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सामाजिक न्याय

STEM में महिलाओं की भागीदारी

  • 27 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-इज़रायल महिला सम्मेलन

मेन्स के लिये:

STEM में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित‘ (STEM) के क्षेत्र में भारत-इज़रायल महिला सम्मेलन आयोजित किया गया।

  • इस सम्मेलन के दौरान ‘STEM’ में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और लिंग-तटस्थ वेतन की शुरुआत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

STEM:

  • परिचय:
    • ‘STEM’ (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) की अवधारणा ‘यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन’ (NSF) द्वारा वर्ष 2001 में प्रस्तुत की गई थी।
    • संगठन ने ‘STEM’ का प्रयोग सर्वप्रथम ज्ञान एवं कौशल को एकीकृत करने वाले पाठ्यक्रम में कॅरियर को संदर्भित किया था।
    • यह एक अंतःविषयक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से 4 विशिष्ट विषयों- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में छात्रों को शिक्षित करने के विचार पर आधारित एक पाठ्यक्रम है।
    • भारत उन देशों में से एक है जहाँ सबसे अधिक संख्या में वैज्ञानिक और इंजीनियर मौजूद हैं, पिछले कुछ वर्षों में ‘STEM’ की वृद्धि में काफी तेज़ी आई है।
      • भारत के संविधान के अनुच्छेद 51A के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद और सुधार की भावना का विकास करना है।
  • महत्त्व:
    • एक मज़बूत STEM शिक्षा महत्त्वपूर्ण विचारक, समस्या समाधानकर्त्ता और अगली पीढ़ी के नवप्रवर्तनकर्त्ताओं का निर्माण करती है।
    • ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ के अनुसार, अगले दशक में सृजित नौकरियों में से 80% के लिये किसी-न-किसी रूप में गणित एवं विज्ञान कौशल की आवश्यकता होगी।

प्रमुख बिंदु

  • STEM में महिलाओं की भागीदारी:
    • भारत में लगभग 43% महिलाएँ STEM में स्नातक हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है। किंतु भारत में STEM क्षेत्र में नौकरियों के मामले में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 14% है।
    • भारतीय STEM क्षेत्र में, प्राथमिक चिंता कभी भी महिला स्नातकों की संख्या के संदर्भ में नहीं रही है, बल्कि उन लोगों के अनुपात के संबंध में है जो अंततः STEM क्षेत्र में नौकरियाँ को प्राप्त करते हैं। 
    • विज्ञान और प्रोद्योगिकी ने आर्थिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, ऐसे में यह समाज में ‘STEM’ में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिये लिंग-तटस्थ भुगतान सुनिश्चित कर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    • तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी महिलाओं की स्थिति को मज़बूत और प्रभावशाली बनाएगी, जिससे समाज में उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में वृद्धि होगी।
  • कम भागीदारी का कारण:
    • रूढ़िवादिता: ‘STEM’ क्षेत्र में महिलाओं की कमी न केवल कौशल की अपर्याप्तता के कारण है, बल्कि निर्दिष्ट रूढ़िवादी लैंगिक भूमिका का भी परिणाम है।
    • पितृसत्ता: काम पर रखने या फेलोशिप और अनुदान आदि देने में पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया जाता है।
    • समाज: रोल मॉडल की कमी, सामाजिक मानदंडों के अनुरूप होने का दबाव और घरेलू काम।
    • तनाव: विवाह, प्रसव आदि से संबंधित तनाव।
    • घरेलू ज़िम्मेदारी : घर चलाने और बुजुर्गों की देखभाल से संबंधित ज़िम्मेदारी।
    • शारीरिक सुरक्षा: काम के दौरान शारीरिक सुरक्षा।
    • उत्पीड़न: कार्यस्थल पर यौन और अन्य प्रकार के उत्पीड़न आदि।
  • महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये पहल:
  • विज्ञान ज्योति योजना:
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा विज्ञान ज्योति योजना शुरू की गई है।
    • इस योजना का उद्देश्य स्टेम शिक्षा क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाना है।
    • इस योजना के अंतर्गत छात्राओं के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में विज्ञान शिविर का आयोजन किया जाएगा, साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कॉर्पोरेट, विश्वविद्यालयों तथा डीआरडीओ जैसे शीर्ष संस्थानों में कार्यरत सफल महिलाओं से शिविर के माध्यम से संपर्क स्थापित करवाया जाएगा।
  • GATI योजना:
    • जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI) STEM में लिंग समानता का आकलन करने के लिये एक समग्र चार्टर और रूपरेखा तैयार करेगा।
  • किरण योजना (KIRAN Scheme)
    • केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किरण योजना (KIRAN Scheme) की शुरुआत की गई।
    • किरण (KIRAN) का पूर्ण रूप ‘शिक्षण द्वारा अनुसंधान विकास में ज्ञान की भागीदारी’ (Knowledge Involvement in Research Advancement through Nurturing) है।
    • KIRAN योजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लैंगिक समानता से संबंधित विभिन्न मुद्दों/चुनौतियों का समाधान कर रही है।

आगे की राह

  • समस्या को दो स्तरों पर संबोधित करने की आवश्यकता है- सामाजिक स्तर पर जिसके लिये दीर्घकालिक प्रयास की आवश्यकता होती है और नीति व संस्थागत स्तर पर, जिसे तत्काल प्रभाव से शुरू किया जा सकता है।
  • STEM को बड़ी कंपनियों में लगातार लिंग असंतुलन को पाटने के लिये बुनियादी ढाँचे का समर्थन करने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिये संस्थानों को प्रोत्साहित करने, निर्णय लेने में पारदर्शिता आदि में निवेश करने की तत्काल आवश्यकता है।
  • हालाँकि पहले कदम के रूप में स्कूलों को 'बुद्धि संबंधी लैंगिक धारणाओं' को तोड़ने और लड़कियों को न केवल माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर विज्ञान लेने बल्कि STEM में अपना कॅरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
    • इससे न केवल महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने में मदद मिलेगी बल्कि विज्ञान को भी अन्य दृष्टिकोणों से लाभ होगा।
  • जबकि स्थिति में निश्चित रूप से सुधार हो रहा है और STEM में महिलाओं की संख्या में वृद्धि इस बात का संकेत है, कि हमें एक लंबा रास्ता तय करना है।

स्रोत: पीआईबी

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