हरियाणा Switch to English
मॉरीशस के आईएसए के देशीय साझेदारी फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर
चर्चा में क्यों?
मॉरीशस गणराज्य और अंतर-सरकारी संगठन अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) ने सौर सहयोग को मज़बूत करने और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में तेज़ी लाने के लिये एक देशीय साझेदारी फ्रेमवर्क (CPF) पर हस्ताक्षर किये।
मुख्य बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे में:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग के लिये एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित, सहयोगात्मक मंच है।
- इसका मूल उद्देश्य अपने सदस्य देशों में ऊर्जा तक पहुँच को सुगम बनाना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देना है।
- ISA की परिकल्पना भारत और फ्रांस द्वारा सौर ऊर्जा समाधानों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध प्रयासों को गति देने के लिये एक संयुक्त प्रयास के रूप में की गई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग के लिये एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित, सहयोगात्मक मंच है।
- दृष्टिकोण:
- आइये हम सब मिलकर सूर्य को अधिक उज्ज्वल बनाएँ।
- उद्देश्य:
- हर घर में, चाहे वह कितना भी दूर क्यों न हो, रोशनी होगी।
- मुख्यालय:
- इसका मुख्यालय भारत में है तथा इसका अंतरिम सचिवालय गुरुग्राम में स्थापित किया गया है।
देश भागीदारी रूपरेखा (CPF):
- CPF सौर परियोजनाओं और नीति समर्थन पर सहयोग के लिये एक संरचित, रणनीतिक दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
- मॉरीशस इस रूपरेखा पर हस्ताक्षर करने वाला पहला अफ्रीकी देश और विश्व स्तर पर चौथा देश (बांग्लादेश, भूटान और क्यूबा के बाद) है।
- CPF तीन वर्षों के लिये वैध है, जिसमें आपसी सहमति के आधार पर नवीकरण का प्रावधान है।
- देश साझेदारी रणनीति (CPS):
- CPF के बाद, ISA और मॉरीशस मिलकर एक देश साझेदारी रणनीति (CPS) का विकास करेंगे, जो मॉरीशस के राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों के अनुरूप होगी।
- CPS देश-संचालित और आवश्यकता-आधारित होगा, जो सौर तैनाती के लिये अनुकूल परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
मुख्य लक्ष्य:
- रणनीतिक योजना एवं विनियमन:
- सौर ऊर्जा रोडमैप का निर्माण या संशोधन।
- सौर अनुप्रयोगों को सुविधाजनक बनाने के लिये नियामक ढाँचे का विकास।
- प्रौद्योगिकी एवं क्षमता निर्माण:
- सौर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संसाधन केंद्र (स्टार-सी) की स्थापना।
- तकनीकी, विनियामक और वित्तीय क्षेत्रों में प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन।
- सौर अनुप्रयोगों की तैनाती:
- सौर छतों, फ्लोटिंग सौर, एग्रीवोल्टाइक और सौर जल पंपिंग को बढ़ावा देना।
- सौर ऊर्जा से संचालित हरित हाइड्रोजन पहल के लिये समर्थन।
- द्वीपीय पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप सौर नौकाओं और अन्य नवाचारों की खोज।
- मॉरीशस में ISA की वर्तमान भूमिका:
- ISA के संस्थापक सदस्य मॉरीशस ने ISA के नेतृत्व वाली पहलों में सक्रिय रूप से भागीदारी की है।
- इनमें उल्लेखनीय है जवाहरलाल नेहरू अस्पताल का सौरीकरण, जिसे ISA केयर्स पहल के तहत क्रियान्वित किया गया है, जिसका उद्देश्य लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों (SIDS) में स्वास्थ्य सुविधाओं को सौरीकृत करना है।
- यह अस्पताल मूलतः भारतीय सहयोग से वर्ष 1984 में स्थापित किया गया था तथा जून 2024 में इसका सौर ऊर्जा से परिचालन शुरू किया जाएगा।
लघु द्वीप विकासशील राज्य (SIDS)
- लघु द्वीपीय विकासशील राज्य (SIDS) छोटे द्वीपीय राष्ट्रों और क्षेत्रों के समूह को संदर्भित करते हैं, जो महत्त्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कमजोरियों के साथ-साथ सतत विकास में साझा चुनौतियों का सामना करते हैं।
