विश्व इतिहास
सोवियत संघ का विघटन
- 03 Jan 2025
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:सोवियत संघ, पंचवर्षीय योजनाएँ, नाटो, IMF, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ,नागोर्नो-कराबाख, आसियान, ब्रह्मोस मिसाइल, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC)। मेन्स के लिये:सोवियत संघ का विघटन और भारत एवं विश्व पर इसका प्रभाव। द्वितीय विश्व युद्ध, 1989 में बर्लिन की दीवार का गिरना, द्विध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था, शीत युद्ध, 1991 में उदारीकरण, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, 25 दिसंबर को उस दिन की वर्षगाँठ मनाई गई जब क्रेमलिन (रूसी सरकार का 'सत्ता केंद्र') से सोवियत ध्वज उतार दिया गया था, जो सोवियत संघ के अंत का प्रतीक था।
- सोवियत संघ, आधिकारिक तौर पर सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) वर्ष 1922 से वर्ष 1991 तक एक समाजवादी संघ था, जिसमें कई गणराज्य शामिल थे, जो कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा शासित थे, और रूस प्रमुख शक्ति था।
सोवियत संघ के गठन का कारण क्या था?
- इतिहास (जारवादी शासन और राजशाही): सोवियत संघ की जड़ें 1917 की रूसी क्रांति से जुड़ी हैं, जिसने रोमानोव राजवंश के 300 वर्ष के शासन (1613-1917) को समाप्त कर दिया।
- जार के पास शासन, सेना और समाज पर पूर्ण शक्ति थी।
- बढ़ती असमानता और आर्थिक कठिनाई ने असंतोष को जन्म दिया, जिससे क्रांति का मंच तैयार हो गया।
- फरवरी क्रांति 1917: विरोध प्रदर्शन और हड़ताल के परिणामस्वरूप जार निकोलस द्वितीय ने राजशाही को त्याग दिया।
- जार के स्थान पर एक अनंतिम सरकार बनी, लेकिन उसे पेत्रोग्राद सोवियत के साथ सत्ता संघर्ष का सामना करना पड़ा, जिस पर बोल्शेविकों और मेंशेविकों जैसे समाजवादी गुटों का प्रभुत्त्व था।
- अक्तूबर क्रांति 1917: लेनिन और ट्रॉट्स्की ने अक्तूबर क्रांति में बोल्शेविकों का नेतृत्व किया, अनंतिम सरकार को समाप्त किया और "सारी शक्ति सोवियतों को" घोषित कर दी।
- इसने सोवियत शासन की स्थापना और राष्ट्रीयकरण जैसी साम्यवादी नीतियों की शुरुआत को चिह्नित किया।
- रूसी गृह युद्ध 1918-1922: गृह युद्ध के दौरान रेड आर्मी ने बोल्शेविक विरोधी शक्तियों (व्हाइट गार्ड्स) से लड़ाई लड़ी।
- बोल्शेविक विजयी हुए, उन्होंने अपनी शक्ति को मज़बूत किया और एकीकृत राज्य का मार्ग प्रशस्त किया।
- USSR का गठन (30 दिसंबर 1922): सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) की आधिकारिक घोषणा की गई, जो विश्व का पहला साम्यवादी राज्य बन गया।
- लेनिन के नेतृत्व में केंद्रीकृत आर्थिक नियोजन और साम्यवादी शासन की शुरुआत हुई।
- सोवियत नेतृत्व लेनिन के बोल्शेविक एकीकरण से लेकर स्टालिन के केंद्रीकरण, वर्ष 1936 के महान शुद्धिकरण और नाज़ी जर्मनी पर सोवियत संघ की विजय, उसके बाद ख्रुश्चेव के सुधारों, ब्रेझनेव की स्थिरता और गोर्बाचेव के पुनर्गठन के प्रयासों तक विकसित हुआ।
- द्वितीय विश्व युद्ध और लिथुआनिया- वर्ष 1940 का दशक: बाल्टिक राज्यों (एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया) को मोलोटोव-रिबेंट्रॉप संधि के बाद वर्ष 1940 (द्वितीय विश्व युद्ध) में जबरन सोवियत संघ में शामिल कर लिया गया था।
- इन बाल्टिक राज्यों को वर्ष 1918 में रूसी साम्राज्य के पतन के बाद स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
- युद्ध के पश्चात् USSR एक महाशक्ति (वारसॉ संधि) के रूप में उभरा, जिसने समाजवादी ब्लॉक का नेतृत्व किया और शीत युद्ध की भूराजनीति पर हावी रहा।
विभिन्न चुनौतियों के कारण सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ?
