सामाजिक न्याय
विश्व मानवाधिकार दिवस
- 08 Dec 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व मानवाधिकार दिवस, विश्व मानवाधिकार दिवस, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा, जन धन योजना रुपे कार्ड, उज्ज्वला गैस कनेक्शन, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण मेन्स के लिये:विश्व मानवाधिकार दिवस और विश्व में मानवाधिकारों की स्थिति |
चर्चा में क्यों
विश्व भर में प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस का आयोजन किया जाता है।
- इस वर्ष की शुरुआत में जारी ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021’ की रिपोर्ट में भारत का दर्जा 'स्वतंत्र' से घटाकर 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' कर दिया गया था।
प्रमुख बिंदु
- मानवाधिकार दिवस
- परिचय:
- 10 दिसंबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) को अपनाया था।
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के तहत मानवीय दृष्टिकोण और राज्य तथा व्यक्ति के बीच संबंध को लेकर कुछ सामान्य बुनियादी मूल्यों का एक सेट स्थापित किया है।
- 10 दिसंबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) को अपनाया था।
- वर्ष 2021 की थीम::
- "समानता - असमानताओं को कम करना, मानव अधिकारों को आगे बढ़ाना" (“EQUALITY–Reducing inequalities, advancing human rights”)।
- उद्देश्य:
- समानता, शांति, न्याय, स्वतंत्रता और मानव गरिमा की सुरक्षा को बढ़ावा देना। प्रत्येक व्यक्ति जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा या सामाजिक स्थिति के भिन्न होने के बावजूद मानवाधिकारों का हकदार है।
- परिचय:
- मानवाधिकार:
- सरल शब्दों में कहें तो मानवाधिकारों का आशय ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त होते हैं।
- मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तथा काम एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।
- मानवाधिकारों के संबंध में नेल्सन मंडेला ने कहा था, ‘लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।’
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार अभिसमय और निकाय:
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR):
- इसके अंतर्गत अधिकारों और स्वतंत्रताओं से संबंधित कुल 30 अनुच्छेदों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें जीवन, स्वतंत्रता और गोपनीयता जैसे नागरिक और राजनीतिक अधिकार तथा सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं।
- भारत ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के प्रारूपण में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
- यह किसी भी प्रकार की संधि नहीं है, अतः यह प्रत्यक्ष तौर पर किसी भी देश के लिये कानूनी दायित्त्व निर्धारित नहीं करता है।
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR), इंटरनेशनल कान्वेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स, इंटरनेशनल कान्वेंट ऑन इकोनॉमिक, सोशल एंड कल्चर राइट तथा इसके दो वैकल्पिक प्रोटोकॉल्स को संयुक्त रूप से ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधेयक’ (International Bill of Human Rights) के रूप में जाना जाता है।
- इसके अंतर्गत अधिकारों और स्वतंत्रताओं से संबंधित कुल 30 अनुच्छेदों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें जीवन, स्वतंत्रता और गोपनीयता जैसे नागरिक और राजनीतिक अधिकार तथा सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं।
- अन्य अभिसमय:
- इसमें शामिल हैं:
- कन्वेंशन ऑन द प्रिवेंशन एंड पनिशमेंट ऑफ़ द क्राइम ऑफ जेनोसाइड (वर्ष 1948)
- इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन द एलिमिनेशन ऑफ ऑल फॉर्म ऑफ रेसियल डिस्क्रिमिनेशन (वर्ष 1965)
- कन्वेंशन ऑन द एलिमिनेशन ऑफ ऑल फॉर्म ऑफ डिस्क्रिमिनेशन अगेन्सट विमेन (वर्ष 1979)
- बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (वर्ष 1989)
- विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन (वर्ष 2006)
- ध्यातव्य है कि भारत इन सभी कन्वेंशन्स का हिस्सा है।
- इसमें शामिल हैं:
- मानवाधिकार परिषद:
- मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक अंतर-सरकारी निकाय है जो कि मानव अधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण की दिशा में कार्य करती है। यह संयुक्त राष्ट्र के 47 सदस्य देशों से मिलकर बनी है, जिनका चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया जाता है।
- सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR) प्रकिया को मानवाधिकार परिषद का सबसे अनूठा प्रयास माना जाता है। इस अनूठे तंत्र के अंतर्गत प्रत्येक चार वर्ष में एक बार संयुक्त राष्ट्र के सभी 192 सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड की समीक्षा की जाती है।
- मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त का कार्यालय (OHCHR) मानवाधिकार परिषद के सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल :
- यह मानवाधिकारों की वकालत करने वाले कुछ स्वयंसेवकों का अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर स्वतंत्र रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।.
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR):
भारत में मानवाधिकार
- संवैधानिक प्रावधान:
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) में उल्लिखित लगभग सभी अधिकारों को भारतीय संविधान में दो हिस्सों (मौलिक अधिकार और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत) में शामिल किया गया है।
- मौलिक अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक। इसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है।
- राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत: संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 तक। इसमें सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, काम का अधिकार, रोज़गार चयन का अधिकार, बेरोज़गारी के विरुद्ध सुरक्षा, समान काम तथा समान वेतन का अधिकार, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार तथा मुफ्त कानूनी सलाह का अधिकार आदि शामिल हैं।
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) में उल्लिखित लगभग सभी अधिकारों को भारतीय संविधान में दो हिस्सों (मौलिक अधिकार और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत) में शामिल किया गया है।
- सांविधिक प्रावधान:
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 में केंद्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के गठन की बात कही गई है, जो कि संविधान में प्रदान किये गए मौलिक अधिकारों के संरक्षण और उससे संबंधित मुद्दों के लिये राज्य मानवाधिकार आयोगों और मानवाधिकार न्यायालयों का मार्गदर्शन करेगा।
- संबंधित पहलें:
- गरीबों के लिये:
- दिव्यांगजनों के लिये:
- प्रवासियों के लिये:
स्रोत: डाउन टू अर्थ