- SIDS में मालदीव, सेशेल्स, मार्शल द्वीप, सोलोमन द्वीप, सूरीनाम, मॉरीशस, पापुआ न्यू गिनी, वानुअतु, गुयाना और सिंगापुर शामिल हैं।
- SIDS मुख्य रूप से तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं: कैरीबियाई, प्रशांत और अटलांटिक, हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र।
- 1992 में पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में, SIDS को उनकी अद्वितीय पर्यावरणीय और विकासात्मक चुनौतियों के कारण औपचारिक रूप से एक विशेष मामले के रूप में मान्यता दी गई थी।


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हरियाणा में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने हरियाणा में 10,000 करोड़ रुपए की विकास और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
प्रमुख परियोजनाएँ:
- यमुनानगर में थर्मल पावर विस्तार:
- प्रधानमंत्री ने यमुनानगर में दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट की 800 मेगावाट की तीसरी इकाई की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 8,469 करोड़ रुपए होगी।
- यह इकाई 233 एकड़ में बनाई जाएगी और इसका वाणिज्यिक परिचालन मार्च 2029 तक शुरू होने की उम्मीद है।
- चालू हो जाने पर, हरियाणा की आंतरिक विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़कर 3,382 मेगावाट हो जाएगी।
- यमुनानगर में अपशिष्ट से ऊर्जा के लिये गोबरधन संयंत्र:
- प्रधानमंत्री ने यमुनानगर के मुकारमपुर में 90 करोड़ रुपए के गोबरधन प्लांट की आधारशिला भी रखी।
- यह यमुनानगर-जगाधरी नगर निगम और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के बीच एक सहयोग है।
- मई 2027 तक पूरा होने वाला यह संयंत्र निम्नलिखित प्रसंस्करण करेगा:
- 45,000 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट,
- प्रतिवर्ष 36,000 मीट्रिक टन गोबर निकालेगा है।
- इससे निम्नलिखित उत्पन्न होगा:
- प्रति वर्ष 2,600 मीट्रिक टन संपीड़ित बायोगैस (CBG) (CNG के बराबर),
- 10,000 मीट्रिक टन जैव-उर्वरक
- इस परियोजना से CO₂ उत्सर्जन में 7,700 मीट्रिक टन/वर्ष की कटौती होगी, लैंडफिल में आग लगने की घटनाओं को रोका जा सकेगा और वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
- यातायात सुगम बनाने के लिये रेवाड़ी बाईपास का उद्घाटन:
- उन्होंने भारतमाला योजना के तहत हाइब्रिड एन्युटी मोड में 1,069 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित रेवाड़ी बाईपास का भी उद्घाटन किया।
- 14.4 किलोमीटर लंबा चार लेन वाला बाईपास NH-352 को NH-11 से जोड़ता है, जिससे नारनौल तक पहुँच में सुधार होगा और रेवाड़ी शहर बाईपास हो जाएगा।
- हिसार के लिये नया हवाई अड्डा टर्मिनल:
- उन्होंने हिसार में महाराजा अग्रसेन हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 410 करोड़ रुपए से अधिक होगी।
- प्रधानमंत्री ने हरियाणा को अयोध्या धाम से जोड़ने वाली आगामी उड़ानों की घोषणा की।
संपीड़ित बायोगैस (CBG)
- संपीड़ित बायोगैस (CBG): CBG एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो कृषि अवशेष, मवेशियों के गोबर, नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट और सीवेज मल सहित जैविक अपशिष्ट से उत्पादित होता है।
- यह जीवाश्म ईंधनों के स्थान पर कृषि एवं पशु अपशिष्टों का प्रबंधन करने तथा खुले में जलाने को कम करने में मदद करता है।
गोबरधन योजना
- गोबरधन योजना: गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBARdhan) पहल का ध्यान चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये अपशिष्ट को धन में परिवर्तित करने पर केंद्रित है।
- इसका उद्देश्य सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस (CBG)/Bio-CNG संयंत्रों के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।
- जल शक्ति मंत्रालय का पेयजल और स्वच्छता विभाग (DDWS) नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है।
