झारखंड Switch to English
झारखंड में जल जीवन मिशन की स्थिति
चर्चा में क्यों?
झारखंड में जल जीवन मिशन (JJM) आठ जिलों में बाधित हो गया है, जिससे हज़ारों परिवार प्रभावित हो रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
- JJM के तहत 'हर घर नल जल' योजना, जिसका उद्देश्य हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है, पिछले दो महीनों से पाकुड़, साहिबगंज, धनबाद, दुमका, गढ़वा, गुमला, लातेहार और सिमडेगा में रुकी हुई है।
- इस निलंबन के पीछे मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा धनराशि जारी न करना है, जिसके कारण ठेकेदारों को बकाया भुगतान न होने के कारण काम बंद करना पड़ रहा है।
- झारखंड सरकार ने मिशन की गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और इसमें तेज़ी लाने के लिये केंद्र सरकार से 6,324 करोड़ रुपए की धनराशि का अनुरोध किया है।
- वर्ष 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन ने दिसंबर 2024 तक झारखंड में 62,55,717 घरों में नल का जल कनेक्शन उपलब्ध कराने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
- हालाँकि, अब तक केवल 34,19,100 घरों को ही कनेक्शन मिले हैं, जो लक्ष्य का केवल 54.66% ही है।
- यह आँकड़ा राष्ट्रीय औसत 79.79% से काफी नीचे है, जिससे लगभग 45% घरों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
- झारखंड सरकार अब केंद्रीय प्राधिकारियों से आग्रह कर रही है कि मिशन को पुनर्जीवित करने के लिये लंबित धनराशि शीघ्र जारी की जाए।
जल जीवन मिशन (JJM)
- शुरुआत:
- वर्ष 2019 में शुरू की गई इस योजना में वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है, जिसे बजट 2025-26 में 2028 तक बढ़ा दिया गया है।
- यह मिशन जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
- वर्ष 2019 में शुरू की गई इस योजना में वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है, जिसे बजट 2025-26 में 2028 तक बढ़ा दिया गया है।
- उद्देश्य:
- यह मिशन मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों और जल कनेक्शनों की कार्यशीलता, जल गुणवत्ता की निगरानी और परीक्षण के साथ-साथ टिकाऊ कृषि को सुनिश्चित करता है।
- यह संरक्षित जल का संयुक्त उपयोग, पेयजल स्रोत संवर्धन, पेयजल आपूर्ति प्रणाली, ग्रे जल उपचार और इसका पुनः उपयोग भी सुनिश्चित करता है।
- विशेषताएँ:
- JJM स्थानीय स्तर पर जल की एकीकृत मांग और आपूर्ति पक्ष प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है।
- अनिवार्य तत्त्वों के रूप में स्रोत स्थिरता उपायों के लिये स्थानीय बुनियादी ढाँचे का निर्माण, जैसे वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और पुन: उपयोग के लिये घरेलू अपशिष्ट जल का प्रबंधन, अन्य सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं के साथ अभिसरण में किया जाता है।
- यह मिशन जल के प्रति सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है तथा इसमें व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार को मिशन के प्रमुख घटक के रूप में शामिल किया गया है।
- कार्यान्वयन:
- जल समितियाँ गाँव की जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना बनाती हैं, उनका क्रियान्वयन करती हैं, प्रबंधन करती हैं, संचालन करती हैं और रखरखाव करती हैं।
- इनमें 10-15 सदस्य होते हैं, जिनमें कम से कम 50% महिला सदस्य और स्वयं सहायता समूह, मान्यता प्राप्त सामाजिक और स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी शिक्षक आदि से अन्य सदस्य होते हैं।
