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जैव विविधता और पर्यावरण

18वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023

  • 23 Dec 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत वन स्थिति रिपोर्ट, भारतीय वनविज्ञानी, कार्बन स्टॉक, पश्चिमी घाट ज्वालामुखी-संवेदनशील क्षेत्र, मैंग्रोव, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, कार्बन डाईऑक्साइड, क्षरित भूमि, बॉन चैलेंज, वैश्विक वन स्रोत आकलन, FAO, वन वर्गीकरण, राष्ट्रीय कृषि आयोग, UNDP, विकृति स्वास्थ्य, जैवविविधता, पेरिस समझौता।   

मेन्स के लिये:

भारत में वन एवं वृक्ष आवरण की स्थिति।

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 शृंखला की 18वीं रिपोर्ट (ISFR  2023) जारी की। 

ISFR 2023 के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • वन एवं वृक्ष क्षेत्रफल: देश का कुल वन वृक्ष क्षेत्रफल 8,27,356.95 वर्ग किमी है, जो देश का भौगोलिक क्षेत्र (GA) का 25.17% है।
  • कुल वन क्षेत्रफल 7,15,342.61 वर्ग किलोमीटर ( 21.76%) है, जबकि वृक्ष क्षेत्रफल 1,12,014.34 वर्ग किलोमीटर (3.41%) है। 

वर्ग

क्षेत्रफल (किमी.²)

भौगोलिक क्षेत्र (GA) का प्रतिशत

वन आवर्द्धन

7,15,342.61

21.76%

वृक्षारोपण

1,12,014.34

3.41%

कुल वन एवं वृक्ष क्षेत्रफल 

8,27,356.95

25.17%

स्क्रब

43,622.64

1.33%

गैर वन क्षेत्र 

24,16,489.29

73.50%

देश का भौगोलिक क्षेत्र

32,87,468.88

100.00%

  • वन एवं वृक्षावरण में वृद्धि: देश के वन एवं वृक्षावरण में 1,445.81 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है, जिसमें वर्ष 2021 की तुलना में वनावरण में 156.41 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
    • अधिकतम वृद्धि (वन एवं वृक्षावरण): छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी.) उसके बाद उत्तर प्रदेश (559 वर्ग किमी.), ओडिशा (559 वर्ग किमी.) तथा राजस्थान (394 वर्ग किमी.)।
    • अधिकतम वृद्धि (वनावरण): मिज़ोरम (242 वर्ग किमी.) उसके बाद गुजरात (180 वर्ग किमी.) और ओडिशा (152 वर्ग किमी.)। 
    • सबसे ज़्यादा कमी: मध्यप्रदेश (612.41 वर्ग किमी.) उसके बाद कर्नाटक (459.36 वर्ग किमी.), लद्दाख (159.26 वर्ग किमी.) और नगालैंड (125.22 वर्ग किमी.)।
  • क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे अधिक वन क्षेत्र वाले शीर्ष तीन राज्य मध्यप्रदेश (77,073 वर्ग किमी.) हैं, जिसके बाद अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग किमी.) और छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग किमी.) हैं।
    • कुल भौगोलिक क्षेत्र के संबंध में वनावरण के प्रतिशत की दृष्टि से, लक्षद्वीप (91.33%) में सबसे अधिक वनावरण है, जिसके बाद मिज़ोरम (85.34%) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप (81.62%) का स्थान है।
  • उच्च वनावरण: 19 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में 33% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनावरण के अंतर्गत है। 
    • इनमें से आठ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों अर्थात् मिज़ोरम, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर में वन क्षेत्र 75% से अधिक है।
  • कार्बन स्टॉक: देश का वन कार्बन स्टॉक 7,285.5 मिलियन टन अनुमानित है, जो वर्ष 2021 की तुलना में 81.5 मिलियन टन अधिक है।
    • शीर्ष 3: अरुणाचल प्रदेश (1,021 मीट्रिक टन) उसके बाद मध्य प्रदेश (608 मीट्रिक टन), छत्तीसगढ़ (505 मीट्रिक टन) और महाराष्ट्र (465 मीट्रिक टन)।
    • भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 समतुल्य तक पहुँच गया है, जो वर्ष 2005 के आधार वर्ष से 2.29 बिलियन टन अधिक है तथा वर्ष 2030 के 2.5-3.0 बिलियन टन के लक्ष्य के करीब है।
  • क्षेत्रीय प्रदर्शन: पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (WGESA) 60,285.61 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जिसमें से 44,043.99 वर्ग किमी. (73%) क्षेत्र वन क्षेत्र के अंतर्गत है।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुल वन एवं वृक्षावरण 1,74,394.70 वर्ग किमी. है, जो इन राज्यों के भौगोलिक क्षेत्र का 67% है।
  • मैंग्रोव आवरण: भारत का मैंग्रोव आवरण 4,991.68 वर्ग किमी. है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% है, जिसमें 2021 से 7.43 वर्ग किमी. की कमी आई है।
    • गुजरात में मैंग्रोव आवरण में 36.39 वर्ग किमी. की कमी देखी गई, जबकि आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में क्रमशः 13.01 वर्ग किमी. और 12.39 वर्ग किमी. की वृद्धि देखी गई।

