झारखंड Switch to English
बोकारो में बर्ड फ्लू का प्रकोप
चर्चा में क्यों?
एक अधिकारी ने झारखंड के बोकारो ज़िले में बर्ड फ्लू के प्रकोप की सूचना दी, लगभग एक महीने पहले इस बीमारी के कारण रांची में 5,500 पक्षियों को मार दिया गया था।
केंद्र ने 7 मार्च 2025 को झारखंड के मुख्य सचिव को एक पत्र जारी करके एवियन इन्फ्लूएंजा के H5N1 स्ट्रेन के कारण होने वाले प्रकोप की पुष्टि की।
मुख्य बिंदु
- प्रकोप की उत्पत्ति:
- अधिकारियों ने पता लगाया कि यह बीमारी बोकारो के सेक्टर 12 स्थित एक सरकारी पोल्ट्री फार्म में फैली है, जहाँ पहले ही लगभग 250 पक्षी मर चुके थे।
- रोकथाम के उपाय:
- 8 मार्च 2025 को बोकारो प्रशासन ने केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते हुए 46 पक्षियों को मार दिया और 506 अंडों को नष्ट कर दिया।
- अधिकारियों ने 1,717 किलोग्राम पोल्ट्री फीड भी नष्ट कर दिया तथा आगे प्रसार को रोकने के लिये पूरे फार्म को संक्रमण मुक्त कर दिया।
- प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित:
- प्रभावित फार्म के चारों ओर 1 किलोमीटर की परिधि को संक्रमित क्षेत्र घोषित किया गया है, जहाँ सभी पक्षियों को मार दिया जाएगा।
- 10 किलोमीटर के दायरे को निगरानी क्षेत्र घोषित कर दिया गया है, जिसमें मुर्गी की बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- अधिकारियों ने जनता को सूचित करने के लिये जागरुकता अभियान शुरू किया है।
- झारखंड में बर्ड फ्लू के मामले:
- इससे पहले फरवरी 2025 में राँची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में बर्ड फ्लू का प्रकोप सामने आया था, जिसके कारण 5,488 पक्षियों को मार दिया गया था।
H5B1 बर्ड फ्लू क्या है?
- पृष्ठभूमि:
- एवियन इन्फ्लूएंज़ा A(H5N1) अथवा H5B1 बर्ड फ्लू एक अत्यधिक रोगजनक जीवाणु है जो मुख्य रूप से पक्षियों में संचरित होता है किंतु स्तनधारियों को संक्रमित कर सकता है।
- H5N1 की उत्पत्ति वर्ष 1996 में चीन में एक जीवाणु के प्रकोप से हुई और तेज़ी से एक अत्यधिक रोगजनक प्रभेद (Strain) में विकसित हुआ।
- वर्ष 2020 के बाद से, यह यूरोप, अफ्रीका, एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अंटार्कटिका में फैल गया।
- भारत में वर्ष 2015 में महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में H5N1 संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया।
- पशुओं पर प्रभाव:
- वन्य पक्षी, जिनमें कैलिफोर्निया कोंडोर जैसी संकटापन्न जातियाँ भी शामिल हैं, H5N1 से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
- इसके प्रभावित होने वाली मुख्य प्रजाति मुर्गी थी।
- सी-लायन्स और डॉल्फिन जैसे समुद्री स्तनधारियों को चिली तथा पेरू जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मौत का सामना करना पड़ा है।
- उत्तरी अमेरिका में लोमड़ी, प्यूमा, भालू जैसे स्तनधारी और स्पेन व फिनलैंड में फार्म मिंक भी संक्रमित हो गए हैं।


हरियाणा Switch to English
भारतीय वायुसेना का विमान दुर्घटनाग्रस्त
चर्चा में क्यों?
7 मार्च 2025 को भारतीय वायु सेना (IAF) का जगुआर लड़ाकू विमान उड़ान के दौरान सिस्टम में खराबी आने के कारण हरियाणा के अंबाला में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
मुख्य बिंदु
- जगुआर के बारे में:
- जगुआर एक बहुमुखी विमान है, जिसका उपयोग ज़मीनी हमले, हवाई रक्षा और टोही मिशनों (Reconnaissance missions) के लिये किया जाता है।
- यह पाँचवीं पीढ़ी (5G) का लड़ाकू विमान है, जो अत्यधिक संघर्ष वाले युद्ध क्षेत्रों में परिचालन करने में सक्षम है तथा इसमें वर्तमान और संभावित दोनों प्रकार के सबसे उन्नत हवाई और ज़मीनी खतरों की उपस्थिति को रेखांकित किया गया है।
- 5G लड़ाकू विमानों में स्टेल्थ क्षमता होती है और वे आफ्टर बर्नर का उपयोग किये बिना सुपरसोनिक गति से उड़ान भर सकते हैं।
- यह अपनी बहु-स्पेक्ट्रल निम्न-अवलोकनीय डिज़ाइन, आत्म-सुरक्षा, रडार जैमिंग क्षमताओं और एकीकृत एवियोनिक्स के कारण चौथी पीढ़ी (4G) के समकक्षों से अलग है।
- मिग-21, मिग-29, जगुआर और मिराज 2000 के स्क्वाड्रनों को अगले दशक के मध्य तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा।
- जगुआर एक बहुमुखी विमान है, जिसका उपयोग ज़मीनी हमले, हवाई रक्षा और टोही मिशनों (Reconnaissance missions) के लिये किया जाता है।
मिग -21
- 1950 के दशक में तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा डिज़ाइन किया गया सुपरसोनिक जेट लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान।
- इतिहास में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला लड़ाकू विमान, जिसकी 11,000 से अधिक इकाइयाँ निर्मित हैं तथा 60 से अधिक देश इसका संचालन करते हैं।
- भारतीय वायुसेना ने अपना पहला मिग-21 विमान वर्ष 1963 में शामिल किया था और तब से अब तक इस विमान के 874 संस्करण शामिल किये जा चुके हैं।
- यह भारत से जुड़े कई युद्धों और संघर्षों में शामिल रहा, जिसके कारण इसे "उड़ता ताबूत" का उपनाम मिला।
मिग 29
- यह एक ट्विन-इंजन, मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे 1970 के दशक में सोवियत रूस द्वारा विकसित किया गया था। तब से इसे अपग्रेड किया गया है।


बिहार Switch to English
वाल्मीकि महोत्सव-2025
चर्चा में क्यों ?
8 मार्च 2025 को बिहार के मुख्यमंत्री ने वाल्मीकि महोत्सव-2025 का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
- महोत्सव के बारे में:
- वाल्मीकि महोत्सव महर्षि वाल्मीकि के योगदान को सम्मान देने के साथ-साथ बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और बढ़ावा देने का एक प्रभावी मंच है।
- स्थल : यह महोत्सव पश्चिम चंपारण ज़िले के वाल्मीकिनगर में वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के बीच स्थित नदी घाटी परियोजना विद्यालय प्रांगण में आयोजित किया गया।
- कार्यक्रम का शुभाराम्भ ‘बिहार गीत’ की प्रस्तुति से हुआ। इसके पश्चात महर्षि वाल्मीकि पर आधारित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गई, जिसमें इस पावन स्थल के महत्त्व को दर्शाया गया।
- कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री और कला संस्कृति मंत्री सहित कई महत्त्वपूर्ण अतिथि मौजूद रहे।
महर्षि वाल्मीकि
- महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदि कवि माने जाते हैं और उन्हें महाकाव्य "रामायण" के रचयिता के रूप में जाना जाता है।
- वे एक महान ऋषि, तपस्वी और दार्शनिक थे। उनके जीवन का उल्लेख विभिन्न ग्रंथों में मिलता है, जिनके अनुसार वे पहले एक डाकू थे, किंतु ऋषि नारद की प्रेरणा से उन्होंने तपस्या की और एक महान संत बने।
- उनकी तपस्या के दौरान उनके चारों ओर 'वाल्मीक' (चींटियों का टीला) बन गया, जिसके कारण उनका नाम 'वाल्मीकि' पड़ा।
- महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था, जिसे हिंदू पंचांग में वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है।
वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व (VTR)
- VTR बिहार का एकमात्र बाघ अभयारण्य/टाइगर रिज़र्व है, जो भारत में हिमालय के तराई वनों की सबसे पूर्वी सीमा का निर्माण करता है।
- VTR बिहार के पश्चिम चंपारण ज़िले में स्थित है जो उत्तर में नेपाल तथा पश्चिम में उत्तर प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है।
- गंगा के मैदानी जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित इस टाइगर रिज़र्व की वनस्पति भाबर तथा तराई क्षेत्रों का संयोजन है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के अनुसार, इसके कुल क्षेत्रफल का 85.71% भाग वनाच्छादित है।
- वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व के वनों में पाए जाने वाले वन्य स्तनधारियों में बाघ, स्लॉथ भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, बाइसन, जंगली सूअर आदि शामिल हैं।
- गंडक, पंडई, मनोर, हरहा, मसान तथा भपसा नदियाँ इस अभयारण्य के विभिन्न हिस्सों से प्रवाहित होती हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English
नेशनल लोक अदालत
चर्चा में क्यों?
