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शासन व्यवस्था

वर्ष 1991 में हुए राजनीतिक और आर्थिक सुधार

  • 28 May 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

टी. एन. शेषन चुनाव सुधार, आदर्श आचार संहिता, मतदाता फोटो पहचान पत्र, चुनाव आयोग, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (Liberation Tigers of Tamil Eelam- LTTE),

मेन्स के लिये:

टी. एन. शेषन चुनावी सुधार, उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (Liberalization, Privatization, and Globalization- LPG) सुधार

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

जैसा कि भारत 2024 के आम चुनाव की तैयारी कर रहा है, वर्ष 1991 के आम चुनावों के महत्त्व पर विचार करना प्रासंगिक है, जो देश के इतिहास में एक प्रमुख बदलाव था।

  • इन चुनावों से पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व और टी. एन. शेषन के नेतृत्व में प्रभावशाली चुनाव सुधारों के कारण व्यापक राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन हुए।

टी. एन. शेषन द्वारा प्रस्तुत प्रमुख चुनावी सुधार क्या थे?

  • तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन (टी. एन. शेषन) को वर्ष 1990 से वर्ष 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner- CEC) नियुक्त किया गया था और उन्होंने महत्त्वपूर्ण सुधारों की एक शृंखला का नेतृत्व किया, जिसने भारतीय चुनावी प्रक्रिया को व्यापक रूप से बदल दिया।
  • प्रमुख सुधार:
    • मतदाता पहचान पत्र: जो निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (Electors Photo Identity Card- EPIC) के रूप में जाना जाता है, इसे प्रतिरूपण और फर्ज़ी मतदान को रोकने के लिये उनके कार्यकाल में पेश किया गया था।
    • MCC का सख्त प्रवर्तन: वर्ष 1960 से विद्यमान आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct- MCC) चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के लिये दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार करती है। शेषन ने सत्ता के दुरुपयोग और अनुचित लाभ पर अंकुश लगाते हुए इसे सख्ती से लागू किया।
    • चुनावी गड़बड़ियों पर अंकुश: शेषन के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 150 गड़बड़ियों को सूचीबद्ध किया।
      • उन्होंने वोट खरीदने, रिश्वत देने, मतदाताओं को डराने-धमकाने, बूथ पर कब्ज़ा करने और बाहुबल के प्रयोग पर अंकुश लगाया।
      • उन्होंने चुनाव अभियानों के दौरान अत्यधिक खर्च और सार्वजनिक प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
    • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव: शेषन ने व्यवस्था बनाए रखने और हिंसा को रोकने के लिये केंद्रीय पुलिस बलों की तैनाती सुनिश्चित की। उन्होंने चुनाव आयोग को स्वायत्त दर्ज़ा देने की भी वकालत की।
  • शेषन के सुधारों का 1991 के चुनावों पर प्रभाव:
    • 1991 के चुनाव अभूतपूर्व सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता के साथ आयोजित किये गए, जिससे भविष्य के चुनावों के लिये नए मानक स्थापित हुए।
    • मौज़ूदा राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद, 56.73% मतदान दर्ज़ किया गया। यह वर्ष 1989 के 61.95% से कम था, लेकिन अनियमितताओं से ग्रस्त पिछले चुनावों की तुलना में अधिक वास्तविक भागीदारी को दर्शाता है।
  • दीर्घकालिक प्रभाव:
    • निर्वाचन आयोग को एक निष्क्रिय पर्यवेक्षक से चुनावी कानूनों के सक्रिय प्रवर्तक में परिवर्तित कर दिया गया।
    • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करते हुए निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता एवं अखंडता भी मज़बूत हुई।
  • मान्यता:

Electoral-Reforms

वर्ष 1991 के चुनावों का राजनीतिक संदर्भ:

  • मई 1991 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के एक आत्मघाती हमलावर द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई, जिसके कारण चुनावों के दौरान राजनीतिक रूप से आक्रोश का माहौल उत्पन्न हो गया। 
  • राजीव गांधी की मृत्यु के बाद, 21 जून, 1991 को पी.वी. नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

राव सरकार के तहत आर्थिक सुधार:

  • आर्थिक संकट: इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण भारत डिफॉल्ट होने की स्थिति में था। इसके साथ ही खाड़ी युद्ध (वर्ष 1991) के कारण स्थिति और खराब होने के कारण तेल की कीमतें बढ़ गईं तथा विदेशी श्रमिकों द्वारा होने वाले धन के प्रेषण में कमी आई। 
    • इस समय राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी के 8% तक बढ़ गया तथा चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.5% था। मुद्रास्फीति की दर दोहरे अंकों में थी, जिससे लोगों पर और अधिक बोझ बढ़ गया। 
    • इस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी कम हो गया, जो मुश्किल से दो सप्ताह के आयात को कवर करने के लिये ही पर्याप्त था।
  • संकट के समाधान हेतु तत्काल उपाय: 
    • रुपए का अवमूल्यन: 1 जुलाई 1991 को प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपए का 9% अवमूल्यन किया गया और उसके दो दिन बाद ही 11% का अतिरिक्त अवमूल्यन किया गया। इसका उद्देश्य भारतीय निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना था। 
      • राव ने राजनीतिक एवं आर्थिक असंतुलन को संतुलित करने के लिये चरणबद्ध अवमूल्यन का विकल्प चुना। 
    • स्वर्ण भंडार को गिरवी रखना: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने जुलाई 1991 में बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास अपना स्वर्ण भंडार गिरवी रखकर लगभग 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए।
      • मई 1991 में, राष्ट्रीय चुनावों के दौरान, यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड को 20 टन सोना बेचा गया, जिससे लगभग 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए गए।
      • वर्ष की शुरुआत में, सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आपातकालीन ऋण प्राप्त किया।
  • LPG सुधार:
    • वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ PM राव ने LPG सुधारों (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) की शुरुआत की, जिन्हें संकट से उबरने तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत की आर्थिक रणनीति की आधारशिला के रूप में पेश किया गया था।
    • उदारीकरण:
      • नई व्यापार नीति: लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार और गैर-आवश्यक आयात को निर्यात से जोड़कर निर्यात को बढ़ावा देने के लिये पेश की गई।
      • एक्ज़िम स्क्रिप (Exim Scrips): सरकार ने निर्यात सब्सिडी हटा दी और इसके बजाय निर्यातकों के लिये निर्यात के मूल्य के आधार पर व्यापार योग्य एक्ज़िम स्क्रिप पेश की।
        • इस नीति ने आयात पर राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों के एकाधिकार को समाप्त कर दिया, जिससे निजी क्षेत्र स्वतंत्र रूप से सामान आयात करने में सक्षम हो गया।
      • लाइसेंस राज को समाप्त करना: नई औद्योगिक नीति ने लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया, व्यापार पुनर्गठन और विलय की सुविधा के लिये एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम के प्रावधानों में ढील दी।
        • इस नीति ने निवेश के स्तर पर ध्यान दिये बिना, 18 उद्योगों को छोड़कर सभी के लिये औद्योगिक लाइसेंसिंग को समाप्त कर दिया।
    • निजीकरण:
      • FDI सुधार: 50% की पिछली सीमा की तुलना में 51% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 
      • (Foreign Direct Investment- FDI) के लिये स्वचालित अनुमोदन पेश किया गया था।
      • सार्वजनिक क्षेत्र के एकाधिकार पर प्रतिबंध: सार्वजनिक क्षेत्र के एकाधिकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों तक सीमित करना।
      • खुले बाज़ार: इन परिवर्तनों ने भारत में व्यापार करना सरल बना दिया, जिससे बाद के वर्षों में विदेशी वस्तुओं और निवेशों में वृद्धि हुई।
    • वैश्वीकरण:
      • आर्थिक नीतियाँ: सुधारों का उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाज़ार के साथ एकीकृत करना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करना है।
      • निर्यात को बढ़ावा देना: रुपए के अत्यधिक अवमूल्यन और नई व्यापार नीतियों के साथ, भारतीय निर्यात विश्व स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो गया है।
  • LPG सुधारों का प्रभाव:
    • भारत में LPG सुधारों से उच्च आर्थिक विकास हुआ, सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 1991 के 270 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 2.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • FDI प्रवाह में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो वर्ष 1991 के 97 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। 
      • सुधारों ने लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया तथा आईटी, दूरसंचार और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया।
      • हालाँकि सुधारों ने नौकरियों का सृजन किया और निर्धनता को कम किया, फिर भी रोज़गार की गुणवत्ता और आय की असमानता के संबंध में चिंताएँ बनी हुई हैं। 
      • सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकृत कर दिया, जिससे व्यापार और निवेश प्रवाह में वृद्धि हुई तथा वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 1991 में 0.5% से बढ़कर वर्ष 2022 में लगभग 2% हो गई।

दृष्टि मुख्य प्रश्न:

प्रश्न. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में आदर्श आचार संहिता के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। MCC को सख्ती से लागू करने से चुनाव सुधारों में किस प्रकार योगदान मिला?

प्रश्न. वर्ष 1991 में भारत के समक्ष आए आर्थिक संकट को कम करने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए तत्काल उपायों का आकलन कीजिये। इन उपायों का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या प्रभाव उत्पन्न हुआ है? (2017)

  1. सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी में भारी वृद्धि हुई। 
  2. विश्व व्यापार में भारत के निर्यात का हिस्सा बढ़ा।
  3. FDI प्रवाह बढ़ा।
  4. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी वृद्धि हुई।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 4 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2020)

  1. शहरी क्षेत्रों में श्रमिक उत्पादकता (2004-05 की कीमतों पर प्रति कार्यकर्त्ता रुपए) में वृद्धि हुई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह घट गई। 
  2. कार्यबल में ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिशत हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि हुई। 
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई। 
  4. ग्रामीण रोज़गार में वृद्धि दर में कमी आई है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4 
(c) केवल 3 
(d) केवल 1, 2 और 4

उत्तर: (b)

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