Mangrove_Cover_2023

  • वनाग्नि: वर्ष 2023-24 सीज़न में सबसे अधिक आग की घटनाओं वाले शीर्ष तीन राज्य उत्तराखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ हैं।

FOREST_COVER_MAP_2023

नोट 

  • पेरिस समझौता: पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते में की गई राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रतिबद्धताओं में, भारत ने वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वनावरण और वृक्षावरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने का संकल्प लिया है।
  • बॉन चैलेंज: भारत ने बॉन चैलेंज के भाग के रूप में वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनर्स्थापन के अंतर्गत लाने का भी संकल्प लिया है।
  • आजीविका: भारत के वन वैश्विक मानव आबादी के लगभग 17% और विश्व के कुल पशुधन के 18% की आजीविका का समर्थन करते हैं।
  • वैश्विक स्थिति: FAO द्वारा प्रकाशित वैश्विक वन संसाधन आकलन (GFRA, 2020) के अनुसार, भारत वन क्षेत्र के मामले में विश्व के शीर्ष 10 देशों में शामिल है और वर्ष 2010-2020 के बीच वन क्षेत्र में उच्चतम वार्षिक शुद्ध वृद्धि के लिये तीसरे स्थान पर है।

भारतीय वन सर्वेक्षण 

  • स्थापना: इसकी स्थापना 1 जून, 1981 को हुई, जो वर्ष 1965 में शुरू किये गए वन संसाधनों के पूर्व निवेश सर्वेक्षण (PISFR) का स्थान लेता है।
    • वर्ष 1976 में राष्ट्रीय कृषि आयोग (NCA) ने राष्ट्रीय वन सर्वेक्षण संगठन की स्थापना की सिफारिश की, जिसके परिणामस्वरूप FSI का निर्माण हुआ ।
    • PISFR की शुरुआत वर्ष 1965 में भारत सरकार द्वारा FAO और UNDP के प्रायोजन से की गई थी।
  • मूल संगठन: पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार।
  • प्राथमिक उद्देश्य: भारत के वन संसाधनों का नियमित रूप से आकलन और निगरानी करना।
    • इसके अलावा, यह प्रशिक्षण, अनुसंधान और विस्तार की सेवाएँ भी प्रदान करता है।
  • कार्यप्रणाली: FSI का मुख्यालय देहरादून में है तथा शिमला, कोलकाता, नागपुर और बंगलूरू में चार क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ इसकी उपस्थिति संपूर्ण भारत में है। 
    • पूर्वी क्षेत्र का एक उपकेंद्र बर्नीहाट (मेघालय) में है।

वर्ष 2013 से 2023 के बीच वानिकी मापदंडों की क्या स्थिति रही?

