मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में प्रधान डाकघर का आधुनिकीकरण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ने मध्य प्रदेश के अशोकनगर ज़िले में प्रधान डाकघर की आधारशिला रखी।
मुख्य बिंदु
- प्रधान डाकघर:
- प्रधान डाकघर का निर्माण 2.1 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। इसका निर्माण एक वर्ष के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
- इस सुविधा में ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिये आधुनिक सुविधाओं के साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी-सक्षम बुनियादी ढाँचा उपलब्ध होगा।
- प्रधान डाकघर अशोकनगर ज़िले के 10 उप-डाकघरों के लिये प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- इसका उद्देश्य सेवा वितरण में सुधार करना और स्थानीय आबादी को अधिक सुविधा प्रदान करना है।
- भारतीय डाक की विरासत:
- 150 वर्षों से अधिक की सेवा के साथ, भारतीय डाक विश्व स्तर पर सबसे बड़े डाक नेटवर्कों में से एक बना हुआ है।
- भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 को निरस्त करते हुए डाकघर अधिनियम 2023 लागू हुआ।
- विभाग आधुनिकीकरण और ज़मीनी स्तर पर पहुँच पर विशेष ध्यान देते हुए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अंतराल को पाटने और उत्कृष्टता प्रदान करने का कार्य जारी रखे हुए है।
भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898
- यह अधिनियम 1 जुलाई, 1898 को भारत में डाकघरों से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने के उद्देश्य से लागू हुआ।
- यह केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली डाक सेवाओं के विनियमन का प्रावधान करता है।
यह विधेयक केंद्र सरकार को पत्रों के संप्रेषण पर विशेष विशेषाधिकार प्रदान करता है तथा पत्रों के संप्रेषण पर केंद्र सरकार का एकाधिकार स्थापित करता है।
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विश्व AIDS दिवस 2024 पर इंदौर में कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने मध्य प्रदेश के इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सभागार में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में विश्व AIDS दिवस, 2024 स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया।
इस कार्यक्रम में “सही रास्ता अपनाएँ” थीम पर ज़ोर दिया गया, जिसमें HIV/AIDS से प्रभावित व्यक्तियों के लिये समान अधिकार, सम्मान और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- सरकार की प्रतिबद्धता:
- केंद्रीय मंत्री ने HIV/AIDS से पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिये सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें कानूनी सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच और सामाजिक परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- उन्होंने जागरूकता बढ़ाने, रूढ़िवादिता से निपटने तथा सामुदायिक पहलों और अभियानों के माध्यम से AIDS पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया।
- यह कार्यक्रम 2030 तक AIDS को समाप्त करने के वैश्विक सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप है।
- गतिविधियों में सामूहिक कार्रवाई, समानुभूति और अनुकूलता पर ज़ोर दिया गया तथा भेदभाव और भय से मुक्त विश्व को बढ़ावा दिया गया।
- AIDS नियंत्रण में उपलब्धियाँ:
- भारत में 2010 से नए HIV मामलों में 44% की कमी देखी गई है , जबकि वैश्विक कमी दर 39% है।
- इसी अवधि के दौरान देश में AIDS से संबंधित मौतों में 79% की कमी आई।
- भारत अब सस्ती, प्रभावी HIV दवाओं के उत्पादन में वैश्विक अग्रणी है और AIDS रोगियों को मुफ्त एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) प्रदान करता है।
- भारत में 2010 से नए HIV मामलों में 44% की कमी देखी गई है , जबकि वैश्विक कमी दर 39% है।
- रणनीतिक लक्ष्य:
- भारत ने AIDS के 90% मामलों का पता लगाने, 90% का एआरटी से उपचार करने तथा उपचारित 90% व्यक्तियों में वायरल लोड को कम करने के लिये 90-90-90 का लक्ष्य अपनाया।
- संशोधित 95-95-95 लक्ष्य प्राप्ति के निकट हैं, जिसमें 81% की पहचान हो चुकी है, 88% का उपचार हो चुका है तथा 97% में विषाणु दमन का लक्ष्य प्राप्त हो चुका है।
- मध्य प्रदेश की भूमिका:
- मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में राज्य की प्रगति की सराहना की, जिसमें 2028 तक AIDS को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा मानने की योजना भी शामिल है, जो वैश्विक लक्ष्य 2030 से दो वर्ष पहले है।
- उन्होंने मध्य प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि का उल्लेख किया, जो 5 से बढ़कर 31 हो गई है तथा 2026 तक इनकी संख्या 50 करने की योजना है।
- प्रमुख पहल और विज्ञप्तियाँ:
- संकल्प 6वाँ संस्करण: भारत में AIDS नियंत्रण की प्रगति का विवरण।
- भारत HIV अनुमान 2023: HIV प्रसार, घटना और मृत्यु दर पर अद्यतन डेटा प्रदान करना।
- कॉफी टेबल बुक: गहन सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) अभियान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालती हुई।
- रोकथाम प्रगति अद्यतन 2023-2024: उच्च जोखिम वाले समूहों के लिये रोकथाम गतिविधियों पर रिपोर्टिंग।
- अनुसंधान संकलन खंड II: AIDS पर राज्य-विशिष्ट अध्ययनों से प्राप्त अंतर्दृष्टि को साझा करना।
- सामुदायिक सहभागिता:
- इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय AIDS नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा प्रदर्शनियाँ, एक नए लॉन्च किये गए थीम गीत का लाइव प्रदर्शन और राष्ट्रीय AIDS नियंत्रण कार्यक्रम के लाभार्थियों की कहानियाँ शामिल थीं।
- नीति निर्धारकों, स्वास्थ्य पेशेवरों, नागरिक समाज और विकास सहयोगियों सहित विभिन्न हितधारकों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी की और सहयोग को प्रोत्साहित किया।
HIV/AIDS रोग
- परिचय:
- मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) एक संक्रमण है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है।
- एड्स HIV संक्रमण का अंतिम चरण है, जो तब उत्पन्न होता है जब वायरस के प्रभाव से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती है।
- HIV शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में CD4 नामक श्वेत रक्त कोशिका (T कोशिका) पर हमला करता है।
- T कोशिकाएँ वे कोशिकाएँ हैं जो शरीर में घूमकर कोशिकाओं में विसंगतियों और संक्रमणों का पता लगाती हैं।
- शरीर में प्रवेश करने के बाद, HIV खुद को गुणा करता है और सीडी 4 कोशिकाओं को नष्ट कर देता है , जिससे मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर नुकसान पहुँचता है। एक बार यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाए तो इसे कभी भी हटाया नहीं जा सकता।
- HIV से संक्रमित व्यक्ति का CD4 काउंट काफी कम हो जाता है। स्वस्थ शरीर में CD4 काउंट 500-1600 के बीच होता है, लेकिन संक्रमित शरीर में यह 200 तक भी कम हो सकता है।
- संचरण:
- HIV विभिन्न स्रोतों के माध्यम से फैल सकता है, जब किसी HIV संक्रमित व्यक्ति के शरीर के कुछ तरल पदार्थों के साथ सीधा संपर्क होता है, जिसमें वायरल लोड का पता लगाया जा सकता है। यह संपर्क रक्त, वीर्य, मलाशय द्रव, योनि द्रव या स्तन के दूध के माध्यम से हो सकता है।
- लक्षण:
- एक बार जब HIV AIDS में परिवर्तित हो जाता है तो इसके प्रारंभिक लक्षण अस्पष्टीकृत थकान, बुखार, जननांगों या गर्दन के आसपास घाव, निमोनिया आदि हो सकते हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
UP में डिजिटल इंडिया राज्य परामर्श कार्यशाला आयोजित
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD) ने उत्तर प्रदेश विकास प्रणाली निगम लिमिटेड (UPDESCO) के साथ साझेदारी में लखनऊ में डिजिटल इंडिया राज्य परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया।