8 मार्च 2025 को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेश पर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में
- इस नेशनल लोक अदालत में विद्युत अधिनियम 2003, धारा 135 के तहत लंबित बिजली चोरी एवं अनियमितता के मामलों को आपसी समझौते के माध्यम से निपटाने का अवसर प्रदान किया गया।
- ऊर्जा मंत्री ने उपभोक्ताओं से कानूनी कार्यवाही से बचने और छूट का लाभ उठाने के लिये संबंधित बिजली कार्यालय से संपर्क करने की अपील की।
- छूट का दायरा एवं पात्रता
- निम्न दाब श्रेणी के घरेलू, कृषि, 5 किलोवाट तक के गैर-घरेलू एवं 10 हॉर्स पावर तक के औद्योगिक उपभोक्ता इस योजना के अंतर्गत आएंगे।
- केवल पहली बार बिजली चोरी/अनधिकृत उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को ही छूट मिलेगी।
- पूर्व में लोक अदालत/न्यायालय से छूट प्राप्त उपभोक्ताओं को दोबारा छूट नहीं मिलेगी।
- सामान्य बिजली बिलों की बकाया राशि पर कोई छूट नहीं दी जाएगी।
लोक अदालत
- परिचय:
- 'लोक अदालत' शब्द का अर्थ 'पीपुल्स कोर्ट' है और यह गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, यह प्राचीन भारत में प्रचलित न्यायनिर्णयन प्रणाली का एक पुराना रूप है और वर्तमान में भी इसकी वैधता बरकरार है।
- यह वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रणाली के घटकों में से एक है जो आम लोगों को अनौपचारिक, सस्ता और शीघ्र न्याय प्रदान करता है।
- पहला लोक अदालत शिविर वर्ष 1982 में गुजरात में एक स्वैच्छिक और सुलह एजेंसी के रूप में बिना किसी वैधानिक समर्थन के निर्णयों हेतु आयोजित किया गया था।
- समय के साथ इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इसे कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक दर्ज़ा दिया गया था। यह अधिनियम लोक अदालतों के संगठन और कामकाज़ से संबंधित प्रावधान करता है।


मध्य प्रदेश Switch to English
भीमबेटका
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया और उनके सदस्यों ने यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भीमबेटका का दौरा किया।
- इस दौरान उन्होंने राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को करीब से देखा और इसकी भव्यता की सराहना की।
मुख्य बिंदु
- दौरा के बार में:
- वित्त आयोग के सदस्यों ने भीमबेटका को भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत का अमूल्य प्रतीक बताया।
- उन्होंने भीमबेटका के शैलचित्रों की विषयवस्तु (सामूहिक नृत्य, शिकार, युद्ध, आदि) तथा इनमें प्रयुक्त खनिज रंगों (गेरुआ, लाल, सफेद) की कलात्मक और ऐतिहासिक विशेषता का अवलोकन किया।
- साथ ही उन्हें प्रस्तावित ‘रॉक आर्ट इको पार्क म्यूजियम’ के बारे में जानकारी दी गई।
- भीमबेटका
- अवस्थित: यह मध्य प्रदेश के विंध्य पर्वतमाला में भोपाल के दक्षिण में स्थित है, जहाँ 500 से अधिक शैलचित्रों वाले शैलाश्रय हैं।
- भीमबेटका की गुफाओं की खोज वर्ष 1957-58 में वी. एस. वाकणकर ने की थी।
- इसे वर्ष 2003 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
- समयावधि: अनुमान है कि सबसे पुरानी चित्रकारी 30,000 वर्ष पुरानी हैं तथा गुफाओं के अंदर स्थित होने के कारण आज भी सुरक्षित हैं।
- भीमबेटका की चित्रकारी उच्च पुरापाषाण, मध्यपाषाण, ताम्रपाषाण, प्रारंभिक ऐतिहासिक और मध्यकालीन काल की है।
- हालाँकि अधिकांश चित्र मध्यपाषाण युग के हैं।
- चित्रकारी तकनीक: इसमें प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त विभिन्न रंगों जैसे लाल गेरू, बैंगनी, भूरा, सफेद, पीला और हरा आदि का उपयोग किया जाता है।
- चित्रों की विषय-वस्तु: प्रागैतिहासिक पुरुषों के रोज़मर्रा के जीवन को अक्सर छड़ी जैसी मानव आकृतियों में दर्शाया गया है।
- हाथी, बाइसन, हिरण, मोर और साँप जैसे विभिन्न जानवरों को दर्शाया गया है।
- शस्त्रधारी पुरुषों के साथ शिकार के दृश्य और युद्ध के दृश्य।
- सरल ज्यामितीय डिज़ाइन और प्रतीक।
- अवस्थित: यह मध्य प्रदेश के विंध्य पर्वतमाला में भोपाल के दक्षिण में स्थित है, जहाँ 500 से अधिक शैलचित्रों वाले शैलाश्रय हैं।
वित्त आयोग
- परिचय
- वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित किया जाता है।
- इसका मुख्य उद्देश्य संघ और राज्यों के बीच राजस्व संसाधनों के न्यायसंगत आवंटन को सुनिश्चित करना है।
