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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत -डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी

  • 30 Sep 2020
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये 

हरित रणनीतिक भागीदारी’ 

मेन्स के लिये 

हरित रणनीतिक भागीदारी के प्रमुख क्षेत्र 

चर्चा में क्यों? 

भारत और डेनमार्क ने दूरगामी लक्ष्यों वाली ‘हरित रणनीतिक साझेदारी’ (Green Strategic Partnership) के रूप में एक नए युग की शुरुआत की है। यह कदम भारत को जलवायु परिवर्तन एवं अन्य वैश्विक समस्याओं से संबंधित स्थायी समाधान तलाशने में सहायता कर सकता है।

प्रमुख बिंदु 

  • डेनमार्क के अनुसार, यह समझौता हरित तकनीक (Green Tech) और अन्य क्षेत्रों, जैसे- पवन ऊर्जा, जल प्रौद्योगिकी और ऊर्जा दक्षता आदि में परस्पर निकट सहयोग की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। भारत में इन क्षेत्रों में डेनिश तकनीकों की बहुत माँग है और यह समझौता डेनमार्क से भारत को निर्यात और निवेश वृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
  • डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने इस समझौते को कंपनियों को बाज़ार में नवीन अवसरों को उपलब्ध कराने के संदर्भ में अनूठे तरीके के रूप में वर्णित किया है। इस समझौते से कंपनियाँ अभी तक के अप्रयुक्त बाज़ारों का उपयोग करने में समर्थ हो सकती हैं।
  • यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रेडरिक्सन द्वारा 28 सितंबर को आयोजित शिखर सम्मेलन में व्यक्त किये गए विज़न के अनुरूप है। भारत ने डेनमार्क की कंपनियों को लोगों का चयन करने में मदद करने के लिये ‘भारत-डेनमार्क कौशल संस्थान’ बनाने का भी समर्थन किया है, क्योंकि इन कंपनियों को स्थानीय कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
  • भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में 140 से भी अधिक डेनिश कंपनियाँ भारत में ‘मेक इन इंडिया’ पहल में भाग ले रही हैं।  

 क्या है हरित रणनीतिक साझेदारी?

  • हरित रणनीतिक साझेदारी महत्त्वाकांक्षी ‘पेरिस समझौते’ और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित ‘सतत् विकास लक्ष्यों’ के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ राजनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने, आर्थिक संबंधों और हरित विकास का विस्तार करने, रोज़गार सृजन और वैश्विक चुनौतियों एवं अवसरों के समाधान में सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में एक पारस्परिक समझौता है।
  • दोनों देशों ने हरित रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के महत्त्व को स्वीकार करते हुए भारत और डेनमार्क के संबंधित मंत्रालयों, संस्थानों और हितधारकों के माध्यम से सहयोग करने का आश्वासन दिया है।

हरित रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत सम्मिलित प्रमुख क्षेत्र 

1. ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन

  • जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने के लिये अपतटीय पवन ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा पर रणनीतिक क्षेत्रीय सहयोग में क्षमता निर्माण, ज्ञान-साझेदारी और प्रौद्योगिकी स्थानांतरण, ऊर्जा मॉडलिंग और नवीकरणीय ऊर्जा के समेकन, हरित विकास और ‘सतत् विकास की दिशा में साझा प्रतिबद्धताएँ व्यक्त की गई हैं। 
  • ऊर्जा साझेदारी को और अधिक मज़बूत बनाने एवं जलवायु तथा ऊर्जा पर अत्यंत महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करने की पुष्टि भी की गई हैं जो पेरिस समझौते के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों के अनुरूप है। 

2. पर्यावरण/जल और चक्रीय अर्थव्यवस्था: 

  • दोनों देशों ने पर्यावरण/जल और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर सहयोग को भविष्य में और अधिक विस्तारित तथा मज़बूत करने की दिशा में कार्य करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • ‘भारत-डेनमार्क जल प्रौद्योगिकी गठबंधन’ के माध्यम से जलापूर्ति, जल वितरण, अपशिष्ट जल प्रबंधन, सीवरेज़ सिस्टम, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग, जल प्रबंधन, ऊर्जा अनुकूलन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की संयुक्त इच्छा व्यक्त की गई है।

3. स्मार्ट शहरों सहित सतत् शहरी विकास

  • गोवा में ‘शहरी लिविंग लैब’ के माध्यम से स्मार्ट शहरों सहित सतत् शहरी विकास में द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत बनाने तथा साथ ही ‘उदयपुर और आरहूस’, ‘तुमकुरु और अलबोर्ग’ के बीच मौजूदा नगर-से-नगर (City-to-City) सहयोग को भी पुष्ट बनाने पर सहमति जताई गई है। 
  • डेनमार्क की कंपनियाँ भारत में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को तैयार करने और  सतत् शहरी विकास के सभी क्षेत्रों में अधिक भागीदारी निभा रही हैं।  