भारतमाला परियोजना
- इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने की थी। यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के तहत शुरू किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है।
- योजना के तहत सरकार का इरादा लगभग 7 लाख करोड़ रुपए के निवेश से 83,677 किलोमीटर राजमार्ग और सड़कें बनाने है।
- पहले चरण में 5.35 लाख करोड़ रुपए की लागत से 34,800 किलोमीटर राजमार्ग बनाने की योजना है।
- यह सीमा एवं अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी सड़कों, तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कों के विकास, राष्ट्रीय गलियारों, आर्थिक गलियारों तथा अन्य की दक्षता में सुधार जैसी नई पहलों पर केंद्रित है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
शहनाई को GI टैग मिला
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बनारसी शहनाई और बनारसी तबला को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किये हैं, जिससे वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है।
मुख्य बिंदु
बनारसी शहनाई:
- बनारस शहनाई एक पारंपरिक वायु वाद्य यंत्र है, जिसकी जड़ें भारतीय शास्त्रीय संगीत के बनारस घराने में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
- इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के माध्यम से मिली, जिन्होंने भारत के प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर शहनाई बजाई थी।
- इस वाद्य यंत्र को दिव्य और शुभ दर्जा प्राप्त है, जिसे अक्सर शादियों, धार्मिक समारोहों और मंदिर अनुष्ठानों में बजाया जाता है।
- यह वाराणसी के आध्यात्मिक और कलात्मक चरित्र को दर्शाता है तथा शहर की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान में योगदान देता है।
बनारस तबला:
- बनारस तबला घराना, जिसे पूरब घराना के नाम से भी जाना जाता है, तबला वादन की एक अद्वितीय और प्रभावशाली शैली का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी उत्पत्ति वाराणसी (बनारस) में हुई थी।
- अपनी लयबद्ध परिष्कृतता और समृद्ध स्वर स्पष्टता के लिये जाना जाने वाला यह घराना एक सशक्त पखावज प्रभाव प्रदर्शित करता है, जो इसे अन्य शैलियों से अलग करता है।
- इसकी अभिव्यंजक और गतिशील रचनाएँ इसे कथक नृत्य के साथ संगत करने के लिये विशेष रूप से उपयुक्त बनाती हैं, जो कि उत्तर भारत में निहित एक शास्त्रीय शैली है।
- बनारस घराना को भारतीय शास्त्रीय संगीत में छह प्रमुख तबला घरानों में से एक माना जाता है।
- प्रसिद्ध प्रतिपादक पंडित अनोखेलाल मिश्र, पंडित किशन महाराज, पंडित समता प्रसाद हैं।
भौगोलिक संकेत (GI) टैग
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
- एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा की जाती है।
- विधिक ढाँचा:
- यह बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर WTO समझौते द्वारा विनियमित एवं निर्देशित है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक फैक्ट्री पंजीकरण दर्ज
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2024-25 में देश में सबसे अधिक फैक्ट्री पंजीकरण दर्ज किये हैं।
मुख्य बिंदु
- रिपोर्ट के बारे में:
- उत्तर प्रदेश में 2024-25 में 3,318 फ़ैक्टरियाँ पंजीकृत हुईं, जो 2020-21 में दर्ज 1,484 से लगभग दोगुनी हैं।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार, प्रशासनिक दक्षता और नीतिगत निर्णयों के कारण यह वृद्धि हुई है।
- रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश अब छोटे और मध्यम उद्यमों के अलावा बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश के लिये भी एक प्रमुख और आकर्षक गंतव्य के रूप में तेज़ी से उभर रहा है।
- ASI फ्रेम में यूपी की हिस्सेदारी वर्ष 2022-23 में 7.6% हो गई, जो अब तक की सबसे अधिक है।
