अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-अल्जीरिया रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन
- 06 Nov 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM), अंतर्राष्ट्रीय संगठन और समझौते, द्विपक्षीय संबंध, आर्थिक सहयोग और व्यापार, अफ्रीका की भू-राजनीति मेन्स के लिये:भारत की विदेश नीति, वैश्वीकरण और व्यापार संबंध, आर्थिक विकास रणनीतियाँ, अफ्रीका में क्षेत्रीय सहयोग, राजनीतिक संबंध और कूटनीतिक जुड़ाव |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने अल्जीरिया का दौरा किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत और अल्जीरिया के बीच रक्षा सहयोग पर एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) संपन्न हुआ।
- इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सामरिक हितों और सैन्य संबंधों को मज़बूत करना है।
भारत-अल्जीरिया संबंधों में हाल ही में विकास क्या है?
- महत्त्वपूर्ण यात्रा: हाल की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की यात्रा 1 नवंबर को अल्जीरिया की क्रांति की 70 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर हुई, जिसमें सैन्य परेड और समारोह आयोजित किये गए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा अल्जीरिया की ऐतिहासिक और राजनीतिक विरासत पर प्रकाश डाला गया।
- सामरिक सहयोग: भारत द्वारा अल्जीरिया में अपनी रक्षा शाखा (Defence Wing) को पुनः स्थापित किया गया तथा अल्जीरिया को भारत में अपनी रक्षा शाखा स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया।
- "विश्व बंधु" या वैश्विक साझेदार के रूप में भारत की भूमिका पर ज़ोर देते हुए, CDS द्वारा रक्षा अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने के लिये भारत की तत्परता पर प्रकाश डाला।
- एकीकृत रक्षा वक्तव्य: एकीकृत रक्षा स्टाफ द्वारा समझौता ज्ञापन के आपसी समझ को मज़बूत करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में दीर्घकालिक सहयोग की नींव रखने पर ज़ोर दिया गया।
- चर्चा में 'मेक इन इंडिया' और 'मेक फॉर द वर्ल्ड' के तहत रक्षा विनिर्माण में भारत की प्रगति शामिल थी, जिससे अल्जीरिया को सहयोग के लिये संभावित अवसर मिले।
- भारत ने अल्जीरिया में अपनी रक्षा शाखा को बहाल कर दिया है और भारत में अल्जीरिया की रक्षा शाखा के लिये समर्थन की पेशकश की है, CDS ने वैश्विक स्तर पर शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान के लिये भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
भारत-अल्जीरिया संबंध के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र कौन-से हैं?
- राजनयिक संबंधों:
- भारत और अल्जीरिया ने जुलाई, 1962 में राजनयिक संबंध स्थापित किये, इसी वर्ष अल्जीरिया को फ्राँसीसी औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
- भारत ने अल्जीरिया के मुक्ति आंदोलन का भी समर्थन किया। दोनों देश स्वतंत्रता के बाद गुटनिरपेक्ष आंदोलन में शामिल हुए और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर एकजुटता बनाए रखी।
- द्विपक्षीय व्यापार:
- भारत और अल्जीरिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2018 में 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया था, जो बाद में कोविड-19 और अल्जीरिया के आयात प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2021 में घटकर 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
- वर्ष 2022 में व्यापार में तेज़ी आएगी, जो 24% बढ़कर 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा, वर्ष 2023-24 में भारत का निर्यात 848.16 मिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 885.54 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
- प्रमुख निर्यातों में चावल, फार्मास्यूटिकल्स और ग्रेनाइट शामिल हैं, जबकि आयात पेट्रोलियम तेल, LNG और कैल्शियम फॉस्फेट पर केंद्रित है।
- द्विपक्षीय समझौते:
- भारत और अल्जीरिया ने सहयोग बढ़ाने हेतु कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं:
