लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

'क्वाड पहल' को पुनर्जीवित और विस्तारित करने की आवश्यकता

  • 22 Jul 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

क्वाड पहल, मालाबार अभ्यास  

मेन्स के लिये:

क्वाड का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

चीन के साथ भारत तथा अन्य देशों जैसे अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि के बढ़ते तनाव के बीच भारत को अपनी सामुद्रिक रक्षा रणनीतियों जैसे क्वाड आदि को नए तथा विस्तारित स्वरूप में प्रारंभ करने की आवश्यकता है। 

प्रमुख बिंदु:

  • ‘चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ (Quadrilateral Security Dialogue) अर्थात क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है। 
  • यह 'मुक्त, खुले और समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने और समर्थन करने के लिये इन देशों को एक साथ लाता है।

Quad-Initiative

क्वाड की पृष्ठभूमि:

वर्ष 2004 की सुनामी और क्वाड: 

  • क्वाड अवधारणा की उत्पत्ति 26 दिसंबर, 2004 को आई एशियाई सुनामी से मानी जा सकती है।
  • भारत सेना ने अपने जहाज़ों, विमानों और हेलीकॉप्टरों के माध्यम से श्रीलंका, मालदीव और इंडोनेशिया जैसे देशों को सहायता प्रदान करके अपनी विश्वसनीयता साबित की। 

ओकिनावा तट पर सैन्य अभ्यास:

  • वर्ष 2007 में मालाबार अभ्यास पहली बार हिंद महासागर के बाहर जापान के ओकिनावा द्वीप के पास आयोजित किया गया। इस अभ्यास में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर ने भाग लिया। 
  • इस अभ्यास के बाद भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया जिसे 'चतुर्भुज पहल' (Quadrilateral Initiative) नाम दिया गया।

मालाबार नौसैनिक अभ्यास: 

  • मालाबार नौसैनिक अभ्यास भारत-अमेरिका-जापान की नौसेनाओं के बीच वार्षिक रूप से आयोजित किया जाने वाला एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास है।    
  • मालाबार नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 1992 में एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में हुई थी। 
  • वर्ष 2015 में इस अभ्यास में जापान के शामिल होने के बाद से यह एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास बन गया।
  • भारत सरकार द्वारा ऑस्ट्रेलिया को  ‘मालाबार नौसैनिक अभ्यास’ में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।

क्वाड के समक्ष चुनौतियाँ:

  • चीन के क्षेत्रीय दावे तथा देशों के साथ विवाद;
  • आसियान देशों के साथ चीन की निकटता;
  • चीन की आर्थिक शक्ति;
  • क्वाड देशों के बीच व्यापार जैसे अनेक मामलों को लेकर टकराव; 

क्वाड में नवीन सुधारों की आवश्यकता:

 औपचारिक स्वरूप देने की आवश्यकता:

  • क्वाड को औपचारिक स्वरूप देकर इसके पुनरुद्धार और पुन: स्फूर्ति के साथ प्रारंभ करने की आवश्यकता है। 

विस्तार की आवश्यकता:

  • समूह में समान विचारधारा रखने वाले अन्य देशों को भी शामिल करने की आवश्यकता है। 
  • ऐसे देश जिनका चीनी के साथ समुद्री सीमा विवाद है तथा शांति बनाए रखने के लिये संयुक्त राष्ट्र के समुद्र संबंधी कानून के पालन को सुनिश्चित करना चाहते हैं, उन देशों को मिलाकर 'इंडो-पैसिफिक समझौते' जैसी पहल प्रारंभ की जा सकती है।

निष्कर्ष:

  • भारत एक परमाणु-हथियार संपन्न,  प्रमुख भूमि/वायु शक्ति, साथ ही बढ़ती अर्थव्यवस्था और आकर्षक बाज़ार के रूप में भारत की पहचान से पूरा विश्व परिचित है। वर्तमान में भारत इंडो-पैसेपिक में अपनी प्रभावी भूमिका सुनिश्चित करना चाहता है, इसके लिये भारत को समुद्र आधारित शक्ति प्रदर्शन और क्षेत्र में प्रभावी क्षमता का प्रदर्शन करना होगा। 

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2