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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • 06 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र और उसके प्रमुख अंग, UNSC और इसकी विशेषताएँ।

मेन्स के लिये:

UNSC के कामकाज से संबंधित मुद्दे, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने की आवश्यकता, UNSC के एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत की भूमिका, UNSC में स्थायी सदस्यता हेतु भारत का दावा।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाँच नए अस्थायी सदस्यों (अल्बानिया, ब्राज़ील, गैबॉन, घाना और संयुक्त अरब अमीरात) का चयन किया गया है।

  • एस्टोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, ट्यूनीशिया व वियतनाम ने हाल ही में अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है।
  • अल्बानिया पहली बार सुरक्षा परिषद में शामिल हो रहा है, जबकि ब्राज़ील 11वीं बार सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर शामिल हो रहा है। गैबॉन और घाना पहले तीन बार परिषद में रहे हैं तथा संयुक्त अरब अमीरात एक बार परिषद में शामिल हो चुका है।
  • संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 50 से अधिक देशों को इसके गठन के बाद से कभी भी परिषद के लिये नहीं चुना गया है।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद:
    • परिचय:
      • सुरक्षा परिषद की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।
        • संयुक्त राष्ट्र के अन्य 5 अंगों में शामिल हैं- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA), ट्रस्टीशिप परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय एवं सचिवालय।
      • यह मुख्य तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने हेतु उत्तरदायी है।
      • परिषद का मुख्यालय न्यूयॉर्क में स्थित है।
    • सदस्य:
      • सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं: पाँच स्थायी सदस्य और दो वर्षीय कार्यकाल हेतु चुने गए दस अस्थायी सदस्य।
        • पाँच स्थायी सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसी संघ, फ्राँँस, चीन और यूनाइटेड किंगडम हैं।
        • भारत ने पिछले वर्ष (2021) आठवीं बार एक अस्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रवेश किया था और दो वर्ष यानी वर्ष 2021-22 तक परिषद में रहेगा।
      • प्रतिवर्ष महासभा दो वर्ष के कार्यकाल के लिये पाँच अस्थायी सदस्यों (कुल दस में से) का चुनाव करती है। दस अस्थायी सीटों का वितरण क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है।
      • परिषद की अध्यक्षता प्रतिमाह 15 सदस्यों के बीच रोटेट होती है।
    • मतदान शक्ति
      • सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है। सभी मामलों पर सुरक्षा परिषद के निर्णय स्थायी सदस्यों सहित नौ सदस्यों के सकारात्मक मत द्वारा लिये जाते हैं, जिसमें सदस्यों की सहमति अनिवार्य है। पाँच स्थायी सदस्यों में से यदि कोई एक भी प्रस्ताव के विपक्ष में वोट देता है तो वह प्रस्ताव पारित नहीं होता है।
      • संयुक्त राष्ट्र का कोई भी सदस्य जो सुरक्षा परिषद का सदस्य नहीं है, बिना वोट के सुरक्षा परिषद के समक्ष लाए गए किसी भी प्रश्न की चर्चा में भाग ले सकता है, यदि सुरक्षा परिषद को लगता है कि उस विशिष्ट मामले के कारण उस सदस्य के हित विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
  •  UNSC और भारत  :
    • भारत ने वर्ष 1947-48 में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लिया और दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।
    • भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पूर्व उपनिवेशों को स्वीकार करने, मध्य पूर्व में प्राणघातक संघर्षों को संबोधित करने और अफ्रीका में शांति बनाए रखने जैसे कई मुद्दों पर निर्णय लेने में अपनी भूमिका निभाई है।
    • इसने संयुक्त राष्ट्र में विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के लिये बड़े पैमाने पर योगदान दिया है।
      • भारत ने 43 शांति अभियानों में भाग लिया है, जिसमें कुल योगदान 160,000 से अधिक सैनिकों और महत्त्वपूर्ण संख्या में पुलिस कर्मियों का है।
    • भारत की जनसंख्या, क्षेत्रीय आकार, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), आर्थिक क्षमता, सभ्यतागत विरासत, सांस्कृतिक विविधता, राजनीतिक व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों में अतीत तथा वर्तमान में भारत द्वारा दिये जा रहे योगदानों ने इसकी यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग को पूरी तरह से तर्कसंगत बना दिया है।
  • यूएनएससी के साथ मुद्दे:
    • अभिलेखों और बैठकों की अनुपस्थिति:
      • संयुक्त राष्ट्र के सामान्य नियम यूएनएससी के विचार-विमर्श पर लागू नहीं होते हैं और इसकी बैठकों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है।
      • इसके अतिरिक्त चर्चा, संशोधन या आपत्ति के लिये बैठक का कोई प्रावधान नहीं है।
    • UNSC में भूमिका: 
      • यूएनएससी के पाँच स्थायी सदस्यों को जो वीटो शक्तियाँ प्राप्त हैं, वह कालानुक्रमिक हैं।
      • यूएनएससी अपने वर्तमान स्वरूप में मानव सुरक्षा और शांति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय परिवर्तनों व गतिशीलता को समझने में एक बाधा बन गया है।
    • P5 के बीच विभाजन: 
      • संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता में एक ध्रुवीकरण की स्थिति देखी जाती है इसलिये  निर्णय या तो नहीं लिये जाते हैं या उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
      • UNSC के भीतर बार-बार विभाजन, P-5 प्रमुख के निर्णयों को अवरुद्ध करता है।
        • उदाहरण: कोरोनावायरस महामारी के उद्भव के साथ संयुक्त राष्ट्र, UNSC और विश्व स्वास्थ्य संगठन राष्ट्रों को महामारी के प्रसार से निपटने में मदद करने में प्रभावी भूमिका निभाने में विफल रहे।
    • संगठन में प्रतिनिधित्व का अभाव:
      • विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण देश- भारत, जर्मनी, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की  UNFC में अनुपस्थिति चिंता का विषय है।

आगे की राह 

  • P5 और शेष विश्व के बीच शक्ति संबंधों में असंतुलन को तत्काल ठीक करने की आवश्यकता है।
  • साथ ही स्थायी और अस्थायी सीटों के विस्तार के माध्यम से सुरक्षा परिषद में सुधार करने की भी आवश्यकता है ताकि संयुक्त राष्ट्र संघ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव हेतु "सदा जटिल और उभरती चुनौतियों" से बेहतर तरीके से निपट सके।
  • UNSC के अस्थायी सदस्यों में से एक के रूप में भारत UNSC में सुधार के लिये एक व्यापक सेट वाले प्रस्ताव का मसौदा तैयार करके शुरू कर सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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