- आर्थिक स्थिरता: वर्ष 1970 के दशक तक सोवियत अर्थव्यवस्था उत्पादकता और प्रौद्योगिकी के मामले में पिछड़ गई, तथा सैन्य और सैटेलाईट स्टेट्स पर अत्यधिक ज़ोर दिया जाने लगा, जिससे संसाधनों का दोहन हो रहा था।
- न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिये राज्य द्वारा दी जा रही सब्सिडी के बावज़ूद नागरिकों को उपभोक्ता कमी और बढ़ते असंतोष का सामना करना पड़ा।
- गोर्बाचेव के सुधार: ग्लासनोस्त (खुलेपन) और पेरेस्त्रोइका (पुनर्गठन) जैसी गोर्बाचेव की नीतियों का उद्देश्य सुधार था लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी कमज़ोर हो गई।
- वर्ष 1990 में बहुदलीय चुनावों और सेंसरशिप में कमी ने लिथुआनिया और यूक्रेन जैसे गणराज्यों में राष्ट्रवादी आंदोलनों को बढ़ावा दिया।
- शीत युद्ध के दबाव के कारण पतन: अमेरिका के साथ महंगी शस्त्रों की दौड़, अफगानिस्तान में हार और वर्ष 1989 में बर्लिन की दीवार के गिरने से सोवियत नियंत्रण कमज़ोर हो गया।
- पश्चिमी आर्थिक मॉडलों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में सोवियत संघ की विफलता ने आंतरिक अक्षमताओं को बढ़ा दिया।
- राष्ट्रवादी आंदोलन और अलगाव: येल्तसिन जैसे नेताओं के नेतृत्व में रूसी राष्ट्रवाद ने केंद्रीय नियंत्रण को कमज़ोर कर दिया, जबकि बाल्टिक देशों और यूक्रेन ने स्वतंत्रता की मांग की।
- दिसंबर 1991 तक सोवियत संघ स्वतंत्र राज्यों में विघटित हो गया, जिससे द्विध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था का अंत हो गया।
सोवियत संघ के पतन से वैश्विक शक्ति गतिशीलता को किस प्रकार नया आकार मिला?
- एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय: सोवियत संघ के पतन के साथ शीत युद्ध समाप्त हो गया तथा अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बन गया, जिससे वैश्विक गठबंधनों का स्वरूप परिवर्तित हुआ।
- NATO ने पूर्व की ओर विस्तार करने के साथ पोलैंड और बाल्टिक राज्यों जैसे पूर्व सोवियत ब्लॉक के देशों को एकीकृत किया, जिससे रूसी प्रभाव में कमी आई।
- वैश्विक स्तर पर पूंजीवाद का प्रभुत्व: IMF और विश्व बैंक जैसी पश्चिमी संस्थाओं ने पूर्व समाजवादी राज्यों में आर्थिक बदलावों को निर्देशित करने के साथ उदार लोकतंत्र एवं मुक्त बाज़ार पूंजीवाद को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई।
- पूर्वी यूरोप के यूरोपीय संघ में एकीकरण ने अमेरिका के नेतृत्व वाले वैश्विक आधिपत्य को मज़बूत किया।
- क्षेत्रीय शक्ति परिवर्तन से बहुध्रुवीयता का मज़बूत होना: इस पतन से चीन एवं भारत को वैश्विक भूराजनीति में स्वयं को स्थापित करने का अवसर मिला।
- मध्य एशियाई गणराज्य रूस, चीन एवं पश्चिम के साथ संबंधों को संतुलित करते हुए रणनीतिक हितधारक के रूप में उभरे।
सोवियत संघ के पतन की विरासत समकालीन संघर्षों को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- राष्ट्रवाद और अनसुलझे विवाद: विघटन के कारण क्रीमिया एवं पूर्वी यूक्रेन सहित क्षेत्रीय विवाद अनसुलझे रहने से अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा मिला।
- रूस द्वारा वर्ष 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करना तथा यूक्रेन में चल रहा युद्ध, सोवियत युग के प्रभाव को पुनः प्राप्त करने के उसके प्रयास को दर्शाता है।
- आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष: नागोर्नो-काराबाख पर आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष, स्टालिन के वर्ष 1923 के उस निर्णय से प्रेरित है जिसमें इस क्षेत्र को अज़रबैजान को हस्तांतरित कर दिया गया था जबकि वहाँ बहुसंख्यक आबादी अर्मेनियाई थी।
- इस निर्णय से जातीय तनाव का आधार तैयार हुआ, जो सोवियत संघ के पतन के बाद संघर्ष में बदल गया, क्योंकि आर्मेनिया और अज़रबैजान नियंत्रण के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे थे।
