अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता
- 28 Mar 2022
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) को अंतिम रूप दिया गया।
- भारत-यूएई CEPA पर भारत-यूएई वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान 18 फरवरी, 2022 को हस्ताक्षर किये गए थे, यह समझौता 1 मई, 2022 से लागू होने की उम्मीद है।
- CEPA दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने हेतु एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है।
भारत-यूएई CEPA की मुख्य विशेषताएँ
- यह एक व्यापक समझौता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे:
- ट्रेड-इन गुड्स।
- उत्पत्ति के नियम।
- ट्रेड-इन सर्विसेज़।
- व्यापार के लिये तकनीकी बाधाएँ (TBT)।
- स्वच्छता और स्वास्थ संबंधी (एसपीएस) उपाय।
- विवाद निपटान।
- व्यक्तियों की आवाजाही।
- दूरसंचार।
- सीमा शुल्क प्रक्रिया।
- दवा उत्पाद।
- सरकारी खरीद।
- बौद्धिक संपदा अधिकार, निवेश, डिजिटल व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सहयोग।
भारत-यूएई CEPA के लाभ:
- ट्रेड-इन गुड्स: भारत को संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रदान की जाने वाले विशेष रूप से सभी श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिये बाज़ार पहुँच से लाभ होगा।
- जैसे- रत्न और आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि तथा लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चिकित्सा उपकरण एवं ऑटोमोबाइल।
- ट्रेड-इन सर्विसेज़: भारत और संयुक्त अरब अमीरात दोनों ने व्यापक सेवा क्षेत्रों में एक-दूसरे को बाज़ार पहुँच की पेशकश की है।
- जैसे- व्यावसायिक सेवाएँ, संचार सेवाएँ, निर्माण और संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएँ, वितरण सेवाएँ, शैक्षिक सेवाएँ', पर्यावरण सेवाएँ, वित्तीय सेवाएँ, स्वास्थ्य संबंधी और सामाजिक सेवाएँ, पर्यटन एवं यात्रा -संबंधित सेवाएँ, 'मनोरंजक सांस्कृतिक व खेल सेवाएँ' तथा 'परिवहन सेवाएँ'।
- फार्मास्यूटिकल्स संबंधी विशिष्ट अनुबंध: दोनों पक्षों ने निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाले उत्पादों के लिये 90 दिनों में भारतीय फार्मास्यूटिकल्स उत्पादों, स्वचालित पंजीकरण एवं विपणन प्राधिकरण तक पहुँच की सुविधा के लिये फार्मास्यूटिकल्स को लेकर एक अलग अनुबंध पर भी सहमति व्यक्त की है।
भारत-यूएई CEPA की पृष्ठभूमि
- परिचय: भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध मौजूद हैं, जो काफी हद तक ऐतिहासिक हैं और जिनमें घनिष्ठ सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत समानताएँ मौजूद हैं। दोनों देशों के संबंधों को लगातार उच्च स्तरीय राजनीतिक वार्ता और लोगों से लोगों के बीच जीवंत संबंधों द्वारा पोषित किया जाता है।
- भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी वर्ष 2015 में भारत के प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान शुरू की गई थी।
- व्यापार की स्थिति: भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक-दूसरे के प्रमुख व्यापारिक भागीदार रहे हैं।
- व्यापार: 1970 के दशक में प्रतिवर्ष 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2019-20 में लगातार बढ़कर 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गया, जिससे संयुक्त अरब अमीरात, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
- निर्यात: यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है।
- निवेश: संयुक्त अरब अमीरात 18 अरब अमेरिकी डॉलर के अनुमानित निवेश के साथ भारत में आठवाँ सबसे बड़ा निवेशक भी है।
- इसके अलावा भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने हाल ही में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके तहत यूएई ने भारत में बुनियादी अवसंरचना के विकास के लिये 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है।
- यूएई का आर्थिक महत्त्व: यूएई भारत की ऊर्जा आपूर्ति का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है और रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार, अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम पेट्रोलियम क्षेत्रों के विकास में भारत का एक प्रमुख भागीदार है।
- महत्त्व: भारत-यूएई CEPA दोनों देशों के बीच पहले से ही गहरे, घनिष्ठ एवं रणनीतिक संबंधों को और मज़बूत करेगा तथा रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगा, जीवन स्तर बढ़ाएगा व दोनों देशों के लोगों के सामान्य कल्याण में सुधार करेगा।
CEPA के बारे में:
- यह एक प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें सेवाओं एवं निवेश के संबंध में व्यापार और आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों पर बातचीत करना शामिल है।
- यह व्यापार सुविधा और सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्द्धा तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे क्षेत्रों पर बातचीत किये जाने पर भी विचार कर सकता है।
- साझेदारी या सहयोग समझौते मुक्त व्यापार समझौतों की तुलना में अधिक व्यापक हैं।
- CEPA व्यापार के नियामक पहलू को भी देखता है और नियामक मुद्दों को कवर करने वाले एक समझौते को शामिल करता है।
- भारत ने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ CEPA पर हस्ताक्षर किये हैं।
अन्य प्रकार के व्यापारिक समझौते:
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
- यह एक ऐसा समझौता है जिसे दो या दो से अधिक देशों द्वारा भागीदार देश को तरजीही व्यापार समझौतों, टैरिफ रियायत या सीमा शुल्क में छूट आदि प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है।
- भारत ने कई देशों के साथ FTA पर बातचीत की है जैसे- श्रीलंका और विभिन्न व्यापारिक ब्लॉकों से आसियान के मुद्दे पर।
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) आसियान के दस सदस्य देशों और छह देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत और न्यूज़ीलैंड) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जिसके साथ आसियान के मौजूदा FTAs भी शामिल हैं।
- अधिमान्य या तरजीही व्यापार समझौता (PTA):
- इस प्रकार के समझौते में दो या दो से अधिक भागीदार कुछ उत्पादों के संबंध में प्रवेश का अधिमान्य या तरजीही अधिकार देते हैं। यह टैरिफ लाइन्स की एक सहमत संख्या पर शुल्क को कम करके किया जाता है।
- यहाँ तक कि PTA में भी कुछ उत्पादों के लिये शुल्क को घटाकर शून्य किया जा सकता है। भारत ने अफगानिस्तान के साथ एक PTA पर हस्ताक्षर किये हैं।
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA):
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA ) आमतौर पर केवल व्यापार शुल्क और टैरिफ-रेट कोटा (TRQ) दरों को बातचीत के माध्यम से तय करता है। यह CECA जितना व्यापक नहीं है। भारत ने मलेशिया के साथ CECA पर हस्ताक्षर किये हैं।
- द्विपक्षीय निवेश संधियाँ (BIT):
- यह एक द्विपक्षीय समझौता है जिसमें दो देश एक संयुक्त बैठक करते हैं तथा दोनों देशों के नागरिकों और फर्मों/कंपनियों द्वारा निजी निवेश के लिये नियमों एवं शर्तों को तय किया जाता है।
- व्यापार और निवेश फ्रेमवर्क समझौता (TIFA):
- यह दो या दो से अधिक देशों के बीच एक व्यापार समझौता है जो व्यापार के विस्तार और देशों के बीच मौजूदा विवादों को हल करने के लिये एक रूपरेखा तय करता है।
विगत वर्षों के प्रश्न प्रश्न: निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-से देश आसियान के 'मुक्त-व्यापार समझौते' में भागीदार हैं? (a) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) प्रश्न: 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक' साझेदारी' शब्द अक्सर समाचारों में देखा जाता है इसे देशों के एक समूह के मामलों के रूप में जाना जाता है: (2016) (a) जी 20 उत्तर: (b) |