंस का खतरा होता है।
      • शोर-प्रेरित जागरण कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकता है क्योंकि नींद हार्मोनल विनियमन और हृदय संबंधी कामकाज के लिये आवश्यक होती है।
      • ट्रैफिक शोर हृदय और चयापचय संबंधी विकारों जैसे कि उच्च रक्तचाप, धमनी उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और मधुमेह के विकास हेतु एक ज़ोखिम कारक है।
      • लंबे समय तक पर्यावरण में शोर के संपर्क में रहने से प्रतिवर्ष इस्केमिक हृदय रोग (Ischemic Heart Disease) के 48,000 नए मामले सामने आते हैं जो यूरोप में प्रतिवर्ष 12,000 लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बनता है।

ध्वनि प्रदूषण के संदर्भ में भारत का रुख:

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को अपनी राज्य इकाइयों के माध्यम से ध्वनि के स्तर को ट्रैक करने, मानकों को निर्धारित करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि अत्यधिक ध्वनि के स्रोतों को नियंत्रित किया जाए।
  • एजेंसी के पास एक मैनुअल मॉनीटरिंग सिस्टम है जिसके अंतर्गत प्रमुख शहरों में सेंसर लगाए जाते हैं तथा कुछ शहरों में वास्तविक समय में शोर के स्तर को ट्रैक करने की सुविधा होती है।

भारत में ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून:

  • ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत ध्वनि प्रदूषण को अलग से नियंत्रित किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 के तहत मोटर वाहनों, एयर-कंडीशनर, रेफ्रिज़रेटर, डीज़ल जनरेटर और कुछ अन्य प्रकार के निर्माण उपकरणों के लिये ध्वनि मानक निर्धारित किये गए हैं।
  • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत उद्योगों से होने वाले शोर को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (SPCBs/ PCCs) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से भिन्न है? (2018)

  1. एनजीटी को एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है, जबकि सीपीसीबी का गठन सरकार के एक कार्यकारी आदेश द्वारा किया गया है।
  2. एनजीटी पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध कराता है और उच्च न्यायालयों में मुकदमों के भार को कम करने में भी मदद करता है, जबकि सीपीसीबी नदियों एवं कुओं की सफाई को प्रोत्साहित करता है तथा इसका उद्देश्य देश में हवा की गुणवत्ता में सुधार करना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT):
    • इसकी स्थापना अक्तूबर 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के अनुसार पर्यावरण संरक्षण और वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी एवं शीघ्र निपटान हेतु की गई थी, जिसमें पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार को लागू करना और राहत देना शामिल है।
    • एनजीटी का उद्देश्य त्वरित पर्यावरणीय न्याय प्रदान करना और उच्च न्यायालयों में मुकदमेबाज़ी के बोझ को कम करने में मदद करना है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB):
    • यह जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत सितंबर 1974 में गठित एक वैधानिक संगठन है।
    • सीपीसीबी के प्रमुख कार्यों, जो कि जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम, 1981 में वर्णित हैं, के तहत विभिन्न क्षेत्रों में नदियों एवं कुओं की सफाई को बढ़ावा देना, जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उपशमन, राज्य तथा देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार और वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने या कम करने संबंधी उपाय करना शामिल है।

स्रोत: द हिंदू