ई गवर्नेंस
ई-गवर्नेंस का अर्थ है, किसी देश के नागरिकों को सरकारी सूचना एवं सेवाएँ प्रदान करने के लिये संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का समन्वित प्रयोग करना।
- ई-गवर्नेंस में "ई" का अर्थ 'इलेक्ट्रॉनिक' है।
यूरोपीय परिषद ने ई-शासन को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है :
सार्वजनिक कार्रवाई के तीन क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
- सार्वजनिक अधिकारियों और नागरिक समाज के बीच संबंध।
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी चरणों में सार्वजनिक प्राधिकरणों का कामकाज (इलेक्ट्रॉनिक लोकतंत्र)
- सार्वजनिक सेवाओं (इलेक्ट्रॉनिक सार्वजनिक सेवाओं) का प्रावधान।
ई-गवर्नेंस के उदय के कारण:
- शासन का जटिल होना
- सरकार से नागरिकों की अपेक्षाओं में वृद्धि
ई-गवर्नेंस की विभिन्न धारणाएँ:
प्रशासन:
राज्य को आधुनिक बनाने के लिये आईसीटी का उपयोग; प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के लिये डेटा रिपॉज़िटरी का निर्माण और रिकॉर्ड्स (भूमि, स्वास्थ्य आदि) का कंप्यूटरीकरण।
ई-सेवाएँ: इसका उद्देश्य राज्य और नागरिकों के मध्य संबंध को मज़बूत करना है।
उदाहरण के लिये:
- ऑनलाइन सेवाओं का प्रावधान।
- ई-प्रशासन और ई-सेवाओं का एक साथ समायोजन करना, जिसे बड़े पैमाने पर ई-सरकार कहा जाता है।
ई-गवर्नेंस: समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सरकार की क्षमता में सुधार हेतु सूचना एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
- इसमें नागरिकों के लिये नीति और कार्यक्रम से संबंधित जानकारी का प्रकाशन शामिल है।
- यह ऑनलाइन सेवाओं के अतिरिक्त सरकार की योजनाओं की सफलता के लिये आईटी का उपयोग करता है और सरकार के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
ई-लोकतंत्र: राज्य के शासन में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु आईटी का उपयोग।
- इसके अंतर्गत पारदर्शिता, जवाबदेहिता और लोगों की भागीदारी पर जोर दिया जा रहा है।
- इसमें नीतियों का ऑनलाइन खुलासा, ऑनलाइन शिकायत निवारण, ई-जनमत संग्रह आदि शामिल हैं।
उत्पत्ति:
- भारत में ई-गवर्नेंस की उत्पत्ति 1970 के दशक के दौरान चुनाव, जनगणना, कर प्रशासन आदि से संबंधित डेटा गहन कार्यों के प्रबंधन के लिये आईसीटी के अनुप्रयोगों पर ध्यान देने के साथ हुई।
प्रारंभिक कदम
- 1970 में इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना भारत में ई-गवर्नेंस की दिशा में पहला बड़ा कदम था क्योंकि इसमें ’सूचना’ और ‘संचार’ पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
- 1977 में स्थापित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने देश के सभी ज़िला कार्यालयों को कंप्यूटरीकृत करने के लिये “जिला सूचना प्रणाली कार्यक्रम” शुरू किया
- ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने की दिशा में 1987 में लॉन्च NICNET (राष्ट्रीय उपग्रह-आधारित कंप्यूटर नेटवर्क) एक क्रांतिकारी कदम था।
उद्देश्य
- नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदान करना।
- पारदर्शिता और जवाबदेहिता का पालन।
- सूचनाओं के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाना।
- शासन दक्षता में सुधार।