- कोसोवो-सर्बिया विवाद: कोसोवो ने वर्ष 2008 में सर्बिया से स्वतंत्रता की घोषणा की लेकिन सर्बिया एवं कई देश अभी भी इसे मान्यता नहीं दे रहे हैं।
- जातीय तनाव जारी (विशेष रूप से उत्तरी कोसोवो जैसे सर्ब-बहुल क्षेत्रों में) रहने से निरंतर अस्थिरता को बढ़ावा मिलने के साथ बाल्कन शांति प्रक्रिया में जटिलता आई।
- नाटो के विस्तार से तनाव में वृद्धि: नाटो के पूर्व की ओर विस्तार को रूस प्रत्यक्ष खतरा मानता है, जिससे उसकी सुरक्षा चिंताओं में वृद्धि हुई।
- इसके अलावा इससे अफगानिस्तान जैसे संघर्षों को बढ़ावा मिला और इसकी विरासत से पूर्वी यूरोप एवं उसके बाहर भू-राजनीतिक तनाव एवं अस्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध पश्चिमी शक्तियों और रूसी महत्त्वाकांक्षाओं के बीच व्यापक प्रतिस्पर्द्धा का प्रतीक है।
- ऊर्जा संसाधन एवं भूराजनीति का आपस में संबंध: साम्यवादी विचारधारा एवं यूएसएसआर की अनुपस्थिति में रूस अपने तेल, गैस और रक्षा उपकरणों का लाभ उठाकर, विशेष रूप से यूरोप पर प्रभाव डाल रहा है।
सोवियत संघ के पतन का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
- आर्थिक विविधीकरण और उदारीकरण: पतन ने USSR के साथ भारत के व्यापार को बाधित कर दिया, जिससे विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण की आवश्यकता पड़ी।
- भारत ने आसियान देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने हेतु लुक ईस्ट पॉलिसी (अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी) और पश्चिमी देशों के साथ व्यापार और रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने के लिये हाल ही में एक्ट वेस्ट पॉलिसी के माध्यम से अपनी साझेदारियों में विविधता लाई है।
- रक्षा संबंधों को नई वास्तविकताओं के अनुकूल बनाना: आपसी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये भारत ने केवल रूसी सैन्य हार्डवेयर का आयात करने से आगे बढ़कर ब्रह्मोस मिसाइल जैसे संयुक्त उत्पादन समझौतों के माध्यम से अंतर को कम करना शुरू कर दिया है।
- भारत ने किसी एक स्रोत पर निर्भरता को कम करने के लिये अमेरिका, फ्राँस और इज़रायल के साथ रक्षा सहयोग को भी बढ़ाया।
- सामरिक स्वायत्तता के लिये भू-राजनीतिक पुनर्संरेखण: भारत ने अमेरिका और रूस के साथ अपने संबंधों में संतुलन स्थापित करते हुए क्वाड जैसी अमेरिकी नेतृत्व वाली परियोजनाओं में भाग लिया तथा मॉस्को के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे।
- भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को मज़बूत करने, बहुपक्षीय साझेदारी को बढ़ाने और अधिक संतुलित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये ब्रिक्स और SCO जैसे अन्य संगठनों में भी शामिल हुआ।
- मध्य एशियाई संसाधनों तक पहुँच, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जैसी पहलों के माध्यम से, प्राथमिकता बनी रही।
- सांस्कृतिक और वैज्ञानिक सहयोग: सोवियत काल के दौरान सांस्कृतिक आदान-प्रदान के परिणामस्वरूप भारतीय साहित्य और फिल्मों का पूर्व सोवियत राज्यों में आकर्षण का एक लंबा इतिहास रहा है।
- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और परमाणु ऊर्जा में सहयोग जारी रहा, जिससे द्विपक्षीय संबंध में वृद्धि हुई।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: सोवियत संघ के पतन ने वैश्विक शक्ति संरचना को एकध्रुवीय विश्व में कैसे बदल दिया? चर्चा कीजिये |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा देश मोल्दोवा के साथ सीमा साझा करता है? (2008)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:1. लेनिन की नव आर्थिक नीति- 1921 ने स्वतंत्रता के शीघ्र पश्चात् भारत द्वारा अपनाई गई नीतियों को प्रभावित किया था। मूल्यांकन कीजिये। (2014) |