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गोबरधन योजना

  • 11 Jan 2025
  • 2 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) ने गोबरधन पोर्टल पर परिचालनरत संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्र के आँकड़ों में पारदर्शिता की कमी को उज़ागर किया है।

  • संपीड़ित बायोगैस (CBG): CBG एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो कृषि अवशेष, मवेशियों के गोबर, नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट और सीवेज मल सहित जैविक अपशिष्ट से उत्पादित होता है।
    • यह जीवाश्म ईंधनों के स्थान पर कृषि एवं पशु अपशिष्टों का प्रबंधन करने तथा खुले में जलाने को कम करने में मदद करता है।
  • गोबरधन योजना: गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBARdhan) पहल का ध्यान चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये अपशिष्ट को धन में परिवर्तित करने पर केंद्रित है।
    • इसका उद्देश्य सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस (CBG)/Bio-CNG संयंत्रों के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।
    • जल शक्ति मंत्रालय का पेयजल और स्वच्छता विभाग (DDWS) नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है।
  • महत्त्वपूर्ण मुद्दे:
    • धीमी स्वीकृति: दिसंबर 2024 तक केवल 115 CBG संयंत्र कार्यात्मक हैं, जबकि वर्ष 2030 तक 5,000 का लक्ष्य है।
    • सूचना का अभाव: गोबरधन पोर्टल पर विशिष्ट CBG संयंत्रों द्वारा उपयोग किये जाने वाले फीडस्टॉक्स के विवरण का अभाव है।
    • परिचालन पारदर्शिता: पोर्टल में परिचालन संयंत्रों के लिये अद्यतन जानकारी वाले अनुभाग का अभाव है, जिससे नीति निर्माताओं के लिये उद्यमियों की चुनौतियों का समाधान करना कठिन हो जाता है।

और पढ़ें: Bio-CNG के माध्यम से भारत का हरित भविष्य

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