शासन व्यवस्था
CGTMSE योजना
- 29 Apr 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:CGTMSE योजना, MSMEs, SIDBI, MSME क्रेडिट पहल। मेन्स के लिये:MSME - सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, उनको बढ़ावा देने हेतु पहल। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में के केंद्रीय MSME मंत्री ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों योजना हेतु संशोधित क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (Credit Guarantee Fund Trust for Micro and Small Enterprises- CGTMSE) लॉन्च किया।
CGTMSE योजना:
- परिचय:
- यह सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र को संपार्श्विक-मुक्त ऋण उपलब्ध कराने हेतु भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में शुरू किया गया था।
- दायरा:
- विद्यमान और नए दोनों उद्यम इस योजना के तहत कवर किये जाने के पात्र हैं।
- वित्तीयन:
- CGTMSE में वित्तीयन भारत सरकार और सिडबी द्वारा क्रमशः 4:1 के अनुपात में किया जाता है।
- MSME मंत्रालय और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) ने CGTMSE योजना को लागू करने के लिये माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) हेतु क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट नाम से एक ट्रस्ट की स्थापना की।
- MSME के लिये वित्तीय समावेशन:
- CGTMSE के पुनरुद्धार की शुरुआत करते हुए, यह घोषणा की गई थी कि CGTMSE वित्तीय समावेशन केंद्र स्थापित करने के लिये राष्ट्रीय MSME संस्थान, हैदराबाद के साथ सहयोग करेगा।
- केंद्र से MSME को वित्तीय साक्षरता और क्रेडिट परामर्श प्रदान करने की उम्मीद है, जिससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को CGTMSE योजना के लाभों का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलेगी।
नोट: SIDBI की स्थापना अप्रैल 1990 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के तहत की गई थी, जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र के संवर्धन, वित्तपोषण और विकास के साथ-साथ समान गतिविधियों में संलग्न संस्थानों के कार्यों के समन्वय के लिये प्रमुख वित्तीय संस्थान के रूप में कार्य करता है।
संशोधित CGTMSE:
- बड़े बदलाव:
- वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में CGTMSE को 9000 करोड़ की अतिरिक्त सुरक्षा निधि सहायता प्रदान की गयी है, ताकि सूक्ष्म और लघु उद्यमों को अतिरिक्त 2,00,000 करोड़ रुपए की गारंटी प्रदान करने के लिये इस योजना में सुधार लाया जा सके।
- संशोधित संस्करण में किये गए अन्य प्रमुख परिवर्तनों में शामिल हैं:
- ₹1 करोड़ तक के ऋण के लिये गारंटीशुदा शुल्क में 50% की कमी।
- गारंटी की सीमा को ₹2 करोड़ से बढ़ाकर ₹5 करोड़ करना।
- न्यायालयी कार्यवाही के बाहर दावा निपटान की सीमा पिछली सीमा 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दी गई है।
- महत्त्व :
- यह न्यूनतम गारंटीशुदा शुल्क MSMEs के लिये ऋण प्राप्त करना आसान बना देगा।
- गारंटी के लिये बढ़ी हुई सीमा और दावा, निपटान के लिये उधारकर्त्ता द्वारा किसी भी डिफ़ॉल्ट के मामले में उधारदाताओं को बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगी।
- इस योजना से MSE के लिये ऋण प्रवाह को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे देश में रोज़गार के अधिक अवसर पैदा होंगे।
- ये संशोधन विशेष रूप से कोविड-19 महामारी और व्यवसायों पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए MSME तक पहुँच, सामर्थ्य एवं ऋण की उपलब्धता में सुधार की दृष्टि से किये गए हैं।
MSME क्रेडिट से संबंधित अन्य पहलें:
- प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): यह नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना तथा देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिये एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है।
- पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिये निधि की योजना (SFURTI): इसका उद्देश्य कारीगरों और पारंपरिक उद्योगों को समूहों में व्यवस्थित करना तथा इस प्रकार उन्हें वर्तमान बाज़ार परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- MSME को वृद्धिशील ऋण प्रदान करने के लिये ब्याज सबवेंशन योजना: यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू की गई थी, जिसमें सभी कानूनी MSME को उनकी वैधता की अवधि के दौरान उनके बकाया, वर्तमान/वृद्धिशील सावधि ऋण/कार्यशील पूंजी पर 2% तक की राहत प्रदान की जाती है।
- ब्याज सब्सिडी पात्रता प्रमाण पत्र (ISEC): योजना के तहत खादी और पॉलीवस्त्र उत्पादक संस्थान बैंकिंग संस्थानों से पूंजीगत धन प्राप्त करते हैं।
- MSME लोन इन 59 मिनट्स: 5 करोड़ रुपए तक के त्वरित एवं परेशानी मुक्त ऋण के लिये ऑनलाइन पोर्टल। यह डेटा का विश्लेषण करने और 59 मिनट के भीतर सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान करने के लिये उन्नत एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
- MSMEs के लिये MUDRA ऋण योजनाएँ: विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में संलग्न सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को 10 लाख रुपए तक का ऋण (कम ब्याज दरों पर संपार्श्विक-मुक्त ऋण) प्रदान किया जाता है।
- राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC): MSME को प्रतिस्पर्द्धी ब्याज दरों और न्यूनतम दस्तावेज़ की प्रस्तुति पर भी विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है।
- क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन स्कीम (CLCS-TUS):
- MSME को उनकी तकनीक के उन्नयन और नए संयंत्र तथा मशीनरी स्थापित करने के लिये 15% (15 लाख रुपए तक) की पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करता है।
- 50 से अधिक उप-क्षेत्रों को कवर करता है।
- इसका उदेश्य MSME की गुणवत्ता, उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करना है।