भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता

संदर्भ

हाल ही में जारी की गई ‘विश्व परमाणु उद्योग स्थिति रिपोर्ट’ (World Nuclear Industry Status Report), 2017, से यह तथ्य सामने आया है कि स्थापित किये गए परमाणु रिएक्टरों की संख्या के मामले में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। हालाँकि, पिछले चार वर्षों से विश्व भर में निर्माणाधीन परमाणु रिएक्टरों की संख्या में गिरावट देखी गई है। विदित हो कि जहाँ वर्ष 2013 के अंत तक वैश्विक स्तर पर 68 रिएक्टरों का निर्माण कार्य चल रहा था, वहीं 2017 में निर्माणाधीन रिएक्टरों की संख्या 53 हो चुकी है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में इस बात पर भी बल दिया गया है कि अधिकांश परमाणु रिएक्टरों का निर्माण कार्य समय पर पूरा नहीं होता है और इसी देरी के चलते प्रोजेक्टों की लागत में वृद्धि हो जाती है। साथ ही इससे बिजली का उत्पादन करने में भी अधिक समय लगता है।
  • विश्वभर में 37 रिएक्टर ऐसे हैं जिनका निर्माण कार्य देर से शुरू हुआ है।
  • विश्व भर में आठ परमाणु बिजली प्रोजेक्ट एक या अधिक दशकों से निर्माणधीन हैं, जबकि इनमें से 3 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनका निर्माण कार्य 30 वर्षों से चल रहा है।
  • अमेरिकी ऊर्जा नीति के एक विशेषज्ञ एस.डेविड फ्रीमैन लिखते हैं कि परमाणु ऊर्जा से संबंधित चर्चा अब समाप्त हो चुकी है। विदित हो कि इन्होंने ‘टेनेसी वैली प्राधिकरण’ (Tennessee Valley Authority) का नेतृत्व किया था।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 1997 से अब तक विश्व भर में नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन चार गुना हो चुका है, क्योंकि परमाणु ऊर्जा की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन अधिक हुआ है।
  • चीन के 23% परमाणु ऊर्जा उत्पादन के कारण वैश्विक परमाणु ऊर्जा उत्पादन में वर्ष 2016 में 1.6% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान 10.5% है।
  • वैश्विक स्तर पर पवन ऊर्जा उत्पादन में 16% और सौर ऊर्जा उत्पादन में 30% की वृद्धि हुई है। 
  • वैश्विक विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान 62% है।
  • ध्यातव्य है कि रूस और अमेरिका ने वर्ष 2016 में अपने परमाणु रिएक्टर बंद कर दिये थे, जबकि स्वीडन और दक्षिण कोरिया दोनों देशों ने अपने पुराने परमाणु रिएक्टरों  को वर्ष 2017 के आरम्भ में ही बंद किया है।

परमाणु ऊर्जा

  • किसी परमाणु के नाभिक की ऊर्जा को ‘परमाणु ऊर्जा’ कहा जाता है। 
  • प्रत्येक परमाणु के केंद्र में दो प्रकार के कण होते हैं, जिन्हें प्रोटोन और न्यूट्रॉन कहा जाता है। प्रोटोनों और न्यूट्रॉनों को आपस में जोड़कर रखने वाली ऊर्जा को ही “परमाणु ऊर्जा” (nuclear energy) कहा जाता है।

परमाणु ऊर्जा का महत्त्व

  • इसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकता है। यह ऊर्जा दो प्रक्रियाओं द्वारा प्राप्त की जा सकती है, जिन्हें ‘नाभिकीय विखंडन’ व  ‘नाभिकीय संलयन’ कहा जाता है। नाभिकीय संलयन में छोटे-छोटे परमाणुओं के जुड़ने से एक बड़े अणु का निर्माण होता है जिससे ऊर्जा मुक्त होती है, इस प्रकार की ऊर्जा का उदाहरण ‘सौर ऊर्जा’ है।
  • इसके विपरीत नाभिकीय विखंडन में विशाल अणु छोटे-छोटे परमाणुओं में टूट जाते हैं तथा ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
  • वास्तव में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र बिजली का उत्पादन करने के लिये केवल ‘नाभिकीय विखंडन’ प्रक्रिया का ही उपयोग कर सकते हैं।

विश्व में परमाणु ऊर्जा

  • विश्व के प्रथम वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा स्टेशन ने वर्ष 1950 से कार्य करना शुरू किया।
  • कुल 390,000 मेगा वाट ऊर्जा क्षमता से अधिक के 440 वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टर विश्व के 31 देशों में कार्य कर रहे हैं।
  • ये रिएक्टर विश्व की 11% से अधिक बिजली का उत्पादन करते हैं।
  • विश्व के 55 देश लगभग 250 अनुसंधान रिएक्टरों का संचालन करते हैं।
  • आज विश्व के केवल आठ देशों के पास ही ‘परमाणु हथियार’ (nuclear weapon) रखने की क्षमता है। इसके विपरीत 55 देश लगभग 250 सिविल अनुसंधान रिएक्टरों का संचालन कर रहे हैं। विदित हो कि इन 55 देशों में से एक-तिहाई देश विकासशील हैं।
  • आज 31 देश 390,000 मेगावाट क्षमता के कुल 447 वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का संचालन कर रहे हैं।
  • वास्तव में विश्व के 16 देश एक चौथाई बिजली उत्पादन के लिये परमाणु ऊर्जा पर निर्भर हैं। उदाहरण के लिये, फ्राँस अपनी ऊर्जा का तीन चौथाई हिस्सा परमाणु ऊर्जा से प्राप्त करता है, जबकि बेल्जियम, फ़िनलैंड, हंगरी, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, स्लोवेनिया और युक्रेन आदि देश अपने एक तिहाई से अधिक बिजली उत्पादन के लिये परमाणु ऊर्जा पर निर्भर हैं।

भारत में परमाणु ऊर्जा

  • भारत के पास एक अति महत्त्वाकांक्षी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम है,  जिससे अपेक्षा है कि वर्ष 2024 तक यह 14.6 गीगावाट बिजली का उत्पादन करेगा, जबकि वर्ष 2032 तक बिजली उत्पादन की यह क्षमता 63 गीगावाट हो जाएगी। भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2050 तक देश के 25% बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का ही योगदान हो।
  • चूँकि भारत अपने हथियार कार्यक्रम के कारण परमाणु अप्रसार संधि में शामिल नहीं है। अतः 34 वर्षों तक इसके परमाणु संयंत्रों अथवा पदार्थों के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिस कारण यह वर्ष 2009 तक अपनी सिविल परमाणु ऊर्जा का विकास नहीं कर सका।
  • पूर्व के व्यापार प्रतिबंधों और स्वदेशी यूरेनियम के अभाव में भारत थोरियम के भंडारों से लाभ प्राप्त करने के लिये एक ‘परमाणु ईंधन चक्र’ (nuclear fuel cycle) का विकास कर रहा है।
  • भारत का प्राथमिक ऊर्जा उपभोग वर्ष 1990 और 2011 के मध्य दोगुना हो गया था।
  • भारत का परमाणु ऊर्जा भंडार 293 बिलियन टन का हैं जिसमें अधिकांश योगदान इसके पूर्वी राज्यों जैसे- झारखण्ड, ओड़िसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल का है।
  • भारत के पास निमनलिखित पाँच बिजली ग्रिड हैं –उत्तरी, पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी। दक्षिणी ग्रिड के अलावा इसके अन्य सभी ग्रिड आपस में जुड़े हुए हैं। इन सभी ग्रिडों का संचालन राज्य स्वामित्व वाले भारत के बिजली ग्रिड निगम (Power Grid Corporation of India) द्वारा किया जाता है।
  • भारत का प्राथमिक उद्देश्य देश का आर्थिक विकास और गरीबी निवारण है।