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शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम

  • 22 Aug 2020
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम, खादी और ग्रामोद्योग आयोग

मेन्स के लिये

स्वरोज़गार और ग्रामीण विकास से संबंधित प्रश्न

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) के नेतृत्व में 'प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ (Prime Minister Employment Generation Program- PMEGP) के कार्यान्वयन में काफी प्रगति देखने को मिली है।

प्रमुख बिंदु:

  • हाल ही में जारी आंकड़ों (1 अप्रैल से 18 अगस्त तक) के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष के पहले पाँच महीनों में इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं की स्वीकृति में 44% की वृद्धि देखने को मिली है।
  • 1 अप्रैल के बाद से ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ द्वारा बैंकों से वित्तपोषण हेतु 1.03 लाख आवेदनों को मंज़ूरी दी गई है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में मात्र 71,556 परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिये मंज़ूरी दी गई थी।
  • चालू वित्तीय वर्ष में 'प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ के तहत प्राप्त आवेदनों की संख्या में 5% की वृद्धि देखने को मिली है।
  • इस वर्ष 1 अप्रैल से 18 अगस्त के बीच 'प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ के तहत ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ को 1,78,003 आवेदन प्राप्त हुए जबकि इसी अवधि के दौरान वर्ष 2019 में 1,68,848 आवेदन प्राप्त हुए थे।

'प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister Employment Generation Program-PMEGP)

  • ‘प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है।
  • इस योजना की शुरुआत वर्ष 2008 में प्रधानमंत्री रोज़गार योजना (PMRY) और ग्रामीण रोज़गार सृजन कार्यक्रम को मिलाकर की गई थी।
  • ‘केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय’ के तहत संचालित इस योजना का क्रियान्वयन ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) द्वारा किया जाता है।

उद्देश्य:

  • स्वरोज़गार से जुड़े नए उपक्रमों/सूक्ष्म उद्यमों/परियोजनाओं के विकास को बढ़ावा देकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की तरफ युवाओं के पलायन को रोकने के लिये देश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गार युवाओं और कलाकारों के लिये स्थायी रोज़गार का प्रबंध करना।

पात्रता:

  • कोई भी व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो।
  • इस कार्यक्रम के तहत केवल नई इकाइयों की स्थापना के लिये सहायता प्रदान की जाती है।
  • इस कार्यक्रम के तहत विनिर्माण क्षेत्र में 10 लाख से अधिक की परियोजनाओं और सेवा क्षेत्र में 5 लाख से अधिक की परियोजनाओं के लिये शैक्षणिक योग्‍यता के तौर पर लाभार्थी को आठवीं कक्षा उत्‍तीर्ण होना अनिवार्य है।
  • इसके साथ ही ऐसे स्वयं सहायता समूह जिन्हें किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ न मिल रहा हो, ‘सोसायटी रजिस्‍ट्रेशन अधिनियम, 1860’ के तहत पंजीकृत संस्‍थान, उत्‍पादक कोऑपरेटिव सोसायटी और चैरिटेबल ट्रस्‍ट आदिइसके तहत लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

सहायता:

  • इसके तहत सामान्य श्रेणी (General Category) के लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत का 25% और शहरी क्षेत्रों 15% सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
  • इस कार्यक्रम के तहत एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यक/महिला, भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांग, पहाड़ी और सीमा क्षेत्र, आदि से संबंधित आवेदक ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत का 35% और शहरी क्षेत्रों में परियोजना लागत की25% सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।

परियोजनाओं की मंज़ूरी में आई तेज़ी का कारण:

  • ‘केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय’ द्वारा 28 अप्रैल, 2020 को PMEGP परियोजनाओं की मंज़ूरी के लिये ‘ज़िला स्तरीय कार्य दल समिति’ (District Level Task Force Committee- DLTFC) की भूमिका को समाप्त करने के लिये परियोजना से जुड़े दिशा निर्देशों में बदलाव किया गया था।
  • PMEGP परियोजनाओं की मंज़ूरी प्रक्रिया में ज़िला कलेक्टर की अध्यक्षता में DLTFC के शामिल होने से इसमें बहुत अधिक समय लगता था।
  • केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, खादी और ग्रामोद्योग आयोग को इस योजना के तहत भावी उद्यमियों के आवेदनों को मंज़ूरी देने और ऋण प्राप्त करने हेतु इसे बैंकों को अग्रेषित करने का कार्य सौंपा गया।
  • परियोजनाओं की मंज़ूरी में ज़िला कलेक्टरों की भूमिका को समाप्त करने से इस कार्यक्रम का तीव्र कार्यान्वयन सुनिश्चित संभव हुआ है।

परियोजनाओं का वित्तपोषण:

  • अगस्त और अप्रैल के बीच में वित्तपोषण बैंकों द्वारा 11,191 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई और आवेदकों को 345.43 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में वितरित किये गए।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2019 में इसी अवधि के दौरान 9,161 परियोजनाओं के लिये मात्र 276.09 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में वितरित किये गए थे।

महत्त्व:

  • चालू वित्तीय वर्ष में PMEGP परियोजनाओं के कार्यान्वयन में हुई वृद्धि का महत्त्व और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस अवधि के दौरान देश के अधिकांश भागों में COVID-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के कारण व्यावसायिक गतिविधियाँ प्रभावित हुई थीं।
  • बड़ी संख्या में परियोजनाओं को स्वीकृति देना स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए लोगों के लिये स्वरोज़गार और स्थायी आजीविका का सृजन करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

चुनौतियाँ:

  • इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से ही इसे संरचनात्मक मुद्दों और ‘गैर निष्पादित संपत्तियों (Non-Performing Assets- NPA)’ की बढ़ती संख्या जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2018-19 के बीच इस कार्यक्रम के तहत 10,169 रुपए आवंटित किये गए थे जिनमें से 1,537 करोड़ रुपए NPA में बदल गए।
  • इस कार्यक्रम के तहत MSME क्षेत्र के उद्यमों में 15% NPA की दर इसी क्षेत्र में वैश्विक NPA दर (11%) से बहुत अधिक है।
  • आमतौर पर केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के लिये वार्षिक रूप से एक स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किया जाता है, परंतु इस योजना में ऐसे किसी लक्ष्य को निर्धारित नहीं किया गया है


आगे की राह:

  • खादी और ग्रामोद्योग आयोग अध्यक्ष के अनुसार, बैंकों द्वारा धनराशि स्वीकृत करने की प्रक्रिया में तेज़ी लानी चाहिये जिससे अधिक-से-अधिक लोगों को इस योजना का लाभ मिल सके।
  • परियोजनाओं के क्रियान्वयन और रोज़गार सृजन के लिये समय पर पूंजी का वितरण बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
  • वित्तीय सहायता के साथ सरकार द्वारा उद्यमियों को सही बाज़ार और सही उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिये।

स्रोत: पीआईबी

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