4. व्यापार, कारोबार और नौवहन

  • दोनों देशों की सरकारों, संस्थानों और व्यवसायों के मध्य हरित और जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान देने के साथ आर्थिक साझेदारी विकसित करने का भी प्रयास किया जाएगा। 
  • साझेदारी में हरित ऊर्जा में सार्वजनिक और निजी निवेशों का समर्थन, पोत निर्माण एवं डिज़ाइन, समुद्री सेवाओं तथा हरित नौवहन में सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ बंदरगाह क्षमता का विकास भी सम्मिलित है। 
  • ‘लघु और मध्यम उद्योग’ (Small & Medium Enterprises-SME) के लिये व्यापार प्रतिनिधिमंडलों और बाज़ार गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के साथ ही व्यापार में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नस’ सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
  • भारत और डेनमार्क ने नवाचार, रचनात्मकता और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपनी राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रणालियों को आधुनिक और मज़बूत बनाने में सहयोग करने की भी पुष्टि की है।

5. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार और डिजिटलीकरण

  • भारत और डेनमार्क ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership-PPP) के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (Science, Technology & Innovation-STI) में निवेश वृद्धि और सुविधा प्रदान करने के महत्त्व पर भी बल दिया है। 
  • दोनों देशों ने हरित परिवर्तन में डिज़िटल समाधान एवं व्यापार मॉडल में अपनी साझा रुचि की पहचान करते हुए ‘हरित स्थायी विकास’ का समर्थन करने हेतु डिज़िटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में विकास, नवाचार और निष्पादन को बढ़ाने के लिये सहयोग करने का निर्णय लिया है।

6. खाद्य और कृषि

  • कृषि क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाओं को देखते हुए खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पशुपालन तथा डेयरी क्षेत्र में अधिकारियों, व्यवसायों और अनुसंधान संस्थानों के बीच घनिष्ठ और निकट सहयोग को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

7. स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान

  • दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में संवाद और सहयोग को और मज़बूत करने और  भविष्य में COVID-19 जैसी महामारियों से निपटने के लिये महामारी और टीके सहित स्वास्थ्य नीति के मुद्दों पर वार्तालाप को बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। 

8. सांस्कृतिक सहयोग, लोगों से लोगों के बीच संपर्क और श्रम गतिशीलता: 

  • सांस्कृतिक सहयोग के माध्यम से दोनों देशों के लोगों के बीच जागरूकता और पारस्परिक समझ में वृद्धि करने पर भी सहमति व्यक्त की गई है। 
  • श्रम गतिशीलता की संभावनाओं का मूल्यांकन करने के साथ ही लोगों से लोगों (People to People) के मध्य व्यापक स्तर पर संवाद और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करने के लिये दोनों देशों के मध्य यात्रा में अधिक सुलभता प्रदान करने के प्रयास किये जाएंगे।

9. बहुपक्षीय सहयोग: 

  • दोनों देशों ने नियम-आधारित बहुपक्षीय प्रणाली के समर्थन और प्रोत्साहन के प्रयासों और पहलों में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की है। ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के वैश्विक प्रयासों को आगे बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से मज़बूत बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। 
  • दोनों पक्षों ने वैश्विक विकास और सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये विश्व व्यापार संगठन के अंतर्गत एक खुली, समावेशी और नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को प्रोत्साहन देने में सहयोग की आवश्यकता का समर्थन किया गया है। 
  • यूरोपीय संघ और भारत के द्विपक्षीय संबंधों मज़बूत बनाने के लिये यूरोपीय संघ और भारत के बीच एक महत्त्वाकांक्षी, निष्पक्ष, और पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार और निवेश समझौते की दिशा में कार्य करने का प्रयास किया जाएगा।
  • आर्कटिक परिषद के ढाँचे के भीतर आर्कटिक सहयोग पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में आर्कटिक परिषद के ढाँचे के भीतर दोनों देश परस्पर सहयोग करेंगे। 
  • ‘मानव अधिकारों,’ ‘लोकतंत्र’ और ‘विधि के शासन’ के साझा मूल्यों को स्वीकार करते हुए लोकतंत्र और मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देने के लिये बहुपक्षीय मंचों में सहयोग करने पर भी सहमति जताई गई है।

आगे की राह

  • डेनमार्क और भारत के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी को स्थापित करने के एक निर्णय से दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों को एक नई दिशा प्राप्त होगी।
  • उपर्युक्त वर्णित क्षेत्रों के अंतर्गत महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों और कार्यों की पहचान कर एक कार्य योजना को तैयार करते हुए शीघ्रता से इनके कार्यान्वयन को पूर्ण समर्थन दिया जाएगा।

स्रोत: द हिंदू

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