- व्यापार और उद्योग के साथ इंटरफेस में सुधार।
ई-गवर्नेंस के स्तंभ
- लोग
- प्रक्रिया
- प्रौद्योगिकी
- संसाधन
ई-गवर्नेंस में सहभागिता के प्रकार
- G2G यानी सरकार से सरकार
- G2C यानी सरकार से नागरिक
- G2B यानी सरकार से व्यापार
- G2E यानी सरकार से कर्मचारी
- ई गवर्नेंस हेतु भारत में नवाचार:
क्र. | कार्यक्रम | विवरण |
1. | भूमि प्रोजेक्ट (कर्नाटक): भूमि अभिलेखों की ऑनलाइन डिलीवरी | भूमि प्रोजेक्ट कर्नाटक के 6.7 मिलियन किसानों हेतु 20 मिलियन ग्रामीण भूमि के रिकॉर्ड के, कंप्यूटरीकृत वितरण के लिये एक स्व-स्थायी ई-गवर्नेंस परियोजना है। |
2. | खजाने (कर्नाटक): सरकारी ट्रेजरी सिस्टम का एंड-टू-एंड ऑटोमेशन |
कर्नाटक राज्य की सरकार-से-सरकार (G2G) ई-शासन पहल। यह कार्यक्रम मुख्य रूप से मैनुअल ट्रेजरी सिस्टम में प्रणालीगत कमियों को खत्म करने और राज्य वित्त के कुशल प्रबंधन के लिये लागू किया गया है। |
3. | ई-सेवा (आंध्रप्रदेश) |
इसे सरकार से नागरिक और ई-बिजनेस से नागरिक’ सेवाएँ प्रदान करने के लिये बनाया गया है। सभी सेवाओं को उपभोक्ताओं / नागरिकों से संबंधित सरकारी विभागों से जोड़कर, सेवा वितरण के बिंदु पर ऑनलाइन जानकारी प्रदान की जाती है तथा फिर इन सेवाओं को ऑनलाइन वितरित किया जाता है। यह परियोजना नागरिकों के बीच विशेष रूप से उपयोगिता बिलों के भुगतान के लिये बहुत लोकप्रिय हो गई है। |
4. | ई-कोर्ट |
इस परियोजना को न्याय विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। इस मिशन मोड प्रोजेक्ट (MMP) का उद्देश्य नागरिकों को प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा बेहतर न्यायिक सेवाएँ प्रदान करना है। |
5. | ई-ज़िला |
इसे सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू किया गया। MMP का उद्देश्य ज़िला स्तर पर नागरिक-केंद्रित सेवाएँ जैसे-जन्म / मृत्यु प्रमाण पत्र, आय और जाति प्रमाण पत्र, वृद्धावस्था और विधवा पेंशन, आदि प्रदान करना है। |
6. | MCA21 |
इसे कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक सेवाएँ प्रदान करना है। इसके अंतर्गत विभिन्न ऑनलाइन सुविधाओं के आवंटन और नाम परिवर्तन, निगमन, पंजीकरण शुल्क का ऑनलाइन भुगतान, पंजीकृत कार्यालय का पता बदलना, सार्वजनिक रिकॉर्ड देखना जैसी सेवाएँ शामिल हैं। |
7. | ई-ऑफिस |
इसे प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा शुरू किया गया। इसका उद्देश्य कार्यालयों में कम से कम कागज (Less Paper Office) के उपयोग द्वारा सरकार की परिचालन क्षमता में सुधार करना है। |
डिजिटल इंडिया पहल
- इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) द्वारा लॉन्च किया गया है।
- यह भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज व ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया।
डिजिटल इंडिया के केंद्र में तीन मुख्य क्षेत्र हैं:
(i) प्रत्येक नागरिक के लिये सुविधा के रूप में बुनियादी ढाँचा
(ii) गवर्नेंस व मांग आधारित सेवाएँ
(iii) नागरिकों का डिजिटल सशक्तीकरण
ई-गवर्नेंस के लाभ
- ई-गवर्नेंस से प्रशासनिक कार्य एवं सेवाओं की दक्षता एवं गुणवत्ता में सुधार होता है।
- ई-गवर्नेंस के माध्यम से सरकार को सारे आँकड़े आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