- समितियाँ गाँव के सभी उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक बारगी ग्राम कार्य योजना तैयार करती हैं। क्रियान्वयन से पहले योजना को ग्रामसभा में मंजूरी दी जाती है।
- वित्तपोषण पैटर्न:
- केंद्र और राज्यों के बीच निधि बँटवारे का पैटर्न हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिये 90:10, अन्य राज्यों के लिये 50:50 तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100% है।


राजस्थान Switch to English
सैडल बाँध
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री ने रावतभाटा स्थित राणा प्रताप सागर बाँध के अपस्ट्रीम में सैडल बाँध का निरीक्षण किया।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री ने प्रस्तावित कार्यों की प्रगति की समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
- जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें राणा प्रताप सागर-ब्राह्मणी बाढ़ सुरक्षा प्रबंधन और बीसलपुर बाँध में जल अपवर्तन परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
- बाँध का महत्त्व: सैडल डैम के सरप्लस वाटर को ब्राह्मणी नदी से जोड़कर बीसलपुर बाँध तक ले जाया जाएगा। जिससे सरप्लस पानी का अधिकतम उपयोग किया जा सकेगा और पानी का अपव्यय नहीं होगा।
- इस परियोजना के अंतर्गत ब्राह्मणी नदी पर एक बैराज श्रीपुरा गाँव में बनाया जाना प्रस्तावित है। साथ ही, परियोजना के अंतर्गत सुरंगों का निर्माण एवं बूंदी ज़िले के गरडदा, अभयपुरा एवं गुढ़ा बाँध को भी भरा जाना प्रस्तावित है।
राणा प्रताप सागर बाँध
- राणा प्रताप सागर बाँध राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले में रावतभाटा शहर के पास चंबल नदी पर स्थित है।
- यह चंबल घाटी परियोजना का हिस्सा है, जिसमें गांधी सागर और जवाहर सागर बाँध भी शामिल हैं।
- इस बाँध का उद्देश्य सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण है। बाँध द्वारा निर्मित जलाशय को राणा प्रताप सागर झील के नाम से जाना जाता है।
ब्राह्मणी नदी
- ब्राह्मणी नदी चम्बल की सहायक नदी है जो मध्य प्रदेश निकलकर राजस्थान में प्रवाहित होती है।
- ज्ञातव्य है कि ब्राह्मणी नाम की एक अन्य नदी है जो झारखंड के दुमका ज़िले से निकलकर पूर्व की और ओड़िसा राज्य में बहती है।
- यह नदी राउरकेला के पास शंख और दक्षिण कोयल नदियों के संगम से बनती है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
वरुणा नदी में मिले प्रदूषक तत्त्व
चर्चा में क्यों?
हाल ही में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के जंतु वैज्ञानिकों ने एक शोध में वरुणा नदी के जल में लगभग 1000 प्रकार के प्रदूषक तत्त्व पाए जाने की पुष्टि की।
मुख्य बिंदु
- प्रदूषक तत्त्व: शोध में यह पाया गया कि वरुणा नदी में 580 और अस्सी नदी में 349 प्रदूषण के घटक मिले हैं। इनमें टर्ट एल्काइलफेनाल, आक्टाइलफेनोल्स, ब्यूटाइलफेनोल्स, हेक्साडेसिलफेनोल्स जैसे जहरीले रसायन शामिल हैं।
- प्रभाव: ये प्रदूषक न केवल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बल्कि मानवीय जीवन को भी का निम्न प्रकार से खतरे में डाल रहें है-
- जलीय जीवन पर असर: प्रदूषण से मछलियों और अन्य जल जीवों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिससे उनकी मृत्यु दर बढ़ रही है और प्रजनन क्षमता घट रही है।
- इसका जल गंगा नदी के जल को भी प्रदूषित कर रहा है।
- जल की गुणवत्ता में कमी: प्रदूषक तत्त्व जल की गुणवत्ता को खराब करते हैं, जिससे पीने योग्य पानी की उपलब्धता में कमी हो जाती है।
- मानवीय जीवन पर प्रभाव: प्रदूषक युक्त जल को पीने से मनुष्यों में स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। इससे न केवल प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है, बल्कि ये प्रदूषक कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं।