मुख्य बिंदु
- कार्यशाला का उद्देश्य:
- डिजिटल इंडिया पहल के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने के लिये राज्य IT परियोजनाओं के लिये अवसरों की पहचान करना।
- संभावित अनुकरण के लिये सफल परियोजनाओं का प्रदर्शन।
- ज्ञान साझाकरण, विचारों के आदान-प्रदान और उद्योग साझेदारी को सुविधाजनक बनाना।
- केंद्रित क्षेत्र:
- इस कार्यक्रम में डेटा और डिजिटल बुनियादी ढाँचे के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया तथा राज्य से अंतिम छोर तक डिजिटल पहुँच के लिये कनेक्टिविटी बढ़ाने का आग्रह किया गया।
- कार्यशाला में राज्य के अधिकारियों और ई-ज़िला प्रबंधकों को एक साथ लाकर सुशासन की दिशा में सहयोगात्मक रूप से कार्य करने की विशिष्टता पर ज़ोर दिया गया।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय पहलों पर चर्चा की गई, जिनमें शामिल हैं:
- डिजिलॉकर: डिजिलॉकर ड्राइवर लाइसेंस, वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र और शैक्षणिक अंकतालिकाओं सहित विभिन्न दस्तावेजों के डिजिटल संस्करणों तक पहुँच की अनुमति देता है।
- एंटिटी लॉकर: एंटिटी लॉकर एक प्रमुख पहल है जिसे डिजिटल दस्तावेजों और प्रमाण-पत्रों के भंडारण, साझाकरण और सत्यापन के लिये एक सुरक्षित, क्लाउड-आधारित मंच प्रदान करके संगठनों को सशक्त बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- API सेतु: API सेतु कोविड-19 संक्रमण के भय/जोखिम को संबोधित करता है और लोगों, व्यवसायों और अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति में लौटने में सहायता करेगा।
- ओपनफोर्ज (OpenForge): यह ई-गवर्नेंस अनुप्रयोगों के खुले सहयोगात्मक विकास के लिये भारत सरकार का मंच है। इसका उद्देश्य ई-गवर्नेंस अनुप्रयोग स्रोत कोड के साझाकरण और पुनः उपयोग को बढ़ावा देना है।
- माईस्कीम (myScheme): यह एक राष्ट्रीय मंच है जिसका उद्देश्य सरकारी योजनाओं की एक ही स्थान पर खोज और जानकारी उपलब्ध कराना है।
- UMANG: UMANG मोबाइल ऐप एक सर्वसमावेशी एकल, एकीकृत, सुरक्षित, बहु-चैनल, बहुभाषी, बहु-सेवा मोबाइल ऐप है। यह संघ और राज्यों के विभिन्न संगठनों की उच्च-प्रभावी सेवाओं तक पहुँच प्रदान करता है।
- UX4G: इसका उद्देश्य वैयक्तिकृत, दृश्य रूप से आकर्षक, कुशल और सुलभ इंटरफेस प्रदान करके डिजिटल सेवाओं को उपयोगकर्त्ता के अनुकूल बनाना है।
- साइबर सुरक्षा और क्षमता निर्माण जैसे प्रमुख विषयों पर भी चर्चा की गई।
- राज्य स्तरीय चर्चाओं में CM हेल्पलाइन (1076), रजिस्ट्रेशन एवं स्टाम्प महानिरीक्षक (IGRS), UIDAI इकोसिस्टम और आधार (Aadhaar) प्रमाणीकरण सेवाएँ शामिल थीं।
- खुली परिचर्चा:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के बीच एक सहयोगात्मक सत्र आयोजित किया गया।
- सत्र के दौरान ई-गवर्नेंस परियोजनाओं में प्रमुख चुनौतियों और कार्यान्वयन मुद्दों पर चर्चा की गई।
- बाधाओं के समाधान तथा परियोजना क्रियान्वयन में सुधार के लिये फीडबैक एवं सुझाव मांगे गए।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD)
- परिचय:
- NeGD की स्थापना वर्ष 2009 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के तहत एक स्वतंत्र व्यापार प्रभाग के रूप में की गई थी।
- भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ:
- NeGD देश भर में ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के प्रबंधन और कार्यान्वयन में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सहयोग प्रदान करता है।
- यह केंद्रीय एवं राज्य मंत्रालयों, विभागों और अन्य सरकारी संगठनों को तकनीकी और सलाहकार सहायता प्रदान करता है।
- प्रमुख परिचालन क्षेत्र:
- कार्यक्रम प्रबंधन: ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करता है।
- परियोजना विकास: डिजिटल शासन को बढ़ाने के लिये पहल विकसित करना।