- सरकारें विभिन्न योजनाएँ और नीतियाँ बनाने के दौरान इन आँकड़ों का विश्लेषण कर बेहतर निर्णय ले सकती हैं।
- ई-गवर्नेंस के परिणाम स्वरुप एक कॉमन डेटा तैयार हो जाता है जिसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
- इससे जनता और सरकार के बीच स्वस्थ एवं पारदर्शी संवाद को मज़बूत बनाया जा सकता है।
- सुशासन के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम सरकार की प्रक्रियाओं को सरल बनाना है ताकि पूरी प्रणाली को पारदर्शी बनाकर तीव्र किया जा सके और यह ई-गवर्नेंस के माध्यम से ही संभव है।
- ई-गवर्नेंस से व्यवसाय और नए अवसरों का सृजन हुआ है।
ई गवर्नेंस से संबंधित चुनौतियाँ
अवसंरचना
- बिजली, इंटरनेट आदि बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
(BharatNet और Saubhagya जैसी पहलें इस संबंध में उठाए गए कदम हैं।)
लागत
- ई-गवर्नेंस हेतु किये जाने वाले उपाय महँगे होते हैं और इनके लिये भारी सार्वजनिक व्यय की आवश्यकता होती है।
- भारत जैसे विकासशील देशों में, ई-गवर्नेंस पहल के कार्यान्वयन में परियोजनाओं की लागत प्रमुख बाधाओं में से एक है।
गोपनीयता और सुरक्षा
- डेटा लीक होने के मामलों ने ई-गवर्नेंस के प्रति लोगों के विश्वास को खतरे में डाल दिया है। इसलिये, ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सभी वर्गों के लोगों के हितों की सुरक्षा के लिये सुरक्षा मानक और प्रोटोकॉल होने चाहिये।
डिजिटल डिवाइड
- ई गवर्नेंस सेवाओं का लाभ उठाने वाले और इन सेवाओं से वंचित लोगों की संख्या के मध्य बहुत अधिक अंतराल है।
- डिजिटल विभाजन जनसंख्या के अमीर-गरीब, पुरुष-महिला, शहरी-ग्रामीण आदि क्षेत्रों में देखा जाता है।
- इस अंतर को कम करने की आवश्यकता है, तभी ई-गवर्नेंस के लाभों का समान रूप से उपयोग किया जाएगा।
सुझाव
- ग्रामीण क्षेत्रों में ई-शासन की पहल ज़मीनी हकीकत की पहचान और विश्लेषण करके की जानी चाहिये।
- सरकार को विभिन्न हितधारकों अर्थात नौकरशाहों, ग्रामीण जनता, शहरी जनता, निर्वाचित प्रतिनिधियों, आदि के लिये उचित, व्यवहार्य, विशिष्ट और प्रभावी क्षमता निर्माण तंत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- ई-गवर्नेंस से संबंधित सेवाओं के वितरण को बढ़ाने में क्लाउड कंप्यूटिंग की एक बड़ी भूमिका है। क्लाउड कंप्यूटिंग न केवल लागत में कमी लाने का एक उपकरण है, बल्कि नई सेवाओं को प्रदान करने में सक्षम होने के साथ ही शिक्षा प्रणाली में सुधार और नई नौकरियों / अवसरों के सृजन में भी मदद करता है।
- मेघराज- जीआई क्लाउड सही दिशा में एक कदम है। इस पहल का उद्देश्य सरकार के आईसीटी खर्च को कम करते हुए देश में ई-सेवाओं के वितरण में तेज़ी लाना है।
- क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से ई-गवर्नेंस भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र के लिये अत्यंत प्रासंगिक है।
निष्कर्ष
- ई-गवर्नेंस सेवाएँ भारत में गति पकड़ रही हैं, लेकिन सार्वजनिक जागरूकता बढाने और डिजिटल डिवाइड को कम करने की आवश्यकता है।
- ई-गवर्नेंस उपायों की सफलता काफी हद तक हाई-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता पर निर्भर करती है, और निकट भविष्य में 5-जी तकनीक का देशव्यापी प्रसार हमारे संकल्प को मज़बूत करेगा।