  • वन क्षेत्र में वृद्धि: देश के वन क्षेत्र में 16,630.25 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
    • वृक्षावरण में 20,747.34 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई।
    • देश के मैंग्रोव आच्छादन में 296.33 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई
  • मृदा स्वास्थ्य: मृदा स्वास्थ्य में सामान्य सुधार हुआ है (वर्ष 2013 में 83.53% की तुलना में उथली से गहन मृदा में 87.16%), जो ह्यूमस में सुधार से परिलक्षित होता है।
    • मृदा कार्बनिक कार्बन 55.85 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 56.08 टन प्रति हेक्टेयर हो गया है।
      • मृदा कार्बनिक कार्बन का तात्पर्य मृदा कार्बनिक पदार्थ में निहित कार्बन है जो मृदा एकत्रीकरण में योगदान देता है, जिससे मृदा संरचना एवं स्थिरता बढ़ती है
  • जैविक प्रभाव: वनों पर जीवीय प्रभाव भी वर्ष 2013 के 31.28% से घटकर 26.66% रह गया है, जो प्राणीजात जैवविविधता और वनस्पतिजात जैवविविधता के लिये बेहतर परिवेश सिद्ध होगा।
    • जीवीय प्रभाव का आशय सजीवों पर पड़ने वाले प्रभाव से है। वनों में, जीवीय प्रभावों में चारण, ब्राउज़िंग, मानव जनित अग्नि, पोलार्डिंग, अवैध कर्तन और पातन शामिल हो सकते हैं। 

निष्कर्ष

18वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 में वन और वृक्षावरण, कार्बन स्टॉक तथा मृदा स्वास्थ्य में सकारात्मक रुझानों पर प्रकाश डाला गया है और साथ ही वनाग्नि एवं मैंग्रोव की क्षति जैसी चुनौतियों का समाधान किया गया है। पेरिस समझौते और बॉन चैलेंज जैसे वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता इसके वर्तमान के संरक्षण प्रयासों के अनुरूप है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. 18वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 (ISFR 2023) के प्रमुख निष्कर्षों का विश्लेषण कीजिये और भारत की पर्यावरणीय संधारणीयता तथा जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों पर इसके प्रभावों का आकलन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित राज्यों पर विचार कीजिये: (2019)

1. छत्तीसगढ़
2. मध्य प्रदेश
3. महाराष्ट्र
4. ओडिशा

उपर्युक्त राज्यों के संदर्भ में राज्य के कुल क्षेत्रफल की तुलना में वन आच्छादन की प्रतिशतता के आधार पर निम्नलिखित में से कौन-सा सही आरोही अनुक्रम है?

(a) 2, 3, 1, 4
(b) 2, 3, 4, 1
(c) 3, 2, 4, 1
(d) 3, 2, 1, 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत का एक विशेष राज्य निम्नलिखित विशेषताओं से युक्त है: (2012)

  1. यह उसी अक्षांश पर स्थित है जो उत्तरी राजस्थान से होकर जाता है।
  2. इसका 80% से अधिक क्षेत्र वनाच्छादित है।
  3. 12% से अधिक वन क्षेत्र इस राज्य के संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के रूप में है। 

निम्नलिखित राज्यों में से कौन-सा एक उपर्युक्त दी गईं विशेषताओं से युक्त है?

(a) अरुणाचल प्रदेश 
(b) असम
(c) हिमाचल प्रदेश 
(d) उत्तराखंड

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारत के वन संसाधनों की स्थिति एवं जलवायु परिवर्तन पर उसके परिणामी प्रभावों की जाँच कीजिये। (2020)

प्रश्न. मैंग्रोवों के रिक्तीकरण के कारणों पर चर्चा कीजिये और तटीय पारिस्थितिकी का अनुरक्षण करने में इनके महत्त्व को स्पष्ट कीजिये। (2019) 

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