- ऑल इंडिया रेडियो (AIR) और अल्जीरियाई राष्ट्रीय रेडियो के बीच वर्ष 2015 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
- वर्ष 2018 में एक अंतरिक्ष सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, जिससे फसल पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन जैसे अनुप्रयोगों के लिये उपग्रह प्रौद्योगिकी के उपयोग की सुविधा प्राप्त होगी।
- राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिये वीज़ा छूट समझौता अक्तूबर, 2021 में प्रभावी हुआ।
- भारत और अल्जीरिया ने सहयोग बढ़ाने हेतु कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं:
- सांस्कृतिक जुड़ाव:
- 10 वाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (IDY) 21 जून, 2024 को अल्जीरिया के सुप्रसिद्ध जार्डिन डी'एस्साई डू हम्मा उद्यान (Jardin d’Essai du Hamma garden) में मनाया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न आयु और पृष्ठभूमि के 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
- अंतरिक्ष सहयोग:
- वर्ष 2018 में हस्ताक्षरित भारत-अल्जीरिया अंतरिक्ष सहयोग समझौता अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों में संयुक्त प्रयासों को कवर करता है।
- अल्जीरिया की अंतरिक्ष एजेंसी ने इसरो के साथ फसल पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन जैसे उपग्रह अनुप्रयोगों पर चर्चा की तथा भारत ने वर्ष 2016 में चार अल्जीरियाई उपग्रहों को प्रक्षेपित किया।
- वर्ष 2022 में एक संयुक्त समिति की बैठक में सहयोग को आगे बढ़ाया जाएगा, जिसमें अल्जीरिया ने उपग्रह क्षमता निर्माण के लिये समर्थन का अनुरोध किया है।
- भारतीय समुदाय:
- वर्तमान में लगभग 3,800 भारतीय अल्जीरिया में रह रहे हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।
- इनमें से कई लोग तकनीकी रूप से कुशल हैं और दूरदराज के क्षेत्रों में परियोजनाओं, जबकि अन्य लोग अर्द्ध -कुशल कार्यों जैसे राजमिस्त्री, बढ़ई, चित्रकार और वेल्डर में कार्यरत हैं।
- इस समुदाय में 13 ओवरसीज़ सिटिज़नशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्डधारक, 10 भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) और 15 भारतीय छात्र भी शामिल हैं।
अल्जीरियाई क्रांति
- अल्जीरियाई युद्ध, जिसे स्वतंत्रता संग्राम या अल्जीरियाई क्रांति के नाम से भी जाना जाता है, वर्ष 1954 से 1962 तक फ्राँस और अल्जीरियाई राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (FLN) के मध्य हुआ था।
- इस संघर्ष में गुरिल्ला युद्ध, माक्विस लड़ाई और व्यापक रूप से यातना का प्रयोग किया गया, जिसने एक महत्त्वपूर्ण वि-उपनिवेशीकरण संघर्ष का रूप ले लिया।
- इससे अल्जीरिया के विभिन्न समुदायों के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया और महानगरीय फ्राँस में इसके दीर्घकालिक परिणाम हुए, जिसके परिणामस्वरूप अंततः अल्जीरिया को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
- शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता को बचाए रखने के लिये गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की स्थापना की गई थी।
- यह अवधारणा इंडोनेशिया में वर्ष 1955 के बांडुंग सम्मेलन के दौरान अस्तित्त्व हुई थी।
- पहला गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन सितंबर, 1961 में बॅलग्रेड, यूगोस्लाविया में आयोजित किया गया था।
- अप्रैल, 2018 तक, NAM के 120 सदस्य हैं: अफ्रीका से 53, एशिया से 39, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से 26, तथा यूरोप (बेलारूस और अज़रबैजान) से 2।
- संस्थापक नेताओं में जोसिप ब्रोज़ टीटो, गमाल अब्देल नासिर, जवाहरलाल नेहरू, क्वामे नक्रूमा और सुकर्णो शामिल हैं।
अल्जीरिया भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- सामरिक साझेदारी: माघरेब में अल्जीरिया की सामरिक स्थिति और गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत के साथ इसका ऐतिहासिक संरेखण बहुआयामी साझेदारी के लिये एक ठोस आधार प्रदान करता है, जिससे दोनों राष्ट्र आपसी हित के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग कर सकते हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा: अल्जीरिया के पास विशाल हाइड्रोकार्बन भंडार होने के कारण, भारत अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता ला सकता है तथा एक क्षेत्र पर निर्भरता कम कर सकता है, जिससे उसकी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी साथ ही ऊर्जा आयात में स्थिरता देखने को मिलेगी।