- यह प्रगति मुख्यमंत्री के 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की दिशा में एक मज़बूत कदम है।
- उत्तर प्रदेश का औद्योगिक सकल मूल्य वर्धित (GVA) वर्ष 2022-23 में 1.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जो देश के कुल औद्योगिक GVA में 6.1% का योगदान है।
- GVA उस मूल्य को दर्शाता है, जो उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया के दौरान वस्तुओं और सेवाओं में जोड़ते हैं।
- इसकी गणना कुल उत्पादन से इनपुट (मध्यवर्ती खपत) की लागत घटाकर की जाती है।
- यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का एक प्रमुख घटक है, जो आर्थिक संवृद्धि को दर्शाता है। GVA विकास दर क्षेत्रीय प्रदर्शन में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिससे आर्थिक विश्लेषण और नीति निर्धारण में सहायता मिलती है।
वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI)
- परिचय:
- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आँकड़ों की कवरेज़ और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- ASI भारत में औद्योगिक आँकड़ों का प्राथमिक स्रोत है।
- 1953 के सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के अनुसार इसकी शुरुआत वर्ष 1960 में हुई थी, वर्ष 1959 को आधार वर्ष मानकर, वर्ष 1972 को छोड़कर, यह प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- ASI वर्ष 2010-11 से यह सर्वेक्षण सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के तहत आयोजित किया गया है, जिसे अखिल भारतीय स्तर पर विस्तारित करने के लिये वर्ष 2017 में संशोधित किया गया था।
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) का एक हिस्सा, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ASI का संचालन करता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
पीएम कुसुम योजना में उत्तर प्रदेश अग्रणी
चर्चा में क्यों?
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने पीएम कुसुम योजना और पीएम सूर्य घर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका की सराहना की।
मुख्य बिंदु
- PM-कुसुम
- PM-कुसुम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सौर ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है।
- यह मांग-संचालित दृष्टिकोण पर कार्य करती है। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) से प्राप्त मांगों के आधार पर क्षमताओं का आवंटन किया जाता है।
- PM-कुसुम का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक 30.8 गीगावाट की महत्त्वपूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल करना है।
- उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा संचालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीज़ल पर निर्भरता को कम करना है।
- इसका उद्देश्य सौर पंपों के उपयोग के माध्यम से सिंचाई लागत को कम करके और उन्हें ग्रिड को अधिशेष सौर ऊर्जा बेचने में सक्षम बनाकर किसानों की आय में वृद्धि करना है।
- सौर पंपों तक पहुँच प्रदान करके तथा सौर-आधारित सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा देकर, इस योजना का उद्देश्य किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
- स्वच्छ और नवीकरणीय सौर ऊर्जा को अपनाकर इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।
- इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा संचालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीज़ल पर निर्भरता को कम करना है।
- घटक:
- घटक-A: किसानों की बंजर/परती/चरागाह/दलदली/कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना।
- घटक-B: ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में 20 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंपों की स्थापना।
- घटक-C: 15 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइज़ेशन: व्यक्तिगत पंप सोलराइज़ेशन और फीडर लेवल सोलराइज़ेशन।
पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
- परिचय: यह पर्याप्त वित्तीय सब्सिडी प्रदान करके और इनस्टॉलेशन में सुविधा सुनिश्चित करके सोलर रूफटॉप सिस्टम को अपनाने को बढ़ावा देने के लिये एक केंद्रीय योजना है।
- उद्देश्य: इसका लक्ष्य भारत में एक करोड़ परिवारों को मुफ्त विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराना है, जो रूफटॉप सोलर पैनल वाली बिजली इकाइयाँ स्थापित करना चाहते हैं।
- परिवारों को प्रत्येक महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकेगी।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ: योजना का क्रियान्वयन दो स्तरों पर किया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्तर: राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) द्वारा प्रबंधित।
- राज्य स्तर: राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIA) द्वारा प्रबंधित, जो संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों की वितरण उपयोगिताएँ (डिस्कॉम) या विद्युत/ऊर्जा विभाग हैं।
- डिस्कॉम की भूमिका: SIA के रूप में डिस्कॉम रूफटॉप सौर ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने की दिशा में विभिन्न उपायों को सुविधाजनक बनाने के लिये उत्तरदायी हैं, जिसमें नेट मीटर की उपलब्धता सुनिश्चित करना, समय पर निरीक्षण करना एवं प्रतिष्ठानों को चालू करना शामिल है।
- सब्सिडी संरचना: यह योजना सोलर रूफटॉप सिस्टम इनस्टॉलेशन की लागत को कम करने के लिये सब्सिडी प्रदान करती है। सब्सिडी अधिकतम 3 किलोवाट क्षमता तक सीमित है।
- 2 किलोवाट क्षमता तक के सोलर सिस्टम के लिये 60% सब्सिडी।
- 2 किलोवाट से 3 किलोवाट क्षमता के बीच सोलर सिस्टम के लिये 40% सब्सिडी।


मध्य प्रदेश Switch to English
मध्यप्रदेश का 25वाँ वन्यजीव अभयारण्य
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार ने सागर ज़िले में एक नए वन्यजीव अभयारण्य की घोषणा की है, जिसका नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर अभयारण्य रखा गया है।
मुख्य बिंदु
अभयारण्य के बारे में:
- डॉ. भीमराव अंबेडकर अभ्यारण्य सागर ज़िले के उत्तर सागर वन प्रभाग, तहसील बंडा और शाहगढ़ वन के 258.64 वर्ग किमी. आरक्षित वन क्षेत्र में फैला होगा।
- यह अभयारण्य बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर को समर्पित है। इसके साथ ही राज्य में 25 वन्यजीव अभयारण्य हो गए हैं।
महत्त्व
- यह क्षेत्र अभ्यारण्य घोषित होने से यहाँ रहने वाले वन्यजीवों जैसे तेंदुआ, सियार, चीतल, नीलगाय आदि की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित होगा।
- अवैध शिकार और वनों की कटाई पर नियंत्रण लगेगा।
- जैवविविधता में वृद्धि होगी।
- राज्य में प्राकृतिक पर्यटन के नए अवसर खुलेंगे।
राज्य के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य
अभयारण्य |
ज़िला / स्थान |
अभयारण्य |
ज़िला / स्थान |
बगदरा |
सिंगरौली |
रातापानी |
औबेदुल्लागंज |
पचमढ़ी |
होशंगाबाद |
केन घड़ियाल |
पन्ना |
बोरी |
होशंगाबाद |
सैलाना |
रतलाम |
पनपथा |
उमरिया |
खेओनी |
देवास |
गांधी सागर |
मंदसौर |
सरदारपुर |
धार |
पेंच (मोघली) |
सिवनी |
नरसिंहगढ़ |
राजगढ़ |
गंगऊ |
पन्ना |
संजय (डुबरी) |
सीधी |
फेन |
मंडला |
चंबल |
(राज्य सीमा क्षेत्र) |
घाटीगाँव |
ग्वालियर |
सिंघौरी |
औबेदुल्लागंज |
रालामंडल |
इंदौर |
नौरादेही |
सागर |
कर्माझिरी |
सिवनी |
सोन घड़ियाल |
सीधी |
वीरांगना दुर्गावती |
दमोह |
ओरछा |
टीकमगढ़ |


राजस्थान Switch to English
धनुष लीला
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के बारां ज़िले में 150 साल बाद धनुष लीला का आयोजन किया गया, जो हाड़ौती क्षेत्र की एक प्राचीन लोक परंपरा है।
मुख्य बिंदु
धनुष लीला के बारे में:
- यह तीन दिवसीय आयोजन रामनवमी के अवसर पर किया गया और इसमें भगवान राम द्वारा शिव धनुष भंग की लीला को मंचित किया गया।