- प्रौद्योगिकी प्रबंधन: ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के तकनीकी पहलुओं की देख-रेख करता है।
- क्षमता निर्माण: सरकारी संगठनों के भीतर कौशल और क्षमताओं को मजबूत करता है।
- जागरूकता और संचार: डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत ई-गवर्नेंस पहल को बढ़ावा देना।
उत्तर प्रदेश Switch to English
महाभारत काल की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मेरठ के हस्तिनापुर में संरक्षित स्थल के संरक्षण और विकास पर एक अद्यतन देखा गया है जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के प्रबंधन के तहत 2021-22 में केंद्र सरकार द्वारा पाँच 'प्रतिष्ठित स्थलों' में से एक के रूप में नामित किया गया था।
मुख्य बिंदु
- इतिहास:
- महाभारत काल में हस्तिनापुर पांडवों और कौरवों की राजधानी थी।
- यह स्थल महाभारत के कई स्थानों से जुड़ा हुआ है, जिनमें विदुर टीला, पांडवेश्वर मंदिर, बारादरी, द्रौणदेश्वर मंदिर, कर्ण मंदिर, द्रौपदी घाट और काम घाट शामिल हैं।
- उत्खनन:
- ASI के महानिदेशक बी.बी. लाल ने 1950 के दशक के प्रारंभ में हस्तिनापुर में खुदाई की थी।
- उन्होंने महाभारत और उनके द्वारा खोदे गए भौतिक अवशेषों के बीच सहसंबंध पाया, जिसके कारण उन्होंने महाकाव्य की कुछ परंपराओं को ऐतिहासिक बना दिया।
- लोहे की वस्तुएँ:
- इस स्थल पर लोहे की कई वस्तुएँ हैं जो छठी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 16वीं शताब्दी ईसवी तक की हैं।
- उत्खनन से प्राप्त लावा के नमूनों से पता चलता है कि यह स्थल क्रूसिबल कार्बराइज़ेशन गतिविधियों में शामिल था।
- क्रूसिबल कार्बराइजज़ेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें स्टील बनाने के लिये कार्बन-समृद्ध सामग्री के साथ गढ़ा लोहे को गर्म करने के लिये क्रूसिबल का उपयोग किया जाता है।मेरठ
- हालिया कार्य:
- ASI ने वर्ष 2021-22 और 2022-23 में इस स्थल पर खुदाई की है।
- इस स्थल पर संरक्षण और विकास कार्य भी किया गया है, जिसमें रास्ते, पार्किंग और उद्यानों का निर्माण भी शामिल है।
पाँच प्रतिष्ठित स्थल
- धोलावीरा:
- यह एक पुरातात्विक स्थल है, जहाँ वर्षा जल संचयन के लिये जल प्रणाली का उपयोग किया जाता था। हड़प्पा सभ्यता के दौरान यहाँ रहने वाले लोग अपनी जल संरक्षण तकनीकों के लिये जाने जाते हैं।
- हस्तिनापुर:
- उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल। महाभारत काल में यह कुरु वंश के सम्राटों की राजधानी थी।
- शिवसागर:
- ऊपरी असम का एक शहर जो अपने अहोम महलों और स्मारकों के लिये जाना जाता है। यह 1699 से 1788 तक अहोम साम्राज्य की राजधानी थी।
- आदिचनल्लूर:
- दक्षिण भारत का एक पुरातात्विक स्थल जिसका इतिहास 2500 ईसा पूर्व से 2200 ईसा पूर्व तक जाता है। 2004 में, यहाँ विभिन्न जातियों के मानव कंकाल मिले थे।
- राखीगढ़ी:
- हरियाणा के हिसार ज़िले में राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता के सबसे प्रमुख और सबसे बड़े स्थलों में से एक है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में हड़प्पा सभ्यता के पाँच ज्ञात कस्बों में से एक है।
बिहार Switch to English
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के प्रदर्शन की समीक्षा के लिये बैठक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने पटना में आयोजित एक बैठक के दौरान बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल को कवर करने वाले पूर्वी क्षेत्र के आठ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के प्रदर्शन की समीक्षा की।
मुख्य बिंदु
- बैठक के केंद्रित क्षेत्र:
- व्यावसायिक प्रदर्शन, डिजिटल प्रौद्योगिकी उन्नयन, तथा कृषि एवं सूक्ष्म उद्योग से संबंधित गतिविधियों में वृद्धि को बढ़ावा देना प्राथमिक केंद्र था।
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रायोजक बैंकों के सहयोग से मुद्रा (MUDRA) और पीएम विश्वकर्मा जैसी प्रमुख योजनाओं के तहत ऋण वितरण बढ़ाने पर ज़ोर दिया।
- कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिये निर्देश:
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को ज़मीनी स्तर पर कृषि ऋण को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए, विशेष रूप से डेयरी, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसी संबद्ध गतिविधियों के लिये।
- उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को मत्स्य पालन और मखाना (Foxnut) के लिये ऋण बढ़ाने का कार्य सौंपा गया ताकि उनकी क्षेत्रीय क्षमता का दोहन किया जा सके।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन पर ज़ोर:
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने RRB की दक्षता और सेवा वितरण में सुधार के लिये प्रौद्योगिकी संवर्द्धन में तेजी लाने पर बल दिया।
- वित्तीय मापदंडों में सुधार दिखा, पूंजी पर्याप्तता अनुपात 7.8% (वित्त वर्ष 2022) से बढ़कर 9.4% (वित्त वर्ष 2024) हो गया और इसी अवधि के दौरान सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (GNPA) 25% से घटकर 15% हो गईं।
- पूर्वी क्षेत्र के RRB ने वित्त वर्ष 2024 में 625 करोड़ रुपए का लाभ दर्ज किया, जबकि वित्त वर्ष 2023 में 690 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा होगा।
- वित्तीय समावेशन पहल:
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रधान मंत्री जन धन योजना (PMJDY), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) और अटल पेंशन योजना (APY) जैसी वित्तीय समावेशन योजनाओं के तहत लाभार्थियों को संतृप्त करने पर ज़ोर दिया।
- इन पहलों की सफलता सुनिश्चित करने के लिये प्रायोजक बैंकों से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया गया।
- डिजिटल सेवाएँ और समय सीमा:
- RRB को दिसंबर 2024 तक सभी ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) सेवाएँ प्रदान करने का निर्देश दिया गया।
- प्रायोजक बैंकों को ग्राहकों द्वारा इन सेवाओं को अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिये इन्हें बढ़ावा देने का कार्य निर्दिष्ट किया गया।
- स्वरोजगार और स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देना:
- एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) कार्यक्रम को क्षेत्र में स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के साधन के रूप में रेखांकित किया गया।
- राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) तथा SIDBI के साथ मिलकर महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण और विपणन सहायता सहित सहयोग प्रदान किया जाए।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB)
- RRB की स्थापना 26 सितंबर, 1975 को जारी अध्यादेश और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के अंतर्गत 1975 में की गई थी।
- ये वित्तीय संस्थाएँ हैं जो कृषि और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लिये पर्याप्त ऋण सुनिश्चित करती हैं।
- वे ग्रामीण समस्याओं की जानकारी के संदर्भ में एक सहकारी बैंक की विशेषताओं और व्यावसायिकता तथा वित्तीय संसाधन जुटाने की क्षमता के संदर्भ में एक वाणिज्यिक बैंक की विशेषताओं को एक साथ जोड़ते हैं।
- 1990 के दशक में सुधारों के बाद, सरकार ने वर्ष 2005-06 में एक समेकन कार्यक्रम शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 2005 में 196 से घटकर वित्त वर्ष 2021 में 43 हो गई।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
- PMMY को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
- PMMY छोटे व्यवसाय उद्यमों के लिये 10 लाख रुपए तक का संपार्श्विक-मुक्त संस्थागत ऋण प्रदान करता है।
- यह सदस्य ऋण देने वाली संस्थाओं (MLI) अर्थात अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFI)।
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