- आर्थिक सहयोग: अल्जीरिया में हाल ही में हुए आर्थिक सुधार, जिनमें प्रतिबंधात्मक निवेश नियमों को वापस लेना भी शामिल है, भारत के लिये व्यापार में शामिल होने, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश करने तथा क्षमता विकास को बढ़ावा देने के महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करते हैं, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।
- स्वास्थ्य सेवा सहयोग: भारत का उन्नत फार्मास्युटिकल उद्योग अल्जीरिया की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को समर्थन देने, चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने और टेलीमेडिसिन कार्यक्रमों को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जो अल्जीरियाई स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्त्ताओं की क्षमताओं को बढ़ाते हैं।
- सुरक्षा सहयोग: क्षेत्रीय अस्थिरता और सुरक्षा खतरों को देखते हुए, भारत और अल्जीरिया संयुक्त आतंकवाद-रोधी पहल के माध्यम से अपने रक्षा संबंधों को मज़बूत कर सकते हैं, द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ा सकते हैं तथा क्षेत्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं।
भारत-अल्जीरिया संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक मुद्दे: अल्जीरिया की आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ लगातार कूटनीतिक जुड़ाव तथा आपसी पहल में बाधा डाल सकती हैं।
- सीमित क्षेत्रीय सहयोग: अरब मगरिब संघ की निष्क्रिय स्थिति क्षेत्रीय सहयोग के अवसरों को सीमित करती है, जिससे क्षेत्र में भारत की सहभागिता रणनीति प्रभावित होती है।
- जानकारी का आभाव: एक दूसरे की संस्कृतियों और राजनीतिक संदर्भों के बारे में जागरूकता की कमी गहरे द्विपक्षीय संबंधों तथा सहकारी प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
अरब मगरिब संघ (AMU)
- स्थापना: संघ की स्थापना पाँच मगरिब राज्यों द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के बाद वर्ष 1989 में मराकेश में की गई।
- सदस्य राज्य: अल्जीरिया, लीबिया, मॉरिटानिया, मोरक्को और ट्यूनीशिया।
- लक्ष्य :
- सदस्य राज्यों की स्वतंत्रता को मज़बूत करना।
- सदस्य राज्यों की परिसंपत्तियों की सुरक्षा करना।
- अन्य क्षेत्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग करना।
- अंतर्राष्ट्रीय संवाद में शामिल होना।
- आर्थिक महत्त्व: इस क्षेत्र में तेल, गैस और फॉस्फेट के महत्त्वपूर्ण भंडार हैं, जो दक्षिणी यूरोप के लिये पारगमन केंद्र के रूप में कार्य करते हैं।
आगे की राह:
- उच्च स्तरीय संपर्क में वृद्धि: राजनीतिक यात्राओं और आपसी संबंध बढ़ाने से अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर आपसी समझ और सहयोग मज़बूत हो सकता है।
- आर्थिक विविधीकरण: गैर-हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों में संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देने से अल्जीरिया की आर्थिक स्थिति में वृद्धि हो सकती है, साथ ही भारतीय व्यवसायों को नए अवसर भी मिल सकते हैं।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम: सांस्कृतिक समझ और ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा देने के लिये कार्यक्रम शुरू करने से दोनों देशों के बीच के अंतर को कम किया जा सकता है, तथा सद्भावना एवं विश्वास को बढ़ावा मिल सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: "विकसित क्षेत्रीय गतिशीलता के बीच अपनी रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने में भारत और अल्जीरिया के बीच हाल ही में हुए रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन के निहितार्थों का परीक्षण कीजिये। " |
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