रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी

प्रिलिम्स के लिये

न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग, स्वामीनाथन आयोग

मेंस के लिये

न्यूनतम समर्थन मूल्य का महत्त्व और इसका निर्धारण

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में बेची जाने वाली छह रबी फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices-MSP) में बढ़ोतरी की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्र सरकार के अनुसार, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में यह वृद्धि स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं के अनुरुप हैं।
  • गेहूँ: वर्ष 2020-21 के लिये गेहूँ के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को 1,975 रूपए प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो कि वर्ष 2019-20 में 1,925 रूपए प्रति क्विंटल से 2.6 प्रतिशत अधिक है।
    • ध्यातव्य है कि गेहूँ के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में सरकार द्वारा की गई वृद्धि बीते 11 वर्ष में सबसे कम है।
  • मसूर: सरकार ने सबसे अधिक बढ़ोतरी मसूर (Lentil) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में की है, इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5100 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो कि वर्ष 2019-20 की अपेक्षा 6.25 प्रतिशत अथवा 300 रूपए अधिक है।
    • बीते वर्ष मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 325 रूपए प्रति क्विंटल या 7.26 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी।
  • चना: चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बीते वर्ष की तुलना में  225 रूपए अथवा 4.62 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, और इसका मूल्य 5,100 रूपए प्रति क्विंटल पर पहुँच गया है। 
    • वर्ष 2019-20 में चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 255 रुपए प्रति क्विंटल या 5.52 फीसद की वृद्धि की गई थी। 
  • सरसों: इस वर्ष सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4,650 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो कि वर्ष 2019-20 की तुलना में 225 रूपए या 5.08 प्रतिशत अधिक है।
    • प्रतिशत के लिहाज़ से सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि बीते वर्ष की तुलना में 5.36 प्रतिशत अधिक है।
  • कुसुम: कुसुम का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 112 रूपए अथवा 2.15 प्रतिशत बढ़ाकर 5,327 रूपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि पिछले वर्ष इसमें 270 रूपए अथवा 5.46 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
  • जौ: वर्ष 2020-21 के लिये जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 75 रूपए (4.92 प्रतिशत) वृद्धि कर इसे 1,600 रूपए निर्धारित किया गया है, जो कि बीते वर्ष 1,525 रूपए प्रति क्विंटल पर था।

स्वामीनाथन आयोग

  • 18 नवंबर, 2004 को भारत सरकार ने एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषक आयोग (NCF) का गठन किया था, जिसे स्वामीनाथन आयोग के नाम से भी जाना जाता है। आयोग का मुख्य उद्देश्य कृषि प्रणाली को स्थिरता प्रदान करने हेतु एक व्यवस्था का निर्माण करना और कृषि क्षेत्र को अधिक लाभदायक और लागत प्रतिस्पर्द्धी बनाना था। 
  • आयोग की सिफारिशें:
    • स्वामीनाथन आयोग अथवा राष्ट्रीय कृषक आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों के अंतर्गत इस बात पर विशेष ज़ोर दिया गया था कि छोटे किसान को प्राप्त होने वाले लाभ तथा उसकी उत्पादन क्षमता के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना की जानी चाहिये।
    • आयोग ने अपनी सिफारिशों में किसानों को फसल लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात कही थी। 
    • किसानों हेतु लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिये उन्हें अनुबंध कृषि की ओर प्रोत्साहित करने की भी सिफारिश की गई थी। 

महत्त्व

  • सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों को लेकर किसानों द्वारा काफी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। किसानों का मत है कि सरकार द्वारा किये जा रहे नए कृषि विपणन सुधारों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सार्वजनिक खरीद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। 
  • इस प्रकार सरकार अपने इस निर्णय से किसानों के मध्य यह संकेत देना चाहती है कि सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सार्वजनिक खरीद पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा। 

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक प्रकार का बाज़ार हस्तक्षेप होता है, जिसमें सरकार किसानों को एक तरह से मूल्य सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करती है। 
  • सरल शब्दों में कहें तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज को खरीदने की गारंटी देती है। 
  • जब बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा हो, तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर उनके हितों की रक्षा करती है।
    • सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा फसल बोने से पहले करती है। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा सर्वप्रथम 1960 के दशक में की थी।
  • इस न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices-CACP) की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है। 

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP)

  • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है, जो कि जनवरी 1965 में अस्तित्त्व में आया था। 
  • इस आयोग की स्थापना कृषि उत्पादों की संतुलित एवं एकीकृत मूल्य संरचना तैयार करने के उद्देश्य से की गई थी। 
  • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार को रबी और खरीफ के मौसम में कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सलाह देता है।

महामारी और भारतीय कृषि क्षेत्र

  • वैश्विक कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी और उसके कारण लागू किये गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद सरकार द्वारा समय पर किये गए हस्‍तक्षेप के परिणामस्‍वरूप वर्ष 2020-21 के लिये लगभग 39 मिलियन टन गेहूँ की सर्वकालिक रिकार्ड खरीद हुई है।
  • स्‍वास्‍थ्‍य महामारी की वर्तमान स्‍थिति में किसानों के समक्ष मौजूद समस्‍याओं का निराकरण करने की दिशा में सरकार द्वारा समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं। 
  • भारतीय कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु सरकार द्वारा किये गए कुछ हालिया प्रयास
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया को भी दुरुस्त किया जा रहा ताकि अधिक-से-अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके।
    • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत से अब तक 10 करोड़ किसानों को लाभ प्राप्त हुआ है, और इस योजना के तहत अब तक कुल 93,000 करोड़ रूपए वितरित किये गए हैं।
    • पिछले 6 माह में 1.25 करोड़ नए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी किये गए हैं।
    • महामारी के दौरान ई-नाम मार्केट्स की संख्या 585 से बढकर 1000 हो गई है। गौरतलब है कि बीते वर्ष में ई-प्लेटफॉर्म पर लगभग 35 हजार करोड़ रूपए का व्यापार हुआ था।
    • आगामी पांच वर्षों के दौरान 10,000 नए किसान-उत्पादक संगठन (FPO) के गठन के लिये 6,850 करोड़ रूपए खर्च करने की योजना बनाई गई है।
    • फल-सब्जियों, मछली-मांस और दूध जैसी जल्द खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन को आसान बनाने के लिये किसान रेल की शुरुआत की गई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस