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भारतीय अर्थव्यवस्था

संशोधित PCA ढाँचा

  • 05 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, PCA ढाँचा, गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA), पूंजी पर्याप्तता अनुपात

मेन्स के लिये:

संशोधित PCA ढाँचा का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ (RBI) ने एक संशोधित ‘त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई’ (PCA) ढाँचे की घोषणा की है।

  • ज्ञात हो कि PCA ढाँचा बैंकों पर रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षी हस्तक्षेप को सक्षम बनाता है और प्रभावी बाज़ार अनुशासन सुनिश्चित करता है।

प्रमुख बिंदु

  • संशोधित ढाँचा
    • प्रयोज्यता
      • यह ढाँचा भारत में परिचालित सभी बैंकों पर लागू होता है, जिसमें शाखाओं या सहायक कंपनियों के माध्यम से परिचालन करने वाले विदेशी बैंक भी शामिल हैं।
      • हालाँकि भुगतान बैंकों और ‘छोटे वित्त बैंकों’ (SFBs) को उन ऋणदाताओं की सूची से हटा दिया गया है, जहाँ रिज़र्व बैंक द्वारा त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
        • नए प्रावधान जनवरी, 2022 से प्रभावी होंगे।
    • निगरानी क्षेत्र:
      • पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CRAR), NPA अनुपात, टियर I लिवरेज अनुपात इस संशोधित ढाँचे में निगरानी हेतु प्रमुख क्षेत्र होंगे।
      • हालाँकि इस संशोधित ढाँचे में परिसंपत्तियों पर रिटर्न को एक पैरामीटर के रूप में शामिल नहीं किया गया है।
    • PCA का क्रियान्वयन
      • किसी भी जोखिम सीमा के उल्लंघन के परिणामस्वरूप PCA को लागू किया जा सकता है। दबावग्रस्त बैंकों को ऋण/निवेश पोर्टफोलियो का विस्तार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
        • हालाँकि उन्हें सरकारी प्रतिभूतियों/अन्य उच्च गुणवत्ता वाले तरल निवेशों में निवेश करने की अनुमति है।
      • अपने जमाकर्त्ताओं के प्रति दायित्वों को पूरा करने में बैंक की ओर से चूक के मामले में PCA मैट्रिक्स के बिना संभावित समाधान प्रक्रियाओं का सहारा लिया जा सकता है।
    • रिज़र्व बैंक की शक्तियाँ
      • शासन-संबंधी कार्यों में भारतीय रिज़र्व बैंक ‘बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949’ की धारा 36ACA के तहत बोर्ड का स्थान ले सकता है।
      • बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 45 में संशोधन, रिज़र्व बैंक को केंद्र सरकार की मंज़ूरी के साथ किसी स्थगन को लागू करने या उसके बिना किसी बैंक के पुनर्निर्माण या समामेलन करने में सक्षम बनाता है।
      • रिज़र्व बैंक अपनी अनिवार्य और विवेकाधीन कार्रवाइयों के हिस्से के रूप में संशोधित PCA के तहत बोर्ड द्वारा अनुमोदित सीमाओं के भीतर तकनीकी उन्नयन के अलावा पूंजीगत व्यय पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है।
    • PCA प्रतिबंधों को समाप्त करना:
      • अधिरोपित प्रतिबंधों को वापस लेने पर केवल तभी विचार किया जाएगा, जब चार निरंतर तिमाही वित्तीय विवरणों के अनुसार किसी भी पैरामीटर में जोखिम सीमा में कोई उल्लंघन नहीं देखा गया हो।
  • त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई:
    • पृष्ठभूमि: PCA एक ढाँचा है, जिसके तहत कमज़ोर वित्तीय मैट्रिक्स वाले बैंकों को रिज़र्व बैंक द्वारा निगरानी में रखा जाता है।
      • रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2002 में PCA ढाँचे को ऐसे बैंकों के लिये एक संरचित प्रारंभिक-हस्तक्षेप तंत्र के रूप में पेश किया था, जो खराब संपत्ति की गुणवत्ता के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे थे या लाभप्रदता के नुकसान के कारण कमज़ोर हो गए थे।
      • वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद के कार्यकारी समूह की सिफारिशों के आधार पर इस ढाँचे को वर्ष 2017 में संशोधित किया गया था।
    • उद्देश्य: PCA ढाँचे का उद्देश्य उचित समय पर पर्यवेक्षी हस्तक्षेप को सक्षम करना और पर्यवेक्षित इकाई के लिये समयबद्ध ढंग से उपचारात्मक उपायों को लागू करना अनिवार्य बनाना है, ताकि उनके वित्तीय स्वास्थ्य को बहाल किया जा सके।
      • इसका उद्देश्य भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की समस्या से निपटना है।
      • इसका उद्देश्य नियामक के साथ-साथ निवेशकों और जमाकर्त्ताओं को भी सतर्क करना है।
      • इसका मुख्य लक्ष्य समय के गंभीर रूप धारण करने से पूर्व ही उसका मुकाबला करना है।
    • लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय परिणाम: एक बैंक को आमतौर पर लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय परिणामों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किये गए पर्यवेक्षी मूल्यांकन के आधार पर PCA ढाँचे के तहत रखा जाएगा।

गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA)

  • जब ऋण लेने वाला व्यक्ति 90 दिनों तक ब्याज अथवा मूलधन का भुगतान करने में विफल रहता है तो उसको दिया गया ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति माना जाता है।
  • प्रायः बैंकों द्वारा ‘गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों’ को ‘सब-स्टैंडर्ड’, ‘डाउटफुल’ और ‘लॉस एसेट’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR):

  • CAR एक बैंक की उपलब्ध पूंजी को मापने का उपाय है, जिसे बैंक के जोखिम-भारित क्रेडिट एक्सपोज़र के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • पूंजी पर्याप्तता अनुपात, जिसे ‘कैपिटल-टू-रिस्क वेटेड एसेट रेशियो’ (CRAR) के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग जमाकर्त्ताओं की रक्षा और दुनिया भर में वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता एवं दक्षता को बढ़ावा देने के लिये किया जाता है।

टियर-1 लिवरेज अनुपात:

  • यह एक बैंकिंग संगठन की कोर पूंजी एवं उसकी कुल संपत्ति के बीच के संबंध को व्यक्त करता है।
  • टियर-1 लीवरेज अनुपात की गणना टियर-1 पूंजी को बैंक की औसत कुल समेकित संपत्ति और बैलेंस शीट से अलग एक्सपोज़र से विभाजित करके की जाती है।
    • लीवरेज अनुपात ऐसे कई वित्तीय मापों में से एक है, जो किसी कंपनी के वित्तीय दायित्वों को पूरा करने की क्षमता का आकलन करता है। कुछ उदाहरण हैं:
      • इक्विटी अनुपात: यह अनुपात कंपनी में मालिक के कुल योगदान को दर्शाता है।
      • ऋण अनुपात: यह अनुपात कंपनी में उपयोग किये गए कुल लीवरेज को दर्शाता है।
      • ‘डेब्ट टू इक्विटी’ अनुपात: यह अनुपात इक्विटी की तुलना में व्यवसाय में उपयोग किये गए कुल ऋण को दर्शाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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