भारतीय राजनीति
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण
- 23 Jul 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987, लोक अदालत, अनुच्छेद 39, सर्वोच्च न्यायालय मेन्स के लिये:राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कानून और न्याय मंत्री ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा भारत में कानूनी सहायता कार्यक्रम के संचालन के लिये विधिक सेवा प्राधिकरणों को आवंटित धन के विवरण की जानकारी दी।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA):
- परिचय:
- NALSA की स्थापना 1995 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत कानूनी सहायता कार्यक्रमों की प्रभावशीलता की निगरानी और समीक्षा करने तथा अधिनियम के तहत कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये नियमों एवं सिद्धांतों को विकसित करने के उद्देश्य से की गई थी।
- यह राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों और गैर-लाभकारी संगठनों को विधिक सहायता प्रणालियों तथा पहलों को निष्पादित करने में मदद के लिये धन एवं अनुदान का भी वितरण करता है।
- संवैधानिक प्रावधान:
- भारत के संविधान के अनुच्छेद- 39A में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक प्रणाली का संचालन समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देता है और विशेष रूप से उपयुक्त कानून या योजनाओं द्वारा या किसी अन्य तरीके से मुफ्त विधिक सहायता प्रदान करेगा। यह सुनिश्चित करता है कि आर्थिक स्थिति या दिव्यांगता के कारण किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए।
- अनुच्छेद 14 और 22(1) भी राज्य के लिये विधि के समक्ष समानता तथा सभी के लिये समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने वाली कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाते हैं।
- कानूनी सेवा प्राधिकरणों का उद्देश्य:
- निःशुल्क कानूनी सहायता और सलाह प्रदान करना।
- कानूनी जागरूकता का विस्तार करना।
- लोक अदालतों का आयोजन करना।
- वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR ) तंत्र के माध्यम से विवादों के निपटारे को बढ़ावा देना।
- विभिन्न प्रकार के ADR तंत्र हैं जैसे- मध्यस्थता, सुलह, न्यायिक समझौता जिसमें लोक अदालत के माध्यम से निपटान या मध्यस्थता शामिल है।
- अपराध के पीड़ितों को मुआवज़ा प्रदान करना।
विभिन्न स्तरों पर कानूनी सेवा संस्थान:
- राष्ट्रीय स्तर: नालसा (NALSA) का गठन कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया था। भारत का मुख्य न्यायाधीश पैट्रन-इन-चीफ है।
- राज्य स्तर: राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण। इसकी अध्यक्षता राज्य उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश करता है जो इसका मुख्य संरक्षक होता है।
- ज़िला स्तर: ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण। ज़िले का ज़िला न्यायाधीश इसका पदेन अध्यक्ष होता है।
- तालुका/उप-मंडल स्तर: तालुका/उप-मंडल विधिक सेवा समिति। इसकी अध्यक्षता एक वरिष्ठ सिविल जज करता है।
- उच्च न्यायालय: उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति।
- सर्वोच्च न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति।
निःशुल्क कानूनी सेवाएँ प्राप्त करने हेतु पात्र:
- महिलाएँ और बच्चे
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य
- औद्योगिक कामगार
- सामूहिक आपदा, हिंसा, बाढ़, सूखा, भूकंप, औद्योगिक आपदा के शिकार।
- विकलांग व्यक्ति
- हिरासत में लिया गया व्यक्ति
- वे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय संबंधित राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राशि से कम है, यदि मामला सर्वोच्च न्यायालय के अलावा किसी अन्य न्यायालय के समक्ष है, और 5 लाख रुपए से कम है, यदि मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है।
- मानव तस्करी के शिकार या बेगार।
संबंधित पहल:
- कानूनी सेवा मोबाइल एप:
- न्याय तक समान पहुँच को सक्षम करने हेतु नालसा (NALSA) ने आम नागरिकों को कानूनी सहायता तक आसान पहुँच में सक्षम बनाने के लिये एंड्रॉइड और iOS संस्करणों पर कानूनी सेवा मोबाइल एप लॉन्च किया है।
- दिशा योजना:
- न्याय विभाग (DoJ) ने 2021-26 तक लागू की जा रही "न्याय तक समग्र पहुँच के लिये अभिनव समाधान तैयार करना (दिशा)" नामक एक योजना के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर पर न्याय तक पहुँच पर व्यापक, समग्र, एकीकृत और व्यवस्थित समाधान शुरू किया है।
- सभी न्यायिक कार्यक्रमों को दिशा योजना के तहत मिला दिया गया है तथा इसे अखिल भारतीय स्तर तक बढ़ा दिया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न :राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013))
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |