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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा HFCs को निर्देश

  • 19 Feb 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने आवास वित्त कंपनियों (Housing Finance Company) को निर्देश जारी किये हैं।

  • एचएफसी एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Company) है, जिसकी वित्तीय संपत्ति का लगभग 60% का उपयोग आवासीय व्यवसाय के वित्तपोषण में जाता है।
  • आरबीआई द्वारा दिये गए निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे, इन निर्देशों का लक्ष्य HFCs के कामकाज से निवेशकों और जमाकर्त्ताओं के हितों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाना है।

प्रमुख बिंदु

तरलता जोखिम प्रबंधन:

  • तरलता जोखिम प्रबंधन नियम (Liquidity Risk Management) 100 करोड़ रुपये या इससे अधिक की संपत्ति के आकार वाले सभी वित्तीय संस्थानों पर लागू होंगे।
  • इसमें अंतराल सीमा (Gap Limit) के पालन को शामिल करना चाहिये, जिससे तरलता जोखिम के लिये तरलता जोखिम निगरानी उपकरणों (Liquidity Risk Monitoring Tool) और स्टॉक अप्रोच (Stock Approach) को अपनाया जा सके।

तरलता कवरेज अनुपात:

  • HFCs को तरलता कवरेज अनुपात (Liquidity Coverage Ratio) के लिये एक लिक्विटी बफर बनाए रखना होगा। इससे भविष्य में नकदी से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या उत्पन्न होने पर उन्हें इस फंड से मदद मिलेगी।

लोन टू वैल्यू अनुपात:

  • सूचीबद्ध शेयरों की गारंटी लेकर लोन देने वाले एचएफसी को 50 फीसद का लोन-टू-वैल्यू (Loan-To-Value) अनुपात मेंटेन करना होगा। 
  • स्वर्ण आभूषणों की गारंटी पर लोन देने के लिये HFCs को 75 फीसद का लोन-टू-वैल्यू अनुपात मेंटेन करना होगा।

निवेश ग्रेड रेटिंग:

  • एचएफसी को जब तक किसी स्वीकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज़ (Credit Rating Agency) से कम-से-कम एक वर्ष में एक बार फिक्स्ड डिपॉज़िट के लिये न्यूनतम निवेश ग्रेड रेटिंग (Investment Grade Rating) प्राप्त न हो तब तक उसे सार्वजनिक जमा को स्वीकार करने या नवीनीकृत करने से रोक दिया गया है।

कवर फॉर पब्लिक डिपॉज़िट्स:

  • एचएफसी के लिये आवश्यक होगा कि स्वीकार किये गए सार्वजनिक जमा पर पूर्ण सुरक्षा कवर सुनिश्चित करे।
    • एचएफसी शर्तों के अनुसार यदि कोई सार्वजनिक जमा या उसके हिस्से को चुकाने में विफल रहता है तो वह किसी भी ऋण या अन्य क्रेडिट सुविधा को तब तक मंज़ूरी नहीं देगा, कोई निवेश नहीं करेगा और कोई अन्य संपत्ति नहीं बनाएगा जब तक कि बकाया (Default) भुगतान नहीं किया जाता है।
  • एचएफसी को अपने स्वयं के शेयरों के खिलाफ उधार देने से रोक दिया गया है।

पूंजी पर्याप्तता अनुपात:

  • प्रत्येक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एक निरंतर आधार पर न्यूनतम पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio) बनाए रखेगी।
    • यह मार्च 2020 तक 13%, मार्च 2021 से पहले 14% और मार्च 2022 तक 15% से कम नहीं होगा।

ऋण सीमा:

  • एक एचएफसी किसी भी उधारकर्त्ता को अपने स्वामित्व वाले फंड का 15% से अधिक उधार नहीं दे सकता है और यह उधारकर्त्ता के समूह को अपने स्वामित्व फंड का 25% से अधिक उधार नहीं दे सकता है।

अन्य कंपनियों में निवेश:

  • एक एचएफसी अपने स्वामित्व वाले फंड का किसी कंपनी में 15% और कंपनियों के एक समूह में 25% से अधिक का निवेश नहीं कर सकती है।

मार्केट एक्सपोज़र:

  • एक एचएफसी का कुल निवेश सभी प्रकार के पूंजी बाज़ार में (निधि आधारित और गैर-निधि आधारित दोनों) पिछले वर्ष के 31 मार्च की तुलना में अपने निवल मूल्य का 40% से अधिक नहीं होना चाहिये।

मुख्य शब्द

तरलता:

  • यह एक फर्म, कंपनी और एक व्यक्ति की किसी नुकसान के बिना अपने ऋण का भुगतान करने की क्षमता है।

तरलता जोखिम:

  • यह एक ऐसे शेयर की बिक्री-योग्यता (Marketability) को संदर्भित करता है जिसे मूल्यह्रास को रोकने या कम करने के लिये जल्दी से खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है। इसे आमतौर पर अधिक मूल्य के शेयरों के मामले में देखा जाता है।

तरलता जोखिम प्रबंधन:

  • तरलता जोखिम प्रबंधन (Liquidity Risk Management) का आशय उन प्रक्रियाओं और रणनीतियों को शामिल करना है जिनका उपयोग बैंक करता है:
    • यह सुनिश्चित करता है कि संस्था को अनुचित अस्थिरता से बचाते हुए बैलेंसशीट एक वांछित शुद्ध ब्याज मार्जिन अर्जित करती है।
    • विकासशील संस्थान के जोखिम को अनुकूलित करने के लिये संपत्ति और देनदारियों के उचित समन्वय के साथ एक बैलेंसशीट की योजना और संरचना तैयार करना।
    • इसकी दिन-प्रतिदिन के परिचालन या संपूर्ण वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाले बिना नकदी प्रवाह और संपार्श्विक ज़रूरतों (सामान्य तथा तनाव दोनों स्थितियों में) को पूरा करने की क्षमता का आकलन करना।
    • रणनीतियों को विकसित कर और उचित कार्रवाई द्वारा उस जोखिम को कम करना जो यह सुनिश्चित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है कि आवश्यकता होने पर ज़रूरी धन और संपार्श्विक (Collateral) उपलब्ध होगा।

 तरलता कवरेज अनुपात:

  • यह वित्तीय संस्थानों द्वारा संचालित अत्यधिक तरल संपत्ति के अनुपात को संदर्भित करता है, ताकि अल्पकालिक दायित्वों को पूरा करने की उनकी निरंतर क्षमता सुनिश्चित हो सके।

ऋण-मूल्य अनुपात:

  • यह एक वित्तीय शब्द है जिसका उपयोग उधारदाताओं द्वारा खरीदी गई संपत्ति के मूल्य-ऋण अनुपात को व्यक्त करने हेतु किया जाता है।

तरलता बफर:

  • यह तरल संपत्तियों के स्टॉक को संदर्भित करता है जो एक बैंकिंग संगठन को अपेक्षित और अप्रत्याशित नकदी प्रवाह को पूरा करने में सक्षम बनाता है तथा बैंकिंग संगठन के दैनिक कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना संपार्श्विक ज़रूरतों को पूरा करता है।

पूंजी पर्याप्तता अनुपात:

  • पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio) को पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (Capital-To-Risk Weighted Assets Ratio-CRAR) के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग जमाकर्त्ताओं की सुरक्षा और विश्व में वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता और दक्षता को बढ़ावा देने के लिये किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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