- जलीय जीवन पर असर: प्रदूषण से मछलियों और अन्य जल जीवों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिससे उनकी मृत्यु दर बढ़ रही है और प्रजनन क्षमता घट रही है।
- पूर्व रिपोर्ट: इससे पहले भी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में वरुणा नदी का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बताया गया था। वाराणसी में गंगा में मिलने से पहले वरुणा का BOD 12.40 मिलीग्राम प्रति लीटर था।
- वरुणा नदी का पुनरुद्धार: हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार वाराणसी में वरुणा नदी के पुनरुद्धार हेतु निरंतर प्रयासरत है, जैसे- भदोही से गंगा-वरुणा संगम तक डिसिल्टिंग (सिल्ट हटाना) करना, नदी किनारे पौधरोपण कर हरित क्षेत्र बढ़ाना। इसके साथ ही, विभिन्न विकास खंडों में वेटलैंड एरिया तैयार किया जाएगा, जिससे भूजल स्तर सुधरेगा और नदी का जलस्तर सामान्य होगा।
- हाल ही में भारत और डेनमार्क के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी के परिणामस्वरूप वाराणसी में स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (Smart Laboratory on Clean Rivers- SLCR) की स्थापना हुई है। इसका उद्देश्य सतत् दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए वरुणा नदी का पुनरुद्धार करना है।
वरुणा नदी के बारे में:


बिहार Switch to English
नवादा में 142 योजनाओं का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान नवादा में करोड़ों रुपए की लागत वाली 142 योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान नवादा ज़िले को कई विकास योजनाओं की सौगात दी। मुख्यमंत्री ने कुल 211.96 करोड़ रुपए की 202 योजनाओं में से 138.06 करोड़ रुपए की 142 योजनाओं का उद्घाटन किया और 73,89 करोड़ रुपए की 60 योजनाओं का शिलान्यास किया। साथ ही ज़िले में अन्य विकास योजनाओं का अवलोकन किया।
- प्रमुख विकास योजनाएँ: कुछ प्रमुख योजनाएँ निम्नलिखित हैं-
- नवादा में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का निर्माण किया जाएगा।
- रजौली अनुमंडल में डिग्री कॉलेज की स्थापना की जाएगी।
- नवादा ज़िले में बहुद्देशीय प्रेक्षागृह का निर्माण किया जाएगा।
- नवादा नगर परिषद में छूटे 27 वार्ड में गंगाजल आपूर्ति की जाएगी।
- नवादा के रजौली में औद्योगिक क्षेत्र का विकास किया जायेगा।
- महत्त्व: इन विकास योजनाओं से नवादा ज़िले में सामाजिक और आर्थिक विकास को गति मिलेगी और स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी, जो शिक्षा, स्वास्थ्य तथा रोजगार के क्षेत्र में सुधार लाएंगी।
नवादा ज़िला
- नवादा ज़िले का इतिहास मगध साम्राज्य से जुड़ा है और इस क्षेत्र के लोग मगही बोलते हैं।
- प्राचीन काल में वनाच्छादित होने के कारण इसका प्रसंग पाडंवों के अज्ञातवास में भी हुआ है।
- आज भी नवादा के कई प्रखंड वन से घिरे हैं, जैसे रजौली, कौआकोल, गोविंदपुर इत्यादि।
- नवादा शब्द "नव" और "आबाद" दो शब्द से बना है, अर्थात खुरी नदी के उत्तर में जो मानव बस्तियाँ बसी वह नव आबाद था।
- वर्तमान में नवादा ज़िला की सीमा दक्षिण में झारखंड के कोडरमा ज़िले से लगी हुई है।
- 26 जनवरी 1973 को अस्तित्व में आया यह ज़िला पहले गया ज़िले के अधीन एक अनुमंडल था।
- नवादा ज़िला कई प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जैसे, ककोलत झरना, प्रजातंत्र द्वार, सीतामढ़ी, नारद संग्रहालय, सेखोदेवरा और गुनियाजी तीर्थ आदि।


मध्य प्रदेश Switch to English
लाड़ली बहना योजना
