नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


कृषि

PM-कुसुम

  • 25 Jul 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

PM-कुसुम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, कृषि अवसंरचना कोष (AIF), प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (PSL) दिशा-निर्देश, भूजल संसाधन

मेन्स के लिये:

PM कुसुम में हाल के महत्त्वपूर्ण विकास, PM-कुसुम से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?  

केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित प्रतिक्रिया के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना की वर्तमान स्थिति प्रस्तुत की।

PM-कुसुम

  • परिचय:  
    • PM-कुसुम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सौर ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है।
    • यह मांग-संचालित दृष्टिकोण पर कार्य करती है। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) से प्राप्त मांगों के आधार पर क्षमताओं का आवंटन किया जाता है।
    • विभिन्न घटकों और वित्तीय सहायता के माध्यम से PM-कुसुम का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक 30.8 गीगावाट की महत्त्वपूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल करना है।
  • PM-कुसुम का उद्देश्य:  
    • कृषि क्षेत्र का डी-डिजिटलाइज़ेशन: इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा संचालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीज़ल पर निर्भरता को कम करना है।
      • इसका उद्देश्य सौर पंपों के उपयोग के माध्यम से सिंचाई लागत को कम करके और उन्हें ग्रिड को अधिशेष सौर ऊर्जा बेचने में सक्षम बनाकर किसानों की आय में वृद्धि करना है।
    • किसानों के लिये जल और ऊर्जा सुरक्षा: सौर पंपों तक पहुँच प्रदान करके तथा सौर-आधारित सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा देकर, इस योजना का उद्देश्य किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
    • पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश: स्वच्छ और नवीकरणीय सौर ऊर्जा को अपनाकर इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।
  • घटक:  
    • घटक-A: किसानों की बंजर/परती/चरागाह/दलदली/कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना
    • घटक-B: ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में 20 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंपों की स्थापना।
    • घटक-C: 15 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइज़ेशन: व्यक्तिगत पंप सोलराइज़ेशन और फीडर लेवल सोलराइज़ेशन।
  • हाल के महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम:
    • योजना की अवधि का विस्तार: किसानों को सौर ऊर्जा समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने की सुविधा प्रदान करने के लिये PM-कुसुम को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
    • राज्य-स्तरीय निविदा: स्टैंडअलोन सौर पंपों की खरीद के लिये राज्य-स्तरीय निविदा की अनुमति है, जिससे प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित और कुशल हो गई है।
    • AIF और PSL दिशा-निर्देशों में शामिल करना: PM-कुसुम के अंतर्गत पंपों के सौर्यीकरण को भारतीय रिज़र्व बैंक के कृषि अवसंरचना कोष (AIF) और प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है।

नोट:  

  • कृषि अवसंरचना कोष (AIF): AIF फसल कटाई के बाद प्रबंधन, बुनियादी ढाँचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये 8 जुलाई, 2020 को प्रारंभ की गई एक वित्तपोषण सुविधा है।
    • इस योजना के अंर्तगत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपए का वितरण किया जाना है तथा साथ ही वर्ष 2032-33 तक ब्याज छूट एवं क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी।
  • प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL): RBI बैंकों को अपने धन का एक निश्चित भाग कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs), निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, सामाजिक बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे निर्दिष्ट क्षेत्रों को उधार देने के लिये बाध्य करता है।

प्रमुख चुनौतियाँ:  

  • भौगोलिक परिवर्तनशीलता: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सौर विकिरण का स्तर अलग-अलग है, जो सौर प्रतिष्ठानों की दक्षता तथा प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है।
    • इसके अतिरिक्त सौर पंपों की प्रभावशीलता पर्याप्त सूर्य के प्रकाश पर निर्भर है, जो घने बादलों की अवधि के दौरान या लंबे समय तक मानसून वाले क्षेत्रों के लिये चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • भूमि की उपलब्धता एवं एकत्रीकरण: सौर परियोजनाओं के लिये उपयुक्त भूमि की उपलब्धता एवं खंडित भूमि खंडों का एकत्रीकरण बड़े पैमाने पर सौर उर्जा स्थापित करने में चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।
    • भूमि अधिग्रहण तथा एकत्रीकरण में समय लग सकता है, साथ ही इससे परियोजना के निष्पादन में देरी हो सकती है।
  • अपर्याप्त ग्रिड अवसंरचना: उन क्षेत्रों में जहाँ ग्रिड अवसंरचना कमज़ोर या अविश्वसनीय है, ग्रिड में सौर ऊर्जा को एकीकृत करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है
    • यह योजना के लाभों को सीमित कर सकता है, विशेष रूप से उन किसानों के लिये जो अधिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड में वापस बेचना चाहते हैं।
  • जल विनियमन का अभाव: सौर पंपों को अपनाने के साथ सिंचाई की मांग में वृद्धि हो सकती है क्योंकि किसानों को भूमिगत स्रोतों से जल को पंप करना अधिक सुलभ और लागत प्रभावी लगता है। 
    • उचित जल प्रबंधन प्रथाओं की अनुपस्थिति सौर पंपों के माध्यम से अत्यधिक जल निकासी को बढ़ा सकती है तथा भू-जल संसाधनों की दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। 

आगे की राह 

  • मोबाइल सोलर पंपिंग: मोबाइल सोलर पंप स्टेशन लागू करने चाहिये जिन्हें सिंचाई आवश्यकताओं के आधार पर विभिन्न स्थानों पर ले जाया जा सके।
    • यह सुविधा दूरदराज़ या बदलते कृषि क्षेत्रों में किसानों के लिये जल की उपलब्धता को बढ़ा सकती है।
  • जल विनियमन और निगरानी: भूजल निकासी को नियंत्रित करने के लिये प्रभावी जल विनियमन नीतियों और निगरानी तंत्र को लागू करना चाहिये।
    • सरकार को जलभृत पुनर्भरण दरों और समग्र जल उपलब्धता के आधार पर जल निकासी सीमा तय करने के लिये स्थानीय प्राधिकरणों के साथ सहयोग करना चाहिये।
  • मनरेगा से जोड़ना: PM-कुसुम योजना के प्रभाव को बढ़ाने और ग्रामीण रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये इस योजना को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से जोड़ा जा सकता है।
    • मनरेगा योजना सौर पंपों के उपयोग के पूरक ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों की स्थापना में सहायक हो सकती है।
    • यह संयोजन जल-उपयोग दक्षता और फसल उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँ हैं। विस्तृत वर्णन कीजिये। (2020) 

स्रोत: पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow