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मगध साम्राज्य की सफलता के कारणों का विश्लेषण कीजिये।
20 Jun, 2020उत्तर :
मौर्य शासन के उत्थान के पहले की दो सदियों में मगध साम्राज्य के विकास का दौर समकालीन ईरानी साम्राज्य के दौर के समान रहा। मगध साम्राज्य की इस महत्त्वपूर्ण सफलता के पीछे कारण थे-
- मगध में बिंबिसार, अजातशत्रु और महापदमनंद जैसे महत्त्वाकांक्षी शासकों ने लगातार इसके विस्तार से इसे मजबूत किया।
- मगध के निकट लोहे के भंडारों की उपस्थिति के कारण मगध की भौगोलिक स्थिति लौह युग में उपयुक्त थी। इसके कारण मगध के शासक प्रभावशाली हथियार तैयार करा सके।
- मगध की दोनों राजधानियाँ, राजगीर एवं पाटलिपुत्र, महत्त्वपूर्ण सामरिक स्थानों पर थी। राजगीर पहाड़ियों से घिरे होने के कारण दुर्भेद्य था, वहीं पाटलिपुत्र की केंद्रीय स्थिति के कारण यहाँ से सभी दिशाओं में संपर्क किया जा सकता है।
- गंगा के उपजाऊ मैदानों में होने के कारण यहाँ के किसानों के पास भरण-पोषण के पश्चात् भी अतिरिक्त अनाज बचता था। शासक कर के रूप में इस अनाज को एकत्र करते थे।
- नगरों के उत्थान तथा सिक्कों के प्रचलन के कारण मगध के व्यापार-वाणिज्य में वृद्धि हुई, जिससे शासक अब वाणिज्य वस्तुओं पर चुंगी लगाकर धन एकत्र कर सकते थे।
- मगध राज्य ने ही पहली बार अपने पड़ोसियों के विरुद्ध युद्ध में हथियारों का प्रयोग किया, जो देश के पूर्वांचल से मगध शासकों के पास पहुँचते थे।
- मगध का समाज रूढ़िविरोधी था। वैदिक लोगों के आगमन के कारण यहाँ जातियों का सुखद मिश्रण हुआ। हाल ही में वैदिकीकरण के कारण अन्य राज्यों की अपेक्षा मगध में विस्तार के लिये अधिक उत्साह था।
उपर्युक्त सभी कारणों से मगध दूसरे राज्यों को हराने और भारत में प्रथम साम्राज्य स्थापित करने में सफल रहा।