- यह एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, जो वित्तीय मामलों में निष्पक्ष एवं संतुलित संस्तुतियाँ प्रदान करता है।
- गठन एवं कार्यकाल
- वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक पाँच वर्ष में या आवश्यकतानुसार मध्यावधि में किया जाता है।
- आयोग राजकोषीय संतुलन को बनाए रखने और सहकारी संघवाद को सुदृढ़ करने का कार्य करता है।
- इसकी संस्तुतियाँ सरकार के सभी स्तरों पर वित्तीय समन्वय स्थापित करने में सहायक होती हैं।
- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
- प्रथम वित्त आयोग वर्ष 1951 में गठित किया गया था।
- अब तक 15 वित्त आयोग गठित हो चुके हैं और वर्तमान में 16वाँ वित्त आयोग कार्यरत है।


राजस्थान Switch to English
माही-लूनी लिंक परियोजना
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के जल संसाधन मंत्री ने विधानसभा को बताया कि वेपकोस (WAPCOS) माही नदी को लूनी नदी से जोड़ने के लिये पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना के लिये व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
- WAPCOS लिमिटेड, जल शक्ति मंत्रालय के तहत एक "मिनी रत्न-I" सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जो भारत और विदेशों में जल, बिजली और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रौद्योगिकी-आधारित परामर्श और इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करता है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य है:
- माही नदी के अधिशेष जल का उपयोग करना।
- जल-संकटग्रस्त जालौर ज़िले तक पानी पहुँचाना।
- जल स्रोतों का पुनर्भरण कर जल संरक्षण को बढ़ावा देना।
- कृषि और पेयजल आपूर्ति में सुधार करना।
- तकनीकी और कार्यान्वयन पहलू: सरकार द्वारा परियोजना की व्यवहार्यता (फिजिबिलिटी) रिपोर्ट वेपकॉस के माध्यम से तैयार कराई जा रही है। इसके अंतर्गत—
- माही नदी से लूनी नदी को जोड़ने के लिये अध्ययन किया जा रहा है।
- सुजलाम-सुफलाम परियोजना के माध्यम से जल आपूर्ति के विभिन्न विकल्पों का परीक्षण किया जा रहा है।
- रन-ऑफ वाटर ग्रिड योजना के तहत बाँधों के पुनर्भरण की योजना बनाई जा रही है।
- डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) और पीएफआर (प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट) तैयार की जा रही हैं।
माही नदी
- माही नदी भारत की प्रमुख पश्चिमवाहिनी अंतरराज्यीय नदियों में से एक है, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात राज्यों में प्रवाहित होती है। इसका कुल जल निकासी क्षेत्र 34,842 वर्ग किमी में फैला हुआ है।
- माही भारत की एकमात्र नदी है, जो कर्क रेखा को दो बार पार करती है।
उत्पत्ति और प्रवाह मार्ग:
- यह नदी मध्य प्रदेश के धार ज़िले में भोपावर गाँव के निकट, विंध्याचल पर्वतमाला की उत्तरी ढलान से लगभग 500 मीटर की ऊँचाई से निकलती है।
- प्रारंभिक 120 किलोमीटर तक यह नदी दक्षिण दिशा में मध्य प्रदेश में प्रवाहित होती है, जिसके बाद यह राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी वागड़ क्षेत्र में प्रवेश करती है।
- बांसवाड़ा ज़िले से होकर बहने के दौरान यह राजस्थान में एक विशिष्ट 'U' आकार का मोड़ बनाती है।
- गुजरात में प्रवेश करने के पश्चात, माही नदी खंभात की खाड़ी के माध्यम से अरब सागर में विलीन हो जाती है।
- इसकी कुल लंबाई 583 किलोमीटर है।
लूनी नदी
- उद्गम और प्रवाह मार्ग
- लूनी नदी का उद्गम राजस्थान के अजमेर ज़िले में स्थित अरावली पर्वतमाला के नाग पहाड़ से होता है।
- इसके उद्गम स्थल पर इसे पहले सागरमती, फिर सरस्वती और अंततः लूनी कहा जाता है। यह नदी केवल वर्षा ऋतु में प्रवाहित होती है।
- यह नदी लगभग 320 किलोमीटर की यात्रा करते हुए दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान के नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर और जालौर ज़िलों से प्रवाहित होकर अंततः कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है।
- अन्य नाम:
- इस नदी को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे—साक्री, लवणवती, लवणाद्रि और खारी-मीठी नदी।
- सहायक नदियाँ
- लीलड़ी, सूकड़ी, बांडी, मीठड़ी, जोजरी, जवाई, सगाई आदि। दाई और से मिलने वाली एकमात्र सहायक नदी जोजड़ी है।

