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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में सूखा प्रभावित क्षेत्र कौन से हैं ? सूखे के प्रभाव को कम करने के लिये कौन-से उपाय किये जा सकते हैं?

    15 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा –

    • सूखे की संक्षिप्त परिभाषा लिखें।
    • भारत में सूखे से प्रभावित क्षेत्रों का विवरण दें।
    • सूखे के प्रभाव को कम करने के उपाय बताएँ। 

    सूखा उस स्थिति को कहते हैं जब वर्षा आवश्यकता से कम होती है। इस स्थिति में भूमिगत जल का स्तर भी कम हो जाता है और जीवन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में सूखा दक्षिण-पश्चिम मानसून के कमज़ोर होने से पड़ता है। कम वर्षा या मानसून के अपने निश्चित समय से देरी से आने के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। 

    भारत में सूखे का प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है

    • राजस्थान में विशेषकर अरावली के पश्चिम का मरुस्थली भाग तथा गुजरात के कच्छ का इलाका अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं। इन इलाकों में वर्षा 9 सेमी. से भी कम होती है।
    • महाराष्ट्र का पूर्वी भाग- मराठवाड़ा और विदर्भ, आंध्र के कुछ भाग, रायलसीमा का क्षेत्र, कर्नाटक का पठार, तमिलनाडु का उत्तरी भाग व ओडिशा का आंतरिक भाग भी सूखे से प्रभावित रहता है।   
    • मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश के दक्षिणी ज़िले, बुन्देलखंड, कोंकण के अलावा शेष महाराष्ट्र आदि आते हैं। 

    सूखे के प्रभाव को कम करने के उपाय 

    • सूखे से प्रभावित लोगों तथा पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाकर उनके लिये पेयजल की व्यवस्था और दवाओं का वितरण तथा पशुओं के लिये चारे और जल की व्यवस्था करना आवश्यक है।
    • भू-जल के अन्य भंडारों की खोज के लिये रिमोट सेंसिंग, उपग्रह से प्राप्त मानचित्रों तथा भौगोलिक सूचना तंत्र आदि तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिये।
    • जल संग्रहण के लिये छोटे बांधों का निर्माण किया जाना चाहिये। 
    • पौधरोपण द्वारा तथा सूखारोधी फसलों की कृषि करके सूखे के प्रभावों को सीमित किया जा सकता है।
    • सिंचाई के तरीकों में परिवर्तन करके जल के दुरुपयोग को रोकने वाली सिंचाई पद्धतियों, जैसे- ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई आदि को अपनाकर जल की बर्बादी को रोका जा सकता है।  

    जलवायु परिवर्तन और जल उपभोग में अनियमितता के कारण सूखा लगभग प्रति वर्ष आने वाली आपदा बन गया है। उचित जल-प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर और सूखा प्रबंधन के कारगर उपाय करके इस समस्या के प्रभावों को कम किया जा सकता है।

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