- कार्यक्रम की शुरुआत गणगौर की तीज से होती है, जिसमें गणपति स्थापना, आयोजन समिति का गठन और व्यवस्थाओं का वितरण किया जाता है।
- आयोजन से पूर्व जुलूस निकाला जाता है, जिसमें 'सर कट्या' और 'धड़ कट्या' की सवारी प्रमुख होती है।
- तंत्र क्रियाओं से युक्त झाँकियों को विशेष चौक में लाया जाता है जहाँ मंचन होता है।
- सभी संवाद लोकभाषा 'बही' में लिखे गए होते हैं।
राजस्थान की प्रमुख लोककलाएँ
सांझी
- श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों में कन्याएँ माता पार्वती के रूप में सांझी की पूजा करती हैं।
- अंतिम दिन महिलाएँ थम्बुड़ा व्रत करती हैं।
मांडणा
- मांगलिक अवसरों पर घर की दीवारों व आंगन में रंगों से ज्यामितीय चित्र बनाए जाते हैं।
- यह चित्र त्रिकोण, षट्कोण, वृत्त आदि आकृतियों में होते हैं।
फड़ कला
- कपड़े पर देवी-देवताओं की गाथाओं का चित्रण किया जाता है जिसे 'फड़' कहा जाता है।
- इसका प्रमुख केंद्र शाहपुरा (भीलवाड़ा) है, जोशी जाति इसे बनाती है।
कठपुतली
- काष्ठ की पुतलियों को धागों से संचालित कर नाटकीय प्रस्तुति दी जाती है।
- इनका निर्माण जयपुर, उदयपुर व चित्तौड़गढ़ में होता है।
बेवाण
- लकड़ी से बना सिंहासन, जिस पर ठाकुर जी को विराजमान कर एकादशी पर तालाब ले जाया जाता है।
- इसका निर्माण बस्सी (चित्तौड़गढ़) में होता है।
चौपड़ा
- लकड़ी से बना मसाले रखने का पात्र, जिसमें 2, 4 या 6 खाने होते हैं।
- पश्चिमी राजस्थान में इसे 'हटड़ी' कहते हैं, पूजन में उपयोग होता है।
तौरण
- विवाह के समय वर द्वारा वधु के घर द्वार पर लकड़ी की कलात्मक आकृति लगाई जाती है।
- इस पर मयूर या सुवा की आकृति होती है, जिसे तलवार या हरी टहनी से स्पर्श किया जाता है।


राजस्थान Switch to English
बर्तन बैंक योजना
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2025 को राजस्थान के बारां ज़िले को प्लास्टिक मुक्त बनाने हेतु राज्य शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री ने बर्तन बैंक योजना का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
- यह योजना विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई गई है।
- योजना के तहत तीन रुपए में बर्तन सेट किराए पर उपलब्ध होंगे, जो शादी और अन्य सामाजिक आयोजनों के लिये उपयोग किये जा सकेंगे।
- प्रारंभ में 24 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है और भविष्य में सभी ग्राम पंचायतों में बर्तन बैंक स्थापित किये जाएंगे।
- हर बर्तन पर ग्राम पंचायत का नाम और 'स्वच्छ भारत मिशन' अंकित किया जाएगा।
- विशेष वर्गों, जैसे बीपीएल, अनुसूचित जाति, जनजाति और दिव्यांगजन को किराए में 50 प्रतिशत छूट मिलेगी।
- बर्तनों की देखरेख स्वयं सहायता समूहों के जिम्मे होगी और संचालन राजीविका के माध्यम से किया जाएगा।
- राजीविका राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत एक कार्यक्रम है, जो स्वयं सहायता समूहों (SHG) और अन्य आजीविका पहलों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
- योजना के लिये राज्य सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत को 1 लाख रुपए की राशि प्रदान करने का निर्णय लिया है।
स्वच्छ भारत मिशन (SBM):
परिचय
- यह एक वृहत जन आंदोलन है जिसका लक्ष्य वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का निर्माण करना था। महात्मा गांधी सदैव स्वच्छता पर बल देते थे क्योंकि स्वच्छता से स्वस्थ और समृद्ध जीवन की राह खुलती है।
- इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 (गांधी जयंती) के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन की नींव रखी। यह मिशन सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को दायरे में लेता है।
- इस मिशन के शहरी घटक का क्रियान्वयन आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा और ग्रामीण घटक का क्रियान्वयन जल शक्ति मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

