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जीएनपीए अनुपात

  • 30 Dec 2022
  • 6 min read

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (GNPA) अनुपात, जो सितंबर 2022 में कम होकर सात वर्ष के निचले स्तर 5.0% पर आ गया, के सितंबर 2023 तक 4.9% तक सुधरने की उम्मीद है।

  • हालाँकि यदि व्यापक आर्थिक वातावरण एक मध्यम या गंभीर तनाव परिदृश्य में बदलता है तो GNPA अनुपात क्रमशः 5.8% और 7.8% तक बढ़ सकता है।

अन्य अवलोकन:

  • सकल अग्रिम के लिये GNPA का अनुपात मार्च 2022 में 5.9% था। सितंबर 2022 तक शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NNPA) अनुपात दस वर्ष के निचले स्तर 1.3% पर था जिसमें निजी क्षेत्र के बैंक (PVB) NNPA अनुपात 1% से नीचे था।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks- PSB) का GNPA अनुपात सितंबर 2022 में 6.5% से बढ़कर सितंबर 2023 में 9.4% हो सकता है, जबकि यह PVB के लिये 3.3% से बढ़कर 5.8% और गंभीर तनाव परिदृश्य के तहत विदेशी बैंकों (Foreign Banks- FB) के लिये 2.5% से 4.1% हो जाएगा।
  • बेंचमार्क परिदृश्य के तहत प्रमुख बैंकों के जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (Capital to Risk Weighted Assets Ratio- CRAR) के लिये कुल पूंजी सितंबर 2022 से सितंबर 2023 में 15.8% से 14.9% होने का अनुमान है।
  • बेंचमार्क परिदृश्य के तहत कुछ बैंकों का कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1) पूंजी अनुपात सितंबर 2022 के 12.8% से घटकर सितंबर 2023 तक 12.1% हो सकता है।  

प्रमुख शब्दावली: 

  • GNPA: ये संपत्ति उन सभी ऋणों का योग है जिन्होंने वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त किया था लेकिन  ऋण नही चुकाया है। 
  • समष्टि पर्यावरण (Macro-environment): यह संदर्भित करता है कि मैक्रोइकोनॉमिक परिस्थितियाँ जिसमें कोई कंपनी या क्षेत्र संचालित होता है, किस प्रकार इनके प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं। 
    • समष्टि अर्थशास्त्र (मैक्रोइकोनॉमिक्स) निजी उद्योगों और बाज़ारों के विपरीत एक अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन, खर्च और मूल्य स्तर से संबंधित होता है।
  • NNPA: यह वह प्रावधान राशि है जो गैर-निष्पादित संपत्तियों से घटाने के बाद वसूल की जाती है
  • CRAR: पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR), जिसे CRAR के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग जमाकर्त्ताओं की सुरक्षा और विश्व भर में वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता एवं दक्षता को बढ़ावा देने के लिये किया जाता है।
    • CAR बैंक द्वारा व्यक्त की गई उपलब्ध पूंजी का एक मापन है जो कि बैंक के ज़ोखिम भारित क्रेडिट एक्सपोज़र के प्रतिशत के रूप में व्यक्त की जाती है। 
  • CET1: इसमें इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं और इसलिये शेयर की कीमतों का प्रदर्शन बैंकों के प्रदर्शन से संबंधित होता हैं। इनकी कोई परिपक्वता अवधि नहीं होती है।
    • बेसल-III मानकों के अनुसार, बैंकों की नियामक पूंजी को टियर 1 और टियर 2 में बाँटा गया है, जबकि टियर 1 को कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET-1) और अतिरिक्त टियर-1 (Additional Tier1- AT-1) पूंजी में विभाजित किया गया है। 

गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ:

  • NPA उन ऋणों या अग्रिमों के वर्गीकरण को संदर्भित करता है जो डिफाॅल्ट रुप में हैं अथवा मूलधन या ब्याज़ के निर्धारित भुगतान पर बकाया हैं। 
  • किसी परिसंपत्ति के अनर्जक/गैर-निष्पादित रहने की अवधि और बकाया ऋण एकत्र करने की क्षमता के आधार पर बैंकों को गैर-निष्पादित संपत्तियों को निम्नलिखित तीन समूहों में वर्गीकृत करने की आवश्यकता होती है:
    • सब-स्टैंडर्ड परिसंपत्तियाँ: वह परिसंपत्ति जिसे 12 महीने से कम या उसके बराबर की अवधि के लिये NPA के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
    • संदिग्ध परिसंपत्तियाँ: वह परिसंपत्ति जो 12 महीने से अधिक की अवधि के लिये गैर-निष्पादक रही है।
    • नुकसान वाली परिसंपत्तियाँ: ये परिसंपत्तियाँ बैंक, लेखा परीक्षक या निरीक्षक द्वारा पहचाने गए घाटे वाले ऋण हैं जिन्हें पूरी तरह से माफ कर दिया जाना चाहिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग के प्रशासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1.  भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पिछले एक दशक में पूंजी निवेश में वृद्धि हुई है।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को व्यवस्था में रखने के लिये भारतीय स्टेट बैंक के साथ सहयोगी बैंकों का विलय प्रभावित हुआ है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)  केवल 1
(b)  केवल 2
(c)  1 और 2 दोनों
(d)  न तो 1 और न ही 2

उत्तर : (b) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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