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश में लाड़ली बहना योजना के तहत मासिक सहायता राशि को वर्तमान 1250 रुपए से बढ़ाकर 3000 रुपए किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
योजना के बारे में:
- उद्देश्य: लाड़ली बहना योजना का मुख्य उद्देश्य मध्यप्रदेश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
- लाड़ली बहना योजना के तहत अब तक 1.27 करोड़ महिला लाभार्थियों के खातों में 1553 करोड़ रुपए ट्रांसफर किये जा चुके हैं।
- राज्य सरकार द्वारा राशि को 3000 रुपए प्रति माह करने से अब और अधिक महिलाएँ इसका लाभ उठा सकेंगी और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकेंगी।
- शुरुआत: इस योजना को मई 2023 में राज्य सरकार द्वारा शुरू किया गया था और इसके तहत 21 से 60 वर्ष की विवाहित महिलाओं को शुरू में 1000 रुपए की सहायता दी जाती थी। जिसे बाद में बढाकर 1250 रुपए प्रति माह कर दिया गया।
- पात्रता और नियम:
- महिला के परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपए से कम हो।
- परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी नहीं करता हो।
- इसके अतिरिक्त, परिवार के पास 5 एकड़ से ज्यादा भूमि या ट्रैक्टर, चारपहिया वाहन न हो।


उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में भूमि पंजीकरण कागज़ रहित होगा
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार पूरे राज्य में भूमि पंजीकरण के लिये कागज़ रहित प्रणाली लागू करने की तैयारी में है।
प्रमुख बिंदु
- स्टाम्प एवं पंजीकरण विभाग ने इस पहल के लिये एक आधारभूत रूपरेखा तैयार की है।
- राज्य के वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने घोषणा की कि "उत्तराखंड ऑनलाइन दस्तावेज़ पंजीकरण नियमावली 2025" को आगामी कैबिनेट बैठक में अनुमोदन के लिये प्रस्तुत किया जाएगा।
- कैबिनेट की सहमति मिलने पर इस प्रणाली को औपचारिक रूप से लागू कर दिया जाएगा।
- भूमि पंजीकरण का डिजिटल रूपांतरण:
- नई प्रणाली का उद्देश्य कागज़ रहित पंजीकरण, आधार प्रमाणीकरण और आभासी पंजीकरण प्रक्रियाओं को शुरू करके पंजीकरण प्रक्रिया को बढ़ाना है।
- संपत्ति लेनदेन में शामिल पक्षों के पास उप-पंजीयक कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से जाने या वीडियो केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) के माध्यम से दस्तावेज़ सत्यापन पूरा करने का विकल्प होगा।
- उप-रजिस्ट्रार डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करके प्रक्रिया को अंतिम रूप देंगे और पक्षों को व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से तुरंत सूचित करेंगे।
- महत्त्व:
- भूमि लेनदेन प्रक्रिया के साथ आधार प्रमाणीकरण को एकीकृत करने से सार्वजनिक सुविधा में सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- इस कदम का उद्देश्य पंजीकरण प्रक्रिया में धोखाधड़ी की गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है कि भूमि खरीद और बिक्री प्रक्रिया पारदर्शी और कुशल हो।
आधार:
- आधार एक 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या है जिसे भारत सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है। यह संख्या भारत में कहीं भी पहचान और पते के प्रमाण के रूप में काम आती है।
- आधार संख्या प्रत्येक व्यक्ति के लिये अद्वितीय है और जीवन भर मान्य है।
- आधार संख्या निवासियों को बैंकिंग, मोबाइल फोन कनेक्शन और अन्य सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करेगी।
- जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारी के आधार पर व्यक्तियों की पहचान स्थापित करता है।
- यह एक स्वैच्छिक सेवा है, जिसका लाभ प्रत्येक निवासी वर्तमान दस्तावेज़ो के बावजूद उठा सकता है।

